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रेल मंत्री श्री प्रभु की पहलः अब यात्रियों के सुझाव से बनेगा रेल बजट

ट्विटर पर गुहार के जरिये यात्रियों की मदद करने वाला भारतीय रेल मंत्रालय अब अपने वार्षिक बजट बनाने में भी आम जनता के ज्यादा से ज्यादा सुझाव को शामिल करने की दिशा में आगे बढ़ गया है। उसने अगले रेल बजट के लिए लोगों से सुझाव मांगा है। यदि आप रेल सेवा में कोई बदलाव चाहते हैं या फिर रेल के बुनियादी ढांचे, परिचालन आदि को लेकर आपके पास कोई सुझाव है तो इसे मंत्रालय तक पहुंचा सकते हैं। संभव है कि आपकी मांग व सुझाव पर अमल हो जाए। इसके लिए आपके पास 15 जनवरी तक का समय है।

कोई भी व्यक्ति भारतीय रेल की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन सुझाव दे सकता है। इसके साथ ही डाक से भी सुझाव भेजने का विकल्प है। इसके लिए वेबसाइट से सुझाव फॉर्म डाउनलोड करना होगा। फॉर्म भरने के बाद रेलवे बोर्ड को पोस्ट करना होगा। लोगों से ट्रेन परिचालन, फुट ओवरब्रिज, रेल लाइन के विद्युतीकरण, रेल लाइन के दोहरीकरण, कंप्यूटराइजेशन सहित कुल 15 बिंदुओं पर सुझाव मागे गए हैं। इसके बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु और रेलवे अधिकारी इन सुझावों का अध्ययन कर इनको तामील करने पर फैसला लेंगे।

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि रेल बजट को ज्यादा व्यवहारिक बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है ताकि यात्रियों को इसका लाभ मिल सके। लोगों की राय जाने बगैर बजट में कई ऐसी घोषणाएं कर दी जाती थी, जिसका आम यात्री को बहुत लाभ नहीं मिलता था। सुरेश प्रभु ने अपने पहले रेल बजट में भी सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के सुझाव मांगे थे लेकिन दायरा काफी सीमित था। इस बार ज्यादा सुझाव मिलने की उम्मीद है।

इससे पहले भी सफर के दौरान यात्रियों को ट्रेन में मिलने वाले बिस्तर को लेकर रेलवे ने ऑनलाइन सर्वे कराया था। इसमें मिले सुझाव के आधार पर बिस्तर में बदलाव किया जा रहा है। इसी कड़ी में स्लीपर क्लास में यात्रा करने वाले यात्रियों को भी बिस्तर उपलब्ध कराने की योजना शुरू की जा रही है। भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) के माध्यम से यात्रियों को बिस्तर मिलेगा। इसके लिए यात्रियों को शुल्क चुकाना होगा और बिस्तर साथ ले जा सकेंगे। इसी तरह से इस वर्ष गर्मी के मौसम में यात्री पखवाड़ा मनाया गया था, जिसमें यात्री सुविधाओं को लेकर यात्रियों से सुझाव लिए गए थे। खानपान व सफाई को लेकर यात्रियों को फोन कर भी सुझाव लेने का अभियान चलाया गया था जिसके आधार पर कई बदलाव भी हुए हैं।

साभार-http://www.jansatta.com/ से