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इन देश द्रोहियों से कुछ सीखिये राष्ट्रवादी शेर-चीतों

वामपंथ के पाले-पोसे परले दर्जे के धूर्त, नौटंकीबाज और षडयंत्रकारियों से, राष्ट्रवादियों की लड़ाई है… इसे इतना आसान मत समझिएगा… बिना नाम की FIR दर्ज करवाने वाले तथा इशरत जहाँ मामले में आलसी-काहिल की तरह घर में पड़े रहने वाले भाजपाईयों को अभी बहुत कुछ सीखना है इनसे… व्यालोक पाठक का हिन्दू शेर-चीतों को मूल सन्देश यह है कि धूर्ततापूर्ण और षड्यंत्र युक्त “क्रिया” करना सीखिए, प्रतिक्रिया करके कोई फायदा नहीं होता… आगे उन्हीं की कलम से पूरा पढ़िए… और सत्ता के नशे में चूर, सोफे में धंसे अपने नेताओं तक पहुँचाईये…

तो, भक्तजनों। सुबह-सुबह का ज्ञान यह है कि अपने दुश्मन से भी कुछ सीखना चाहिए। आपका दुश्मन अगर जेएनयू का वामी-कौमी है, और प्रोपैगैंडा-वॉर करना है, तब तो जरूर ही।

देखिए, पूरी बहस को कैसे लाल गिरोह मोड़ रहा है। पहले तो कहा, वीडियो है ही नहीं, जब आपने वीडियो दिया, तो कहा कि यह फर्जी है, उसके बाद कहा कि अरे इसमें ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा नहीं है, क्योंकि ‘भारत की बर्बादी तक , जंग रहेगी, जंग चलेगी…’ तो कोई खास बात है ही नहीं।

खैर, अब वे क्या कहेंगे? अजी, एक ‘फ्रिंज एलिमेंट’ ने कह दिया, तो क्या मासूम छात्रों पर आप चढ़ दौड़ेंगे (हां, एक कमलेश तिवारी का बयान पूरे हिंदू समाज का होता है, सनद रहे)….वैसे भी, वह तो नारेबाजी थी, बहुत गंभीरता से नहीं लेना चाहिए….

इस बीच उनके गुरु …(ओहो सॉरी कॉमरेड) कांपते-थरथराते हाथों से भारी अंग्रेजी वाले ज्ञापन पर दस्तखत करेंगे, टीवी चैनलों का रुख करेंगे और वीसी से लेकर प्रशासन की तमाम चूलों तक ठोकर मारेंगे। साथ ही, जो जनेवि छात्रसंघ अध्यक्ष उस भीड़ में शामिल होकर बाकायदा नारेबाजी कर रहा होगा, वही कहेगा कि हम तो जी भारतीय संविधान के सिपाही हैं…हमने तो कल ही पर्चा निकाल दिया था जी….वे तो कुछ डीएसयू वाले बदमाश थे..।

ये जीती मक्खी निगलनेवाले षडयंत्रकारी है। 2000 में जब कारगिल के तुरंत बाद इन्होंने अमन की आशा के नाम पर भारत-विरोधी नारे और उद्गार लगाए थे, तो तुरंत युद्ध से लौटे दो सैन्य-अधिकारियों ने वहीं विरोध किया। हमारे क्रांतिवीरों ने उनकी ही ठुकाई कर दी और हल्ला कर दिया कि ‘मेजर’ दारू पीकर लड़की छेड़ रहा था और उसने पिस्टल निकाल ली थी।
तो, समझ लीजिए कि आपका पाला किस दर्जे के षडयंत्रकारियों से है…

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हे राष्ट्रवादी शेर-चीतों। मूर्खताओं में कमी लाइए। आपको वैसे ही प्रतिक्रियावादी नहीं कहा जाता है। वे क्रिया कर देते हैं, आप लाठी पकड़ के प्रतिक्रिया करते हैं। ‪#‎ShutDownJNU‬का वे आपके ही खिलाफ इस्तेमाल करेंगे। जेएनयू में केवल वामी-कौमी नहीं रहते, वहां राष्ट्रवादी विचारधारा की पूरी जमात है, जो इनसे पिछले कई दशक से संघर्ष कर रही है। अब वामी इसी को इमोशनल अत्याचार का सबक बना लेंगे।

कुछ सकारात्मक कीजिए और अपनी ‘राष्ट्रवादी’ सरकार से कहिए कि रायता कम फैलाए। कांग्रेस से सीख ले। सारे सांप्रदायिक काम उसके, फिर भी वह सेकुलर। आपसे होता कुछ नहीं, फिर भी आप कम्युनल…। चुपचाप, छह-आठ को पकड़वाते, तुड़ाई करते, सब ठीक हो जाता। अधिक रायता फैलाकर इसको भी दादरी और हैदराबाद न बना लीजिएगा।
बाकी, सब ठीक है……

प्रेषकः सुरेश चिपलूणकर