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पूरे चमन के एहसान का एहसास

आपने उस छोटी चिड़िया की कहानी तो सुनी ही होगी, जो खुद को बदसूरत मानते-मानते इस कदर आत्मविश्वासहीन हो गयी कि अपनी बोली भी भूल गयी। एक दिन अचानक उसने साफ जल में खुद को देखा, तो महसूस किया कि वह अब छोटी चिड़िया नहीं, बल्कि एक खूबसूरत हंस हो चुकी है। खुद को पहचान कर वह इतनी खुश हुई कि उसके मुँह से उसकी स्वाभाविक बोली निकल पड़ी। और वह सिंह-शावक, जो परिस्थितिवश भेड़ों के बीच पला-बढ़ा और खुद को भेड़ का मेमना ही समझने लगा, उन्हीं की तरह व्यवहार करने लगा ! एक शेर ने जब उसे जबरन पकड़कर नदी के पानी में उसके अपने रूप का दर्शन कराया, तब कहीं जाकर उसके मुँह से मिमियाहट के बजाय दहाड़ निकली। हमारे भीतर भी कोई हंस, कोई सिंह छिपा है, जो बाहर आने को बेताब है। इसके लिए प्रबंधन की कला कारगर साबित होगी।

प्रबन्धन का लोकप्रिय अर्थ है -उपलब्ध संसाधनों का दक्षतापूर्वक तथा प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करते हुए लोगों के कार्यों में समन्वय करना ताकि लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके। प्रबन्धन के अन्तर्गत नियोजन,संगठन-निर्माण, स्टाफिंग, नेतृत्व करना या निर्देशन करना तथा संगठन अथवा पहल का नियंत्रण करना आदि शामिल हैं। एक कला,विज्ञान और पेशे के रूप में प्रबंधन का महत्त्व बढ़ता जा रहा है।

गौर करें तो प्रबंधन आत्म-विकास की सतत प्रक्रिया है। अपने को व्यवस्थित-प्रबंधित किए बिना आदमी दूसरों को व्यवस्थित-प्रबंधित करने में सफल नहीं हो सकता, चाहे वे दूसरे लोग घर के सदस्य हों या दफ्तर या कारोबार के। इस प्रकार आत्म-विकास ही घर-दफ्तर, दोनों की उन्नति का मूल है। इस लिहाज से देखें तो प्रबंधन का ताल्लुक कंपनी-जगत के लोगों से ही नहीं, मनुष्य मात्र से है। वह इंसान को बेहतर इंसान बनाने की कला है, क्योंकि बेहतर इंसान ही बेहतर कर्मचारी, अधिकारी, प्रबंधक या कारोबारी हो सकता है।

एक अच्छा प्रबंधक सबको साथ लेकर चलता है और सबसे अलग किरदार बना लेता है। फिर भी वह कभी नहीं भूलता कि उसके कम को आसान बनाने में अनेक लोगों की भागीदारी है। लिहाज़ा, वह हमेशा शुक्रगुज़ार रहता है कि –

नशेमन पे मेरे एहसान
पूरे चमन का है
कोई तिनका कहीं का
और कोई तिनका कहीं का है
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मो. 9301054300