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सामाजिक संदेश और गीत-संगीत से परिपूर्ण संध्या ‘जश्न-ए-दोस्ती’

कला-संस्कृति का प्रचार व महिला सशक्तीकरण महत्वपूर्ण मुद्दा हैः डॉ. मृदुला टंडन

नई दिल्ली। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आज प्रसिद्ध लेखक व कवि ज़िशान नियाज़ी ने एक संगीतमय संध्या ‘जश्न-ए-दोस्ती’ एक शाम डॉ. मृदुला टंडन के नाम का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य अपनी ही तरह की एक दोस्ती का जश्न मनाना था। यह दोस्ती थी गीत-संगीत, शायरी, तहजीब और ग़ज़ल की, जिसका आयोजन डॉ. मृदुला टंडन साक्षी इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ कल्चर के तहत काफी समय से करती रही हैं और उन्होंने विभिन्न प्रतिभाओं को मंच भी दिया है। आज के इस कार्यक्रम में अंतर यह रहा कि मंच की मेजबानी जिशान नियाज़ी ने की और डॉ. टंडन बतौर प्रमुख अतिथि मौजूद रहीं। ‘जश्न-ए-दोस्ती’ के दौरान गैर-सरकारी संगठन साक्षी के बच्चों प्रस्तुतिकरण एवम् लोकप्रिय कलाकार शकील अहमद ने अपनी ग़ज़लों द्वारा उपस्थित मेहमानों को गद्गद् किया।

इस अवसर पर डॉ. मृदुला टंडन को लेखकों, कवियों व लिट्रेचर क्षेत्र की जानी-मानी हस्तियों से सजी इस संध्या के दौरान सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत पारम्परिक शमा जलाने के साथ हुई, जिसके बाद साक्षी के बच्चों ने मनभावन प्रस्तुति दी। साक्षी संस्था के बच्चों ने ‘ए खुदा’ गीत पर सामाज में फैली कुरीतियों; महिला अशिक्षा, दहेज प्रथा, बालात्कार, बाल अशिक्षा का विरोध, महिला सशक्तीकरण, भू्रण हत्या के खिलाफ़, का सशक्त संदेश दिया। छोटी उम्र के बच्चों द्वारा ऐसा संदेश व प्रस्तुति सभी को प्रभावित करते हुए भावुक कर गयी, कई दर्शकों की आंखें नम हो उठीं। ढलती शाम का समां उस समय और बढ़ गया जब देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके गायक शकील अहमद ने मंच संभाला और साथी कलाकारों संग ग़ज़लों के रंग में उपस्थित मेहमानों को रंग डाला। एक के बाद एक ग़ज़लों के बीच शकील अहमद द्वारा प्रस्तुत ग़ज़लों में ‘वृंदावन के कृष्ण कन्हैया..’, ‘ऐसा हुआ दीवाना मैं, खुद को न पहचाना मैं…’ ‘वसल की शब गुज़र ना जाये कहीं, तेरा बीमार मर न जाये कहीं..’, ‘मैं बेहुनर हूं..’ प्रमुख रहीं। उनकी गायकी ने अपनी प्रतिभा की रेंज और गहराई का प्रदर्शन किया और सभी को मोहित किया।

मौके पर प्रख्यात कवि व मीडियाकर्मी लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने डॉ. टंडन के प्रयासों व अपने एन.जी.ओ. के माध्यम से किये जा रहे विभिन्न कार्यक्रम सहित गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के बारे में उनके कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। एसआईईटी की ओर से डॉ मृदुला टंडन को लोकप्रिय कवि नाज़ीम नकवी द्वारा सम्मानित किया गया।

बहुमुखी प्रतिभा की धनी डॉ. टंडन सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काफी काम करती रही हैं। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में साहित्य जगत में दिल्ली में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हुए लेखकों, हिंदी और उर्दू साहित्य और हिंदुस्तानी संगीत व नृत्य के शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय रूपों के प्रचार-प्रसार करने में अहम् भूमिका निभायी है। उन्होंने अपनी इच्छा व्यक्त की कि इन कलाओं, जो कि हमारे समाज की जीवित विरासत हैं, जिन्हें व्यापक और मुख्यधारा के दर्शकों के लिए लाया जाना चाहिए।

इस अवसर पर जीशान नियाज़ी की प्रशंसा करते हुए डॉ मृदुला सतीश टंडन ने कहा कि यह गौरवपूर्ण अवसर है मेरे लिए। मैं पिछले कई वर्षों से साहित्य क्षेत्र के प्रचार-प्रसार हेतु काम कर रही हूं और इसी के चलते साक्षी इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ कल्चर जैसे कार्यक्रम की भी रूपरेखा तैयार हो सकी है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से हमारा उद्देश्य गंगा-जमुनी तहजीब, कला-संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना है और युवाओं के बीच इसे जीवंत करना है जो आज पश्चिमी सभ्यता, गीत-संगीत और जीवनशैली के चलते इन सब से बहुत दूर हो गये हैं। लेखकों और कवियों के लाभ के लिए अपनी मजबूत वृद्धि को सुनिश्चित करना, देश की संस्कृति की आत्मा को, हमारे मूलभूत मूल्यों, संवेदनशीलता और जबरदस्तता को तेजी से बदलते समय में हमारी सभ्यता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

जीशान नियाज़ी ने कहा जश्न ए दोस्ती की यह शाम उस शख्सियत के नाम है जिन्हें हम डॉ. मृदुला टंडन के नाम से जानते हैं। समाज में दोस्ती का जज़्बा मजबूत होता है तो समाज और अधिक सशक्त होता है। जहां सभी को अपने जीवन को बराबरी से जीने का मौका मिलता है। उन्होंने कार्यक्रम के विषय में सभी को बताया और साक्षी द्वारा समाज हित में किये जा रहे सराहनी कार्यों का भी उल्लेख किया।