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गंगासागर द्वीप नहीं देखा तो क्या देखा

मन में धार्मिक हिलोर और समुंद्र पर आस्था की हिलोरें जल यात्रा को खूबसूरत नजारों के साथ धार्मिक बना देती हैं। समुंद्र की लहरों से अठखेलियां करती लांज पर धार्मिक यात्रा का आनन्द वही महसूस कर सकता है,जिसने इस यात्रा का रसास्वादन किया हो। यहां से दिनभर लांज उपलब्ध रहती हैं। सलाह है कि सुबह जा कर द्वीप से शाम तक वापस लौट आना चाहिए। द्वीप पर ठहरने एवं भोजन की अच्छी व्यवस्था नहीं हैं। अगर आप द्वीप पर रात गुजारने के ख्वाईशमन्द है तो आपको जाते ही सबसे पहले ठहरने की व्यवस्था सुनिश्चित कर लेनी चाहिए वरना शाम के समय ठहरने का प्रबंध समस्या की वजह बन सकता है। भोजन के लिए यहां कुछ झोपड़ीनुमा ढाबे जगह हैं जो बहुत ही साधारण भोजन उपलब्ध कराते हैं। द्वीप घूमने के लिए रिक्शा आदि साधन मिल जाते हैं। अगर आप द्वीप के प्राकृतिक स्वरूप और वहां के लोगों की जीवन शैली देखने में रुचि रखते हैं तो एक रात ठहर सकते हैं। वहाँ ठहरने का आपको आधुनिकता से परे एक अलग ही अनुभव महसूस होगा, जो यादगार रहेगा।

द्वीप पर कपिल मुनि आश्रम में कपिल मुनि का मंदिर बना है, जहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं। पौराणिक कथानक के मुताबिक कहा जाता है कि कपिल मुनि के श्राप के कारण राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की इस स्थान पर मृत्यु हो गई थी। उनके मोक्ष के लिए सगर वंश के राजा भागीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाये थे और यहां आकर गंगा सागर से मिली थी। सागर में स्नान करने का फल दस अश्वमेध यज्ञ और एक हजार गाय दान करने के समान है।

इस प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ पर मकर संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालुओं का व्यापक जमघट लगता है और महाकुंभ का भव्य मेला भरता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु और सैलानी गंगासागर में डुबकी लगा पर पुण्य कमाते हैं। यह मेला पांच दिन चलता है। इसमें स्नान का मुहूर्त तीन दिनों का होता है। यहां गंगाजी का कोई मंदिर नहीं है, बस एक मील का स्थान निश्चित है, जिसे मेले की तिथि से कुछ दिन पूर्व ही संवारा जाता है। कहा जाता है सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर तीरथ एक बार।

द्वीप पर उत्तर में कुछ दूरी पर वामनखल स्थान पर एक प्राचीन मंदिर तथा चंदन पीड़ित वन में जीर्ण मंदिर और तट पर विशालाक्षी मंदिर दर्शनीय हैं। यह द्वीप रॉयल बंगाल टाईगर का प्राकृतिक आवास और मैन्ग्रोव की दलदल, जलमार्ग तथा छोटी- छोटी नदियां एवं नहरें हैं। द्वीप पर कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का एक पायलेट स्टेशन एवं लाइट हाउस भी है।

बंगाल की खाड़ी के कॉण्टीनेण्टल शैल्फ में गंगासागर, कोलकाता से दक्षिण में 150 किमी. दूरी पर एक सागर द्वीप है,जो पश्चिम बंगाल सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है। इस द्वीप का कुल क्षेत्रफल 300 वर्ग किमी. है जिसमे 43 गांव आते हैं। कोलकाता से दक्षिण में डायमंड हार्बर स्टेशन पड़ता है, जहां से नावों (फेरी) एवं जहाज द्वारा गंगा सागर पहुँच सकते हैं। यहां गंगा नदी का सागर से संगम माना जाता है। लॉट 8 से करीब 45 मिनट की समुंद्री यात्रा का अपना ही आनन्द है।

काकद्वीप
काकद्वीप बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है।यहाँ का समुंद्र तट गंगासागर द्वीप और प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ का प्रवेश स्वर है। हरे भरे द्वीप की सुंदरता में ग्रामीण आबादी निवास करती है। पूरा उपखंड सुंदरवन बस्तियों का एक हिस्सा है।यह द्वीप गंगा डेल्टा में स्थित है। यहाँ से गंगासागर जाने के लिये बना नाव घाट का दृश्य बहुत ही सुंदर नजर आता है। डेल्टा के दक्षिणी भाग में कई चौनल और द्वीप हैं, जिनमें हेनरी द्वीप, सागर द्वीप, फ्रेडरिक द्वीप और फ्रेजरगंज द्वीप प्रमुख हैंजो गंगासागर और फ्रेजरगंज-बक्खली उल्लेखनीय हैं, जो सैलानियों को लुभाते हैं।
सागर तट पर पहुंचने के लिए एक दूसरा मार्ग कोलकाता-नामखाना-चेमागुड़ी है। बस या कार से नामखाना104 किमी.दूरी पर है। रेल से सियालदह दक्षिण शाखा से नामखाना स्टेशन -लोकल ट्रेन से-109 किमी. दूरी पर है। नामखाना स्टेशन से जेटी घाट से बोट द्वारा चेमागुड़ी जेटी घाट तक जा कर वहाँ से 11 किमी.सागर मेला बस स्टैंड तक बस,कार या रिक्शा से पहुँच सकते हैं। बस स्टैण्ड से मेला परिसर करीब एक किमी. पैदल का रास्ता है। कोलकाता के किसी भी स्थान से काकद्वीप जाने के लिए बसें एवं टेक्सी उपलब्ध है। काकद्वीप से फेरी गंगासागर ले जाएगी। सियालदाह यहाँ का सबसे करीब रेलवे स्टेशन है। कोलकाता का सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, गंगासागर का निकटतम एयरपोर्ट है।

पुत्तलम पर्व हर वर्ष एक मार्च को पूरी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। तेय्यत्तम माहे का धार्मिक स्थल है। पुत्तलम स्थित पुराना मंदिर भगवान कुट्टीचेतन को समर्पित है, जो भगवान विष्णु का अवतार रूप है।यहाँ कला-शिल्प, नृत्यकला, चित्रकारी, नृत्य, अभिनय और गायन का संगम देखने को मिलता है।

कैसे पहुंचे
कोलकाता से गंगासागर तट तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। कुंभ मेले के दौरान सरकार यहां तक पहुँचने के अच्छे प्रबन्ध करती है। पहले आपको हावड़ा तथा सियालदह स्टेशन पहुंचना पड़ेगा। एक मार्ग कोलकाता से काकद्वीप लॉट-8 तक है। यहाँ तक ज्यादा से ज्यादा सरकारी एवं निजी बसों की सेवा भी उपलब्ध रहती है। रेलवे की ओर से सियालदह दक्षिण शाखा में विशेष ट्रेनों का इंतजाम किया जाता है। यह मार्ग कोलकाता-हावड़ा-सियालदह से आउट्राम, बाबूघाट, धर्मतल्ला होते हुए काकद्वीप लॉट-8 तक जाता है। रेल द्वारा सियालदह दक्षिण शाखा से काकद्वीप रेलवे स्टेशन करीब 95 किमी.दूरी पर है, इसके बाद रिक्शा या वैन से लॉट-8 की दूरी तय करनी होती है जो करीब 8 किमी है। काकद्वीप के लॉट-8 से जहाज(फेरी) या लांच से मुरीगंगा पार कर कचूबेडिया और यहाँ से बस या कार से सागर मेला क्षेत्र पहुँच सकते हैं।
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( लेखक कोटा,राजस्थान के अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार हैं)
मो.9928076040