संघ की जीती-जागती प्रतिमा थे राजकुमार जैन

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं मध्य भारत प्रांत के प्रचारक प्रमुख डॉ. राजकुमार जैन के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सह-सरकार्यवाह श्री रामदत्त चक्रधर ने कहा कि राजकुमार जी जीवन के आखिरी क्षण तक इस बात की चिंता करते रहे कि संघकार्य बढऩा चाहिए। उनका व्यक्तित्व हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी एक विशेषता थी कि वे कुछ न कुछ नया सीखते रहते थे।

सह-सरकार्यवाह श्री रामदत्त जी ने कहा कि राजकुमार जी अत्यंत संवेदनशील स्वभाव के थे। वे कार्यकर्ताओं को बहुत कुशलता से गढ़ते थे। वहीं, मध्यक्षेत्र के सह-क्षेत्र कार्यवाह श्री हेमंत मुक्तिबोध ने कहा कि उनका संपूर्ण जीवन संघकार्य के लिए समर्पित रहा है। वे सही मायने में संघ की जीती-जागती प्रतिमा थे। उनके जीवन को देखकर संघ को और उसके विचार को समझा जा सकता है। मध्यक्षेत्र के बौद्धिक प्रमुख श्री विलास गोले ने कहा कि राजकुमार जी अपने साथ हमेशा एक डायरी रखते थे और उन्हें जहाँ भी कुछ नया मिलता, उसे उसमें लिख लेते थे। उनका व्यक्तित्व अभिमान से रहित था। श्री गोले ने कहा कि अकसर वे एक संदेश भेजा करते थे- “ईश्वर ने अपने को छिपाकर हमें प्रकट किया है। अब हमारा दायित्व बनता है कि हम स्वयं को छिपाकर ईश्वर को प्रकट करें”। उनके इस संदेश के गहरे भाव हैं।

स्वर्गीय राजकुमार जैन के साथ बिताए अपने समय को याद करते हुए भोपाल विभाग के सह-विभाग संघचालक श्री राधेश्याम मालवीय ने कहा कि स्वयंसेवकों के साथ उनके गहरे, आत्मीय और पारिवारिक संबंध थे। कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए अच्छे कार्यों पर वे उनका उत्साहवर्धन करते थे। वनवासी कल्याण आश्रम की कार्यकर्ता श्रीमती सुशीला तोलानी ने कहा कि हमने उनके माध्यम से ही संघ के दर्शन किए, संघकार्य को समझा। श्रद्धांजलि सभा में सिख संगत के पदाधिकारी श्री बिहारीलाल लोकवानी, लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय सह-मंत्री श्री सुधीर दाते और राजकुमार जी के भतीजे श्री शुभम जैन सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने उनको स्मरण करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।


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