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साम टीवी मराठी पर थिएटर ऑफ रेलवेंस पर सार्थक चर्चा

मराठी न्यूज़ चैनल साम टीवी ने 28 मार्च 2017 को अपने प्राइम टाइम कार्यक्रम ‘ आवाज़ महाराष्ट्र की – आवाज़ महाराष्ट्राचा’ में थिएटर ऑफ़ रेलेवंस नाट्य दर्शन पर 90 मिनट लाइव चर्चा की … इसमें थिएटर ऑफ़ रेलेवंस क्या है ..उसका व्यवहारगत होना ..प्रमाण …इत्यादि सवालों के साथ ..नाटकों के अंश भी लाइव पेश किये गए ….

एक ऐसे समय में जब मीडिया ‘खरीदने और बेचने’ का यंत्र हो गया है ..तब थिएटर ऑफ़ रेलेवंस कैसे जन सरोकारों की आवाज़ बनकर ‘जनता’ को एक मंच दे रहा है “ आज का ‘आवाज’ अनोखा था। सच में अपने अंदर की ‘आवाज’ थी। अन्धेरी से आने के बाद तो यह आवाज बहुत गहरी लगी ।अपने आसपास के कोलाहल में खुद की आवाज सुनाई नहीं देती । ऐसे समय मंजुल भारद्वाज नामक रंगकर्मी यही आवाज सशक्त करने का नया नाटयनुभव देते हैं ।
जहाँ सभी माध्यम लोगों के हाथों से छीने जा रहे हैं और ‘लोगों के लिए’ इस आधार पर बाजारू माध्यम बनाये जाते हैं, वही मंजुल से मुलाकात होती है। मंजुल लोगों के हाथ में नाटक सौेपतें हैं, फिर वो अपना , अपने भीतर का माध्यम लगने लगता है । तकनीक ने अभिव्यक्ति को अपने बाहुपाश में सिमटा लिया है और बाजार ने तकनीक पर कब्ज़ा किया है । ऐसे में ‘नाटक’ व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह करता है और मुख्य तौर पर कला की प्रस्थापित धारणाओं को तोड़ता है। मुझे यह रचना उपयुक्त एवं महत्वपूर्ण लगी । “थियेटर ऑफ़ रेलेवेन्स” की रचना करने वाले मंजुल भारद्वाज और उनकी टीम की प्रस्तुति आज हमारे यहाँ हुई । गुढी पाडवा के अवसर पर यह नाविन्यपूर्ण नाटक सामने आया । अश्विनी और कोमल की बुलन्द आवाज से हमारा न्यूज़रुम थर्रा गया। तुषार और सायली ने अद्भुत अनुभव से रूबरू कराया । और योगिनी के बारे में क्या कहना उसी के कारण यह सम्भव हुआ। असल में ‘अनहद नाद’ को स्टूडियों में लाइव पकड़ना आसान थोडे ही है ।
– संजय आवटे ( एंकर – साम टीवी ) “

संपर्क
Manjul Bhardwaj
Founder – The Experimental Theatre Foundation www.etfindia.org
www.mbtor.blogspot.com
Initiator & practitioner of the philosophy ” Theatre of Relevance” since 12
August, 1992.
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