Thursday, April 25, 2024
spot_img
Homeभारत गौरवश्री प्रभु के नेतृत्व में एक खामोश क्रांति हो रही है रेल्वे...

श्री प्रभु के नेतृत्व में एक खामोश क्रांति हो रही है रेल्वे में

जनता की धारणा रेलवे के प्रति भ्रामक है। बड़ी-बड़ी घोषणाओं की बजाय, परिवर्तन चुपचाप तो हो रहा है और निश्चित तौर पर हो रहा है। भारतीय रेल, जनता की गलत धारणा की समस्‍या से पीड़ि‍त है – और एक भ्रमित वातावरण पैदा किए जाने के कारण रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु द्वारा रेल्वे को पटरी पर लाने के लिए किए जा रहे दूरगामी परिणामों की चर्चा तक नहीं हो रही है।

गलतफहमियों की बहुतायत
किसी भी विशालकाय संगठन को स्‍वयं का कायाकल्‍प करने में अत्‍यधिक प्रयास करना पड़ता है और इसमें अत्‍यधिक समय लगता है। इस पृष्‍ठभूमि में, मैं छह मुख्‍य मसलों का विशेष उल्‍लेख करना चाहूंगा, जिनको लेकर एक भ्रमित वातावरण बनाया जा रहा है।

यहां कोई बड़ी-बड़ी घोषणाएं नहीं हुई हैं:
इस वर्ष अपने प्रथम रेल बजट की घोषणा करते समय, रेल मंत्री ने स्‍पष्‍ट रूप से कहा था कि यह एक पंच-वर्षीय योजना की शुरुआत है। 200 से अधिक क्षमता संवर्धन वाली परियोजनाओं को जिनकी पिछले बजटों में घोषणा की गई थी, अभी भी पूरा किया जाना है, और इनका प्राथमिकता के आधार पर निवारण किया जा रहा है।

अत:,मौजूदा परियाजनाओं को समेकित और पूरा करने के लिए, एक समान रूप से अनेक प्रमुख कदम उठाया जाना सहज बात है, जिनका एकसाथ मिलकर सर्वांगीण परिणाम होगा।
एक सबसे बड़ी प्रगति रेलवे द्वारा विशाल एफडीआई और “मेक इन इंडिया” की दिशा में बड़ी पहल है। चोटी की ग्‍लोबल कंपनियां, अर्थात जीई, ईएमडी, बोम्‍बार्डियर, एलस्‍टॉक और सीमैन्‍स ने कुल 42,000 करोड़ रुपये की दो आधुनिकतम बिजली और डीज़ल रेलइंजन निर्माण परियोजनाओं के लिए बोली प्रस्‍तुत की है।

बजट घोषणाओं पर अमल नहीं किया गया है: कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों को आलोचक सही ढंग से समझ और परख नहीं रहे हैं। बजट में घोषित 79 घोषणाओं को पहले ही लागू किया जा चुका है, जैसे कि 1,000 रेलगाड़ि‍यों में ई-केटरिंग, 11 स्‍टेशनों पर वाई-फाई, 67 स्‍टेशनों पर शौचालयों का निर्माण और 150 स्‍थलों पर ऊर्जा एवं पानी का लेखा परीक्षण।

खेल के तौर-तरीकों को बदल डालने वाली एक अन्‍य प्रगति समर्पित माल गलियारों (डीएफसी) का तीव्रतापूर्वक क्रियान्‍वयन है जिससे 3,300 किलोमीटर नई लाइनों की बढ़ोतरी होगी। पिछले नौ माह में 17,000 करोड़ रुपये के ठेके सौंपे गए हैं, जो इस परियोजना की शुरुआत के बाद से सौंपे गए ठेकों से 1.6 गुना अधिक है। इस परियोजना के पहले 56 किलोमीटर इस वर्ष के अंत तक खोल दिए जाने की संभावना है।

बड़े निवेश घाटे को पूरा करने के लिए धन कहां है? रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने बड़ी-बड़ी घोषणाएँ करने की बजाय अब अपना ध्यान सभी मौजूदा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए आर्थिक संसाधनों की पहचान करने पर दिया है, जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। यह धन कहां से आएगा, इसकी यथार्थवादी योजना के साथ 8.56 लाख करोड़ रुपये की पंच-वर्षीय पूँजीगत व्‍यय बजट को अंतिम रूप दिया गया है।

भारतीय रेल तेजी से अपने वित्त स्रोतों का विविधीकरण कर रही है। इस योजनागत निवेश में सकल बजट सहायता की हिस्‍सेदारी केवल 30 प्रतिशत (2.56 लाख करोड़ रुपये) होगी, जबकि परियोजना ऋण की हिस्‍सेदारी 28 प्रतिशत (2.5 लाख करोड़ रुपये) होगी। बाकी रकम विभिन्‍न राज्‍य सरकारों के साथ संयुक्‍त उद्यमों द्वारा जुटाई जाएगी (19 राज्‍य 1.2 लाख करोड़ रुपये वचनबद्धता के साथ इस प्रयास में पहले ही शामिल हो चुके हैं); नई एवं अधिक स्‍वीकार्य व्‍यवस्‍थाओं के अंतर्गत सार्वजनिक निजी भागीदारियां (1.3 लाख करोड़ रुपये); आंतरिक सृजन (1 लाख करोड़ रुपये), चल स्‍टॉक पट्टे पर देना (1 लाख करोड़ रुपये) और भारतीय जीवन बीमा निगम से दीर्घकालिक ऋण (1.5 लाख करोड़ रुपये)।

अधिक निजी वित्‍तपोषण के अलावा, भारतीय रेल एंकर पूँजीनिवेशकों के रूप में बहुपक्षीय संस्‍थानों और दुनिया के प्रमुख स्‍वायत्त फंड्स एवं दीर्घकालिक पेंशन फंड्स की सहभागिता के साथ एक दीर्घकालिक रेल निवेश पूँजी का सृजन करने के जरिये भी तलाश रही है।

प्रशासनिक मसले-धन का समझौता तो शायद हो गया है लेकिन उसे खर्च कैसे किया जाएगा?
महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं पर व्‍यय की प्राथमिकता-निर्धारण करने के लिए ढीली ढाली नौकरशाही और संस्थागत क्षमता को एक नया आयाम देने की ज़रुरत है। श्री सुरेश प्रभु द्वारा अपने अधिकारों का विकेंद्रीकरण किए जाने से फैसले समय पर होने लगे है जिसके परिणामस्‍वरूप अधिक पूँजी का व्‍यय हुआ है। इस वर्ष की केवल पहली तिमाही में, भारतीय रेल ने पूँजीगत व्‍यय के लक्ष्‍य की तुलना में 4,500 करोड़ से अधिक का व्‍यय किया है। यह 17,734 करोड़ रुपये है जो आरंभिक लक्ष्‍य (13,231 करोड़ रुपये) का 134 प्रतिशत है। वास्‍तव में, भारतीय रेल ने नई लाइनों, विद्युतीकरण, आमान परिवर्तन और रेलपथ नवीकरण जैसे पैरामीटरों पर लक्ष्‍यों को पार किया है।
संरक्षा संबंधी मसले भारतीय रेल को त्रस्‍त करना जारी रखेंगे: यहां अब अधिक फोकसशुदा विधि अपनाई जा रही है। ‘शून्‍य दुर्घटना नीति’ के अंतर्गत, रेल संरक्षा में सुधार लाने के लिए (रेलपथ के नवीकरण, बेहतर सिगनल व्‍यवस्‍था और दुर्घटना-रोधी सवारीडिब्‍बों एवं इंजनों पर) 1.27 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्‍ताव है, जिससे दुर्घटनाओं की परिधि न्‍यूनतम होगी। बिना चौकीदारों वाले लेवल क्रॉसिंग के लिए, आईआईटी कानपुर द्वारा डिज़ाइन की गई एक शीघ्र चेतावनी प्रणाली का फील्‍ड परीक्षण किया जा रहा है ताकि इसे पूरे देश में तेजी से लगाया जा सके।
रेलगाड़ि‍यां कभी भी ठीक समय पर नहीं आएंगी, खासतौर पर सर्दी के कोहरे के महीनों में: थर्मल मैपिंग और इंस्‍ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्‍टम जैसी उन्‍नत प्रौद्योगिकी ने इस समस्‍या पर काबू पाने में विमानन उद्योग की मदद की है। मैं समझता हूँ कि मंत्रालय गहरे कोहरे में अत्‍यंत कम दृश्‍यता के दौरान रेलगाड़ि‍यों को चलाने में मदद करने के लिए रेलइंजनों के अंदर थर्मल ईमेजिंग उपलब्‍ध कराने के प्रस्‍तावों की विवेचना कर रहा है।

चूँकि मौसम की ऐसी परिस्थितियां माल के अधिकतम लदान के समय पर प्रकट होती हैं इसलिए इनसे क्षमता उपयोग में सुधार आएगा, समयपालन में सुधार आएगा और संरक्षा संबंधी प्रमुख मसलों का निवारण होगा। वैश्विक मानदंडों के अनुरूप, एक सुदृढ रेल नेटवर्क हमारे सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने का कायाकल्‍प करेगा।

(लेखक एसोचैम के अध्यक्ष और येस बैंक के एमडीऔर सीईओ हैं।)
साभार- http://www.thehindubusinessline.com/ से

ये लेख अंग्रेजी में हिन्दू की इस लिंक पर पढ़ा जा सकता है

http://www.thehindubusinessline.com/opinion/railways-are-changing-for-the-better/article7762146.ece

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार