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ISIS को भा रहा है भारतीय मीडिया

प्रख्यात सेक्युलर संगठन “ISIS” ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके चुनिंदा भारतीय आदर्श लिबरल पत्रकारों और इतिहासकारों को अपना प्रवक्ता बनाने की इच्छा व्यक्त की है। संगठन ने एक वीडियो भी रिलीज़ किया है जिसमें उन तमाम कारणों को परिलक्षित किया गया है जिनके चलते भारतीय लिबरल इस महत्वपूर्ण ओहदे के लिए खलीफा बगदादी की पहली पसंद बनने में कामयाब रहे। हाल के दिनों में भारतीय लिबरल पत्रकारों के सेकुलरिज्म के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन की गूँज अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई पड़ रही है।

जैसे आतंकवाद का कोई धर्म नही होता वैसे ही इंडियन लिबरल का भी कोई मज़हब नही है!
जैसे आतंकवाद का कोई धर्म नही होता वैसे ही इंडियन लिबरल का भी कोई मज़हब नही है!
खलीफा अबू बकर बगदादी (हिज हाइनेस) मरहूम बादशाह औरंगजेब और दादरी वाले मुद्दे पर की गई लिबरल रिपोर्टिंग देखकर इतने उत्साहित हुए कि उन्होंने महज एक महीने में विश्व इतिहास के एकमात्र दंगे पर पिछले 13 साल में हुए लगभग 17 लाख कार्यक्रम देख डाले। जिसमे से पौने आठ लाख तो सिर्फ खलीफा जी के पर्सनल फेवरेट श्री परदेसाई के थे। इससे उनकी इच्छा और बलवती हुई। याकूब मामले में भी उन्होंने कुछ चुनिंदा लिबरलों की तहे दिल से प्रशंसा की।

तमाम चर्चा के बीच वो कई बार भावुक भी हुए उन्होंने कहा कि जिस तन्मयता से आदर्श लिबरल समुदाय ने “हज़ारों मंदिरों को तोड़कर उनका रिकंस्ट्रक्शन करके उन्हें सेक्युलर उपासना स्थल में परिवर्तित कर उनका उद्धार करनेवाले व लाखों मोक्षपिपासु नन- सेक्युलरों को जीवन से मुक्ति देकर शिल्पकला और मानवता के प्रति अपने अभूतपूर्व प्रेम का परिचय देने वाले” मरहूम बादशाह औरंगजेब (आलमगीर) को महिमामंडित किया वो वाकई काबिल ए तारीफ़ था। कुछ ऐसे ही निर्माण कार्य हमारा संगठन ISIS भी संपन्न कर रहा है, चाहे वो यजीदी लड़कियों की सरेआम मंडी लगाकर नीलामी हो या दो ढाई हज़ार साल पुरानी ज़र्ज़र चर्चों को ध्वस्त करना हो। हिंदी के एक साम्प्रदायिक कवि सुमित्रानंदन पन्त ने भी कहा है, “वृक्षों के जीर्ण शीर्ण पात केवल इसलिए गिरते हैं ताकि वनों में फिर से वसंत आ सके।” हम सब कुछ मिटाकर पुनर्निर्माण के सिद्धांत में विश्वास करनेवाले लोग हैं।

खलीफा भी यही चाहते हैं कि उनका महिमामंडन भी कुछ इसी तरह से किया जाए: इराक और सीरिया में इतिहास की किताबें कुछ इस तरह लिखी जाएँ ताकि यजीदियों और कुर्दों की भविष्य की पीढ़ियों (यदि वो जीवित बच गए तो) के मन में खलीफा जी की छवि एक हीरो की बने। जिसने उनके बीच फैले जातिवाद को ख़त्म किया और भाईचारे की सिवैयां बांटी। इस पवित्र कार्य के लिए खलीफा जी ने भारत में इतिहासकार माने जाने वाले प्रो. इरफ़ान तहजीब और श्रीमती पामेला कॉपर को शॉर्टलिस्ट किया है। मशहूर इतिहासकार रामचंद्र नेहरु का चयन भी लगभग तय माना जा रहा था पर वो बेहद बारीक अंतर से पीछे रह गए। खैर वे हार मानने वालों में से नहीं हैं, आने वाले समय में और भी बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे और खलीफा जी के दिल में जगह बनाएंगे।

दादरी घटना में लिबरल समुदाय के रवैये से खलीफा काफी संतुष्ट दिखे। एक यजीदी कैदी की गर्दन रेतते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता। उन्होंने बताया कि दादरी से पहले भारत में किसी हत्या की खबर तब सुनी थी जब वो ढाई साल पहले प्रतापगढ़ के कुंडा से आई थी। खलीफा बगदादी ने आदर्श लिबरलों को विश्व स्तरीय स्पिनर की संज्ञा देते हुए बताया कि शेन वार्न और मुथैया मुरलीधरन भी इस हद तक गेंद को स्पिन नहीं करा पाते थे जितनी ये लोग ख़बरों को कराते हैं। हमारे संगठन की आवश्यकता भी यही है, हम चाहते हैं कि जब भी हम जनसंख्या नियंत्रण के लिए हज़ार दो हज़ार लोगों को उड़ायें तब यह कहा जाए कि इन हत्याओं का मरने वाले लोगों से कोई सम्बन्ध नहीं है, गोली को बन्दूक से ना जोड़ा जाए।

खलीफा ने कहा कि ये इच्छा पिछले कई महीनों से उनके दिमाग में थी लेकिन कुछ अति सेक्युलर गतिविधियों में घोर रूप से व्यस्त होने के चलते वे टालमटोल करते रहे। लेकिन हाल के दिनों में यहूदी और हिन्दू साम्प्रदायिक तत्वों द्वारा फैलाए जा रहे कुप्रचार के चलते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठन की बहुत बदनामी हुई है, लोग ये नहीं समझ रहे कि जनसँख्या नियंत्रण जैसे वैश्विक महत्व के विषय पर संगठन ने जिस तत्परता से कार्य किया है उसके त्वरित परिणाम देखने को मिले हैं। (यदि अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी का सहयोग प्राप्त हो तो ये कार्य और भी तेजी से संपन्न किया जा सकता है।) आशा है कि हमारी नयी प्रचार टीम हमारी छवि बदलने में कामयाब होगी। उनसे पूछा गया कि जब राजदीप जी का चयन हो गया तो चरखा जी और गागरिका जी की अनदेखी क्यूँ की गयी, खलीफा जी का जवाब काफी संतोषजनक रहा। उन्होंने कहा, “देखिये ऐसा है कि कहीं ना कहीं चरखा जी की कंसल्टेंसी फीस बहुत अधिक थी और 14 प्रतिशत सर्विस टैक्स लगने के बाद तो वो हमारे बजट के बिलकुल बाहर थी. जहां तक सागरिका जी का सवाल है, हमें लगता है कि अभी उन्हें और मेहनत करनी होगी। पुराना अयूब से लगातार रीट्वीट पाने को अगर वो योग्यता समझती हैं तो फिर भूल जाएँ कि उनका चयन कभी इस अंतर्राष्ट्रीय स्तर की टीम में होगा।”

खलीफा के इस बम्पर ऑफर के बाद आदर्श लिबरल बिरादरी में जबरदस्त भसड मची हुई है। कोई किसी की टांग खींच रहा है, कोई किसी का झोला छीनने में लगा है।
———– @ShashankCA93
साभार-http://my.fakingnews.firstpost.com/से