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श्री मोदी ने एशिया के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश के रीवा स्थित एशिया के सबसे बड़े सौर प्लांट का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इसकी शुरुआत की। मध्यप्रदेश के रीवा में 750 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना शुरू हो गई है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज रीवा ने वाकई इतिहास रच दिया है। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा आज की ही नहीं, बल्कि 21वीं सदी की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा माध्यम होने वाला है। क्योंकि सौर ऊर्जा, श्योर है, प्योर है और सिक्योर है।

पढ़ें प्रधानमंत्री के संबोधन की बड़ी बातें-
– आज जब आप मध्यप्रदेश को, पूरे देश को आगे बढ़ाने के लिए घर से बाहर निकल रहे हैं, तो अपनी एक और जिम्मेदारी भी हमेशा याद रखिए। दो गज की दूरी, चेहरे पर मास्क और हाथ को 20 सेकेंड तक साबुन से धुलना, इन नियमों का हमें हमेशा पालन करना है।

– ‘अब गरीब परिवारों को नवंबर तक मुफ्त राशन मिलता रहेगा। इतना ही नहीं, निजी क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों के ईपीएफ खाते में भी सरकार पूरा अंशदान दे रही है। इसी तरह, पीएम-स्वनिधि योजना के माध्यम से उन साथियों की सुध ली गई, जिनकी सिस्टम तक सबसे कम पहुंच होती है।’

– आत्मनिर्भरता सही मायने में तभी संभव है जब हमारे भीतर आत्मविश्वास हो। आत्मविश्वास तभी आता है, जब पूरा देश, पूरा सिस्टम, हम सभी मिलकर आत्मनिर्भरता की ओर चल पड़े। कोरोना से पैदा हुई स्थिति के बीच भारत यही काम कर रहा है। सरकार यही आत्मविश्वास जुटा रही है।

– सोलर पावर की ताकत को हम तब तक पूरी तरह से उपयोग नहीं कर पाएंगे, जब तक हमारे पास देश में ही बेहतर सोलर पैनल, बेहतर बैटरी, उत्तम क्वालिटी की स्टोरेज कैपेसिटी का निर्माण ना हो। अब इसी दिशा में तेजी से काम चल रहा है।

– सौर ऊर्जा ने आम ग्राहक को उत्पादक भी बना दिया है, पूरी तरह से बिजली के बटन पर कंट्रोल दे दिया है। बिजली पैदा करने वाले माध्यमों में सामान्य जन की भागीदारी न के बराबर रहती है, लेकिन सौर ऊर्जा में सामान्य जन की आवश्यकता की बिजली पैदा हो सकती है।

– दुनिया की, मानवता की, भारत से इसी आशा, इसी अपेक्षा को देखते हुए, हम पूरे विश्व को जोड़ने में जुटे हुए हैं। इसी सोच का परिणाम आइसा यानि इंटरनेशनल सोलर अलायंस है। वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड, के पीछे की यही भावना है। भारत को स्वच्छ ऊर्जा के लिए सबसे आकर्षक बाजार माना जाता है। भारत को विश्व स्तर पर एक मॉडल के रूप में देखा जाता है।

– बिजली सबतक पहुंचे, पर्याप्त पहुंचे। हमारा वातावरण, हमारी हवा, हमारा पानी भी शुद्ध बना रहे, इसी सोच के साथ हम निरंतर काम कर रहे हैं। यही सोच सौर ऊर्जा को लेकर हमारी नीति और रणनीति में भी स्पष्ट झलकती है।

– एलईडी बल्ब से करीब 600 अरब यूनिट बिजली की खपत कम हुई है। बिजली की बचत के साथ लोगों को रोशनी भी अच्छी मिल रही है। साथ ही हर साल करीब 24,000 करोड़ रुपये की बचत मध्यम वर्ग को हो रही है।

– पिछले छह सालों में, 36 करोड़ एलईडी बल्ब पैन-इंडिया में वितरित किए गए हैं। स्ट्रीट लाइट में एक करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब लगाए गए हैं। यह नियमित लग सकता है, लेकिन इसका एक बड़ा प्रभाव पड़ा है।

– जब हम रीनेवेबल एनर्जी के बड़े प्रोजेक्ट्स लॉन्च कर रहे हैं, तब हम ये भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि साफ-सुथरी ऊर्जा के प्रति हमारा संकल्प जीवन के हर पहलू में दिखे। हम कोशिश कर रहे हैं कि इसका लाभ देश के हर कोने, समाज के हर वर्ग, हर नागरिक तक पहुंचे।

– जैसे-जैसे भारत विकास के नए शिखर की तरफ बढ़ रहा है, हमारी आशाएं-आकांक्षाएं बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे हमारी ऊर्जा की, बिजली की जरूरतें भी बढ़ रही हैं। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत के लिए बिजली की आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है।

– श्योर इसलिए क्योंकि ऊर्जा के दूसरे स्रोत खत्म हो सकते हैं, लेकिन सूर्य सदा पूरे विश्व में चमकता रहेगा। प्योर इसलिए, क्योंकि ये पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद करता है। सिक्योर इसलिए क्योंकि ये हमारी ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करता है।

– ये तमाम प्रोजेक्ट जब तैयार हो जाएंगे, तो मध्यप्रदेश निश्चित रूप से सस्ती और साफ-सुथरी बिजली का हब बन जाएगा। इसका सबसे अधिक लाभ मध्यप्रदेश के गरीब, मध्यम वर्ग के परिवारों, किसानों, आदिवासियों को होगा। सौर ऊर्जा आज की ही नहीं, बल्कि 21वीं सदी की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा माध्यम होने वाला है। क्योंकि सौर ऊर्जा, श्योर है, प्योर है और सिक्योर है।

– आज रीवा में वाकई इतिहास रच दिया है। रीवा की पहचान मां नर्मदा के नाम से और सफेद बाघ से रही है। अब इसमें एशिया के सबसे बड़े सोलर पावर का नाम भी जुड़ गया है। रीवा का ये सोलर प्लांट इस पूरे क्षेत्र को, इस दशक में ऊर्जा का बहुत बड़ा केंद्र बनाने में मदद करेगा। इस सोलर प्लांट से मध्यप्रदेश के लोगों को, यहां के उद्योगों को तो बिजली मिलेगी ही, दिल्ली में मेट्रो रेल तक को इसका लाभ मिलेगा।