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मोदी का नहीं, संभावनाओं का शासन

लोकसभा चुनाव की मतगणना में लगातार दूसरी बार प्रचंड ‘मोदी लहर’ पर सवार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) रिकॉर्ड सीटों के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज होने जा रही है। एक बार फिर नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। यह ऐतिहासिक जीत नरेन्द्र मोदी के पिछले पांच साल के सशक्त कार्यकाल, विकासमूलक योजनाओं एवं उनकी सकारात्मक सोच पर जनता का विश्वास का प्रतीक है। एनडीए एवं भाजपा को मिली ऐतिहासिक जीत का श्रेय श्री मोदी को ही जाता है। लगभग 350 सीटों की जीत के साथ आगे बढ़ते हुए देश में एक स्थिर और मजबूत सरकार बनने जा रही है। जिससे भारत की एक नई तस्वीर उभरेगी। विकास के नये रास्ते खुलेंगे एवं सीमाआंे पर सुरक्षा एवं शांति का वातावरण बनेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शानदार जीत के परिणामों को देखते हुए कहा कि यह ‘सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास यही विजयी भारत का संकल्प है। हम साथ बढ़ते हैं। हम साथ तरक्की करते हैं। हम साथ मिलकर एक मजबूत और समावेशी भारत बनाएंगे। एक बार फिर भारत की जीत हुई! विजयी भारत! निश्चित ही मोदी के इन विचारों में नये भारत को निर्मित करने का संकल्प व्यक्त हो रहा है। सचाई है कि यह जीत एक व्यक्ति की नहीं बल्कि राष्ट्रीयता की जीत है जिसने समूचे देश को एक सुकून प्रदत्त किया है। एक नये भारत के अभ्युदय के संकल्प के साथ यह जीत एक रोशनी बनकर प्रस्तुत हो रही है।

श्री मोदी का व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व समूचे देश का प्रतिनिधित्व कर रहा है। उनका पिछला प्रधानमंत्री का कार्यकाल सबके सामने है। उसकी उपलब्धियां उनकी जीत का कारण बनी हैं। वे एक संकल्प के साथ आगे बढ़े, लक्ष्य बनाकर चुनाव अभियान को निर्णायक मोड़ दिए। वे न रूके, न थके, न डिगे हैं। विषम एवं विपरीत परिस्थितियां भी उन्हें विचलित नहीं कर सकी। वे इन अंधेरों के बीच भी सदैव कुछ नया करने, नया सोचने और नये तरीके से काम को अंजाम देने में तत्पर दिखाई दिए। ऐसा उन्होंने सदैव किया और अब एक नई पारी के प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल निश्चित ही भारत को विश्वगुरु बनाने, एक महाशक्ति के रूप में भारत को प्रस्तुत करने, भारत की जनता की समस्याओं को दूर करने एवं विकास के नये कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में अग्रसर होता हुआ दिख रहा है। उन्होंने सदैव एकदम नये भारत की बात कही, संस्कृति को संपुष्ट करने वाले एक स्वस्थ, स्वच्छ, समृद्ध और सुरक्षित भारत की निर्माण की भारत कही। इसलिए उनकी बातों में जनता ने विश्वास किया और दुनिया ने भी स्वीकारा है।

इन चुनावों में मोदी को बहुत सुना, मोदी को सुनने का काम पहले ही बहुत हुआ। वे जुबान से नहीं बोलते, दिल से बोलते हैं। जो कहते हैं वही सोचते हैं और जो सोचते हैं वही उनका संकल्प होता है। उनकी कथनी और करनी में समानता के दर्शन होते हैं और ऐसे ही लोग इतिहास बनाते हैं। उन्होंने इन चुनावों में शानदार जीत का एक इतिहास बनाया है। इसलिए वे एक विलक्षण व्यक्तित्व के धनी हैं। उनके नेतृत्व में भारत को हम उस परम वैभव की ओर लौटते हुए देख रहे हैं, जो अतीत में रहा है लेकिन बीच के दौर में उसका निरंतर हृास हुआ है। भारत अब खंडित न हो, इसी संकल्प के साथ उनके नये शासन का शुभारंभ निश्चिंतता का नया आश्वासन है।

नई गठित होने वाली सरकार और प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी की चर्चा मैं करूं तो जो चित्र उभरकर सामने आता है उसमें मोदीजी का व्यक्तित्व एक अलग ही अंदाज में उभरता हुआ दिखाई दे रहा है। वे भारत को सुदृढ़ बनाने के साथ सुरक्षित करेंगे। आमजनता की तकलीफों को दूर करने के साथ-साथ उनकी जीवनशैली को उन्नत बनायेंगे। विदेशों में भारत की छवि को मजबूत करेंगे। भ्रष्टाचार मुक्त शासन देना उनकी वचनबद्धता होगी। जिस पर उन्होंने काफी नियंत्रण स्थापित किया है लेकिन यह इतना बड़ा काम है कि देश की आधी से ज्यादा समस्याओं की जड़ यही है। महंगाई और बेरोजगारी जैसी विकराल समस्या की जड़ में भी तो भ्रष्टाचार ही है। यह भ्रष्टाचार राष्ट्र को दीमक की तरह चाट रहा है, घुन की तरह खोखला कर रहा है। इससे मुक्ति ही सबसे बड़ी चुनौती है।

नरेन्द्र मोदी हमंे अनेक मोड़ों पर नैतिकता का संदेश देते हुए भी दिखाई दिये कि घाल-मेल से अलग रहकर भी जीवन जिया जा सकता है। निडरता से, शुद्धता से, स्वाभिमान से। यह मोदी के दर्शन की विशेषता है कि वहां बहुत खुलापन, बहुत मौलिकता और बहुत सूक्ष्मता है। उनका दर्शन वैज्ञानिकता की कसौटी पर भी खरा उतरता है तो राष्ट्रीयता तो उसकी आधारभित्ति है ही। जीवन के श्रेष्ठ मूल्यों को जीना साधारण मनुष्य के लिए मुश्किल है, परंतु उन श्रेष्ठ मूल्यों को समझें तो सही। हृदय परिवर्तन और दृष्टि परिवर्तन को उन्होंने महत्व दिया है। बहुत बार उन्होंने आज की राजनीति में भी उन मूल्यों की स्थापना की है, जिन्हें स्वस्थ कहा जा सकता है। उनको लेकर समय के साथ लोगों की सोच बदली है, अपेक्षाएं बदली है, विकास की नई अवधारणाएं बनी हैं। कई पुरानी मान्यताएं, शैलियां पृष्ठभूमि मंेे चली गई हैं। जिनकी कभी तूती बोलती थी, वे खामोश हो गये हैं। लेकिन अब जो सामने है उसमें संभावनाओं के ही दर्शन हो रहे हैं।

नरेन्द्र मोदी की धाक और साख देश और दुनिया में पहले से ही है लेकिन जिस प्रचंड बहुमत के साथ उन्होंने जीत को हासिल किया है उसके बाद पूरी दुनिया मोदीमय होती दिखाई देगी। आशा की जा रही है कि नयी गठित होने वाली सरकार विश्वास से भरी होगी, वह कुछ नयी संभावनाओं के द्वार खोलेगी, देश-समाज की तमाम समस्याओं के समाधान का रास्ता तलाशेगी, सुरसा की तरह मुंह फैलाती गरीबी, अशिक्षा, अस्वास्थ्य, बेरोजगारी और अपराधों पर अंकुश लगाने की दिशा में सार्थक प्रयत्न करेंगी, नोटबंदी, जीएसटी आदि मुद्दों से आम आदमी, आम कारोबारी को हुई परेशानी को कम किया जायेगा। व्यापार, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, ग्रामीण जीवन एवं किसानों की खराब स्थिति को सुधारते हुए हर व्यक्ति के जीवन में खुशहाली लाने का प्रयत्न होगा। नरेन्द्र मोदी की संवेदनाओं एवं स्पष्ट सरकारी योजनाओं में निश्चित ही नया भारत बनेगा और वह दुनिया पर शासन करेंगा।

श्री नरेन्द्र मोदी ने एकसाथ अनेक मोर्चों पर काम करने में सिद्धहस्त हैं। एक तरह जहां सीमा से लगे सभी देशों से संबंध में सम्मान और विश्वास की शुरुआत होगी वहीं सीमा पर घुसपैठ रोकने पर सख्त कदम उठाए जायेंगे। गोली का जवाब गोली से, और बोली का जवाब बोली से। एक जमाना था जब सीमा पर से लोग आकर भारतीय सैनिकों के सिर काटकर ले जाते थे। इन घटनाओं से जहां भारतीयों का मनोबल गिरा था वहीं पूरी दुनिया में भारत की साख को भी बट्टा लगा लेकिन नरेंद्र मोदी ने सेना को फ्री हैंड दिया नतीजा यह हुआ कि सीमा पर घुसपैसठ करने वालों में कमी आई और जान का ज्यादा नुकसान भारतीय सैनिकों का नहीं बल्कि घुसपैठियों का होने लगा इससे घुसपैठ में कमी आई है।

अब जो देश की तस्वीर बन रही है उसमें मानवीय एकता, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, मैत्री, शोषणविहीन सामाजिकता, अंतर्राष्ट्रीय नैतिक मूल्यों की स्थापना, सार्वदेशिका निःशस्त्रीकरण का समर्थन आदि तत्त्व को प्राथमिकता मिलेगी, जो कि जनतंत्र की स्वस्थता के मुख्य आधार हैं। नया भारत को निर्मित करते हुए मोदी एवं उनकी सरकार को इन तत्त्वों को जन-जन के जीवन में स्थापित करने के लिये संकल्पित होना होगा। इसके लिये केवल राजनीतिक ही नहीं बल्कि गैर-राजनीतिक प्रयास की अपेक्षा है। इस दृष्टि से नरेन्द्र मोदी सरकार राजनीतिक शक्तियों की बजाय गैर-राजनैतिक शक्तियों को बल दें, यह अपेक्षित है। उनके विकास का संदेश होगा कि सबका विकास हो, सबका साथ हो। प्रथम से लेकर अंतिम तक का। इसे ही गांधी और विनोबा ‘सर्वोदय’ और इसे ही महावीर ने -‘परस्परोपग्रहो’ कहा।
प्रेषकः

(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट
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