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14 साल से नहीं गए मंडी, घर और खेत से ऑनलाइन बिक जाते हैं जैविक उत्पाद

गुजरात के राजकोट जिले का गोंडल गांव। यहां के रमेशभाई रूपारेलिया गो-पालन की चलती-फिरती पाठशाला हैं। परिवार में करीब 500 साल से दादा-परदादा गो-पालन करते आ रहे हैं। खुद की जमीन सिर्फ 10 एकड़ है, लेकिन गाय आधारित खेती करके जैविक अनाज, मसाले और दूध-घी का उत्पादन करते हैं। अपनी उपज बेचने के लिए वे कृषि उपज मंडी नहीं जाते। लोग ऑनलाइन या घर से ही सारे उत्पाद ले जाते हैं। 14 साल से वे मंडी नहीं गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधे उनसे बात करते हैं। इंदौर के शासकीय कृषि महाविद्यालय में आयोजित जैविक कृषि ज्ञान सम्मेलन में भाग लेने आए 42 वर्षीय रमेशभाई ने किसानों और जैविक खेती करने वालों को गो-पालन और जैविक खेती के गुर बताए। सोशल मीडिया और यू-ट्यूब पर वे गो-पालन के प्रशिक्षण के लिए मशहूर हैं। ‘नईदुनिया’ से चर्चा में उन्होंने बताया कि एक वक्त था जब कर्ज के कारण उनकी खेती-बाड़ी, मकान, गहने सब बिक गए थे, लेकिन गाय की सेवा नहीं छोड़ी। उन्होंने और उनके पिता ने गांव में लोगों की गायें चराकर फिर से जमीन खरीदी। आज वे देश-विदेश से गोंडल आने वाले लोगों को गो-पालन का प्रशिक्षण दे रहे हैं।

देश के किसानों के लिए उनका संदेश है कि बाजार को पहचानें, जिस चीज की खपत हो, वही फसल उगाएं। जलवायु को ध्यान में रखते हुए कम लागत वाली खेती करें। लोगों को खेती से जोड़कर अपना एक परिवार तैयार करना चाहिए। वे आप पर भरोसा करेंगे और आपसे ही उपज खरीदेंगे।

रमेशभाई का सपना है कि वे अपने गांव में 1500 विद्यार्थियों का ऐसा स्कूल खोलना चाहते हैं, जहां जीवन विद्या का पाठ पढ़ाया जा सके। इसमें गो-पालन, प्राकृतिक खेती के अलावा संस्कृत, वैदिक गणित, वैदिक जीवन, आहार, आयुर्वेद आदि की शिक्षा मिल सके।

साभार- https://www.naidunia.com/ से