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प्रेमचंद का साहित्य सर्वकालिक और सर्व युगीन प्रासंगिक

कोटा। राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय, कोटा मे दिनांक 31 जुलाई 2021 को आधुनिक हिंदी साहित्य जगत के ख्यातनाम उपन्यासकार , विश्व प्रसिद्ध कथाशिल्पी मुंशी प्रेमचन्द की जयंती पर राष्ट्रीय वर्चुअल सम्मेलन आयोजन किया गया । सम्मेलन की थीम – “अभाव का प्रभाव : वर्तमान युग में प्रेमचंद का कथा शिल्प की प्रासंगिकता -शोधार्थियों एवं अध्येताओं की नजर से ” रखी गई।

बैंक ऑफ बडौदा अंचल कार्यालय जयपुर राजस्थान एवं मुख्य वक्ता रविन्द्र यादव ने कहा कि – उपन्यास सम्राट प्रेमचंद, ग्रामीण परिवेश, गांव के दृश्य और गरीब किसान के दर्द को अपनी लेखनी से सर्वकालिक और सर्व युगीन प्रासंगिक बनाया । रायपुर छत्तीसगढ राजभाषा भारतीय स्टेट बैंक अंचल कार्यालय के मुख्य प्रबंधक एवं रजनीश यादव ने कहा कि सोजे वतन” के प्रेमचंद वतन के सोज और साज को अपनी आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद से सभी के सामने रेखांकित करने वाले है, और हर युग मे पूजनीय है।

कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. अनिता गंगराडे ने कहा कि प्रेमचंद नाम उनके द्वारा अपनाया गया छदम नाम था इसकी वजह थी उनकी पहली कृति “ सोजें वतन” जो कि ब्रिटीश काल मे उनके वास्तविक नाम धनपत राय के नाम से प्रकाशित हुई जिसे ब्रिटीश सरकार द्वारा जब्त करने एवं जला दियें जाने के बाद लेखन पर पाबंदी लगा दी गयी थी लेकिन गोरों की सरकार में नोकरी की सलामती के साथ अपनी लेखनी को अनवरत आमजनों तक पहुंचाने के लियें उन्होने प्रेमचन्द के छदम नाम से लेखन प्रारम्भ किया ।

कार्यक्रम के सूत्रधार डॉ दीपक कुमार श्रीवास्‍तव ने अतिथि परिचय करवाते हुये कहा कि- मुंशी प्रेमचंद की कहानी दिल से निकली और दिल को छूने वाली है, जो हर पाठ्यक्रम में, हर सिलेबस में, यहां तक कि शोध परक पाठ्यक्रमों में भी स्थान देने योग्य है। मध्यप्रदेश जोरा के जवाहर नवोदय विधालय की व्याख्याता (हिंदी) एवं विशिष्ठ अतिथि निशा गुप्ता ने कहा कि हमें प्रेमचंद जी द्वारा स्‍थापित यथार्थवाद के सामाजिक नैतिक मूल्‍यों को प्रासंगिक बनाना।

कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम संयोजिका शशि जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम का तकनीकी संचालन स्थानीय पुस्तकालय के अजय सक्सेना एवं नवनीत शर्मा ने किया ।