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उत्तर प्रदेश के चुनावों में मुसिलम वोटों का गणित और हारे जीते मुस्लिम प्रत्याशी

यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी(Samajwadi Party) , आरएलडी (RLD) और सुभासपा का गठबंधन सत्ता में आने में नाकाम रहा. लेकिन गठबंधन के 34 मुस्लिम प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. बीजेपी गठबंधन में अपना दल ने एक मुस्लिम प्रत्याशी (Muslim Cadidates) को टिकट दिया था, जो उसके कुल विधायकों का करीब एक तिहाई है. सपा गठबंधन ने 63 और बसपा ने 86 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे. कांग्रेस ने भी करीब 60 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी दिए थे. यूपी के पहले दो चरणों में सपा गठबंधन के ज्यादातर मुस्लिम प्रत्याशियों को कामयाबी मिली. इनमें कैराना से नाहिद हसन, रामपुर से आजम खां, स्वार से अब्दुल्ला आजम की जीत शामिल है. थानाभवन से अशरफ अली ने योगी सरकार में मंत्री रहे सुरेश राणा को हरा दिया. हालांकि तमाम सीटों पर मुस्लिम प्रत्य़ाशी होने और अन्य पर मुस्लिमों के 30-40 फीसदी वोट होने के बावजूद गठबंधन के उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं कर पाए.

उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी करीब 19 फीसदी है. यूपी में 85 सीटें ऐसी थीं, जिनमें मुस्लिमों की जनसंख्या 25 से 50 फीसदी तक रही है. जबकि 60 अन्य सीटों पर उनकी आबादी 20 से 25 फीसदी के बीच थी. यानी ऐसी 145 सीटें रहीं, जहां मुस्लिम प्रत्याशी निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में थे. हालांकि बीजेपी ने पिछली बार अल्पसंख्यक वोटों के बंटवारे के कारण इसमें से ज्यादातर सीटें जीत ली थीं. मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, बरेली, बहराइच, सहारनपुर, रामपुर, बिजनौर, बलरामपुर, श्रावस्ती, गाजियाबाद, बागपत, गौतमबुद्ध नगर औऱ ज्योतिबा फुले नगर में मुस्लिम जनसंख्या 25 से 50 फीसदी के बीच है. जबकि अलीगढ़, बाराबंकी, बदायूं, बुलंदशहर, पीलीभीत, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, संत कबीरनगर, सुल्तानपुर में उनकी जनसंख्या 20 से 25 प्रतिशत के बीच है.

एकतरफा वोट पड़ा..

सीएसडीएस के मुताबिक, वर्ष 2017 की बात करें तो करीब 55 फीसदी मुस्लिम वोट सपा, 14 फीसदी बसपा, 33 फीसदी कांग्रेस औऱ करीब दो फीसदी बीजेपी के पक्ष में गया था. ये दिलचस्प है कि 2012 में महज 39 फीसदी मुस्लिम वोट पाने के बावजूद सपा ने सत्ता हासिल की थी. हालांकि 2022 में करीब 80 फीसदी वोट गठबंधन के पक्ष में गया.

पिछली बार से कम मुस्लिम उम्मीदवार दिए

सपा और कांग्रेस ने गठबंधन के तहत 2017 में 88 मुस्लिम प्रत्याशी दिए थे. जबकि बसपा ने सर्वाधिक 99 मुस्लिमों को टिकट दिया था. लेकिन मुस्लिम बाहुल्य 85 सीटों में से 70 सीटों पर हिन्दू उम्मीदवार जीते थे और 15 पर ही मुस्लिमों को जीत हासिल हुई. इन 85 सीटों में से 64 सीटें बीजेपी की झोलीं में गई थीं और सपा को 16 सीटें ही मिली थीं.

कैराना-मृगांका सिंह(बीजेपी)-नाहिद हसन (सपा)-जीते
संभल-राजेश सिंघल(बीजेपी)-इकबाल महमूद (सपा)-जीते
स्वार-हैदर अली (अपना दल)-अब्दुल्ला आजम(सपा)-जीते
रामपुर-आकाश सक्सेना(बीजेपी)-आजम खां(सपा) -जीते
अमरोहा-राम सिंह सैनी(बीजेपी)-महबूब अली(सपा)-जीते
सिवलखास-मनेंद्र पाल सिंह(बीजेपी)-गुलाम मोहम्मद (आरएलडी)-जीते
किठौर-सत्यवीर त्यागी(बीजेपी)-शाहिद मंजूर(सपा)-जीते
मेरठ-कमलदत्त शर्मा(बीजेपी)-रफीक अंसारी(सपा)-जीते
थानाभवन-सुरेश राणा(बीजेपी)-अशरफ अला(सपा)-जीते
कुंदरकी-कमल प्रजापति(बीजेपी)-जियार्रहमान(सपा)-जीते
बेहट-नरेश सैनी (बीजेपी)-उमर अली खान (सपा) -जीते
बिलारी-परमेश्वर लाल सैनी-फहीम इरफान(सपा)-जीते
किन्नौर-सत्यवीर त्यागी(बीजेपी)-शाहिद मंजूर(सपा)
चमरौवा-मोहन लोधी(बीजेपी)-नसीर अहमद(सपा)-जीते
बहेड़ी-छत्रपाल सिंह(बीजेपी)-अताउर रहमान(सपा)-जीते
मऊ-अशोक कुमार सिंह(बीजेपी)-अब्बास अंसारी(सपा+)-जीते
भदोही-रवींद्र त्रिपाठी(बीजेपी)-जाहिद(सपा)-जीते
भोजीपुरा-भूरन लाल(बीजेपी)-शाजिल इस्लाम(सपा)-जीते
गोपालपुर-सत्येंद्र राय(बीजेपी)-नफीस अहमद(सपा)-जीते
इसौली-ओपी पांडेय(बीजेपी)- ताहिर खान(सपा)-जीते
जौनपुर-गिरीश चंद्र(बीजेपी)-अरशद खान(सपा)-जीते
कानपुर कैंट-रघुनंदन सिंह(बीजेपी)-मो. हसन(सपा)-जीते
कांठ-राजेश कुमार (बीजेपी)-कमाल अख्तर(सपा)-जीते
लखनऊ वेस्ट-अंजनी कुमार(बीजेपी)-अरमान खान(सपा)-जीते
मोहम्मदाबाद-अल्का राय(बीजेपी)-मन्नू अंसारी-जीते
मुरादाबाद रूरल-केके मिश्रा(बीजेपी)-मो. नासिर(सपा)-जीते
नजीबाबाद-राजा सिंह(बीजेपी)-तसलीम अहमद(सपा)-जीते
निजामाबाद-मनोज(बीजेपी)-आलम बदी(सपा)-जीते
पटियाली-ममतेश शाक्य(बीजेपी)-नादिरा सुल्तान(सपा)-जीते
रामनगर-शरद कुमार(बीजेपी)-फरीद अहमद-जीते
सिकंदरपुर-संजय यादव(बीजेपी)-जियाउद्दीन रिजवी(सपा)-जीते
ठाकुरद्वारा-अजय प्रताप(बीजेपी)-नवाब जान(सपा)-जीते
सीसामऊ-सलिल विश्नोई(बीजेपी)-इरफान सोलंकी(सपा)-जीते
डुमरियागंज-राघवेंद्र प्रताप(बीजेपी)-सईदा खातून(सपा) -जीते

इन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को मिली हार….
बीकापुर-अमित चौहान(बीजेपी)-फिरोज खान(सपा)-हारे
बिस्वां-निर्मल वर्मा(बीजेपी)-अफजाल कौसर(सपा)-हारे
धामपुर-अशोक राणा(बीजेपी)-नईम उल हसन(सपा)-हारे
फिरोजाबाद-मनीष असिजा(बीजेपी)-सैफुर्रहमान(सपा)-हारे
मीरगंज-डीसी वर्मा(बीजेपी)सुल्तान बेग(सपा)-हारे
मुरादाबाद नगर-रीतेश कुमार(बीजेपी-युसूफ अंसारी(हारे)
फाफामऊ-गुरु प्रसाद(बीजेपी)-अंसार अहमद(सपा)-हारे
फूलपुर-प्रवीण पटेल(बीजेपी)-मुज्तबा(सपा)-हारे
रामपुर कारखाना-सुरेंद्र चौरसिया(बीजेपी)-फासिहा मंजर(सपा)-हारे
साहाबाद-रजनी तिवारी(बीजेपी)-आसिफ खान(सपा)-हारे
शाहजहांपुर-सुरेश खन्ना(बीजेपी)-तनवीर खान(सपा)-हारे
श्रावस्ती-राम फेरन(बीजेपी)-मो. असलम(सपा)-हारे
तिलोई-मयंकेश्वर(बीजेपी)-मो. नईम(सपा)-हारे
उतरौला-राम प्रताप(बीजेपी)-हसीब खान(सपा)-हारे
वाराणसी उ.-रवींद्र जायसवाल(बीजेपी)-अशफाक(सपा)-हारे
मेरठ द.- सोमेंद्र तोमर(बीजेपी)-मो. आदिल(सपा)-हारे
बागपत-योगेश धामा(बीजेपी)-अहमद हमीद(सपा) -हारे
धौलाना-धर्मेश तोमर(बीजेपी)-असलम अली(सपा)-हारे
बुलंदशहर-प्रदीप चौधरी(बीजेपी)-हाजी युनूस(रालोद)-हारे
स्याना-देवेंद्र लोधी(बीजेपी)-दिलनवाज खान(रालोद)-हारे

इन मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मिली हार

नगीना-य़शवंत(बीजेपी)-मनोज पारस(सपा)
देवबंद-बृजेश सिंह रावत-कार्तिकेय राणा (सपा)
बुढ़ाना-उमेश मलिक(बीजेपी)-राजपाल बालियान(सपा)
हसनपुर-महेंद्र सिंह सैनी(बीजेपी)-मुखिया गुर्जर(सपा)
नौगांव सादात-देवेंद्र नागपाल(बीजेपी)-समरपाल(सपा)
असमौली-हरेंद्र सिंह(बीजेपी-पिंकी सिंह (सपा)
मिलक-राजपाला(बीजेपी)-विजय सिंह(सपा)