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10-11 अक्टूबर को ग्वालियर में आयोजित मीडिया चौपाल के कार्यक्रम

इस चौपाल में अटलबिहारी वाजपेयी हिंदी विवि, जीवाजी विश्वविद्यालय का सहयोग मिल रहा है। इसमें वर्धा हिंदी विवि, इंदौर विवि, इंक मीडिया संस्थान, लखनऊ विवि, खालसा कालेज (दिल्ली विवि), माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि, अटल बिहारी हिंदी विवि, जीवाजी विवि के विद्यार्थी और प्राध्यापक भाग ले रहे हैं।

प्रतिभागियों को अभिज्ञान-पत्र भी दिया जाएगा।आयोजक संस्था द्वारा एक स्मारिका का प्रकाशन भी किया जा रहा है जिसमें पूर्व में हुए मीडिया चौपाल की जानकारी, सहभागियों का संक्षिप्त परिचय, मीडिया और नदी विषय से सम्बंधित आलेख होगा

चौपाल में संचार के अध्येता, विद्यार्थी, अध्यापक के साथ ही बड़ी संख्या में पत्रकार, ब्लॉगर, सोशल मीडिया के संचारक, वेब संचालक और इलेक्ट्रानिक मीडिया के रिपोर्टर भी भागीदारी करेंगे। इसमें नदी और पानी के साथ-साथ मीडिया विशेषज्ञ भी होंगे। इस मीडिया चौपाल में विशेषज्ञ जहां अपने अनुभव साझा करेंगे वहीं संचार माध्यमों के अध्येता समाज की संचार अपेक्षाओं को अभिव्यक्त करेंगे।

देशभर से 200 से अधिक संचारक जुट रहे हैं ग्वालियर में। मिल-बैठ कर संचारक विकास संचार की रणनीति भी बनाएंगे ताकि विज्ञान, विकास और पर्यावरण के मुद्दों को माध्यमों में वाज़िब जगह मिल सके।

इस राष्टीय मीडिया चौपाल में प्रो बृज किशोर कुठियाला, श्री प्रभात झ, श्री उमाकान्त उमरांव, श्री जयदीप कर्णिक, श्री पंकज चतुर्वेदी, श्रीमती सुभद्रा राठौर, डा स्मिता मिश्रा, श्री हितेश शंकर, श्री गिरीश उपाध्याय, प्रो मोहनलाल छीपा, श्री के जी व्यास, श्री के जी सुरेश, डा मनोज पटैरिया, श्री राजकुमार भारद्वाज, श्री प्रकाश हिन्दुस्तानी, आदि सम्मिलित हो रहे हैं। प्रमुख प्रतिभागियों में उमेश चतुर्वेदी, अनिल पाण्डेय, अलका सिंह, सीत मिश्र, केसर सिंह, शिवानंद द्ववेदी, क़ायनात काजी, रितेश पाठक, ऋषभ कृष्ण सक्सेना, आशीष कुमार अंशु, बिकास कुमार, प्रवीण कुमार झा, केशव कुमार, अनुराग अन्वेषी, अमरनाथ, पूजा मेहरोत्रा, प्रिया शाह, प्रज्ञा, प्रणव सिरोही, हर्षवर्धन त्रिपाठी, श्रवण शुक्ल, सिद्धार्थ झा, पवन रेखा, कुमार कृष्णन, प्रसून लतांत, संत समीर, डा धीरेन्द्र नाथ मिश्र, आशुतोष कुमार सिंह, कनिका श्रीवास्तव, उमा रावला, सरिता अरगरे, सुधीर पुरोलिया, जया शर्मा, वंदना कक्कड़, ममता यादव, डा आशीष द्विवेदी, लोकेश सिंह, निरेन उपाध्याय, अन्नपूर्णा वाजपेयी, रंगोली वैश, अपर्णा सिंह, ललित शर्मा, संध्या शर्मा, सुमन शर्मा, प्रथक बटोही, जगत मोहन,

चौपाल में कुल 10 सत्र होंगे, जिसमें छह विषयो पर समानांतर सत्रों में चर्चा होगी। इस चौपाल की खासियत यह होगी कि प्रतिभागी नदियों के विविध पहलुओं पर चर्चा के बाद नदियों की आँखों देखी रिपोर्ट भी प्रस्तुत करेंगे। चौपाल में नदी भ्रमण का एक विशेष सत्र होगा।

चौपाल के दौरान विशेषज्ञ भारत की नदियों, मध्यप्रदेश की नदियों के के बारे में कल, आज और कल के परिपेक्ष्य में बहस करेंगे। मीडिया के जानकार नवोदित संचारकों को नदियों की रिपोर्टिंग तथा नदियों के संरक्षण और पुनर्जीवन में मीडिया की भूमिका से अवगत कराएंगे।

गौरतलब है कि वर्ष 2011 से मीडिया चौपाल का सिलसिला चल रहा है। स्पंदन संस्था द्वारा गत तीन चौपालों का आयोजन मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के सहयोग से किया गया। यह चौथा आयोजन राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् , भारत सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। पहले चौपाल का मुख्य विषय “विज्ञान की बात, सबके साथ” था, जबकि दूसरा चौपाल “जन-जन के लिए मीडिया” विषय पर केंद्रित था। गत वर्ष दिल्ली में आयोजित मीडिया चौपाल नदी संरक्षण से सम्बंधित था।

दरअसल जनसंचार माध्यमों का जो विविध रूप हमारे सामने है उसमें परंपरागत माध्यमों के साथ ही मुद्रित (प्रिंट). इलेक्ट्रानिक (रेडियो-टेलीविजन) और अब नया मीडिया (डिजिटल मीडिया) संचार क्रांति के ताने-बाने बुन रहा है। वर्तमान समय में सूचनाओं की विविधता और बाहुल्यता है. जनसंचार माध्यमों (मीडिया) का क्षेत्र निरंतर परिवर्तित हो रहा है. सूचना और माध्यम, एक तरफ व्यक्ति को क्षमतावान और सशक्त बना रहे हैं, समाधान दे रहे हैं, वहीं अनेक चुनौतियां और समस्याएँ भी पैदा हो रही हैं. इंटरनेट आधारित संचार के तरीकों ने लगभग एक नए समाज का निर्माण किया है जिसे आजकल “नेटीजन” कहा जा रहा है, ये आभासी दुनिया का नया समुदाय है. हमलोग गत कुछ वर्षों से मीडिया चौपाल के द्वारा कोशिश कर रहें हैं कि जन-कल्याण के मुद्दे, खासकर- विज्ञान और विकास, समाज और संस्कृति के साथ ही पानी-पर्यावरण, नदी-जल संरक्षण आदि विषय भी जन-माध्यमों के एजेंडे का हिस्सा बन सकें. अनुभव और अध्ययनों के हवाले से यह कहा जा सकता है कि मीडिया में अपराध, फिल्म और राजनीति के सामने विकास का मुद्दा अभी बौना है। विकास, पर्यावरण और नदी-पानी को मीडिया में समुचित स्थान और समय मिलना चहिये। राष्ट्रीय मीडिया कार्यशाला के द्वारा हम इसी दिशा में कुछ प्रयास करना चाहते हैं.

इन्हीं प्रयासों के तहत वर्ष 2012, 2013 और 2014 में “मीडिया चौपाल” का आयोजन किया गया था। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के सहयोग से 12 अगस्त 2012 को “विकास की बात विज्ञान के साथ – नये मीडिया की भूमिका” विषय पर एक दिवसीय चौपाल का आयोजन भोपाल में हुआ था, जबकि 14-15, सितम्बर, 2013 को “जन-जन के लिए विज्ञान, जन जन के लिए मीडिया” विषय पर वेब संचालक, ब्लॉगर्स, सोशल मीडिया संचारक और आलेख-फीचर लेखकों का जुटान भी भोपाल में ही हुआ। इसी प्रकार 11-12 अक्टूबर, 2014 को नई दिल्ली में “नद्य: रक्षति रक्षित:” विषय पर दो दिवसीय चौपाल का आयोजन नई दिल्ली में किया गया था।
इस चौपाल में नया मीडिया, नई चुनौतियां (तथ्य, कथ्य और भाषा के विशेष सन्दर्भ में), आमजन में वैज्ञानिक दृष्टि का विकास और जनमाध्यमों की भूमिका, विकास कार्य-क्षेत्र और मीडिया अभिसरण (कन्वर्जेंस) की रूपरेखा, आपदा प्रबंधन और नया मीडिया, नये मीडिया के परिपेक्ष्य में जन-माध्यमों का अंतर्संबंध तथा सुझाव और भावी रूपरेखा आदि विषयों पर चर्चा हुई थी.

इस वर्ष “मीडिया कार्यशाला – 2015” का आयोजन ग्वालियर में किया जा रहा है। कार्यशाला का मुख्य विषय “नदी संरक्षण में मीडिया की भूमिका ” है। कार्यशाला का आयोजन 10-11 अक्टूबर, 2015 को जीवाजी विश्व्विद्यालय, ग्वालियर में होगा।

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विषय : नदी संरक्षण में मीडिया की भूमिका
उप-विषय :
भारत की नदियां : कल, आज और कल
मध्यप्रदेश की नदियां : कल, आज और कल
जनमाध्यमों में नदियां : स्थिति, चुनौतियां और सम्भावनायें
नदियों का पुनर्जीवन : संचारकों की भूमिका (रिपोर्टर, स्तम्भ लेखक, फीचर लेखक, ब्लागर, वेब-संचालक, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट, कवि/कवयित्री, साहित्यकार, प्रवचनकार, रंगकर्मी आदि)।
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अनिल सौमित्र
ई-31,45 बंगले, भोपाल-462003
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