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अंगदान को जनजागरण आंदोलन में बदला महावीर इंटरनेशनल ने

मुंबई। मुंबई के जैन समाज के सेवाभावी, सदाशयी और समर्पित लोगों द्वारा संचालित महावीर इंटरनेशनल समाज सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में तो सक्रियता से काम कर ही रही है, लेकिन अंगदान को लेकर संस्था द्वारा जिस सक्रियता, ऊर्जा और समर्पण के साथ चलाई जा रही है वह अपने आप में इस बात की बेहतरीन मिसाल है कि समाज में अगर किसी विषय पर चेतना पैदा करना हो तो सरकार से बड़ी भूमिका समाज के लोगों की ही होती है।

अंगदान को लेकर मुंबई के लोगों में जागरुकता पैदा करने के लिए महावीर इंटरनेशनल द्वारा बिड़ला मातुश्री सभागृह में भव्य कार्यक्रम का आयोजन कर अंगदान को लेकर आम लोगों में व्याप्त गलतफहमियाँ, उसकी उपयोगिता और सामाजिक महत्व पर रोचक और सार्थक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम के आयोजन की मूल प्रेरणा थे, गुजरात के बनासगकांठा के उद्योगपति आर रत्नमणि मेटल्स ऐंड ट्यूब्स लिमिटेड के श्री प्रकाश संघवी।

इस अवसर पर श्री प्रकाश संघवी ने अपनी बात इस शेर से शुरु कर मौजूद सभी श्रोताओँ का दिल जीत लिया-

जिनके महलों पर हजारों रंग के फानूस थे, झाड़ उनकी कब्र पर नामों निशा कुछ भी नहीं।

श्मशान भरा है उऩकी राखों से, जिनको अपनी शोहरत पे गुमान था

उन्होंने कहा कि एक मुठ्ठी भर राख हमारी परिणिती है। जीवन में जब भी मौका मिले, कोई अच्छा काम करने से ना चूकें। हर व्यक्ति को अंगदान की शपथ लेने के साथ ही दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।

इस अवसर पर बताया गया कि पूरे देश में मात्र 1500 ट्रांसप्लांट होते हैं, जिसमें से तमिलनाडु में सर्वाधिक होते हैं, यहाँ प्रति दस लाख में .34 अंगदान होता है, जबकि अमरीका में ये आंकड़ा प्रति दस लाख 25 का है।

इस अवसर पर प्रत्यारोपण के विशेषज्ञ डॉ. अमित मंडोत ने बताया कि दुनिया में अंग दान से बड़ा दान कोई दान नहीं है। उन्होंने बताया कि मनुष्य की किडनी, लीवर, ह्रदय आदि काम करना बंद कर दे तो ये तय है कि मौत धीरे धीरे आ रही है। लीवर और ह्रदय के काम करने में रुकावट आना मौत की आहट है। किसी भी व्यक्ति को अंग प्रत्यारोपण से इस संकट से बचाया जा सकता है। प्रत्यारोपण से बीमारी जड़ से दूर हो जाती है। इससे मरीज को लंबा व स्वस्थ जीवन भी मिलता है। इस दान की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये दान हम उस व्यक्ति को देते हैं जिसे हम जानते ही नहीं। अंगदान को लेकर भी सरकार ने सख्त नियम बना रखे हैं।

उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति की जब प्राकृतिक मौत होती है तो उसके अंगों का दान मुश्किल होता है। लेकिन यदि एक व्यक्ति अपने अंगदान करे तो वह 8 लोगों का जीवन बचा सकता है। डॉ. अमित जैन ने अंगदान से जुड़ी भ्रांतियों से लेकर इसकी सफलता पर रोचक और प्रभावी शैली में कई तथ्यों के साथ अपनी बात रखी। डॉ. अमित ने बताया कि प्राकृतिक मौत होने पर मरीज की त्वचा और कोरेना का उपयोग किसी अन्य मरीज के लिए किया जा सकता है।

इस अवसर पर डॉ. अमित द्वारा ने अपने मरीज श्री कुमार सेन सुमर से भी रू-ब-रू करवाया जिसको लीवर का प्रत्यारोपण किया गया था। कुमार जी ने पूरे आत्मविश्वास से बताया कि इस प्रत्यारोपण के बाद वे एकदम सामान्य जीवन जी रहे हैं।

इस अवसर पर श्री पंकज बागरेचा द्वारा निर्मित और निर्देशित अंगदान को लेकर बनाई गई एक प्रेरक वृत्त चित्र का भी प्रदर्शन किया गया। महावीर इंटरनेशनल की स्थापना 1975 में जयपुर में हुई थी, आज पूरे विश्व में इसकी 450 शाखाएँ हैं। इसके माध्यम से देश भर में 50 सेवा प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। हर साल 9 हजार स्वास्थ्य कैंप लगाए जाते हैं और 30 लाख लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। संस्था द्वारा अभी तक 35 हजार मरीजों के आँखों के और 5 हजार अन्य ऑप्रेशन किए गए हैं। 15 हजार बच्चों को पढ़ाई के लिए मदद उपलब्ध कराई गई है। 5 हजार बच्चों को नियमित रूप से पढ़ाई के लिए मदद की जा रही है। दिल्ली में 4 लाख से ज्यादा नवजात बच्चों के लिए बेबी कीट्स उपलब्ध कराए गए हैं। बाढ़, भूकंप से लेकर विभिन् प्राकृतिक आपदाओं, दुर्घटना आदि के समय संस्था द्वारा तत्काल राहत शिविर स्थापित कर पीड़ितों की मदद की जाती है। 10 हजार छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई है। 5 लाख लोगों को संस्था की ओर से भोजन प्रदान किया गया है।

इस अवसर पर महावीर इंटरनेशनल और इसकी गतिविधियों में योगदान देने वाले डॉ. गौतम भंसाली, डॉ. प्रशांत छाजेड़, डॉ. लक्ष्मण प्यादे के साथ ही जयंत बागरेचा, शांति प्रसाद जैन का सम्मान किया गया।

इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन श्री प्रकाश संघवी, भारत जैन महामंडल के श्री केसी जैन व भारत जैन ने किया।

महावीर इंटरनेशनल से जुड़े श्री राजेन्द्र सिंह बाफना, श्री शांतिप्रसाद जैन, पंकज बागरेचा, श्री जयंत बागरेचा आदि का सम्मान किया गया।

इस कार्यक्रम के आयोजन के पूर्व ही 1650 लोगों से अंगदान के लिए फार्म भरवाए गए और इसके लिए सर्वश्री जयंत बागरेचा, अशोक बाफना, नेमिचंद छाजेड़, अनिल जैन, ऋखब बोथरा, राजेन्द्र दस्साणी, अंकेश विक्रम नवरतन पारीख ने व्यक्तिगत रूप से लोगों से मिलकर उन्हें प्रेरित किया।

सर्वश्री धीरज कोठारी, विजय सिंह बाफना, नेमीचंद बोकड़िया, सुशील सोलंकी, पारसमल गोलेछा, कँवरलाल डागा विनय शर्मा आदि ने कार्यक्रम के लिए धन संग्रह में सेवाएँ दी।

कार्यक्रम को महावीर इंटरनेशन के पूर्व अध्यक्ष एवँ मुंबई के विधायक श्री मंगल प्रभात लोढ़ा, महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य श्री आर. के राजपुरोहित ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर महावीर इंटरनेशनल से जुड़े वरिष्ठ सेवाभावियों से लेकर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत समाजसेवी, उद्योगपति, प्रमुख डॉक्टर आदि उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन श्रीमती सावित्री कोचर ने किया। इस अवसर पर श्री पंकज बारगेचा के निर्देशन में शानदार गीत-संध्या का आयोजिन किया गया जिसमें जाने माने कलाकारों ने साठ, सत्तर और अस्सी के दशक के मुकेश, रफी, मन्नाडे, लता मंगेशकर, आशा भोसले, नूरजहाँ, सुरैया जैसे गायकों के गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं की ज़बर्दस्त वाहवाही लूटी।