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परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य बोध कराती है महाभारतम्

महाभारत महर्षि वेदव्यास जी द्वारा प्रज्वलित ज्ञान-प्रदीप है। यह धर्म का विश्वकोश है। इस ग्रन्थ में राजनीति के साथ-साथ आचार और लोक-व्यवहार का भी सुन्दर निरूपण है।

सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, राजनैतिक आदि अनेक दृष्टियों से महाभारत एक गौरवमय ग्रन्थ है। लेकिन समय-समय पर इस ग्रन्थ में कुछ-कुछ श्लोक वृद्धि होती रही है। इन्हीं प्रक्षिप्त श्लोकों के कारण महाभारत में अनैतिहासिक घटनाओं, असम्भव गप्पों, अश्लील प्रकरणों आदि की प्राप्ति होती है। इन प्रक्षिप्त श्लोकों को पृथक् करना बडा ही श्रमसाध्य कार्य है। स्वामी जगदीश्वरानन्द जी ने अत्यन्त परिश्रम से यह संक्षिप्त सङ्कलन तैयार किया है। इसमें अश्लील, असम्भव गप्पों, असत्य और अनैतिहासिक घतनाओं को छोड दिया है। महाभारत का सार-सर्वस्व इसमें दिया है। प्रस्तुत संस्करण में लगभग 16000 श्लोकों में महाभारत पूर्ण हुआ है। श्लोकों का तारतम्य इस प्रकार मिलाया गया है कि कथा का सम्बन्ध निरन्तर बना रहता है। इस संस्करण के अध्ययन से निम्न लाभ पाठकों को प्राप्त होंगे –

प्राचीन गौरवमय इतिहास की, संस्कृति और सभ्यता की, ज्ञान-विज्ञान की, आचार-व्यवहार की झांकी का दर्शन होगा।
योगिराज कृष्ण की नीतिमत्ता का दर्शन होगा। प्राचीन समय की राज्य-व्यवस्था की झलक दिखेगी।

इस संस्करण के अध्ययन से निम्न प्रकरणों जैसे – क्या द्रोपदी का चीर खींचा गया था, क्या युद्ध के समय अभिमन्यु की अवस्था सोलह वर्ष की थी, क्या कर्ण सूत-पुत्र था, क्या जयद्रथ को धोखे से मारा गया, क्या कौरवों की उत्पत्ति घडों से हुई थी? ऐसे अनेकों सन्देहास्पद प्रकरणों का समाधान प्राप्त होगा।

भ्रातृप्रेम, नारी का आदर्श, सदाचार, धर्म का स्वरूप, गृहस्थ का आदर्श, मोक्ष का स्वरूप, वर्ण और आश्रमों के धर्म, प्राचीन राज्य का स्वरूप आदि के सम्बन्ध में ज्ञान प्राप्त होगा।

ग्रन्थ का नाम – महाभारतम्
अनुवादक – स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती
मूल्य 1200₹
प्राप्त करने के लिए 7015591564 पर व्हाट्सएप करें।