खाँसी के इलाज वाले तमाम ब्रांड की दवाइयाँ होगी बंद, वजह है फोल्कोडीन

खांसी के इलाज के तमाम लोकप्रिय ब्रांडों की दवा बंद होने की संभावना है क्योंकि दवा नियामक ने फोल्कोडीन नाम की अफीम वाली दवाओं के उपयोग को लेकर आगाह किया है। सामान्य एनेस्थीसिया के साथ सर्जरी कराने वाले लोगों में गंभीर एलर्जी की समस्या की वजह अफीम को माना जा रहा है।

इसकी वजह से ब्लड प्रेशर कम होने, रक्त परिसंचरण की कमी, हृदय की असमान्य गति, वायुमार्गों के बंद होने और ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याएं सामने आई हैं। फोल्कोडीन खांसी को दबाने वाला अफीम युक्त पदार्थ है, जिसका इस्तेमाल बच्चों और बड़े दोनों की सूखी खांसी के प्रबंधन में किया जाता है।

दवा विक्रेताओं के संगठन ने अपने सदस्यों को सलाह दी है कि अगर कोई व्यक्ति फोल्कोडीन वाली दवा की पर्ची लेकर आता है तो वे मरीज को अपने डॉक्टर से एक वैकल्पिक दवा का विकल्प देने की सलाह दें। इस संगठन से देश के करीब 12 लाख खुदरा दवा कारोबारी जुड़े हैं।

बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए ऑल इंडियन ओरिजिन केमिस्ट्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (एआईओसीडी) के जनरल सेक्रेटरी राजीव सिंघल ने कहा कि संगठन ने दवा विक्रेताओं को परामर्श जारी किया है कि वे फोल्कोडीन वाले ब्रांडों के नाम साझा करें। उन्होंने कहा, ‘औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम के तहत दवा विक्रेता डॉक्टरों की पर्ची पर दी गई दवा की वैकल्पिक दवा नहीं दे सकते हैं।

इसलिए हमने अपने सदस्यों को निर्देश दिया है कि वे चिकित्सक से इसका विकल्प लेकर आएं। दवा विक्रेता जल्द ही अपने पास पड़ा स्टॉक कंपनियों को वापस करना शुरू कर देंगे।’ सिंघल ने अनुमान लगाया कि 10 से 12 करोड़ रुपये का स्टॉक बाजार में मौजूद है।

कंपनियों ने अपनी तरफ से इस तरह की दवाओं की बिक्री बंद करनी शुरू कर दी है। मैनकाइंड फार्मा ने कहा कि उसने फरवरी से टेडीकॉफ कफ सिरप बंद कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा फोल्कोडीन के वाली दवाओं से खांसी और सर्दी के उपचार को लेकर चेतावनी जारी की थी।

उसके बाद भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) राजीव रघुवंशी ने चिकित्सकों, मेडिकल पेशेवरों और मरीजों को फोल्कोडीन मिले कफ सिरप को लेकर परामर्श जारी किया है।

गांबिया और उज्बेकिस्तान में घटिया दवाओं के कारण लोगों की मौत होने या बीमार होने की खबरों के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने राज्य प्राधिकारों के साथ मिलकर फार्मा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की।

स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि खांसी के सिरप की निर्यात नीति में संशोधन के लिए इस साल 22 मई को अधिसूचना जारी की और निर्यात के पहले सरकारी मान्यता प्राप्त प्रयोगशला से विश्लेषण प्रमाणपत्र प्राप्त करना एक जून से अनिवार्य बना दिया।

साभार- https://hindi.business-standard.com/ से