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पहली घंटी बजने से लेकर अब तक कितना बदला मोबाइल फोन?

आज 3 अप्रैल है यानी वो दिन जब 1973 में पहली बार मोबाइल की घंटी बजी थी। मोटोरोला के मार्टिन कूपर ने अपने प्रतिद्वंदी बेल लैब्स के डॉ. जोएल एस एंगेल को पहली बार मोबाइल से कॉल की थी। यह वो वक्त था जब ऐपल इंक. ने अपने ऑपरेशन शुरू ही किए थे और गूगल इंक. जैसी कई दूसरी दिग्गज टेक कंपनियां तो अस्तित्व में भी नहीं आईं थीं।

1973 से लेकर आज यानी 2018 तक मोबाइल फोन की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। ये बदलाव ऐसे रहे हैं कि अब यह डिवाइस 24 घंटे हमारे साथ रहती है। हम अपनी छोटी-बड़ी हर चीज के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। क्या आप आज के समय मोबाइल के बिना ज़िंदगी की कल्पना कर सकते हैं? बहुत कम समय में ही मोबाइल फोन्स ने हमारी ज़िंदगी में अहम पैठ बना ली है। आने वाले समय में भी इसकी उपयोगिता में कोई कमी नहीं आने वाली और हम अपने बहुत सारे कामों के लिए इस स्मार्ट डिवाइस पर ही निर्भर होंगे। 45 सालों का सफर पूरा कर मोबाइल फोन में किस तरह और कैसे बदलाव हुए हैं, आइये जानें।

पहली मोबाइल कॉल! जी हां आज के ही दिन आज से 45 साल पहले दुनिया की पहली मोबाइल कॉल की गई थी। मोबाइल फोन से पहली कॉल को अब साढ़े चार दशक पूरे हो गए हैं। मोबाइल के इतिहास में 3 अप्रैल का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। आइये जानते हैं पहली मोबाइल कॉल से जुड़ी कुछ खास बातें…

1. 3 अप्रैल 1973 को मोटोरोला कंपनी के रिसर्चर मार्टिन कूपर ने अपने प्रतिद्वन्द्वी बेल लैब्स के डॉ. जोएल एस एंगेल को पहली बार मोबाइल से कॉल की थी। एंगेल समझ गए कि वह पहला मोबाइल फोन पेश करने की रेस हार गए हैं।

पहला मोबाइल फोन जिससे पहली कॉल की गई उसे मोटोरोला डायनाटैक (Motorola Dynatac) नाम दिया गया था। मोटोरोला का प्रोटोटाइप आधारित पहला कमर्शियल था।

अब जमाना है हल्के और स्लिम स्मार्टफोन्स का। लेकिन क्या आपको पता है कि जिस मोबाइल फोन से पहली कॉल की गई थी, उसका वज़न 1.1 किलोग्राम था। इसकी मोटाई 13 सेंटीमीटर और चौंड़ाई 4.45 सेंटीमीटर थी। अब देखें तो ऐसा लगता है कि यह किसी ईंट जैसा रहा होगा। इस फोन में एक एलईडी डिस्प्ले दी गई थी।

आजकल आ रहे स्मार्टफोन्स एक बार चार्ज होने पर जहां 2 दिन तक चल जाते हैं। वहीं दुनिया का वो मोबाइल जिससे पहली कॉल हुई थी, उसे चार्ज होने में 10 घंटे का समय लगता था। इतना चार्जिंग समय लेने के बावज़ूद फोन 30 मिनट तक ही चल पाता था। फोन की बैटरी आज की तुलना में 4 से 5 गुना भारी होती थी।

शुरुआत में आए सेल फोन्स बहुत बड़े होते थे और जेब या पर्स में रखने के लिहाज़ से ये बहुत बड़े थे। तब 1983 में मोटोरोला का वह फोन बाज़ार में आया जो पॉकेट में रखा जा सकता था। Motorola DynaTAC 8000x पहला मोबाइल फोन था, जिसका साइज़ ठीकठाक था। यह फोन काफी महंगा था और चुनिंदा लोग ही इसे इस्तेमाल करने की क्षमता रखते थे। इसका वज़न 800 ग्राम था और इससे 18 मिनट की बैटरी लाइफ मिलती थी। इस फोन की कीमत 3995 अमेरिकी डॉलर थी।

नोकिया मोबिरा टॉकमैन और मोटोरोला 2900 बैग फोन आए। इन फोन की बैटरी बड़ी थी और टॉक टाइम भी थोड़ा ज़्यादा मिलता था। उस समय ये मोबाइल फोन खूब लोकप्रिय हुए।
इसके बाद मोटोरोला माइक्रोटैक आया, जो दुनिया का पहला फ्लिप फोन था। 1989 में रिलीज़ किये गए इस फोन की कीमत करीब 250 डॉलर थी।
1993 में IBM Simon को पेश किया गया। यह एक क्रांतिकारी डिवाइस थी जिससे फैक्स और ईमेल भेज और रिसीव किए जा सकते थे। इसमें एक अड्रेस बुक भी दी गई थी।
1996 में मोटोरोला स्टारटैक लॉन्च के समय अपने समय का सबसे छोटा और हल्का फोन था। इस फोन का वज़न 88 ग्राम था।

अब दौर आया उस कंपनी का जिसने मोबाइल फोन की दुनिया को एक नया मुकाम दिया हम बात कर रहे हैंNokia 3210 की। 2000 में लॉन्च किया गया यह एक क्रांतिकारी फोन साबित हुआ और इसी के साथ टेक्सटिंग की शुरुआत हुई। दुनियाभर में इस डिवाइस के 160 मिलियन यूनिट्स बिके और यह बेस्ट-सेलिंग फोन साबित हुआ। यह मोबाइल फोन के युग का दूसरा दौर था। इसी के साथ फोन्स में बेहतर कॉल क्वालिटी, एसएमएस मेसेज और डेटा कम्युनिकेशन जैसे अडवांस फीचर्स आए। जीपीएस और कैमरे के साथ आने वाला यह पहला फोन बना।

इसके बाद 2002 में ब्लैकबेरी 5810 ने बाज़ार में एंट्री की और इसमें जीएसएम व जीपीआरएस जैसे फीचर्स दिए गए।
इसके बाद 2004 में मोटोरोला ने रेज़र वी3 लॉन्च किया। पतली बॉडी और इसके खूबसूरत डिज़ाइन ने लोगों को दीवाना बना दिया।
तीसरी जेनरेशन के मोबाइल डिवाइसेज के साथ मोबाइल ब्रॉडबैंड की शुरुआत हुई। ऐपल और ऐंड्रॉयड के प्रभुत्व का दौर। 2007 में पहला आईफोन आया और 2008 में लॉन्च हुआ एचटीसी ड्रीम। 2007 में लॉन्च हुए पहले ऐपल आईफोन की 6 मिलियन से ज़्यादा यूनिट बिकीं और 2008 में इसका 3जी वेरियंट लॉन्च किया गया।

2010 में एचटीसी ईवो लॉन्च हुआ और यह सार्वजनिक तौर पर लॉन्च किया जाने वाला पहला 4जी रेडी फोन था। इसके बाद दुनिया में स्मार्टफोन क्रांति हुई। टचस्क्रीन वाले फोन्स की बाज़ार में भीड़ हो गई और सोनी, एलजी, सैमसंग जैसे दिग्गजों ने अपने स्मार्टफोन्स पेश किए। इसे मोबाइल फोन का चौथा चरण कहा गया।

अब जमाना है हाई-स्पीड डेटा ट्रांसफर का। यानी मोबाइल फोन के बदलाव का पांचवा दौर। 5जी की तरफ बढ़ रहे स्मार्टफोन्स में अब 4जी वीओएलटीई का दौर है। पहले ऐपल आईफोन ने पिछले साल अपना 10वां जन्मदिन मनाया और मोस्ट अडवांस्ड फीचर्स से लैस आईफोन X पेश किया। पांचवे दौर में चीनी कंपनियों ने दुनियाभर के स्मार्टफोन्स बाज़ार में एंट्री की। शाओमी, ओप्पो, वीवो जैसी कंपनियां भारत में दक्षिण कोरियाई सैमसंग को कड़ी टक्कर दे रही हैं। पहला स्मार्टफोन बनाने वाली मोटोरोला का स्वामित्व अब चीनी कंपनी लेनोवो के पास है। गूगल भी लगातार मोबाइल फोन की दुनिया में नई खोज कर रहा है और पिक्सल डिवाइसेज़ के साथ ऐपल और सैमसंग को चुनौती देने की कोशिश में है।

2019 तक दुनियाभर में मोबाइल फोन यूज़र्स की संख्या 5 अरब के पार पहुंचने की संभावना है। बात करें भारत की तो 2018 तक भारत में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या 530 मिलियन तक पहुंच सकती है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक, भारत में करीबप 650 मिलियन मोबाइल फोन यूज़र्स हैं जिनमें से 300 मिलियन से ज़्यादा के पास स्मार्टफोन्स हैं।

साभार- नवभारत टाईम्स से