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बच्चों और महिलाओं की खरीदी के खिलाफ सख्त कानून बने कैलाश सत्यार्थी

दिल्‍ली। सामाजिक संगठन शक्तिवाहिनी ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग(एनसीपीसीआर) के तकनीकी समर्थन और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ), बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए), इंडिया चाइल्‍ड प्रोटेक्‍शन फंड(आईसीपीएफ) और प्रज्ज्वला के साथ साझेदारी में दो दिवसीय ‘नेशनल कंसल्‍टेशन टू कॉम्‍बैट ह्यूमन ट्रैफिकिंग’ का आगाज किया है। कंसल्‍टेशन में पहले दिन ह्यूमन ट्रैफिकिंग से संबंधित अहम विषयों जैसे उभरती चुनौतियों, ट्रैफिकर्स पर मुकदमा चलाने और पीड़ितों के लिए न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने पर विचार-विमर्श किया गया।

कंसल्‍टेशन का उद्घाटन मुख्य अतिथि व नोबेल शांति पुरस्कार से सम्‍मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा दीप प्रज्‍जवलन के साथ किया गया, जिसमें एनसीपीसीआर की सदस्‍य सचिव रूपाली बनर्जी सिंह, राष्‍ट्रीय महिला आयोग की अध्‍यक्ष रेखा शर्मा, रेलवे सुरक्षा बल के पुलिस महानिदेशक संजय चंदर सहित अन्य प्रमुख गणमान्य व्यक्ति शामिल थे। कंसल्‍टेशन में देश भर से कानून प्रवर्तन एजेंसियों और नागरिक सामाजिक संगठनों सहित कई साझेदारों ने भाग लिया।

ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसा जघन्य अपराध, जो समाज के लिए अभिशाप है, से लड़ने वाले योद्धाओं को संबोधित करते हुए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्‍मानित कैलाश सत्यार्थी ने कहा, ‘जब अच्छे दिल और दिमाग वाले लोग एक महान उद्देश्य के लिए एक स्थान पर एकत्र होते हैं, तो वे ज्ञान की अलख जलाते हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं, यह तब एक सामूहिक संकल्प या ज्ञान बन जाता है और अंततः सामूहिक कार्रवाई में परिवर्तित हो जाता है। यह जिस ज्ञान की रचना करता है वह सभी के लिए ज्ञान बन जाता है और पूरे ब्रह्मांड को आलोकित कर देता है। सामूहिक ज्ञान तब सभी के लिए साझा धन बन सकता है।‘ उन्‍होंने आगे कहा, ‘हमें ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ एक स्वतंत्र और मजबूत कानून की आवश्यकता है, यह अपराध के खिलाफ प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए समय की मांग है।‘

उन्होंने फरीदा और साबो की कहानी सुनाई, जो चाइल्‍ड ट्रैफिकिंग, गुलामी व बंधुआ मजदूरी की शिकार थीं और जिन्हें 40 साल पहले कैलाश सत्यार्थी ने अपने पहले बचाव अभियान में बचाया था। कैलाश सत्‍यार्थी ने चाइल्‍ड ट्रैफिकिंग, बालश्रम व बाल दासता से संबंधित कई प्रमुख मुद्दों को उठाया और अपराध से लड़ने के लिए एक मजबूत ह्यूमन ट्रैफिकिंग विरोधी कानून बनाने के महत्व पर बल दिया। कैलाश सत्यार्थी ने कहा, ‘हमें अपने दिलों में आग को जीवित रखना होगा और ह्यूमन ट्रैफिकिंग नाम के अभिशाप से लड़ने के लिए अपने भीतर से करुणा को जगाना होगा, जो हमारी बेटियों और महिलाओं के जीवन व दिमाग को प्रभावित करता है।‘

शक्तिवाहिनी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ लड़ने वाले भारत के अग्रणी संगठनों में से एक है और देशभर में कई मासूम जिंदगियों और बच्चों को बचाता आ रहा है। झारखंड से ट्रैफिकिंग कर गुरुग्राम लाई गई एक लड़की के हालिया मामले में, शक्तिवाहिनी ने बच्ची और उसके परिवार की सहायता के लिए सभी प्रभावी कानूनी उपायों में मदद की थी।

एनसीपीसीआर की सदस्य सचिव रूपाली बनर्जी सिंह ने साझेदारों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा, ‘हमारे संयुक्त प्रयास निश्चित रूप से चाइल्‍ड ट्रैफिकिंग का मुकाबला करने में सफल होंगे।‘ राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्‍ल्‍यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, ‘हमारा संगठन सभी नागरिक समाज के सदस्यों से अपील करता है कि वे आगे आएं और ह्यूमन ट्रैफिकिंग खासकर लड़कियों व महिलाओं के खिलाफ लड़ाई में हमारे साथ शामिल हों। हमने पाया है कि परिवार के कई सदस्य पैसे और भरण-पोषण के लिए अपनी बेटियों व महिलाओं को बेचने में शामिल हैं और इसे रोकने की जरूरत है। ह्यूमन ट्रैफिकिंग के खिलाफ संदेश फैलाने के लिए हमें इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता है।‘

रेलवे सुरक्षा बल के पुलिस महानिदेशक संजय चंदर ने कहा, ‘आरपीएफ ने स्थायी लक्ष्य के तहत ह्यूमन ट्रैफिकिंग पर अंकुश लगाने को, अपना एक प्रमुख उद्देश्य बनाया है। पिछले साल मई में, हमने अपने अधिकारियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, संवेदीकरण और जागरूकता अभियान चलाने व संयुक्त बचाव अभियान के लिए लाइव इनपुट साझा करने के लिए बचपन बचाओ आंदोलन के साथ एक समझौता भी किया है।‘ उन्‍होंने कहा, ‘बचपन बचाओ आंदोलन के साथ हमारे सहयोग के चलते 1,686 बच्चों को ट्रैफिकिंग से बचाया गया है।’

मजबूत कानून न होने के कारण ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसे जघन्य अपराध पर लगाम नहीं लग पा रही है, खासकर नाबालिग बच्चों और महिलाओं की ट्रैफिकिंग पर। इस नेशनल कंसल्‍टेशन का मकसद, इन ज्वलंत मुद्दों पर गंभीरता से मंथन करना और भारत सरकार से एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग बिल को जल्‍द से जल्‍द लागू करने की अपील करना है।