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गरीब ड्रायवरों के बेटों ने भारत का नाम रोशन किया हॉकी में

भारत ने रविवार को बेल्जियम को पराजित कर जूनियर पुरुष विश्व कप हॉकी खिताब अपने नाम किया। हमारे देश में हॉकी अभी भी गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे ही ज्यादा खेलते हैं और इसके चलते इस विश्व कप में अजब संयोग देखने को मिला।

भारत ने 15 साल बाद यह खिताब अपने नाम किया और भारत को दुनिया का सरताज बनाने में प्रोफेशनल ड्राइवरों के बेटों ने अहम भूमिका निभाई।

इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी है कि भारत की 15 सदस्यीय टीम के करीब आधे खिलाड़ी (कुल सात खिलाड़ी) पेशेवर ड्राइवरों के बेटे हैं।

इन खिलाडि़यों में डिफेंडर हरमनप्रीत सिंह, वरूण कुमार, गोलकीपर विकास ‍दहिया, कृष्णबहादुर पाठक, सेंटर हाफ हरजीतसिंह, मिडफील्डर सुमित कुमार और फॉरवर्ड अजित कुमार पांडे शामिल हैं।

गोलकीपर विकास दहिया के चमत्कारिक प्रदर्शन की वजह से भारत ने जूनियर विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को पहली बार हराने में सफलता प्राप्त की थी।

विकास दहिया के पिता दलबीर दिल्ली के आजादपुर में एक फेक्ट्री में ट्रक ड्राइवर हैं जबकि वरूण के पिता ब्रम्हानंद पंजाब के मिठापुर गांव में मेटाडोर 407 चलाते हैं।

टीम के ड्रेग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह अपनी हार्ड हिटिंग के लिए जाने जाते हैं और उनका मानना है कि घंटों अपने पिता सरबजीत का ट्रेक्टर चलाने की वजह से उनके हाथों में इनकी ताकत आ गई।

बैकअप गोलकीपर कृष्ण बहादुर के पिता टेक बहादुर क्रेन ऑपरेटर थे, जिनका पिछले वर्ष निधन हो गया। सुमित के पिता रामजी प्रसाद वाराणसी में ट्रक ड्राइवर हैं। अजित कुमार के पिता उत्तरप्रदेश के गाजीपुर में ड्राइविंग पेशे से जुड़े हैं।

ट्रक ड्राइवर रामपाल सिंह के बेटे हरजीत सिंह जूनियर भारतीय टीम के सेंटर हाफ हैं। हरजीत का मैदान में तो ठीक, मैदान के बाहर भी योगदान रहता है।

हरजीत ने ‍अपने पिता से अदरक वाली चाय बनानी सीखी और वे इसकी ताजगी से समय-समय अपने साथी खिलाडि़यों और कोचेस तथा ट्रेनर्स की थकान को मिटाते हैं।