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जम्मू कश्मीर की समस्या को जानना भी जरुरी

जम्मू कश्मीर राज्य की समस्या क्या है। आतंकवाद है, पाकिस्तान है, स्थानीय लोगों की महत्वाकांक्षा है या देश के बाकी हिस्सों के लोगों की जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ संवाद हीनता है। जम्मू कश्मीर की संस्कृति, परंपरा, जम्मू कश्मीर का इतिहास, भूलोग और वहाँ की राजनीति से लेकर जम्मू कश्मीर से जुड़े कई मुद्दों पर मुंबई में जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र द्वारा दो दिवसीय चर्चा सत्र आयोजन कर एक सार्थक संवाद का आयोजन किया गया। इस संवाद में जम्मू कश्मीर से जुड़े विभिन्न विषयों पर उन क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने सारगर्भित, सार्थक और राजनीति से परे सामाजिक, सांस्कृतिक आदि पहलुओं के माध्यम से अपने शोध, अध्ययन आदि का निष्कर्ष प्रस्तुत किया।

मुंबई के केशव सृष्टि में स्थित रामभाऊ माळगी केंद्र में आयोजित इस दो दिवसीय सत्र का शुभारंभ करते हुए भाजपा के महामंत्री श्री राम माधव ने कहा, जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी समस्या आतंरवाद नहीं, बल्कि जम्मू कश्मीर के वो विशेषज्ञ हैं जो वहाँ की हर समस्या पर अपनी राय देने लगते हैं।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का नाम आते ही ये मन लिया जाता है कि ये कश्मीर घाटी के बारे में कहा जा रहा है। हमें जम्मू कश्मीर को कश्मीर घाटी के अलावा भी सोचना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जैसे नक्सलवाद की बात आती है तो हम यह नहीं कहते कि ये बस्तर की समस्या है इसे हम पूरे छत्तीसगढ़ राज्य की समस्या मानते हैं। ऐसे ही आतंकवाद मात्र कश्मीर घाटी की की नहीं बल्कि पूरे जम्मू कश्मीर की समस्या है।

श्री राम माधवन ने कहा कि जब 1947 में बारामुला में पाकिस्तानी सेना के घुसपैठिये आ गए थे तो इन 11 हजार घुसपैठियों को उत्तर कश्मीर के मुस्लिमों ने मारा था।

अभी दक्षिण कश्मीर में आतंकवाद है वह बहुत थोड़े से भौगोलिक क्षेत्र में हैं, जबकि हम ये मान लेते हैं कि ये पूरे जम्मू कश्मीर में है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के कुछ नेताओं ने इस समस्या को लेकर एक भ्रम पैदा कर रखा है। जम्मू कश्मीर हमारे लिए अन्य 28 राज्यों जैसा ही है। हम जब जम्मू कश्मीर की बात करते हैं तो आतंकवाद पर ही बात क्यों करते हैं, हमें जम्मू कश्मीर के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सो में रह रहे शांतिप्रिय नागरिकों के बारे में भी बात करना चाहिए। कश्मीर घाटी के मात्र 4 जिलों में आतंकवाद है। बाकी में लोग विकास चाहते हैं। नेशनल काँफ्रेंस और पीडीपी वहाँ की स्थानीय पार्टियाँ हैं। दिल्ली में जो भी निर्णय होता है वो कश्मीर घाटी के हिसाब से होता है और बाकी हिस्सों के बारे में बात ही नहीं की जाती।

श्री राम माधव ने कहा कि अर्बन माओसिस्ट की तरह कश्मीर में भी अर्बन टैरर है। वहाँ आतंकवादी चाहते हैं कि किसी न किसी तरह से कोई आम आदमी मारा जाए ताकि सकी लाश पर उनका आतंकवाद का धंधा चलता रहे। इसीलिए फौज पर पत्थर फेंके जाते हैं।

उन्होंने कहा कि 1994 में संसद यह प्रस्ताव पारित कर चुकी है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।

श्री राम माधव ने कहा कि कारगिल और गिलगिट बाल्टिस्तान के बीच संवाद होना चाहिए। सरकार जब भी कोई कदम उठाती है, टीवी स्टुडिओ में बैठकर सब गाली देते हैं। हमें ये सोचना होगा कि आतंकवाद से ये लड़ाई कोई छोटी लड़ाई नहीं है, ये लंबी चलने वाली लड़ाई है। जल्दबाजी से कोई ठोस परिणाम नहीं आते। हुरियत और पाकिस्तान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

पाकिस्तान से कब बात करना है ये श्रीनगर तय नहीं कर सकता। हमें पाकिस्तान से बात करना है लेकिन एक ही मुद्दे पर कि आपने हमारा जम्मू कश्मीर का जो हिस्सा कब्जा कर रखा है उसे वापस करो।

उन्होंने बताया कि 6 हजार रोहिंग्या जम्मू में हैं और इतने ही कोलकोता, हैदराबाद और मुंबई में भी हैं। रोहिंग्या के मामले को देखना केंद्रीय गृह मंत्रालय का काम है।