1

ओआईसी में भारत के शामिल होने से पाकिस्तान की फजीहत

अबु धाबी। भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अबु धाबी में होने वाले इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने दुबई पहुंच चुकी हैं। उन्हें 1-2 मार्च को होने वाले सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर विशिष्ट अतिथि (गेस्ट ऑफ ऑनर) बुलाया गया गया है। इस बात को लेकर पाकिस्तान तिलमिला गया है और उसने बैठक के बहिष्कार की धमकी दी है।

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का गठन 1969 में किया गया था और पाकिस्तान इसका संस्थापक सदस्य देश है। इस संगठन में 57 सदस्य हैं, जिसमें 40 मुस्लिम बाहुल्य देश हैं। इस लिहाज से संयुक्त राष्ट्र के बाद यह दूसरा बड़ा अंतर सरकारी संगठन है। इस मंच पर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बुलाया जाना इसलिए भी अहम है क्योंकि 50 साल बाद भारत को न्योता दिया है।

भारत के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को पहली समिट में शामिल होने के लिए सऊदी अरब के सुझाव के बाद बुलाया गया था। मगर, पाकिस्तान के विरोध के बाद न्योते को खारिज कर दिया गया था और भारत का प्रतिनिधिमंडल बीच रास्ते से भारत लौट आया था। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश होने के बावजूद भारत इस संगठन का न तो सदस्य है और न ही पर्यवेक्षक देश है। वहीं, रूस और थाईलैंड जैसे देश जहां मुस्लिमों की आबादी काफी कम है वे ओआईसी के पर्यवेक्षक देश हैं।

भारत ऐसे समय में इस बैठक में शामिल होने जा रहा है, जब पुलवामा में आतंकी हमले और इसकी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम स्तर पर है। भारत को ओआईसी का न्योता दिए जाने का पाकिस्तान ने कड़ा विरोध किया है। यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है और इसलिए पाकिस्तान ने सम्मेलन के बॉयकॉट की धमकी दी है।

हालांकि, भारत ने कहा है कि संगठन की ओर से दिया गया न्योता भारत में 18.5 करोड़ मुस्लिमों की उपस्थिति और इस्लामी दुनिया में भारत के योगदान को मान्यता देता है। भारत को यह न्योता दिया जाना देश की कूटनीतिक विजय है। दरअसल, पाकिस्तान इस मंच का दुरुपयोग कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का मामला उठाकर भारत को बदनाम करने के लिए करता रहा है। इसके साथ ही इस संगठन में भारत के प्रवेश का पाकिस्तान लगातार विरोध करता रहा है।

मगर, पिछले कुछ वर्षों में पश्चिमी एशिया और खासतौर पर यूएई के साथ भारत के प्रगाढ़ होते संबंधों की वजह से भारत को इस मंच पर आने का न्योता दिया गया है। कतर ने साल 2002 में पहली बार इस मंच में भारत को पर्यवेक्षक देश का दर्जा देने की बात कही थी। पिछले साल तुर्की और बांग्लादेश ने भी भारत को संगठन में शामिल करने के लिए कहा था। अधिकांश ओआईसी सदस्य देशों के साथ भारत के व्यक्तिगत रूप से सौहार्दपूर्ण संबंध हैं।

ओआईसी की बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रण यूएई जारी करता है। वहां भारतीयों की आबादी करीब एक तिहाई है और यूएई ने भारत के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया है। इसने भारत के अनुरोध पर अगस्ता वेस्टलैंड मामले में शामिल राजीव सक्सेना और क्रिश्चियन मिशेल जैसे धोखेबाजों को भारत के हवाले करके भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में मदद की है।