आईआईएमसी में संवाद और विमर्श का माध्यम बनेगा हिंदी पखवाड़ा
‘भारतीय भाषाओं में अंतर-संवाद’ विषय पर चर्चा से होगा शुभारंभ
नई दिल्ली।।जनसंचार के शिक्षण, प्रशिक्षण तथा शोध के क्षेत्र में गौरवपूर्ण स्थान रखने वाला भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) हर बार की तरह इस वर्ष भी हिंदी पखवाड़े का आयोजन नए अंदाज और नए कलेवर के साथ कर रहा है। कोविड-19 महामारी के कारण बदली परिस्थितियों के बावजूद इस पखवाड़े के आयोजन को लेकर उत्साह और उमंग में कोई कमी नहीं है। आगामी 14 से 28 सितम्बर 2020 तक मनाए जाने वाले इस पखवाड़े का शुभारम्भ और समापन राष्ट्रीय स्तर के दो महत्वपूर्ण विमर्शों के आयोजन से होने जा रहा है, जिनमें सात राज्यों के विद्वान अपने विचार प्रकट करेंगे। यह जानकारी आज यहां आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने दी।
प्रो. द्विवेदी ने बताया कि पखवाड़े का शुभारम्भ 14 सितम्बर को ‘भारतीय भाषाओं में अंतर-संवाद’ विषय पर वेबिनार से होगा। इस वेबिनार में जनसत्ता के पूर्व सम्पादक एवं माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री अच्युतानंद मिश्र मुख्य अतिथि होंगे। भारतीय भाषाओं में अंतर-संवाद पर होने वाले इस विमर्श में गुजराती भाषा के ‘साप्ताहिक साधना’ के प्रबंध सम्पादक श्री मुकेश शाह, हैदराबाद से प्रकाशित होने वाले उर्दू दैनिक ‘डेली सियासत’ के सम्पादक श्री अमीर अली खान तथा कोलकाता प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री स्नेहशीष सुर अपने विचार प्रकट करेंगे।
आईआईएमसी के महानिदेशक ने बताया कि पखवाड़े का समापन ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय भाषाएं’ विषय पर वेबिनार से होगा। इस वेबिनार में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री मुख्य अतिथि होंगे, जबकि अध्यक्षता महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा करेंगे। इस वेबिनार के अन्य वक्ताओं में नवभारत टाइम्स – मुम्बई (महाराष्ट्र) के पूर्व संपादक श्री विश्वनाथ सचदेव, दैनिक जागरण, नई दिल्ली के सह-सम्पादक श्री अनंत विजय और पांडिचेरी विश्वविद्यालय, पांडिचेरी के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सी जयशंकर बाबु शामिल हैं।
प्रो. द्विवेदी ने हिंदी पखवाड़े के आयोजन के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि लम्बे अर्से से भारतीय भाषाओं के बीच अंतर-संवाद, अनुवाद, साहित्यिक और सांस्कृतिक संचार को बढ़ावा देने की दिशा में गंभीर प्रयास किए जाने की आवश्यकता महसूस की जाती रही है। चूंकि हिंदी देश में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है, ऐसे में यह भारतीय भाषाओं के बीच अतंर-संवाद का प्रबल माध्यम सिद्ध हो सकती है। इस अंतर-संवाद से न सिर्फ राष्ट्रीय एकता की भावना और भाषाई सद्भावना को बढ़ावा मिलेगा, अपितु हमारी भारतीय भाषाओं को भी सम्मान मिलेगा।
उन्होंने कहा कि हाल ही में घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारत सरकार ने भारतीय भाषाओं के सम्मान के लिए विशेष कदम उठाए हैं। अंतत: भारतीय भाषाओं की प्रगति से ही राष्ट्र गौरव, और समाज के आत्मविश्वास एवं स्वाभिमान में भी वृद्धि होगी। भारतीय भाषाओं को सम्मान मिलने से न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव संभव हो सकते हैं, अपितु इससे रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हो सकती है। इसलिए संस्थान इस वर्ष हिंदी पखवाड़े को भारतीय भाषाओं के बीच संवाद बढ़ाने की भावना से मनाने जा रहा है।
इन विमर्शों के अतिरिक्त इस हर साल की तरह इस बार भी हिन्दी पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं की प्रदर्शनी, निबंध प्रतियोगिता, हिन्दी टिप्पणी एवं प्रारूप लेखन प्रतियोगिता, हिन्दी काव्य पाठ प्रतियोगिता, हिन्दी टंकण प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस बार पखवाड़े के दौरान ही भारतीय सूचना सेवा प्रशिक्षुओं के लिए कार्यशाला का आयोजन भी किया जा रहा है, ताकि उन्हें रोजमर्रा के सरकारी कामकाज को हिंदी में करने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित किया जा सके।
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि संस्थान की कोशिश है कि यह हिंदी पखवाड़ा कर्मकांड मात्र तक सीमित न रह जाए, बल्कि संवाद और विमर्श का प्रबल माध्यम सिद्ध हो।
संपर्क
– प्रो. संजय द्वेिवेदी
Prof. Sanjay Dwivedi
महानिदेशक
Director General
भारतीय जन संचार संस्थान,
Indian Institute of Mass Communication,
अरुणा आसफ अली मार्ग, जे.एन.यू. न्यू केैम्पस, नई दिल्ली.
Aruna Asaf Ali Marg, New JNU Campus, New Delhi-110067.
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