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जापान की मदद से होगा भारतीय रेल्वे का कायाकल्प

भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण के साथ ही हाईस्पीड रेल सेवा के लिए जरूरी आधारभूत ढांचा विकसित करने में जापान भारत की मदद करेगा।
जापान दौरे पर गए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस संबंध में विगत तीन दिनों में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे, उप प्रधानमंत्री तारो आसो, वित्त, व्यापार एवं उद्योग मंत्री योइची मियाजावा तथा भूमि, आधारभूत ढाँचा, परिवहन एवं पर्यटन मंत्री अकीहिरो ओहता से मुलाकात की।

श्री प्रभु ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को शीघ्रातिशीघ्र अमल में लाने के लिए इस बारे में एक कानूनी एवं नियामक फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए बातचीत की है। इसके अलावा उन्होंने जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाइका) सहित प्रमुख वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के साथ बैठकें की।

गौरतलब है कि जापान एवं भारत के बीच मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेलवे कॉरिडोर को लेकर अक्टूबर 2013 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए थे। इस संबंध में जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी एवं भारतीय रेल विकास निगम की संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट इस वर्ष जुलाई में रेलवे बोर्ड को सौंप दी गई है। रिपोर्ट में मुंबई से अहमदाबाद के बीच करीब 570 किलोमीटर की दूरी तक समुद्र के किनारे कॉरीडोर बिछाने पर लगभग 97 हजार करोड़ रुपये की लागत आने की बात कही गई है।

इस हाईस्पीड रेल परियोजना पर 2017 से काम शुरू होने तथा 2024 तक इस कॉरीडोर पर पहली बुलेट ट्रेन दौडऩे की उम्मीद है। कंक्रीट से बनेने वाले इस एलिवेटेड हाईस्पीड रेल कॉरीडोर पर करीब 350 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बुलेट ट्रेन दौड़ेगी जो करीब दो घंटे में मुंबई से अहमदाबाद की दूरी पूरी करेगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले साल हुई जापान यात्रा के दौरान इस परियोजना पर तेजी से आगे बढऩे की सहमति बनी थी। जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी पहले ही इस परियोजना को वित्तीय सहायता देने की पेशकश कर चुकी है।

रेल मंत्री प्रभु की वर्तमान जापान यात्रा के दौरान रेलवे के आधुनिकीकरण में योगदान के लिए अनुसंधान प्रकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) और जापान के रेलवे तकनीक अनुसंधान संस्थान के बीच करार पर हस्ताक्षर हुआ है। जापान भारत को ट्रेनों एवं स्टेशनों पर पानी की न्यूनतम खपत वाले गंधहीन शौचालय विकसित करने की तकनीक और विशेषज्ञता देगा।

इसके अतिरिक्त प्रभु ने जापान के नेताओं तथा रेलवे कंपनियों के अधिकारियों के साथ भारतीय रेलवे के उन्नयन एवं आधुनिकीकरण के लिए जापान के तकनीकी सहयोग के अवसरों एवं संभावनाओं पर चर्चा की ताकि रेलवे को आधुनिक बनाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।

जापानी अधिकारियों के समक्ष रेल मंत्री प्रभु ने अगले पाँच साल में 140 अरब डॉलर की कार्ययोजना तथा देश के 401 स्टेशनों के पुनर्विकास की योजना का भी उल्लेख किया और जापान को निवेश एवं साझेदारी का प्रस्ताव दिया।

उन्होंने कहा कि भारत जापानी बुलेट ट्रेनों के बीते पाँच दशक से भी अधिक समय से बिना दुर्घटना के परिचालन के रिकॉर्ड को देखते हुए भारतीय रेलवे के लिए भी तकनीकी आधुनिकीकरण में जापान की मदद लेना चाहता है।

सिग्नल एवं संचार प्रणाली को लेकर हाल ही में रेलवे इंजीनियरों के साथ एक कार्यक्रम में प्रभु ने भारतीय रेल को दुर्घटना मुक्त बनाने का आह्वान किया था। इससे पहले इसी वर्ष रेलवे बोर्ड के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी जापान यात्रा पर गया था।