अलबेले उत्सव और मेले पर्यटन पुस्तक के आवरण पृष्ठ का लोकार्पण

कोटा / अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के मौके पर मंगलवार को इस वर्ष की थीम ” पर्यटन और हरित निवेश” पर संगोष्ठी का आयोजन राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय में मां शारदे के सम्मुख दीप प्रज्वतित कर किया गया। इस अवसर पर पर्यटन लेखक डॉ.प्रभात कुमार सिंघल की नई पुस्तक ” अलबेले उत्सव और मेले” के आवरण पृष्ठ का विद्यार्थियों द्वारा अतिथियों की उपस्थिति में लोकार्पण भी किया गया।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता पुस्तकालय अधीक्षक डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने इस वर्ष के पर्यटन की थीम के संदर्भ में कहा की इसका उद्देश्य नए पर्यटन स्थलों का और संरचनाओं का विकास पर्यावरण और हर वातावरण के अनुकूल करना है। अच्छी आबो हवा और शुद्ध पर्यावरण पर्यटकों को मिले इसके लिए जरूरी है पर्यटन और हरियाली का संतुलन हो।

मुख्य अथिति वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र ‘ निर्मोही ‘ ने कहा पर्यटन के स्थायित्व के लिए इस वर्ष की थीम सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अपनी कवियों से कार्यक्रम को सरसता प्रदान की। विशिष्ठ अतिथि बैंक के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी विजय माहेश्वरी ने कहा की पर्यटन की इमारतें और स्ट्रक्टर कितने भी खूबसूरत क्यों न हो हरियाली के बिना श्रृंगार विहीन हैं। उन्होंने खूबसूरत बने चंबल रिवर फ्रंट को भी हराभरा बनाए जाने पर बल देते हुए कहा ताजमहल को ही लेले जिसे भारत में सबसे ज्यादा पर्यटक देखते हैं भरपूर हरियाली से आच्छादित होने से कई गुणा आकर्षक दिखाई देता है। उन्होंने हाड़ोती के एक मात्र यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल झालावाड़ के गागरोन किले को पाठक विद्यार्थियों से देखने का आग्रह किया। उन्होंने पर्यटन को देश में रोजगार देने का बड़ा माध्यम बताया। विशिष्ठ अथिति साहित्यकार जितेंद्र गौड़ ने भी विचार व्यक्त कर बताया कि अब कोटा ने भी चंबल रिवर फ्रंट से विश्व पर्यटन में कदम बढ़ाए हैं।

अध्यक्षता करते हुए राजस्थान के विख्यात कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने विद्यार्थियों की जिज्ञासों का समाधान कर पर्यटन के संदर्भ में उदहारण के साथ बताया कि विदेशी पौधे अमूमन हमारे देश के पर्यावरण और वातावरण के अनुकूल नहीं होते हैं। उन्होंने कहा हरित पर्यटन की दृष्टि से कोटा का नव विकसित सिटी पार्क और पहले से विकसित तालाब की पाल के किनारे छत्र विलास उद्यान आदर्श उदाहरण हैं। उन्होंने कहा आवरण पृष्ठ का लोकार्पण विद्यार्थियों से करना उन्हें पर्यटन से जोड़ने की अभिनव पहल है।

संगोष्ठी आयोजन के सूत्रधार और पर्यटन लेखक डॉ. सिंघल ने हाड़ोती के पर्यटन स्थलों पर प्रश्नोत्तरी से विद्यार्थियों की सहभागिता जोड़ते हुए पर्यटन और साहित्य के महत्व को प्रतिपादित किया। रामायण के पात्रों के संदर्भ में बताया की किस प्रकार हमारे साहित्य में वर्णित पात्र, स्थानों और कहानियों से संबंधित अनेक स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। उन्होंने कहा कि पर्यटन देश के हस्तशिल्प विकास में भागीदार बनकर विदेशी मुद्रा आय का बड़ा माध्यम भी बनता है। पुस्तक के संदर्भ में कहा की इसे तैयार करने में तीन साल का समय लगा है और इसमें विभिन्न राज्यों 82 विख्यात पर्यटन उत्सवों और मेलों को शामिल किया गया है। उन्होंने सभी का आभार व्यक्त किया। प्रारंभ में डॉ.दीपक ने सभी स्थितियों का अक्षय मांगलिक तिलक लगा कर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन पुस्तकालय प्रभारी डॉ. शशि जैन ने किया।
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