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अतिप्रेरणादायक – एक माँ की सीख

केन्या के प्रसिद्ध धावक अबेल मुताई 2012 में स्पेन में हुए एक क्राॅस कंट्री रेस प्रतियोगिता में अंतिम राउंड में दौड़ते वक्त अंतिम लाइन से कुछ मीटर ही दूर थे और उनके सभी प्रतिस्पर्धी पीछे थे।

अबेल ने लगभग स्वर्ण पदक जीत ही लिया था….इतने में कुछ गलतफ़हमी के कारण वे अंतिम रेखा समझकर कुछ कदम पहले ही रुक गए।

उनके पीछे आने वाले स्पेन के इवान फर्नांडिस समझ गये थे कि अबेल अंतिम समझ नहीं आने की वजह से गलती से पहले ही रुक गए हैं।

उसने चिल्लाकर अबेल को आगे जाने के लिए कहा लेकिन स्पेनिश नहीं समझने की वजह से वह नहीं हिले।

आखिर में इवान ने उसे धकेल कर अंतिम रेखा तक पहुंचा दिया। इस कारण अबेल का प्रथम तथा इवान का दूसरा स्थान आया। वहां बैठे सभी दर्शक आवाक रह गए।

पत्रकारों ने इवान से पूछा -“तुमने ऐसा क्यों किया? मौका मिलने के बावजूद तुमने लगभग जीता हुआ स्वर्ण पदक क्यों गंवाया?”

इवान ने कहा- “मेरा सपना है कि हम एक दिन ऐसी मानव-जाति बनाऍं जो एक दूसरे की मदद करेगी ना कि उसकी भूल से फायदा उठाएगी। मैं प्रथम स्थान पर नहीं था।”

पत्रकार ने फिर कहा – “लेकिन तुम केन्या के प्रतिस्पर्धी को धकेल कर आगे लाए।”

इस पर इवान ने कहा-“वह प्रथम ही था, इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान उसी का था।”

पत्रकार ने फिर कहा- “तुम स्वर्ण पदक जीत सकते थे।”

इवान ने कहा-“तुम सोच सकते हो उस जीत का अर्थ क्या होता। मुझे पदक का सम्मान मिलता पर मेरी माँ को मैं क्या कहता?

संस्कार एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी तक आगे जाते हैं। इस स्वर्ण पदक को इस तरह से जीत कर मैं अगली पीढ़ी को क्या संदेश देता? “दूसरों की दुर्बलता या अज्ञानता का फायदा न उठाते हुए उनको मदद करने की सीख मेरी माँ ने मुझे दी है।”