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सामाजिक समस्याओं को हल करने में अहम है विज्ञान का योगदान

नई दिल्ली। देश की राष्ट्रीय जरूरतों, प्राथमिकताओं और सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न राष्ट्रीय मिशनों को सफल बनाने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय अपना योगदान निरंतर दे रहा है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग, डीएसआईआर, सीएसआईआर और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग समेत चारों विभागों ने राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को सफल बनाने का प्रयास किया है। कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, पर्यावरण, पेयजल, भोजन, जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में समस्याओं के निवारण और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग हमारी प्राथमिकता में शामिल है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने ये विचार अपनी सरकार के चार वर्षों के कामकाज का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए नई दिल्ली में व्यक्त किए।।

डॉ हर्ष वर्धन ने कहा, ‘स्वच्छ भारत अभियान, स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्मार्ट सिटी जैसे राष्ट्रीय मिशनों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का बेहद अहम योगदान है। इसके अलावा हम कई महत्वकांक्षी मिशनों पर भी काम कर रहे हैं, जिनमें साइबर फिजिकल सिस्टम्स, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सुपर कंप्यूटिंग मिशन्स, थर्टी मीटर टेलीस्कोप, डीप ओशन मिशन, नेशनल बायोफार्मा मिशन शामिल हैं।

इस अवसर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के चार साल के कामकाज से जुड़ी एक रिपोर्ट भी जारी की गई है। इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, कौशल विकास, डिजिटल इंडिया, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन, ऊर्जा, पेयजल, कृषि, मेक इन इंडिया, ब्लू इकोनॉमी और एविएशन ऑग्मेंटेशन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के योगदान की जानकारी दी गई है।

डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि उनके नेतृत्व में कार्यरत पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा किसानों को दी जारी मौसम संबंधी जानकारी अगले महीने से 40 लाख किसानों तक पहुंच सकेगी। अब तक यह जानकारी सिर्फ 24 लाख किसानों को दी जा रही थी। उन्होंने कहा, गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने के लिए लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (लिगो) का केंद्र देश में स्थापित होने का निर्णय और यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन (सर्न) का सदस्य बनना महत्वपूर्ण है। देश में 200 से अधिक इन्क्यूबेशन सेंटर्स की स्थापना एवं सहयोग, करीब 800 तकनीकों का हस्तांरण, भारतीय मूल के दर्जनों वैज्ञानिकों का भारत आकर शोध एवं विकास में योगदान भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े उद्योगों, शिक्षा से जुड़े संस्थानों, रेल, ऊर्जा, शहरी विकास, पेट्रोलियम, रक्षा, अक्षय ऊर्जा, कृषि एवं जल संसाधन समेत विभिन्न मंत्रालयों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित सहयोग मुहैया कराया जा रहा है। इसके साथ ही पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के कामकाज के बीच एक बेहतर तालमेल बनाने का प्रयास किया गया है ताकि कार्ययोजनाओं को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।

(इंडिया साइंस वायर)

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