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हिंदी के प्रयोग से बढ़ता है देश का सम्मान : जुएल ओराम

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने कहा है कि‍ हिंदी के प्रयोग से हमारा ही नहीं बल्‍कि‍ देश का भी सम्मान बढ़ता है। हिंदी तो प्रेम की भाषा है, मिलाप की भाषा है और हमें हिंदी के साथ—साथ अन्य आदिवासी भाषाओं के साथ भी संवाद करना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने यह बात कल नई दि‍ल्‍ली में आयोजित केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय की राजभाषा सलाहकार समिति की बैठक में कही। उन्‍होंने राजभाषा में काम के नि‍यमि‍त नि‍रीक्षण और कार्यान्‍वयन समि‍ति‍ की नि‍यमि‍त बैठक आयोजि‍त करने पर जोर दि‍या ताकि‍ राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ाया जा सके। श्री ओराम ने कहा कि‍ आम लोगों के साथ संवाद में हिंदी और अन्‍य क्षेत्रीय भाषाओं के अधि‍कतम प्रयोग से हम मंत्रालय की गति‍वि‍धि‍यों की जानकारी और सुगमता से उन तक पहुँचा सकेंगे। मंत्री महोदय ने यह भी सुझाव दि‍या कि‍ यदि‍ हिंदी के प्रयोग से संबंधि‍त रि‍क्‍त पदों को नि‍यमि‍त आधार पर तुरंत भरना संभव न हो तो संवि‍दा आधार पर कार्मि‍क रखे जाने पर वि‍चार कि‍या जाए।

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समिति की बैठक में सदस्य एवं पत्रकार योगेश भारद्वाज ने कहा की सरकार के अधिकारी यदि फाइलों पर टि‍प्‍पणी लि‍खते समय हिंदी का प्रयोग करें तो इससे मंत्रालय के निर्णय को समझने में आसानी होगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि‍ इस समिति की बैठक यदि‍ जनजातीय क्षेत्रों में आयोजित हो तो इससे आदिवासी भाषाओं को भी समझने में आसानी होगी। मंत्री महोदय ने यह आश्‍वासन भी दि‍या कि‍ आगे से समिति की बैठक साल में कम से कम दो बार अवश्‍य आयोजि‍त होगी। एक अन्‍य सदस्‍य रीता दुबे के इस सुझाव पर की मंत्रालय हिंदी पर गोष्‍ठि‍यां आयोजि‍त करे, मंत्री महोदय ने अपनी सहमती व्यक्त की। एक सदस्‍य का सुझाव था कि‍ मंत्रालय में हिंदी की पुस्‍तकों की खरीद का प्रति‍शत बढ़ाया जाए। एक अन्‍य सदस्‍य ने मंत्रालय से हिंदी में एक पत्रि‍का नि‍कालने का सुझाव दि‍या। बैठक में मौजूद अन्‍य सदस्‍यों राजीव गुप्ता, अरुण जैमिनी, सिंकदर यादव, हरीश कुमार मलि‍क और हरेश कुमार टॉक आदि ने भी अपने महत्‍वपूर्ण सुझाव दिए।

बैठक में केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री श्री जसवंत सिंह भाभोर और सचिव डॉ श्‍याम अग्रवाल समेत कई वरि‍ष्‍ठ अधि‍कारी मौजूद थे।