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कश्मीरी पंडित ने 29 साल बाद की घर वापसी

कश्मीर: 90 के दशक में आतंकियों द्वार चार गोलियां खा कर दिल्ली पलायन करने वाले रोशन लाल मावा आखिरकार अपने घर लोटे. उन्होंने 29 साल बाद डाउनटाउन में फिर अपनी पुश्तैनी दुकान खोल कर कारोबार शुरू किया. रमजान के पवित्र महीने में इस्तेमाल होने वाले खजूर के कारोबार से उन्होंने एक बार फिर से शरुआत की.

रोशन लाल मावा के पिता भी यही गाड़ कोचा, जैना कदल में ही रहते थे और कई दशकों से उनका बिजनेस यहां चलता आ रहा था लेकिन 19 अक्तूबर, 1990 में एक लड़के ने उनके ऊपर 4 गोलियां चलायी जिसके चलते वो घायल हो गए और बदकिस्मती से उन्हे यहां से दिल्ली पलायन करना पड़ा. मावा ने बताया कि उनके पास दिल्ली में सब कुछ था लेकिन उन्हे हर दम कश्मीर और कश्मीरी भाइयों की कमी खलती थी और यही कारण है कि उन्होंने 29 सालों के बाद एक बार फिर से अपनी दुकान खोली.

रोशन लाल ने कहा ” दिल्ली में मेरे पास सब कुछ था. मैं बड़ा खुश था मगर मुझे कमी लगती थी घर की मुझे बहुत याद आती थी. मेरे बेटे ने मुझे मोटिवेट किया, मुझे अपने घर के अच्छे पैसे मिलते थे मगर मैंने घर नहीं बेची. उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि उसके इस कदम से बाकि पंडित लोग भी घर वापसी की सोंचेंग क्योंकि 30 साल बाद जो प्यार यहां मिल रहा है दुनिया में कई जगहों में घूमा हूं लेकिन जो कश्मीरियत है वैसी चीज कहीं भी देखने को नहीं मिली है. कश्मीर में कुछ कारणों की वजह से हालात खराब हो गए, लेकिन कश्मीर एक जन्नत है और रहेगी.

रोशन लाल ने कहा “जो कश्मीरी पंडित बारादरी हैं जो यहां से निकलें है उनको एक बार फिर सोचना चाहिए यहां कश्मीर में कुछ नहीं है सब नार्मल है. लोग आप को प्यार करेंगे जैसा उन्होंने मुझे किया. हीरो वेलकम देंगे जैसा मुझे दिया. आम लोग चाहते है कि पंडित वापिस आएं जो भाईचारा 90 के दशक में था उससे दस गुना भाईचारा आज है.” रोशन लाल ने अपने कारोबार की शुरुआत खजूरों से की है. वह अपनी दुकान में खजूर बेचते हैं. इसके पीछे भी एक वजा है क्योंकि कुछ ही दिन बाद पवित्र रमजान का महीना आने वाला है और रमजान में इफ्तियारी आम तोर पर खजूरों से मुस्लमान करते हैं और इसलिए इस महीने में खजूरों के खफत कश्मीर में बहुत अधिक रहती है.

रोशन लाल चाहते हैं कि खजूरों की मिठास दो कौमों को इक्कठा करे. श्रीनगर के पुराने शहर जैना कदल में 29 सालों बाद खुलने वाली यह दुकान कश्मीरियत की मिसाल बन गई है. दुकान खुलते ही रोशन लाल की दुकान पर आस पास के लोगों की भीड़ इक्कठा हो गई. यहां तक कि रोशन लाल की दस्तार बंधी भी की गई मिठाइयां बांटी गईं. रोशन लाल का इस्तकबाल बेहद गरम जोशी से हुआ. लोग समझते हैं कि रोशन लाल ने बेहद अच्छा कदम उठाया और बाकि पंडित लोगों को भी कश्मीर लौटना चाहिए.