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हिंदुस्तान का भविष्य उज्ज्वल, युवा उसके निर्माता – डॉ. हरीश शेट्टी

भोपाल। स्वीकार्यता जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। समय के साथ बदलाव को अपनाइए, इससे भागिए नहीं। डर को स्वीकार करना साहस का कार्य है। देश के जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. हरीश शेट्टी ने सफल और खुशहाल जीवन पर केंद्रित व्याख्यान में कई सूत्र दिए। यह विचार उन्होंने शनिवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित व्याख्यान में व्यक्त किये।

कोरोना महामारी के दौर में देश और समाज में व्याप्त दुख और भय के वातावरण को दूर करने के लिए विश्वविद्यालय की कोविड रिस्पॆड टीम द्वारा आयोजित यह व्याख्यान “सफल और खुशहाल जीवन” पर केंद्रित था। व्याख्यान में डॉ. हरीश शेट्टी ने कहा कि आपदा में अवसर है इसका इस्तेमाल करते हुए जीवन में कुछ आवश्यक बदलाव करना चाहिए। आपको जैसा शरीर और सामाजिक स्टेटस मिला है उसे स्वीकार करें, इसमें कोई आत्मग्लानि का बोध नहीं होना चाहिए। लेकिन बदलाव और उन्नति के लिए आत्मविश्वास के साथ अपने काम में लगे रहें। समाज के साथ समवाद में आप ब्लूमर बनिए ब्लेमर नहीं तभी सफल हो सकेंगे।

डॉ शेट्टी ने पारिवारिक वातावरण की चर्चा करते हुए कहा कि परिवार में संवाद खत्म हो रहा है, मोबाइल पर उंगलियां चलाने की जगह अपने हाथ पैर चलाएं क्योंकि व्यायाम ही आपको स्वस्थ रखेगा। यह आप खुद भी करें और बच्चों के लिए भी लागू करें। भावनाएं बांटने से संबंध मजबूत होते हैं, जबकि सूचना देने मात्र से केवल आइसोलेशन होता। योग और प्राणायाम को जीवन का अंग बनाइए क्योंकि अमेरिका जैसे देश की नेवी अपने सैनिकों को योग करवाती है। विद्यार्थियों से संवाद करते हुए डॉ. शेट्टी ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं कि हिंदुस्तान का भविष्य उज्जवल है और आप उसके निर्माता हैं। समय कठिन है लेकिन अभी पिक्चर बाकी है

इससे पूर्व विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर के.जी. सुरेश ने विषय का प्रवर्तन करते हुए कहा कि जीवन सांप सीढ़ी का एक खेल है, जिसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, इसलिए चिंतित रहने की जरूरत नहीं है। जिंदगी में सकारात्मकता को बनाए रखकर हम कठिन समय में भी डटे रह सकते हैं। डॉ. शेट्टी के उत्प्रेरक व्याख्यान के बाद विद्यार्थियों और शिक्षकों ने उनसे जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं पर कई प्रश्न और अपनी जिज्ञासाएं रखी, डॉ. शेट्टी ने सभी को मार्गदर्शन प्रदान किया।

कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वयन श्री लालबहादुर ओझा, सहायक प्राध्यापक ने किया, अंत में कुलसचिव प्रो. पवित्र श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया।