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मालदीव प्रकरण: लेफ्ट लिबरल, कांग्रेस व चीन की एक जैसी प्रतिक्रिया

देश का लेफ्ट लिबरल गुट के लोग व उनका सिस्टम हमेशा से भारत के राष्ट्रीय हितों के मुद्दों पर भारत के खिलाफ वातावरण तैयार करने में आगे रहता है, यह किसी से छुपी हुई नहीं है। अभी हाल ही में मालदीव प्रकरण में भी लेफ्ट लिबरल लोग ने इस बात को फिर से प्रमाणित कर दिया है।

कुछ दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लक्षद्वीप जाकर वहां के कुछ फोटो अपने सोशल मीडिया पर साझा किया था। प्रधानमंत्री ने जब अपना फोटो शेयर किया था तब मालदीव का नाम तक नहीं लिया था। इसके बाद भारत के लोगों ने मालद्वीप की मोइजु सरकार की भारत विरोधी व चीन समर्थक रुख के कारण मालदीव के बदले लक्षदीप को पर्यटन के लिए जाने के लिए सोशल मीडिया पर बडा अभियान चलाया। इस अभियान के बाद मालदीव सरकार के कुछ मंत्रियों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सोशल मीडिया पर अपशब्द कहना शुरु कर दिया था। इन लोगोंने भारत में पर्यटन के लिए आवश्यक अव संरचना न होने की बात कहने के साथ साथ भारत, भारत के लोगों को निशाना बनाना शुरु कर दिया। इस तरह की भारत विरोधी बयानों पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया दिखी तथा सोशल मीडिया पर बायकट मालदीव का अभियान चलाया गया। इसका काफी असर हुआ तथा मालदीव सरकार को अपने मंत्रियों को निलंबित करना पडा।

जैसाकि ऊपर उल्लेख किया गया है कि इस मामले में भी पहले की भांति भारत के लेफ्ट लिबरल गुट के लोग भारत के समर्थन में नहीं बल्कि भारत के विरोध में दिखाई दिये। इस गुट के लोगों ने सोशल मीडिया पर कहना प्रारंभ कर दिया कि भारत में पर्यटन के लिए आवश्यक इनफ्रैस्ट्रक्चर नहीं है। मालदीव भारत से इस मामले में काफी आगे। इस तरह के लोगों द्वारा आंकडे गिनाये गये और प्रमाणित करने का प्रयास किया गया कि भारत पर्य़टन के लिए इनफ्रैस्ट्रक्चर के मामले में मालदीव से काफी पीछे है। इसलिए मालदीव को बायकाट करने की बात कहने से पहले इन सारी बातों पर ध्यान देना चाहिए।

लेकिन इन लेफ्ट लिबरल गुट के लोगों के इस तरह के तर्कों का कोई असर नहीं दिखा। लोगों ने मालदीव के लिए बूक किये गये होटल के कमरों व यात्रा के टिकट लगातार रद्द करते देखे गए।

मालदीव के बायकाट का अभियान जोर पकडने पर लेफ्ट लिबरल गुट के लोग और ज्यादा दुःखी दिखे। इसके बाद उन्होंने एक अन्य प्रकार का नैरेटिव बनाने का प्रयास किया। इसमें भारत को दोषी बताने का प्रयास किया गया। जो नैरेटिव बनाने का प्रयास किया गया उसमें मुख्य रुप से जो बातें कहीं गई वह निम्न प्रकार से हैं। ‘एक छोटे देश को भारत धमकाने का प्रयास कर रहा है जोकि सही नहीं है’। ’एक छोटे सार्वभौम देश के प्रति इस तरह का व्यवहार क्यों किया जा रहा है’। ’प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ऐसा क्यों कर रहे हैं?’। ’सोशल मीडिया पर मालदीव के खिलाफ वातावरण क्यों बनाने दिया जा रहा है, उन्हें रोका क्यों नहीं जा रहा है’। कुल मिलाकर सोशल मीडिया पर लेफ्ट लिबरल गुट के लोग इन्हीं बातों को लेकर नैरेटिव निर्माण के प्रयास करते रहे। इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कठघरे में खडा करना था।

अब देखते हैं कांग्रेस की प्रतिक्रिया इस प्रकरण में क्या रही। मालदीव प्रकरण को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा, “नरेंद्र मोदी सत्ता में आने के बाद हर चीज को निजी तौर पर ले रहे हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हमें अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे रिश्ते रखने चाहिए। हमें समय के अनुसार कार्य करना चाहिए क्योंकि हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने जो बात कही है क्या वह सच है। क्या प्रधानमंत्री हर चीज को निजी तौर पर ले रहे हैं? प्रधानमंत्री मोदी ने तो अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर किसी का नाम तक नहीं लिया था। ऐसी स्थिति में मल्लिकार्जुन खडगे बिना कारण के प्रधानमंत्री को निशाना क्यों बना रहे हैं।

 

यहां उल्लेख करना आवश्यक है कि मालदीव के नव निर्वाचित राष्ट्रपति मोईजु चुनाव से पूर्व ही अपना भारत विरोध व चीनी प्रेम को जगजाहिर कर दिया था। चुनाव से पूर्व ही वह माले में उन्होंने इंडिया आउट का नारा दिया था। चुनाव जीतने के बाद भी उन्होंने भारत विरोधी रुख को स्पष्ट किया था। वह स्पष्ट रुप से मालदीव में चीन के प्रभाव को बढाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव का नाम तक नहीं लिया था। लेकिन तब भी कांग्रेस अध्यक्ष खडगे प्रधानमंत्री के खिलाफ बेबुनियाद आरोप क्यों लगा रहे हैं।

इस मामले में चीन की क्या प्रतिक्रिया रही यह भी देखना आवश्यक है। चीन का सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख को चीन सरकार की नीति माना जाता है। ग्लोबल टाइम्स में एक लेख प्रकाशित हुआ जिसमें कहा गया, “भारत जैसे देशों को मालदीव जैसे देश की विशेष प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और एक संप्रभु, स्वतंत्र देश के रूप में पूरे सम्मान के साथ इसके साथ व्यवहार करना चाहिए। भारत को भारतीय उपमहाद्वीप को नियंत्रित करने का सपना त्याग देना चाहिए।”

इस वक्तव्य से चीन की पीडा साफ झलक रही है। इस कारण चीन ने इस मुद्दे पर भारत सरकार पर निशाना साधा है। चीन की जो भाषा है वही भाषा लगभग लेफ्ट लिबलर गुट के लोगों की है। इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे भारत के हित में बयान दे सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा किया नहीं। कुल मिलाकर देखा जाए तो इस प्रकरण में लेफ्ट लिबरल, कांग्रेस व चीन की एक जैसी प्रतिक्रिया दिख रही है। चीन की प्रतिक्रिया भारत विरोधी होना तो स्वाभविक है लेकिन कांग्रेस व लेफ्ट लिबरलों की प्रतिक्रिया भारत विरोधी क्यों हैं, यह समझ से परे है।