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राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिले

कोटा । राजस्थानी भाषा विश्व की समृद्धतम भाषाओं में एक है। इसका गौरवशाली इतिहास एवं विशाल साहित्य भंडार है। देश की आजादी से लेकर अब तक राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता के लिए लगातार आंदोलन चल रहा मगर प्रदेश का दुर्भाग्य है की आजादी के पच्चहत्तर वर्ष बाद भी हमारी मातृभाषा राजस्थानी संवैधानिक मान्यता नहीं मिली जबकी वो संवैधानिक मान्यता की हकदार है । यह विचार साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत ख्यातनाम रचनाकार एवं मुख्य अतिथि अंम्बिकादत्त ने 29 वें गौरीशंकर कमलेश भाषा-साहित्य पुरस्कार अर्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कही। समारोह का आयोज रविवार को ज्ञान भारती में आयोजित किया गया।

समारोह में राजस्थानी भाषा के ख्यातनाम कवि-आलोचक डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित को उनकी आलोचना कृति ‘ राजस्थानी साहित्य री सौरम ‘ के लिए 29 वां गौरीशंकर कमलेश राजस्थानी भाषा-साहित्य पुरस्कार के तहत इग्यारे हजार रुपए, शाॅल,श्रीफल प्रदान कर अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर डाॅ.राजपुरोहित ने कहा कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता के लिए 25 अगस्त 2003 को राजस्थान विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर भेजा गया मगर प्रदेश के राजनेताओं की उदासीनता की वजह से हमारी मातृभाषा को अभी तक संवैधानिक मान्यता नहीं मिल सकी। उन्होनें कहा कि वर्तमान में राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता प्रधानमंत्री की इच्छाशक्ति पर निर्भर है।

अध् क्षीय उद्बोधन में जनसंपर्क कर्मी, लेखक एवं पत्रकार डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ने कहा कि हाड़ौती श्रेत्र में गौरीशंकर कमलेश तथा कमला कमलेश ने जो साहित्यिक कार्य किये है वो अपने आप में ऐतिहासिक एवं अनूठे है। विशिष्ठ अट्ठिती डीएफओ तरूण मेहर ने प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा का महत्व उजागर करते हुए आज के युवाओं से साहित्य सृजन करने का आह्वान किया।

समारोह समन्वयक रचनाकार जितेन्द्र कुमार निर्मोही ने हाड़ौती साहित्य परंपरा का परिचय देते हुए गौरीशंकर कमलेश तथा कमला कमलेश की साहित्य साधना उजागर करते हुए उन्हें महाकवि सूर्यमल्ल मीसण की साहित्य परंपरा के सच्चे और समर्पित सृजनहार बताया और संस्था की गतिविधियों की जानकारी दी।

राजस्थानी कथाकार श्रीमती संतोष चौधरी को प्रथम कमला कमलेश राजस्थानी महिला पुरस्कार के तहत पांच हजार रुपए, शाॅल एवं श्रीफल भेंट कर अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। हाड़ौती क्षेत्र की रचनाकार श्रीमती रेखा पंचोली को संस्थान की अध्यक्ष वीणा शर्मा द्वारा सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती, गौरीशंकर कमलेश तथा कमला कमलेश के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया। कवि सुरेश पंडित ने मां सरस्वती की सुरमय वंदना की । जितेन्द्र कुमार निर्मोही ने स्वागत उद्बोधन दिया। समारोह में विजय जोशी, दिलीपसिंह हरप्रीत तथा वीणा शर्मा ने पुरस्कृत होने वाले रचनाकारों का परिचय प्रस्तुत किया। संचालन राजस्थानी रचनाकार नहुष व्यास ने किया ।

कार्यक्रम में विश्वामित्र दाधीच, मुकुट मणिराज, सुरेश पण्डित, रामकरण प्रभाती, बद्री लाल दिव्य, हलीम आयना, चौथ प्रजापति, प्रो के बी भारतीय, दिलीप सिंह हरप्रीत, परमानन्द दाधीच, सू श्री अभिलाषा थोलम्बिया,श्रीमती मन्जु रश्मि, राजेन्द्र पंवार, किशन वर्मा, श्रीमती श्यामा शर्मा, आर सी आदित्य, रामनारायण हलधर, घांसीलाल पंकज, योगेश यर्थाथ, द्रौण शर्मा, राजकुमार शर्मा, श्रीमती वीणा शर्मा,अन्ता से चेतन मालव, दिनेश मालव, विष्णु विश्वास, ओम सोनी,नहुष व्यास, डॉ प्रभात जी, डी एफ ओ साहब, सुरेन्द्र जी शर्मा,चांद शैरी, सत्येन्द्र शर्मा, बृजेन्द्र पुखराज, योगी राज योगी,बाबु बंजारा, रामस्वरूप मूंदड़ा, महावीर सेन सहित अनेक साहित्यकार तथा भाषा प्रेमी उपस्थित थे।