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पश्चिम रेलवे द्वारा यात्रियों की सुरक्षा के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की स्थापना

फोटो कैप्शन : पहली पंक्ति के पहले चित्र में पुरानी यांत्रिक स्लाइड प्रणाली तथा दूसरे चित्र में नए इंटरलॉकिंग इंस्टालेशन का दृश्य। दूसरी पंक्ति के पहले चित्र में रिले रूम तथा

मुंबई। पश्चिम रेलवे अपने सम्माननीय यात्रियों की संरक्षा से जुड़ी विभिन्न प्रकार की सुविधाओं को उपलब्ध कराने और हरसंभव बेहतरीन उपायों में हमेशा से ही अग्रणी रही है। पश्चिम रेलवे ने विभिन्न स्थानों पर मानवयुक्त और मानवरहित दोनों प्रकार के समपारों को हटाने, समपार फाटकों के इंटरलॉकिंग, सड़क ऊपरी पुलों, सड़क निचले पुलों एवं सीमित ऊंचाई के सबवे के निर्माण तथा आपदा प्रबंधन बुकलेट के प्रकाशन सहित विभिन्न विशेष संरक्षा अभियान, संरक्षा ऑडिट के आयोजन, एन डी आर एफ के साथ मॉकड्रिल, फायर फाइटिंग प्रशिक्षण और हाल ही में पश्चिम रेलवे के मुंबई उपनगरीय खंड पर मोबाइल ट्रेन कम्युनिकेशन सिस्टम के इंस्टालेशन के साथ इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए अब एक और उपलब्धि हासिल कर ली है।

फोटो कैप्शन : प्रथम चित्र में मैकेनिकल सिग्नलों के परिचालन के लिए उपयोग में लाये जाने वाले लीवरों का दृश्य, जबकि दूसरे चित्र में मैकेनिकल होम सिग्नल दर्शाया गया है। अंतिम चित्र में मैकेनिकल सिग्नल के लिए “पुली” सिस्टम को दर्शाया गया है।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री सुमित ठाकुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार पश्चिम रेलवे क्रमबद्ध तरीके से सभी मैकेनिकल सिग्नलिंग इन्स्टालेशनों को हटा रही है और उनके स्थान पर कम्प्यूटर आधारित नए इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम स्थापित किये जा रहे हैं। वर्ष 2021 के दौरान अब तक 40 स्टेशनों पर यूनिवर्सल फेल सेफ ब्लॉक उपकरण के साथ कंप्यूटर आधारित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की व्यवस्था कर दी गयी है। इस टेक्नोलॉजी से कई प्रकार के लाभ प्राप्त हुए हैं, जिनके फलस्वरूप ट्रेनों की गति बढ़ने के साथ-साथ संरक्षा में भी महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। जिस ट्रेन की गति 50किमी/घंटे थी, वह अब बढ़कर 100 किमी/घंटे हो गयी है। इसके अतिरिक्त इसके फलस्वरूप कार्य कुशलता में भी सुधार हुआ है, जिससे परिचालनिक समय में कमी आयी है। मैकेनिकल सिग्नलिंग के प्रतिस्थापन से अनुरक्षण में भी सुधार हुआ है। इसके परिणामस्वरूप टोकन अथॉरिटी की अदला-बदली से भी बचा जा सका है। इस प्रकार एक्सेल सिस्टम काउंटर के उपयोग से प्लेटफॉर्मों पर ट्रेनों का पूर्णतः आगमन संभव हो पाया है। परिणामस्वरूप ट्रेनों की संरक्षा में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है।