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ओडिशा की धरती के लालः प्रोफेसर अच्युत सामंत का प्रेरणादायक संत-जीवन

प्रोफेसर अच्युत सामंत, संस्थापकःकीट-कीस,भुवनेश्वर तथा कंधमाल(ओडिशा),लोकसभा माननीय सांसद निश्चित रुप से ओडिशा की धरती के लाल हैं जिनका संत-जीवन सभी के लिए प्रेरणादायक है।संत-मना प्रोफेसर अच्युत सामंत सदाचारी जीवन जीते हैं। वे सत्य,अहिंसा तथा त्याग के सच्चे पुजारी हैं। वे बडे ही विनम्र तथा सहनशील हैं। सहनशीलता के तीनों लक्षण उनमें हैं वे निन्दा का त्याग करते हैं। वे निर्मल भाव से संतोष को अपनाते हैं तथा वे आनंदपूर्वक श्री जगन्नाथ जी तथा हनुमान जी की नित्य पूजा करते हैं।

वे माधव-सेवा, मानव-सेवा तथा निःस्वार्थ भाव से लोक-सेवा ससम्मानपूर्वक करते हैं। वे सज्जनों का सत्संग करते हैं। उनका यह मानना है कि सज्जनों की अमानत उसका आध्यात्मिक ज्ञान होता है। प्रोफेसर सामंत सदैव यह कहा करते हैं कि सभी की एक ही शिकायत रहती है कि उसके पास समय का घोर अभाव है लेकिन सामंत के पास परोपकार के लिए समय ही समय है। वे सदाचारी जीवन जीते हैं। कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति के प्रति श्रद्धा उसकी बहुआयामी असाधारण प्रतिभा,समदर्शीं,प्रियदर्शी व्यक्तित्त्व,अनुकरणीय पारदर्शीं चरित्र,सरल,सहज,आत्मीय स्वभाव तथा उसकी ज्ञान एवं धन-सम्पदा बहुजन हिताय,बहुजन सुखाय के लिए होती है।

उपर्युक्त सभी गुणों से सम्पन्न हैं प्रोफेसर अच्युत सामंत जिन्हें लोग अब आलोक पुरुष कहकर पुकारने लगे हैं।। वे ओडिशा की धरती के लाल हैं।आदिवास समाज के जीवित मसीहा हैं।आत्मनिर्भर कीस(विश्व के सबसे बडे आदिवासी आवासीय विद्यालय,कीस तथा विश्व के प्रथम आदिवासी आवासीय डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर) के जन्मदाता हैं। जनवरी,1965 में जन्मे प्रोफेसर अच्युत सामंत ने 1987 में भुवनेश्वर उत्कल विश्वविद्यालय से रसायनविज्ञान में एम.एससी किया तदोपरांत सामाजिक विज्ञान में डाक्टरेट। लगभग 22साल की उम्र से अध्यापन कार्य आरंभ किया।उनके पास कुल 33 वर्षों के शिक्षण का लंबा अनुभव है। वे सबसे कम उम्र के कीट डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर के संस्थापक कुलाधिपति रहे।विश्व के प्रथम आदिवासी आवासीय कीस डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर के संस्थापक कुलाधिपति,2018-19 में राज्यसभा के बीजू जनतादल सांसद मनोनीत हुए तथा सम्प्रतिःकंधमाल लोकसभा बीजू जनतादल सांसद हैं।

भारत के तीन सर्वोच्च शैक्षिक निकायों में सेवा की शर्तों के साथ (1)विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) के दो लगातार कार्यकालों(2008-11)और 2011-2014) तक,(2)तकनीकी शिक्षा के लिए अखिल भारतीय परिषद् की कार्यकारिणी समिति (एआईसीटीआई) में और (3)राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद्(एनसीटीआई) से जुडे रहे। भारत के अनेक सरकारी निकायों जैसेःएनसीटीई,आईएसटीई,आईएससीए,क्वायर बोर्ड,कैपर्ट आदि के साथ-साथ असम,ओडिशा के केन्द्रीय विश्वविद्यालय के एकेडमिक परिषद् के सदस्य के रुप में सेवाएं दीं हैं। मणिपुर राज्यपाल द्वारा मणिपुर सरकार के शिक्षा विभाग में पूर्व-मुख्य सलाहकार के रुप में मनोनीत हुए।

वर्षः2017-18 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसियेशन(आईएससीए) के मुख्य अध्यक्ष तथा वर्षः2018-19 में 39वें विश्व कवि कांग्रेस के अध्यक्ष के रुप में अपनी सेवाएं दीं हैं।वे अखिल भारतीय वालीबाल फेडरेशन के अध्यक्ष हैं। भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा बच्चों के कल्याण के लिए उन्हें 2016 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। 2019 में वे फिक्की हायर एडुकेशन अवार्ड द्वारा परसनाल्टी आफ दी ईयर अवार्ड के सम्मानित किये जा चुके हैं। इण्डियन फेडरकेशन आफ एनर्जी द्वारा ग्रीन एविटविस्ट अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।ओडिशा,भारत समेत पूरी दुनिया के कुल 44 नामी विश्वविद्यालयों से उन्हें मानद डाक्टरेट की डिग्री से सम्मानित किया जा चुका है। आईएसटीई,सीएसआई,आईसीए तथा एपीएसी से वे चार राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय फेलोशिप प्राप्त कर चुके हैं।

यूनेस्को द्वारा मान्यताप्राप्त वर्ल्ड अकादमी आफ आर्टस एण्ड कल्चर(डब्लूएएसी) द्वारा गोल्डेन गैवेल से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। गुसी पीस प्राइज इण्टरनेशनल,मनीला(एशिया का शांति पुरस्कार) से वे अलंकृत हो चुके हैं। मानव और मानवतावादी सेवा के लिए उन्हें आईएसए पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।कुल 50 से भी अधिक राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय अवार्ड के साथ-साथ कुल लगभग 200 से भी अधिक राजकीय सम्मानों तथा पुरस्कारों के साथ-साथ उन्हें मंगोलिया तथा बहरीन के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से भी सम्मानित किया जा चुका है। वे ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित भारत के दो डीम्ड विश्वविद्यालयों कीट-कीस डीम्ड विश्वविद्यालयों के प्राणप्रतिष्ठाता हैं।

1992-93 में वे अपनी कुल जमा पूंजी मात्र 5000 रुपये में (लगभग 100 अमरीकी डालर) से कीट(केआईआईटी तथा कीस(केआईएसएस) की शुरुआत की।आज भारत समेत पूरे विश्व से कुल लगभग 35000 युवा कीट में उच्च तथा तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। कीट डीम्ड विश्वविद्यालय भारत से चयनित कुल 8 विश्वविद्यालयों के भीतर विश्व में आंका गया है।

आज कीस भुवनेश्वर (कलिंग इंस्टीट्यूट आफ सोसल साइंसेज) में कुल 35हजार से भी अधिक आदिवासी बच्चे प्रतिवर्ष समस्त आवासीय सुविधाओं का निःशुल्क उपभोग करते हुए निःशुल्क केजी कक्षा से लेकर पीजी कक्षा तक उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्त करते हैं। जिनमें 1992-93 से लेकर कीस के कुल लगभग 20,000 पूर्व छात्र और ओडिशा के 10 आदिवासी बाहुल्य जिलों के कुल लगभग 10,000 आदिवासी छात्र-छात्राएं भी अलग से शामिल हैं।औपचारिक शिक्षा,पेशेवर शिक्षा, स्वास्थ्य, कला,संस्कृति,साहित्य,ग्रामीण विकास,सामाजिक सेवा तथा आध्यात्मिक विकास में प्रोफेसर अच्युत सामंत को योगदान अतुलनीय है। प्रोफेसर अच्युत सामंत ने ओडिशा के अविभाजित कटक जिले के सुदूर अपने गांव कलराबंक को स्मार्ट गांव बना चुके हैं।उनकी पंचायत माणपुर आदर्श पंचायत बन चुकी है। ओडिशा के कुल 20 जिलों में कीस की शाखाएं खुल रही हैं।

2013 में दिल्ली में कीस दिल्ली शाखा आरंभ हुई जबकि पूरे भारत के अलग-अलग राज्यों में कुल 20 कीस की शाखाएं खोलने का कार्य उनका युद्धस्तर पर चल रहा है। प्रोफेसर अच्युत सामंत द्वारा प्रत्यक्ष रुप में कुल 15,000 लोगों को रोजगार मिल चुका है जबकि अप्रत्यक्ष रुप में प्रोफेसर अच्युत सामंत के सहयोग से लगभग 100 युवा उद्योगपति बन चुके हैं जिनके सौजन्य से लगभग 2000 से भी अधिक लोगों को रोजगार मिल चुका है। प्रोफेसर अच्युत सामंत ने 1987 से एक लक्ष्य निर्धारित किया जीरों पोवर्टी,जीरों हंगर तथा जीरो अशिक्षा जिसकी कामयाबी के लिए प्रोफेसर अच्युत सामंत प्रतिदिन 18-18 घण्टे काम करते हैं।

प्रोफेसर अच्युत सामंत मानते हैं कि जीवन का सबसे बडा सत्य है गरीबी जो हमेशा पाप को जन्म देती है।पापी पेट कुछ भी गलत कर सकता है। लेकिन प्रोफेसर सामंत के बाल्यकाल की घोर गरीबी ने उन्हें देवदूत बना दिया है। उन्हें जीवित मसीहा बना दिया है। मानवता का रक्षक तथा पालनहार बना दिया है। 1987 से लेकर आजतक वे अपने लिए कभी तीन-चार घण्टे भी नहीं दिये लेकिन गरीबों के लिए वे प्रतिदिन 18-18 घण्टे देते हैं।

स्वामी विवेकानन्द,रवीन्द्र नाथ टैगोर,राष्ट्रपिता बापू,डा भीमराव अंबेदकर,ओडिशा के लौहपुरुष स्व.बीजू पटनायक आदि के सपनों को साकार कर रहे हैं प्रोफेसर अच्युत सामंत। वे पिछले लगभग 28 वर्षों से कीस के माध्यम से निःशुल्क उत्कृष्ट शिक्षा द्वारा गरीबी तथा भूखमरी निवारण में लगे हुए हैं।यूएन की तरह उनके जीवन का लक्ष्य हैःजरुरतमंद लोगों को शिक्षा,स्वास्थ्य,खेल,अनुसंधान,विकास,आदिवासी सशक्तिकरण,आदिवासी महिला सशक्तिकरण,महिला सशक्तिकरण,महिला अधिकारों की हिफाजत,बालप्रतिभा,युवा प्रतिभा, सिनेमा, साहित्य, कला,संस्कृति, पत्रकारिता,मीडिया तथा आध्यात्मिकता का उनके द्वारा सतत विकास हो।और वे उन्हीं कार्यों में अपने आपको सदा लगाये रखते हैं।उनके विषय में यह कहना कोई अतिशयोक्ति की बात नहीं होगी कि प्रोफेसर अच्युत सामंत गुदडी के लाल हैं जैसाकि स्व,लालबहादुर शास्त्रीजी। उनकी असाधारण उपलब्धियों तथा उनकी शैक्षिक संस्था-समूह कीट-कीस-कीम्स आदि की असाधारण सफलता का पूरा श्रेय उनकी सादगी,सरलता,सहृदयता,आत्मीयता,परोपकारी स्वभाव,ईमानदारी,सत्यनिष्ठा,आत्मविश्वास,विनम्रता,कर्तव्यनिष्ठा,कार्यसंस्कृति,उनकी दूरदर्शिता,कार्यशैली तथा उनके आध्यात्मिक जीवन को देते हैं।

यह तो सोच से परे की बात है कि एक गरीब बालक(अच्युत) जिसे दो शाम का भोजन नसीब न था वह बालक संघर्षकर एक दिन महान बन जाएगा और उसके पास दो-दो डीम्ड विश्विद्यालय होगा। वह आत्मनिर्भर बनकर अपनी शैक्षिक संस्था कीस को आत्मनिर्भर बनाएगा।अगर कोई प्रोफेसर अच्युत सामंत के विगत 55वर्षों के संघर्षों की कठिन यात्रा को जानता है तो वह उन्हें ओडिशा की धरती का वास्तविक देवदूत मानेगा जिसके जीवन में दूसरों के लिए आर्ट आफ गिविंग की अनूठी कला है।सच तो यह है कि प्रोफेसर अच्युत सामंत एक महान शिक्षाविद हैं।सामाजिक कार्यकर्ता हैं। सच्चे मानवतावादी हैं। सहृदय और परोपकारी हैं। प्रोफेसर अच्युत सामंत का बुलंद इरादा है इस दुनिया से गरीबी का उन्मूलन करना,भूखमरी तथा निरक्षरता को समाप्त करना। सामाजिक न्याय दिलाना ,आदिवासी,आदिवासी महिला,महिला सशक्तिकरण करना और उसके लिए वे दिनरात सेवाभाव तथा समर्पणभाव से लगे रहते हैं।

प्रोफेसर अच्युत सामंत के माता-पिता स्व.नीलिमारानी सामंत तथा स्व. अनादिचरण सामंत उनके सच्चे गुरु रहे जिनके बदौलत प्रोफेसर सामंत के दिल में करुणा,दया,प्रेम,अनुशासन तथा सभी मानवीय गुणों का विकास हुआ। उनके मन में मानव सेवा में ही माधव सेवा का आत्मविश्वास जगाया।उनको आध्यात्मिक जीवन जीना सिखाया। दुख में धीरज धारण करना सिखाया। संघर्ष ही जीवन है का मंत्र प्रोफेसर सामंत को दिया।

प्रोफेसर अच्युत सामंत जब मात्र चार साल के थे तभी उनके पिताजी अनादिचरण सामंत का एक रेलदुर्घना में असामयिक निधन हो गया। प्रोफेसर सामंत के बाल्यकाल के सुकुमार जीवन में घोर निराशा छा गई। यह तो कल्पना से परे की बात है कि किस प्रकार उन्होंने अपनी विधवा मां और 3 भाइयों और 4 बहनों को पढा-लिखाकर शिक्षित बनाया,आत्मनिर्भर बनाया।गौरतलब है कि उनके स्व.पिताजी एक साधारण से छोटे कर्मचारी थे जो नौकरी के पैसों से चल नहीं पाते थे,अपने परिवार को चला नहीं पाते थे।मजबूर होकर उन्हें अपना परिवार चलाने के लिए फेरीवाले से कर्ज लेना पडा जिसे वे फेरीवाले को चुका नहीं पाए। इसीलिए जब उनके पिताजी का असामयिक निधन हुआ था फेरीवाला आया लेकिन पैसे इसलिए नहीं मांगा कि प्रोफेसर सामंत के पिताजी जीते जी एक सरल,नेक तथा ईमानदार इंसान रहे। उनके पिताजी के निधन के बाद उनकी मां के पास एक से अधिक साडी भी नहीं थी जिसे वे प्रतिदिन स्नान करने के उपरांत पहनतीं। एक ही साडी को सूखाकर वे अपना तन ढकती थी। प्रोफेसर सामंत की मां को ढाडस बंधानेवाला भी कोई नहीं था। उनकी मां दूसरों के घरों में चौका-बर्तनकर जीवन जीतीं थी,अपने बच्चों का भरण-पौषण करतीं थी। प्रोफेसर सामंत का नामकरण लगभग 6 साल की उम्र में उनके स्थानीय प्राईमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने किया। प्रोफेसर सामंत अपने से स्नातक तथा स्नात्तकोत्तर तथा डाक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। 1992 में जब वे महसूस किये कि ओडिशा के युवाओं के पास उत्कृष्ट तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी है ,भारत में शिक्षा तथा नौकरी में कुछ नहीं कर सकते तो उन्होंने अपनी कुल जमा पूंजी मात्र पांच हजार रुपये से दो शैक्षिक संस्थान,कलिंग इंसटीट्यूट आप इंडस्ट्रियल टेक्नालाजी(कीट)तथा कलिंग इंस्टीट्यूट आफ सोसलसाइंसेज(कीस) की स्थापना एक किराये के मकान में की। प्रोफेसर सामंत जो पुरुषार्थ तथा भाग्य के धनी हैं ,उनको बेजोड कामयाबी मिली। कीट-कीस दोनों संस्थाएं अच्छी तरह चल पडीं।दोनों आज दो डीम्ड विश्वविद्यालय हैं-कीट डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर तथा कीस डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर। कीट अगर कारपोरेट है तो कीस उसकी सामाजिक जिम्मेदारी। अर्थात् कीस चलता है कीट के बल पर।आज कीट औद्योगिक व्यापार कौशल,अभियंत्रण,चिकित्सा,कानून,प्रबंधन,ग्रामीण प्रबंधन,वास्तुकला तथा फैशनडीजाइन से लेकर और बहुत से क्षेत्रों में अग्रणी संस्थान बन चुका है।

1997 में कीट अपनी स्थापना के बाद मानवता तथा करुणा के आदर्श को अपनाकर आगे बढता रहा तथा उत्कृष्ट एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में नाम अर्जित करता रहा। 2002 में मात्र पांच सालों के भीतर ही कीट ए ग्रेड के साथ एनएएसी(यूजीसी) और एनबीए(एआईसीटीई) से मान्यता पा लिया। कीट को ब्रिटेन(यूके) से आई ईटी मान्यता मिली है जो कीट को विश्व की दूसरी सबसे बडी मान्यता है। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय(आज के शिक्षा मंत्रालय) की भी मान्यता मिली है। साथ ही साथ भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इंस्टीट्यूट आफ एमीनेंस के रुप में भी मान्यता मिली है।2020 में कीट को अटल रैंकिंग आफ इंस्टीट्यूशन आन इनोवेशन एचीवमेंट (एआरआईआईए) पर देश के स्व-वित्तपोषण संस्थानों में एक नंबर पर रखा गया है। दी टाईम हायर एडुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटीज रैंकिंग 2022 में इसे 8वें स्थान पर रखा गया गया है। कीट डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर की विश्वसनीयता और लोकप्रियता विश्वविद्यालय के युवा छात्र-छात्राओं,उनके अभिभावकों तथा आमनागरिकों के बीच प्रतिदिन बढ रही है। कीट की विशाल आधिकारिक संरचना बेजोड है।कीट में उपलब्ध समस्त अत्याधुनिक तथा विश्वस्तरीय खेल संसाधन,इंफ्रास्ट्रक्चर,कोचेज आदि किसी भी सरकारी तथा निजी विश्वविद्यालयों के सबसे अधिक है। कीट ने अपने प्राणप्रतिष्ठाता प्रोफेसर अच्युत सामंत के कुशल मनेतृत्व एवं सफल मार्गदर्शन में दुती चांद जैसे अनेक ओलंपियन तैयैर किये हैं। यूपीएससी प्रतियोगिता परीक्षाओं में कीट के मेधावी छात्रों ने कमाल का प्रदर्शन किया है। कीट डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर भारत का एमामात्र ऐसा डीम्ड विश्विद्यालय है जिसके मेधावी छात्र संघ लोकसेवा आयोग प्रतियोगिता परीक्षाओं में शीर्ष स्थान प्राप्त किये हैं। कीट के कुलपति तथा कुलाधिपति देश के महान शिक्षाविद रहे हैं। कीट की विश्व व्यापी ख्याति सुनकर अबतक कुल लगभग 22 से भी अधिक नोबेल पुरस्कार विजेता कीट का दौरा कर चुके हैं। विश्व के अनेक राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मंत्री,राजनेता,राजदूत,राज्यपाल,विधिवेत्ता,फिल्मी हस्तियां,खिलाडी,अभिनेता आदि कीट-कीस का दौरा कर चुके हैं।

कीट स्कूल आफ ला को 2018 में भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा सर्वश्रेष्ठ इन्वोवेटिव ला स्कूल से सम्मानित किया जा चुका है। यह भी सत्य है कि जैसे-जैसे कीट का विकास होता गया वैसे-वैसे कीस की विकासित होता गया। कीस के प्राणप्रतिष्ठाता प्रोफेसर अच्युत सामंत द्वारा तैयार थ्री ई फार्मूलेःशिक्षित,सशक्तिकरण तथा सक्षम बनाकर समावेशी शिक्षा के संसाधनों द्वारा तैयार कीस दुनिया का बेमिसाल तथा इकलौता आदिवासी आवासीय डीम्ड विश्वविद्यालय,भुवनेश्वर है जहां पर पिछले लगभग 28 वर्षों से समाज के विकास से वंचित तथा उपेक्षित आदिवासी बच्चे निःशुल्क केजी कक्षा से लेकर पीजी कक्षा तक उत्कृष्ट शिक्षा प्राप्तकर स्वावलंबी बन रहे हैं।

प्रोफेसर सामंत को अपना आदर्श मानकर निःस्वार्थ समाजसेवी बन रहे हैं। यह कहना कोई अतिशयोक्ति की बात नहीं होगी कि कीस ने नक्सलवाद पर लगाम लगा दिया है क्योंकि आदिवासी बच्चों को कीस के माध्यम से अगर शिक्षित नहीं किया जाता तो अधिकतर आदिवासी बच्चे नक्लवादी बन जाते।यह भी सच है कि ओडिशा भारत का एक गरीब राज्य है जहां की कुल आबादी के लगभग 25 प्रतिशत आदिवासी हैं जो अनादिकाल से पहाडों पर रहते आ रहे हैं। वे गरीब,अनाथ,बेसहारा,दुखी,अज्ञानी,अंधविश्वासी हैं। वे जंगलों में रहते हैं।उनका जीवन पूरी तरह से अविकसित है। कीस के माध्यम से वरदान के रुप में आज उनका विकास हो रहा है। यह भी सच है कि कीस माडल आज पूरे भारत के लिए आदर्श माडल बन चुका है। प्रोफेसर अच्युत सामंत के भगीरथ प्रयत्नों से आज ओडिशा का आदिवासी बच्चा अपने हाथों में तीर-धनुष तथा तलवार न लेकर कलम धारण किया है। प्रोफेसर अच्युत सामंत का लक्ष्य है कि 2030 तक कीस की निःशुल्क तथा जीवनोपयोगी शिक्षा के माध्यम से आदिवासी समुदाय की गरीबी और भूखमरी को वे समाप्त कर देंगे। गौरतलब है कि 2015 में कीस को यूएन में विशेष सलाहकार का दर्जा मिला।

कीस आज आत्मनिर्भर कीस है। स्वपोषित कीस है।स्वच्छ कीस है। प्रगतिशील कीस है। जन-जन की आकांक्षाओं का कीस है।बापू के सपनों का कीस है। रवीन्द्र नाथ टैगोर का कीस है।भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सपनों का कीस है। ओडिशा के लौहपुरुष स्व.बीजू पटनायक के सपनों को साकार करनेवाला कीस है। ओडिशा के लगभग 22 वर्षों से मुख्यमंत्री पद पर आसीन श्री नवीन पटनायक की आकांक्षाओं का कीस है जिसके लिए अविवाहित रहकर तन,मन और धन से 18-18 घण्टे काम करनेवाले प्रोफेसर अच्युत सामंत का कीस है।कीस नई शिक्षा नीति के कार्यान्वन का वास्तविक प्रकाशस्तंभ है।

प्रोफेसर अच्युत सामंत का यह मानना है कि भारत की आत्मा गांवों में रहती है इसीलिए गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की जरुरत है। गांवों को स्मार्ट गांव बनाने की जरुरत है। जाननेवाले जानते हैं कि प्रोफेसर अच्युत सामंत का अपना गांव कलराबंक आज उनके प्रयास से एक स्मार्ट गांव बन चुका है जहां पर बच्चों के सर्वांगीण विकास के समस्त शैक्षिक तथा खेल संसाधन आदि उपलब्ध हैं। गाव के लोगों के उत्तम स्वास्थ्य,कृषि तथा रोजगार के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। उस गांव में वाईफाई सुविधा भी उपलब्ध है। 2006 में कलराबंक माडेल गांव का उद्घाटन ओडिशा के तात्कालीन राज्यपाल द्वारा किया गया। आज कलराबंक गांव के साथ-साथ वहां की पंचायत भी माडेल पंचायत है जिसका उद्घाटन 2016 से उस समय के ओडिशा के तात्कालीन राज्यपाल ने किया था। कलराबंक स्मार्ट विलेज में स्कूल,कालेज,बैंक,चौबीसों घण्टे सेवा के लिए 100 बेडवाला अस्पताल,सार्वजनिक पुस्तकालय,डाकघर,महिला-युवा क्लब,सौरऊर्जा तथा वाईफाई आदि उपलब्ध है। हाल ही में कीस भुवनेश्वर की कलराबंक नई शाखा का विधिवत शिलान्यास ओडिशा के महामहिम राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल द्वारा हो चुका है।

प्रोफेसर अच्युत सामंत का कीट-कीस

खेल-जगत का नया कीर्तिमान बना

खेलप्रेमी,शिक्षाप्रेमी,साहित्यप्रेमी,कला,साहित्य, संस्कृति, विज्ञान, सिनेमा, बालप्रतिभा विकासप्रेमी (राष्ट्रीय नन्हीं परी प्रतियोगिता), रग्बी,हाकी, क्रिकेट, वालीबाल,एथलेटिक तथा ओडिशा की विरासतों के रक्षक प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अपने कीट-कीस प्रांगण में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के इनडोर-आऊटडोर स्टेडियम,खेल-मैदान तथा विभिन्न खेलों से संबंधित अत्याधुनिक संसाधन आदि उपलब्ध कराये हैं।साथ ही साथ सभी खेलों के लिए राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय कोच भी नियुक्त किये हैं जिनके मार्गदर्शन में पूरे सालभर विभिन्न खेलों जैसेः रग्बी, तीरंदाजी, हाकी, एथलेटिक,क्रिकेट,वालीबाल,खो-खो,कबड्डी,शतरंज आदि खेलों का सतत अभ्यास,पूर्वाभ्यास आदि सालोंभर चलते रहता है। प्रोफेसर सामंत की ऐतिहासिक पहल पर कीट-कीस ने अबतक कुल लगभग 5000 खिलाडी तैयार कर चुके हैं जिनमें ओलंपियन,कामनवेल्थ गेम,एशियन गेम,साऊथ एशियन फेडरेशन तथा प्रथम यूनिवर्सिटी खेलो इण्डिया गेम आदि शामिल हैं।

बहुआयामी प्रतिभा के धनी तथा विल्क्षण प्रतिभावान प्रोफेसर अच्युत सामंत मां,मातृभूमि तथा मातृभाषा के संरक्षक तथा आजीवन प्रचारक हैं। उन्होंने 2000 में ओडिया मासिक पत्रिका कादंबिनी तथा बच्चों की पत्रिका कुनीकथा का श्रीगणेश किया जो आज पूरे विश्व में सबसे लोकप्रिय ओडिया मासिक पत्रिका है जिसकी सम्पादिका प्रोफेसर अच्युत सामंत की सबसे छोटी बहन डा इति सामंत हैं। उनकी कादंबिनी मीडिया लिमिटेड द्वारा कथान्तर तथा क्रांतिधारा फीचर फिल्में अनेक अवार्ड जीत चुकी हैं। प्रोफेसर अच्युत सामंत का वास्तविक जीवन-दर्शनः आर्ट आफ गिविंग को मिली है अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता। 2022 में अन्तर्राष्ट्रीय आर्ट आफ गिविंग को 17मई को विश्व के कुल 120 देशों के लगभग पांच करोड लोगों ने अपनी ओर से स्वेच्छापूर्वक मनाया। भुवनेश्वर में एक पब्लिक फंक्शन में ओडिशा के महामहिम राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल द्वारा प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय आर्ट आफ गिविंग त्रैमासिक पत्रिका का लोकार्पण भी हुआ।

प्रोफेसर अच्युत सामंत को उनकी निःस्वार्थ शैक्षिक पहल कीट-कीस के लिए तथा आदिवासी बच्चो के कल्याण के लिए,आदिवासी महिला सशक्तिकरण के लिए और सबसे बडी बात प्रोफेसर अच्युत सामंत की समर्पणभावना,वचनवद्धता तथा प्रतिवद्धता के लिए उनको 2015 में गुस्सी शांति पुरस्कार मिल चुका है। उन्हें मंगोलिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी मिल चुका है।देश-विदेश के नामी संस्थानों द्वारा प्रोफेसर अच्युत सामंत को अबतक लगभग एक हजार से भी अधिक एवार्ड तथा सम्मान मिल चुके हैं।अपनी कमाल की सादगी,विनम्रता तथा पारदर्शिता के लिए विख्यात प्रोफेसर अच्युत सामंत का शौक मानव तथा मानवता की आजीवन सेवा करना है।58वर्षीय प्रोफेसर अच्युत सामंत निश्चित रुप से ओडिशा की धरती के लाल हैं जिनका संत-जीवन सभी के लिए प्रेरणादायक है।