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370 हटने के बाद कुपवाड़ा में पहली बार पीओजेके की एक महिला लड़ रही है चुनाव

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद पहली बार पश्चिमी पाकिस्तान से आये शरणार्थी, वाल्मिकी और गुरखा आदि समुदाय के लोगों को वोट डालने और चुनाव लड़ने का अधिकार मिला है। पहले इन समुदाय के लोगों के पास सिर्फ संसदीय चुनाव में मतदान का अधिकार था। अनुच्छेद 370 निरस्त होने के पहले तक ये सभी समुदाय के लोग जम्मू-कश्मीर में विधानसभा, पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में मतदान से वंचित रहते थे। लेकिन अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद ये सभी लोग वोट भी डाल सकते हैं और चुनाव भी लड़ सकते हैं।

कुपवाड़ा जिले के जिला विकास परिषद चुनाव में पीओजेके निवासी एक महिला भी सुर्खियों में है। दरअसल पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर के मुजफ्फराबाद की रहने वाली सुमिया सदफ इस बार कुपवाड़ा जिले के द्रगमुला इलाके से डीडीसी चुनाव लड़ रही हैं। सुमिया सदफ ने करीब 10 साल पहले कुपवाड़ा जिले के एक स्थानीय आतंकी से शादी की थी। जिसके बाद दोनों आतंकी ट्रेनिंग के लिए सीमा पार करके पाकिस्तान पहुंच गये थे। लेकिन फिर उग्रवादी पुनर्वास नीति के तहत नेपाल का रास्ता अपनाते हुये घाटी में वापस लौट आये। फिलहाल सुमिया सरकार की तरफ से चलाई जा रही एसआरएलएम स्कीम में काम कर रही हैं, लेकिन अब अनुच्छेद 370 हटने के बाद उन्हें बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में खड़े होने का हक मिला है, जिसके बाद उसने चुनाव में उतरने का फैसला किया है। क्षेत्र के चुनाव अफसर ने बताया कि द्रगमूला सीट से 12 उम्मीदवार खड़े हैं, जिसमें सुमिया चुनाव लड़ने वाली इकलौती पीओजेके की महिला है।