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चीन समस्या का समाधान हो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक महीने बाद ही चीन की राजधानी बीजिंग में होने जा रहे ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं । कहा जा रहा है कि इससे पहले उन्होंने वरिष्ठ नौकरशाहों और सेना के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे चीन को लेकर बयानों में नरमी बरतें । इस मौके पर यह बिल्कुल सही रणनीति है।

हालांकि चीन का सरकारी मीडिया डोकलाम विवाद पर भारत के खिलाफ काफी आक्रामक रहा है । वहीं इस बीच ऐसी कई रिपोर्टें जारी हुई हैं जो बताती हैं कि भारत में चीन के कारोबारी हित लगातार बढ़ रहे हैं । टेलिकॉम से लेकर ऑटोमोबाइल, ई-कॉमर्स और निर्माण क्षेत्र तक में भारत का बाजार तेजी से बढ़ रहा है । यहां चीन की कंपनियों के लिए काफी मौके हैं तो वहीं भारतीय बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए उनकी तैयारी में भी कोई कमी नहीं है । कुल मिलाकर इस समय चीन के सरकारी मीडिया का एक तबका भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया पाले हुए है, लेकिन दूसरी तरफ कारोबारी और निवेशक भारतीय बाजार में पैठ बनाने के लिए उत्सुक हैं । इस तरह से देखा जाए तो भारत-चीन संबंधों के इन दोनों पक्षों के बीच से ही रास्ता निकलना है । ऐसे में भारत के लिए भी जरूरी है कि वह डोकलाम विवाद को भारत-चीन संबंधों के विस्तार के लिहाज से एक छोटा सा हिस्सा माने और दोनों देशों के बढ़ते संबंधों के बीच इसे रुकावट न बनने दे । हालांकि इसके साथ यह शर्त जुड़ी हुई है कि चीन भी ऐसा ही करे और तनाव बढ़ाने की कोशिश न करे।

अशोक भाटिया, वसंत नगरी,वसई पूर्व ( जिला पालघर-401208) फोन 9221232130