1

ऑक्सीजन निर्माण करने वाली मशीनों के संचालन में 30 करोड़ अतिरिक्त देती मनपा

मुंबई। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से शिकायत की है कि मुंबई मनपा विभिन्न अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन यंत्र के संचालन के लिए 30 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रही हैं। जबकि टेंडर में खर्च को मार्केट रेट से अधिक बढ़ाया गया। मनपा ने अभी तक बोली जीतने वाले ठेकेदारों को कार्य आदेश जारी नहीं किए हैं, यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मनपा ने उनके द्वारा फाईल किए गए आरटीआई के जबाब में दिया हैं।

विभिन्न आरटीआई के प्रश्नों में, कार्यकारी अभियंता शाम भारती ने अनिल गलगली को सूचित किया कि अभी तक कोई कार्य आदेश जारी नहीं किया गया है। मेसर्स हाईवे कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बोली जीतने से 83.83 करोड़ रुपये तय की गई हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या मनपा ने टेंडर जारी करने से पहले आईआईटी या अन्य अपेक्षाकृत तकनीकी रूप से मजबूत संस्थानों से मार्गदर्शन मांगा था, इसपर मनपा ने मौन साध लिया हैं।

अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और आयुक्त इकबाल सिंह चहल को दी शिकायत में कहा कि 850 लीटर क्षमता वाले ऑक्सीजन यंत्र का बाजार मूल्य 65 लाख रुपये तक हैं। लीटर क्षमता में वृद्धि से लागत कुछ हद तक बढ़ जाती है। मनपा ने 86.42 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया है। टेंडर प्रक्रिया में मेसर्स हाईवे कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 92.85 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। बातचीत के नाम पर 9.02 करोड़ रुपये की रियायत दिखाई गई और अंतत: 83.83 करोड़ रुपये में काम मुहैया कराया गया। मुख्यमंत्री सचिवालय से दबाव होने से मनपा ने अधिक रुचि नही ली।

इन सभी ऑक्सीजन उत्पन्न करने वाली प्रणालियों की आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण और संचालन के लिए 77.15 करोड़ रुपये की राशि दिखाई गई। सालाना प्रचलन पर 1.31 करोड़ की राशि दिखाई गई। अगले पांच वर्षों के लिए व्यापक रखरखाव और संरक्षण के लिए 5.36 करोड़ रुपये की राशि दिखाई गई हैं। यानी कुल मिलाकर 83.83 करोड़ रुपये की सिफारिश की गई थी।

अनिल गलगली ने दावा किया कि जब बजट ही बढ़ाया गया तो 9 करोड़ रुपये की इतनी बड़ी रियायत कोई भी दे सकता है। जब बाजार में कम लागत वाली ऑक्सीजन निर्माण करने वाली प्रणाली है तो किसी विशेष ठेकेदार से भारी कीमत पर ऑक्सीजन निर्माण करने वाली प्रणाली लेना सरासर गलत है। बजट तैयार करने के दौरान बाजार का भ्रमण कर कीमतों को समझने का एक छोटा सा प्रयास किया होता तो मनपा आज आसानी से 30 करोड़ रुपये बचा लेती।