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भारत को कम्पनी राज नहीं, मजदूर-किसान का ग्राम स्वराज चाहिए

भारत को कम्पनी राज नहीं, स्वराज चाहिए। भारत के किसान दिल्ली में 61 दिनों से आंदोलनरत् है। उनका जनादेश है कि, कम्पनियों के बनाए हुए खेती के ‘‘तीनों कानून हमें स्वीकार नहीं’’ हमें सिर्फ हमारा ग्राम स्वराज कानून चाहिए, जिसमें स्वामी नाथन की रिर्पोट के अनुसार और एमएसपी की सुनिश्चित हो।

जो सरकार कम्पनी राज्य कायम करना चाहती है, उसे हमारे भारत का मजदूर-किसान समझ गया है। इस कंपनी राज के षड़यंत्र को समझकर रोकने के लिए ही हमारी एकजुटता बनी है। किसानों की यह एक जुटता इस प्रकार पहली बार भारत में संगठित रूप में उभरी है। इसका इतने गहराई से उभरने का बड़ा कारण अब सरकार को भी समझ में आना ही चाहिए। भारत के संविधान ने हमें जो किसानी का सम्मान दिया है। इसमें हम बराबरी की तरफ आगे बढ़ रहे है। अभी तक हमारे स्त्री-पुरुष मजदूरी, हमारी मेहनत को सम्मान सहित प्राप्त कर रहे थे। बड़ा-छोटा, स्त्री-पुरुष, गरीब-अमीर जो भी खेती में काम करता है, उसको ‘किसान’ के रूप में संबोधन मिलना और आगे बढ़ने के अवसर मिला है। यह सब हमारे संविधान से सुनिश्चित हुआ है।

ये तीनों कानून भारत के संविधान द्वारा सुनिश्चित किए हुए समता के मौलिक अधिकार के विरूद्ध है। इनको लागू होने पर ‘कम्पनी राज’ कायम होगा। वह पहले की तरह कोड़े मारकर मनमानी फसलें उगाने के लिए मजबूर करेगा जैसे-ईस्ट इंडिया कम्पनी ने बिहार में नील की खेती कराई थी। 103 साल पहले 1917 में महात्मा गांधी को किसान सत्याग्रह करना पड़ा था। आज का किसान उस संकट को समय पर समझकर, समय पर ही सत्याग्रह कर रहा है, कम्पनीराज नहीं ग्राम स्वराज चाहिए। कम्पनी राज लाने वाले तीनों कानून रदद् करो।

इन तीनों कानूनों के द्वारा भारत में कम्पनियों का राज कायम हो जायेगा। कम्पनियाँ किसानों से जो पैदा कराना चाहेगी। उन्हीं फसलों का समझौता करेगी। वर्षा, बाढ़-सुखाड़ के कारण यदि फसल खराब हुई तो उसको, उसकी गुणवŸा समझौता के अनुकूल नहीं होने का संदेह देकर खरीदें न खरीदें ऐसा व्यवहार करेंगी। अभी भारत का जो कम्पनी राज का अनुभव, है, वो अंग्रेजों के कम्पनी ईस्ट इंडिया का है।

ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपना राज समझौतों के द्वारा ही कायम किया था। पहले उन्होंने राजाओं के साथ समझौते किए और फिर पूरे भारत के राजाओं के साथ समझौता करके, पूरे भारत देश में अपना राज स्थापित कर लिया था। हमारी सरकार भी अभी ऐसी ही कम्पनियों का राज कायम करने की दिशा में ये तीन कानून लेकर आयी है। इन तीनों कानूनों का किसानों की खेती पर जो दुष्प्रभाव पड़ेगा, उसको किसान ने समय से पहले से ही समझ लिया है और समझकर उस कम्पनी राज के विरोध में स्वराज बचाने के लिए व उसे कायम रखने के लिए, इन्होंने किसान आंदोलन की शुरूआत सालों पहले से की है। अब तो अपने पूरे जोरों पर चल रहा है।

हम चाहते है कि, भारत में स्वराज बचा रहे। स्वराज बचाने के लिए इस किसान आंदोलन को देख रहे है। यही आंदोलन सत्य का आग्रह ‘सत्याग्रह’ है। ये अहिंसामय आंदोलन इस देश की मरती हुई, गिरती हुई आत्मा को और मरते हुए राज्य के चरित्र को समझकर किसानों ने इसे बचाने की दृष्टि से ये सत्याग्रह चलाया है। किसान चाहता है कि, उसकी मेहनत का उचित मूल्य, बराबरी से मिले। उसकी मेहनत का उसे बराबरी से स्त्री-पुरुष , छोटा-बड़ा, अमीर भी गरीब को अपनी बराबरी में लाये, तभी तो अब बिहार, बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू भारत के सभी राज्यों से किसान इसमें शामिल हो गए है।

किसान पैदा करे, उस पैदा हुए अनाज को लोकतांत्रिक सरकार खरीदने वाली न्याय संगत सुनिश्चित व्यवस्था बनाये। लोकतंत्र में जो संवैधानिक बड़े से बड़े व छोटे से छोटे पदों पर जो जिम्मेदारियाँ देता है, उनको सरकार अपनी जिम्मेदारियों के अनुरूप लोकतंत्र के लोकादेश की पालना करे। पालना करके, ये जिम्मेदारी युक्त बने, जबाव देह बने, मंडी व्यवस्था की जिम्मेदारी और हकदारी दोनों को सुनिश्चित करें।

ये तीनों कानून है अलोकतांत्रिक है। यह लोकतंत्र के लिए नहीं है। ये तो कम्पनीतंत्र के लिए है। इसलिए कम्पनी राज की हमें जरूरत नहीं है। कम्पनी राज किसान नहीं चाहता। किसानों ने गन्ने की खेती में समझौते से होने वाले उत्पादन में जो लूट दिखाई है, समय पर जो भुगतान प्राप्त नहीं होता, ये सब अनुभव भारत के गन्ने के किसानों पास मौजूद अनुभवो

हमारे देश के किसानों को सहकारीकरण, सामुदायीकरण लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहित स्वीकार है। लेकिन वह निजीकरण नहीं चाहते। इसलिए इस ‘‘कम्पनी राज्य से मुक्ति और स्वराज्य की युक्ति ही ये किसान आंदोलन है।’’

किसान आंदोलन, भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने और लोकतंत्र के खोये हुए सम्मान को वापस दिलाने के लिए है। मैं समझता हूँ कि, किसानों के इन आंदोलनों को हमारी भारत सरकार को उदारता से विचार करके, सम्मान सहित उनकी बातों को मान लेना चाहिए। उनकी बातों को मानकर कम्पनी राज को रोकने वाले प्रयास शुरू करने चाहिए। कंपनी राज को रोकने का जो सबसे अच्छा प्रयास है ‘‘तीनों कानून को रदद् करने की प्रक्रिया शुरू करना और नया एमएसपी के अनुसार स्वामी नाथन रिर्पोट के अनुरूप एमएसपी की खरीद की गारंटी देना।’’ एमएसपी की खरीद की गारंटी का कानून बनाने से ही होगी। जिसमें एमएसपी से 70 प्रतिशत खरीद को बढ़ावा मिल सके।
भारत में महात्मागांधी का ग्राम स्वराज कायम रहे और कंपनी राज न आये। कंपनी राज किसी भी भारतीय को स्वीकार नहीं है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी इस कंपनी राज को रोके और स्वराज को बचाएँ।