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पाँच सदी बाद राम अवध आए (हरिगीतिका छंद)

डॉ मंजु गुप्ता

बेदर्द बाबर ने किया था, जुल्म भारत पर बड़ा।
मंदिर अयोध्या का उजाड़ा, हाथ में ले असि खड़ा।।
लाखों जनों को काट डाला, सिर कहीं जाकर गिरा।
सरयू लहू से लाल जल का, हो गया था वह सिरफिरा।

आतंक की लंकापुरी में, फिर कृपा कर दीजिए।
लंकेश मृग बन घूमते हैं, बुद्धि उनको दीजिए।।
कर नाश भू पे पापियों का, जन्म प्रभु फिर लीजिए।
विश्वास, श्रद्धा भावना की, आप सुर सुन लीजिए।।

आए अयोध्या भूमि पर, लौट के श्री राम जी।
आस्था कतारों में लगी है,भक्ति के प्रभु धाम जी।।
आश्चर्य की मंजुल घड़ी यह, पाँच अगसत शुभ खास जी।
निर्माण मंदिर का शुरू फिर, होय त्रेता का वास जी।।

संकल्प है पूरा हुआ अब, संकटों का तम छटा।
हरि नाम का बल,शक्ति देखो, विघ्न का रोड़ा हटा।।
सरयू नदी की गोद में है, लौट आए नाथ जी।
दीपक जलाए, चोक पूजें, पूजते रधुनाथ जी।।

गूँजी दिशा में शंख सुर शुभ, होय प्रभु का गान है।
धारा नदी की पग ईश के छू ,लेय हरि वरदान है।।
अन्याय, शोषण, अधर्म का फिर, खत्म होगा राज जी।
होगा जमी पे राम-सा फिर,न्याय, जन के काज जी।।

संसार की नैय्या सँभाले, कामना पूरी करे।
सच ज्योत मन में जलाके, जग उजाला प्रभु भरे।।
शापित शिला को मुक्त करके, मोक्ष का रास्ता दिया।
थे बेर शबरी खाय प्रभुवर, प्यार से उर भर लिया।।

तारीख बाइस जनवरी की, आ गयी मंगल घड़ी।
प्रभु मूर्ति में हैं प्राण स्थापन, की मुहूरत शुभ बड़ी।।
नभ में रहे रवि-चाँद जब तक, राम मंदिर है रहे।
त्रेता रहेगा देश भारत, स्वर्ग इसको जग कहे।।