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मुख्यमंत्री को डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने दी विश्व हिन्दी सम्मेलन की उपलब्धियों की जानकारी

राजनांदगांव। मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह जी से राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में भेंट कर, दिग्विजय कालेज के हिन्दी विभाग के राष्ट्रपति सम्मानित प्राध्यापक डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने भारत सरकार द्वारा आयोजित दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन की भव्यता, उपयोगिता और प्रभाव की जानकारी दी।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं गृह मंत्री राजनाथ सिंह जी के प्रमुख आतिथ्य में भोपाल के लाल परेड मैदान में हुए इस तीन दिवसीय हिन्दी के वैश्विक महाकुम्भ में अपनी भागीदारी को सौभाग्य निरूपित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ.सिंह को डॉ.जैन ने बताया कि चालीस देशों के हिन्दी के विद्वानों, पत्रकारों, तकनीकी विशेषज्ञों और हिन्दी के नीति निर्माताओं की समृद्ध सहभागिता वाले इस ऐतिहासिक सम्मेलन का मुख्य विषय हिन्दी – विस्तार और सम्भावनाएँ था। सम्मेलन दर्जन भर उपविषयों पर समान्तर सत्रों में. देश-विदेश के प्रख्यात हिन्दी विद्वानों के नाम पर बनाये गए अत्याकर्षक सभागृहों में लगनशील चर्चा हुई जिसमें प्रतिभागियों ने हिन्दी की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को ध्यान में रखकर अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

विश्व हिन्दी सम्मेलन के समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि रहे मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह को डॉ.जैन ने बताया कि सम्मेलन की अभूतपूर्व व्यवस्था, सुसंस्कृत अतिथि सत्कार, नयनाभिराम सांस्कृतिक कार्यक्रम, सभी प्रतिभागियों की निरंतर पूछ परख, आवागमन, आवास आदि की पर्याप्त सुविधा, साहित्यिक-सांस्कृतिक पयर्टन स्थलों के भ्रमण की विशेष व्यवस्था के अलावा सबसे बड़ी खासियत यह रही कि वहां तमाम सत्रों में की गई चर्चाओं का सार बाकायदा समापन समारोह के मंच से पढ़कर सुनाया गया। तैयार किये गए प्रस्तावों का अनुमोदन करवाया गया। प्रत्येक सत्र में लोकतांत्रिक पद्धति अपनाते हुए अधिक से अधिक प्रतिभागियों के विचार आमंत्रित किये गए। उन पर चर्चा भी चलती रही।

डॉ.जैन ने बताया कि दसवां विश्व हिन्दी सम्मेलन मध्यप्रदेश शासन की मेजबानी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी की व्यक्तिगत अभिरुचि के कारण नया इतिहास रच गया। सम्पूर्ण वातावरण हिन्दीमय हो गया था। लोगों ने महसूस किया कि भाषा का महोत्सव किस तरह किया जाना चाहिए। यही कारण है कि सम्मेलन के बाद हिन्दी के संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनने और विश्व स्तर पर हिन्दी के विस्तार का पथ प्रशस्त हो गया है। मुख्यमंत्री ने संस्कारधानी और प्रदेश का गौरववर्धन करने पर डॉ.चन्द्रकुमार जैन को बधाई दी। स्मरण रहे कि दुनिया के कई देशों में अब तक कुल दस विश्व हिन्दी सम्मेलन हो चुके हैं। इनमें से नागपुर, नई दिल्ली और भोपाल मिलकर तीन भारत में संपन्न हुए, किन्तु यह पहला अवसर था कि डॉ.जैन के माध्यम से राजनांदगांव जिले से हिन्दी के विश्व वैभव के प्रतीक इस विराट आयोजन में भागीदारी सुनिश्चित हुई।
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