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बक्स्वाहा के ‘वनसंहार’ को रोकने हेतु माननीय मुख्य मन्त्री को खुला पत्र

श्री शिवराज सिंह चौहान
माननीय मुख्यमंत्री
मध्यप्रदेश शासन

आप कोरोना के इस भीषण दौर में अनेक तनावों और परेशानियों से गुज़र रहे हैं। लेकिन एक शुभ संकेत यह भी है कि मध्यप्रदेश आपके नेतृत्व में अब इस महामारी से अच्छे से लड़ रहा है और उबर भी रहा है। यह वाकई आपके संवेदनशील फैसलों और उसके लिए किए गए आपके, प्रशासन व आम जनता के प्रयासों का ही परिणाम है। ऑक्सीजन की कमी और उसके निराकरण के समय दिया आपका बयान,आपके संवेदनशील होने और इस समस्या से निजात के लिए किए जा रहे आपके अथक प्रयास का परिचायक था।

माननीय मामा जी,इस खुले पत्र से हम आपका ध्यान छतरपुर जिले की चर्चित हीरा खदान और उसके खनन के लिए काटे जाने वाले पेड़ों पर ले जाना चाहते हैं। प्रमुख समाचार पत्रों व व्यक्तिगत संपर्कों से जो जानकारी मिली है वह न सिर्फ खतरे की घण्टी है बल्कि भयावह व दुखद भी है। जानकारी के अनुसार 62 हेक्टर में हीरे के खनन हेतु करीब 382 हेक्टेयर का बकस्वाहा का जंगल एक निजी कंपनी को दिया जा रहा है। वहाँ हीरे के खनन के लिए करीब 2 लाख से अधिक पेड़ काटे जाएंगे।

महोदय यह कहाँ का न्याय है ? एक ओर आप स्वयं प्रतिदिन 1 पौधा लगा रहे हैं,आम जन को प्रेरित कर रहे हैं। आपकी सरकार हरियाली महोत्सव के अंतर्गत पौधे लगाने का अभियान चलाती है और उन्हें बचाने के नित नए जतन करती है, वहीं दूसरी तरफ पेड़ों की ऐसी अंधाधुंध कटाई ?
यह न सिर्फ आपके स्वयं के सिद्धांतों के साथ अन्याय है बल्कि ईश्वर प्रदत्त प्रकृति के साथ भी घिनौना खिलवाड़ है।
मुख्यमंत्री जी,कोरोना के इस दौर ने प्रकृति ने एक बार हमें झकझोरा है, आवश्यकता और लालच में अंतर बताया है। हमने देखा है कि ऑक्सिजन की कमी से कैसे लोग मरे हैं या मरने की कगार तक पहुंच गए। महोदय, इस दौर में आप किसी से भी पूछ लें उसे ऑक्सिजन चाहिए या हीरे, तो उसका स्पष्ट और स्वाभाविक जवाब होगा ऑक्सिजन। यह शुद्ध हवा जो अब बड़े शहरों में नहीं मिल रही, कम से कम जहाँ है वहाँ बचे रहने दें। यह आपकी तरफ से आम जन को सबसे बड़ी भेंट और राहत होगी जिसे आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी।

फिर इतनी संख्या में एक साथ पेड़ होना अपने आप में प्रकृति का अनूठा रूप है, उसका असर उन पेड़ों में रहने वाले जीवों से लेकर जलवायु तक पड़ता है। हो सकता है आप इससे दोगुने पेड़ लगा दें, लेकिन उन्हें इस स्वरूप में आने में कितना समय लग जायेगा और इस बीच जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ न जाने कितनी पर्यावरण संबंधित समस्याएं उतपन्न हो जाएंगी,इस विषय पर ज़रूर विचार करना चाहिये।

इस तरह पेड़ों की कटाई न सिर्फ मौसम को गर्म करेगी बल्कि मिट्टी का कटाव, बारिश की कमी जैसी अनेक समस्याओं को जन्म देगी।

इसलिए इस निर्णय को तुरंत निरस्त करना अति आवश्यक है। हमें पूरा विश्वास है कि शायद आपको वहाँ होने वाले इस ‘वनसंहार’ की जानकारी नहीं रही होगी, तभी ऐसा कोई निर्णय हुआ है। वहाँ की वस्तुस्थिति की जानकारी होने के बाद आप अपने राज्य में ऐसा भीषण ‘वनसंहार’ नहीं होने देंगे।
अभी कल ही स्वर्गीय अनिल माधव दवे जी की पुण्यतिथि पर भी आपने पर्यावरण संरक्षण व सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में पौधारोपण के संकल्प को दोहराया है, आपने कहा है कि हरा भरा मध्यप्रदेश अनिल माधव दवे जी को सच्ची श्रद्धांजलि है।

हमारा विश्वास है कि शिवराज सिंह चौहान संकल्प और सिद्धांतों के प्रति दृढ़ रहने वाले जन नायक का नाम है। इसलिए महोदय अब आपसे ऐसी ही अपेक्षा है और यह सिर्फ आपके जैसे संवेदनशील और प्रकृति प्रेमी शासक से ही की जा सकती है।

वैसे भी यह कोई गणित नहीं कि कुछ जगह से पेड़ काटे जाएं और उनकी खाना पूर्ति के लिए कहीं और लगा दिए जाएं। कहीं और लगें,वह तो सर्वोत्तम है ही लेकिन जो हैं वे बचे रहें,यह भी उतना ही ज़रूरी है। फिर इस रूप और घनत्व में हों तो उनका संरक्षण नितांत अनिवार्य हो जाता है।

हमें पूर्ण विश्वास है कि आप त्वरित कार्यवाही करते हुए छतरपुर में होने वाले इस संहारक खनन को रोकने व बकस्वाहा के जंगल को स्वाहा होने से बचाने के स्थायी आदेश देंगे।

धरा पाण्डेय
निखिल दवे
19 मई 2021

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