क्या है अनुच्छेद 370

आजकल अनुच्छेद 370 सुर्खियों में है | दरअसल, भारतीय संविधान की धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य (कुछ अर्थों में विशेष स्वायत्त राज्य) का दर्जा प्रदान किया गया है | भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक टेम्पररी प्रोविजन के तौर पर दिया गया था जो कि जम्मू कश्मीर को विशेष स्वायत्त राज्य का दर्जा देता है | भारतीय संविधान के पार्ट XXI के तहत, जो कि "टेम्पररी, ट्रांजिशनल और स्पेशल प्रोविजन" को डील करती है, जम्मू कश्मीर को स्पेशल स्टेटस मिलती है |

इसे लेकर शुरू से अब तक विवाद कायम है, इसके प्रावधानों के तहत, भारत की केन्द्र सरकार को रक्षा, विदेश मामलों, वित्त समेत संचार जैसे विषयों में कानून बनाने का अधिकार है | इसके अलावा अन्य विषयों पर कानून बनाने के लिए भारतीय संसद को जम्मू कश्मीर राज्य की सरकार की सहमति की जरूरत होती है, वहाँ कश्मीर का अपना कानून चलता है | भारत के संविधान के सभी प्रावधान जैसे भारत के अन्य राज्यों पर लागू है उस तरह कश्मीर में ये नहीं है | उदहारण के लिए, सन 1965 तक वहाँ के राज्य प्रमुख यानि गवर्नर को "सदरे रियासत" और मुख्यमंत्री को "वजीरे आज़म" कहा जाता था |

यहां के लोगों के लिए कानून अलग तरह के हैं, देश के अन्य भागों के मुकाबले यहां संपत्ति और मौलिक अधिकारों में भी काफी फर्क है | विशेष दर्जा हासिल होने के चलते इस राज्य में धारा 356 प्रभावी नहीं होती, जिसके चलते राष्ट्रपति के पास राज्य सरकार को बरखास्त करने का अधिकार नहीं है | 1976 का शहरी भूमि कानून भी इस राज्य में लागू नहीं होता, इस कानून के तहत भारतीय नागरिक को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का अधिकार नहीं है | ‘भारतीय जन संघ’ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने धारा 370 के खिलाफ आवाज उठायी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस संवैधानिक प्रावधान के पूरी तरह खिलाफ थे, मुखर्जी 1953 में भारत प्रशासित कश्मीर के दौरे पर गये थे, तो वहां यह कानून लागू था कि भारतीय नागरिक को जम्मू-कश्मीर में अपने साथ पहचान पत्र रखना जरूरी है | इसके खिलाफ उन्होंने भूख हड़ताल की, जिसके चलते बाद में इस प्रावधान को खत्म किया गया |

अनुच्छेद 370 के कारण भारत की केन्द्र सरकार को अनुच्छेद 360 के तहत आर्थिक इमरजेंसी लगाने का अधिकार नहीं है | वहाँ पर केवल बाहरी (विदेशी) आक्रमण के समय ही इमरजेंसी लगाई जा सकती है | किसी अंदरूनी परेशानी या ख़राब हालात की वजह से ये इमरजेंसी नहीं लग सकती है, जब तक वहाँ की राज्य सरकार, भारत की केन्द्र सरकार से इसके लिए निवेदन नहीं करती है | यही वजह है कि वहाँ के लोग अलगाववाद की मानसिकता के साथ जीते हैं, और भारत सरकार कुछ कर नहीं पाती | हुर्रियत कांफ्रेंस के लोग हो या यासीन मालिक जैसे लोग, खुलेआम भारत के खिलाफ बोलते हैं |

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अर्जुन कपूर खुलकर बताएंगे सलमान और चचेरी बहन सोनम कपूर के बारे में ज़ूम पर

फिल्मी सितारों से भरे परिवार में पैदा हुए और पले बढ़े अर्जुन को छोटी उम्र से ही बॉलीवुड की चमक-दमक और ग्लैमर ने अपनी तरफ खींच लिया था। युवा उम्र में ही एक डीवीडी प्लेयर की मांग करने वाले इस अभिनेता का फिल्मी दुनिया के प्रति जुनून काफी स्पष्ट था क्योंकि उसके पास फिल्मों का एक बहुत बड़ा संग्रह था। देखिए इस युवा सनसनी को कैमरे के पीछे से शुरू हुए अपने फिल्मी सफर से लेकर कैमरे के सामने आने तक की कहानी, उन्हीं की जुबानी, सिर्फ जूम पर बेहद लोकप्रिय शो जेनेक्सट, फ्यूचर ऑफ बॉलीवुड में।

एक तरफ वह अर्जुन था जो कि कल हो ना हो के सेट्स पर कई बार सो भी जाता, और फिर उसी अर्जुन ने एक्टिंग में आने के लिए जीतोड़ मेहनत भी की। अर्जुन ने ट्रेनिंग और इंडस्ट्री के के दांव पेच दबंग खान से सीखे। जाहिर है, इस फिल्म निर्माता के बेटे ने ट्रेनिंग 3-4 साल तक सिर्फ इंडस्ट्री के बेहतरीन हीरो सलमान से ली। देखिए अपने गुरू और सरंक्षक सलमान खान के साथ अपने नटखट संबंधों और राखी बहन कैटरीना कैफ के बारे में बात करते हुए सिर्फ जूम पर।

एक तरफ पहली ही फिल्म इश्कजादे में उसकी भूमिका एक बेशर्म, असंवेदशील और लापरवाह युवा की थी, जबकि अर्जुन असल जिंदगी में इसके विपरीत है। अर्जुन हर कदम को उठाने से पहले उस पर 100 बार विचार करता है और वह लड़कियों से बात करने की भी हिम्मत नहीं रखता है। चूकिए मत, अर्जुन को अपने प्यारे चाचा संजय कपूर के बारे बातें करते हुए और अपने चाचा के साथ पहली बार ड्रिंक लेने की यादों को सामने लाते हुए।

उसकी सह-अभिनेत्री परिणीति को फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड भी मिला, बहरहाल फिल्म की शुरूआत में अर्जुन की उससे कुछ खास बनती भी नहीं थी। बल्कि तथ्य तो ये है कि अर्जुन को कई बार सेट पर उसका व्यवहार काफी चिढ़ा भी देता था। देखिए जेनेक्सट पर कैसे अर्जुन परिणीति के बारे में कई सारे खुलासे करता है।

इतना ही नहीं!! देखिए परिवार और दोस्तों- पिता बोनी कपूर, चाचा संजय कपूर, वरूण धवन और पुनीत मल्होत्रा को इस युवा सनसनी के बारे में अपने विचार देते हुए। एक ही उम्र के अर्जुन और सोनम एक-दूसरे के काफी करीब रहे हैं और बहन-भाई की तरह ही एक-दूसरे को दिल के सभी राज भी बताते रहे हैं। देखिए कैसे सोनम कपूर सारे राज खोलते हुए बताती है कि वह अपनी डेट्स पर अर्जुन को महज कंपनी करने के लिए जोर-जबरदस्ती से ले जाती थी।

देखिए, जेनेक्सट, फ्यूचर ऑफ बॉलीवुड, सोमवार 2 दिसंबर, 2013, रात 8 बजे, सिर्फ जूम पर।

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तरुण तेजपाल मामले में तीन गवाहों ने बयान दिए

तहलका के प्रधान संपादक तरुण तेजपाल से संबंधित यौन उत्पीड़न मामले में शुक्रवार को तीन गवाहों ने अपने बयान गोवा की एक अदालत में न्यायिक दंडाधिकारी के सामने दर्ज कराए। इस मामले में तेजपाल की रिमांड अवधि भी बढ़ सकती है। गोवा के एक पांच सितारा होटल के लिफ्ट में तेजपाल द्वारा यौन उत्पीड़न का शिकार होने के बाद पीड़ित महिला पत्रकार ने सबसे पहले घटना की जानकारी अपने सहकर्मियों इशान तनखा, जी. विष्णु और सौगत दासगुप्ता को दी थी, जिन्होंने इसके बाद इस्तीफा दे दिया था।

पुलिस इस सप्ताहांत पत्रिका की पूर्व प्रधान संपादक शोमा चौधरी का बयान दर्ज करने की उम्मीद कर रही है।

तेजपाल पर उनकी महिला सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। तेजपाल से पूछताछ पूरी करने के लिये गोवा पुलिस न्यायिक मजिस्ट्रेट से शुक्रवार को उसकी रिमांड अवधि बढाने की मांग कर सकती है। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पिछले सप्ताह तेजपाल को छह दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। यह अवधि आज समाप्त हो रही है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पूरी पूछताछ के दौरान तेजपाल लगातार यह कहता रहा कि उसके और महिला सहकर्मी के बीच जो कुछ भी हुआ, उन दोनों की सहमति से हुआ। इस मामले में उसकी मेडिकल जांच करायी जा रही है।

तहलका के तीन कर्मचारी सौगत दास गुप्ता, जी. विष्णु औंर इशान तन्खा के बयान भी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराये जा सकते हैं। उन सभी को पुलिस की ओर से पहले ही समन भेजा जा चुका है। उन्होंने गत 24 नवंबर को दिल्ली पुलिस के सामने बयान दिया था। पत्रिका की पूर्व प्रबंध संपादक शोमा चौधरी भी शनिवार को मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना बयान दर्ज करायेंगी।

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राजीव शुक्ला की कंपनी को ‘कौड़ियों’ में दिए करोड़ों के प्लॉट

केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला की बीएजी फिल्म्स एजुकेशन सोसायटी (बीएफइएस) को करोड़ों के बेशकीमती सरकारी प्लॉट करीब 35 साल पुराने रेट पर कौड़ियों के मोल देने का मामले सामने आया है। 2008 में महाराष्ट्र सरकार ने बीएफइएस को एक प्लॉट जहां मामूली कीमत पर बेचा, वहीं उसी दिन दूसरा प्लॉट महज 6,309 रुपये में 15 साल के लीज पर दे दिया गया। हाल में जारी किए गए सरकारी दस्तावेजों से इसका खुलासा हुआ है।

इन दस्तावेजों के मुताबिक अंधेरी में स्थित प्राइमरी स्कूल के लिए रिजर्व 2,821 स्क्वेयर मीटर के प्लॉट को बीएफइएस को 2008 में 98,735 रुपये की मामूली सी कीमत पर बेचा गया। दस्तावेजों से पता चलता है कि पहले प्लॉट के ठीक बगल के दूसरे प्लॉट को जो एक प्ले ग्राउंड के लिए रिजर्व था को बीएफइएस को 15 साल की लीज पर महज 6,309 रुपये में दे दिया गया। हैरान कर देने वाली बात यह है कि इन दोनों प्लॉट्स की मार्केट वैल्यू 100 करोड़ रुपये से ऊपर बैठती है। ऐक्टिविस्ट्स महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं।

2007 में जब इन प्लॉट्स के लिए आवेदन किया गया था तब अनुराधा प्रसाद इस सोसाइटी की अध्यक्ष थीं जबकि उनके पति और सांसद राजीव शुक्ला इसके सेक्रेटरी। महाराष्ट्र के राजस्व विभाग ने सितंबर 2008 में बीएफइएस का आवेदन स्वीकार किया था। शुक्ला के ऑफिस के अजीत देशपांडे ने बताया कि 2007 में जब प्लॉट के लिए आवेदन किया गया था, तब राजीब शुक्ला इसके सेक्रेटरी थे। उन्होंने आठ दिन बाद ही इससे इस्तीफा दे दिया था। 2008 में आवेदनों को सरकार ने स्वीकार कर लिया था।

बीएफइएस को प्लॉट्स आवंटित करते समय सरकार ने 1976 के हिसाब से 140 रुपये/स्क्वेयर मीटर का मूल्य लगाया और महज 98, 735 रुपये वसूले। इसमें शर्त रखी गई कि इसका इस्तेमाल प्राइमरी स्कूल के लिए ही किया जाए। इसी तरह प्ले ग्राउंड के लिए रिजर्व प्लॉट को उसी दिन 15 साल की लीज पर दिया गया। इसकी लीज अमाउंट 1976 में इसकी कीमत की 10 पर्सेंट यानी 6,309 रुपये लगाई गई।

आखिर राज्य सरकार ने शुक्ला पर इतनी मेहरबानी क्यों दिखाई, यह अभी तक रहस्य है। हमारे सहयोगी अखबार 'मुंबई मिरर' ने जब इस बारे में सरकारी अधिकारियों से जानने की कोशिश की, तो वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।

साभारः मुंबई मिरर से

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कौन हैं तहलका की शोमा चौधरी

सुपर्णा चौधरी को दुनिया शोमा चौधरी के नाम से जानती है।

कुछ समय पहले एक कार्यक्रम में भारतीय मीडिया की मौजूदा स्थिति पर टिप्पणी करते हुए शोमा ने कहा था कि इसकी हालत बेहद गंभीर है। उन्होंने आरोप लगाया था कि अब मीडिया कॉरपोरेट हित साधने के साधन बन चुके हैं। उन्होंने कहा था कि जनहित की जगह अब राजस्व हित मीडिया पर हावी है।

शोमा चौधरी सिर्फ पत्रकार नहीं हैं। उनके कारोबारी हित भी लाखों के हैं

शोमा चौधरी के कारोबारी हितों की चर्चा मीडिया में तेजी से हो रही है। शोमा को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। शोमा चौधरी को तहलका को छापने वाली कंपनी अनंत मीडिया ने 10 रुपए के मूल्य पर 1500 शेयर अलॉट किए थे। तब वे पत्रिका की फीचर संपादक हुआ करती थीं। 14 जून, 2006 को शोमा ने 500 शेयर एके गुर्टू होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को 13,189 रुपए के प्रीमियम पर बेच दीं। इस तरह से शोमा ने करीब 66 लाख (65,94,500 रुपए) रुपए का मुनाफा बटोरा। शोमा ने अनंत मीडिया के 1500 शेयर खरीदने के लिए 15000 रुपए की रकम खर्च की थी। इसका मतलब यह हुआ कि 5 हजार रुपए में खरीदे गए अनंत मीडिया के 500 शेयरों ने तीन सालों के भीतर शोमा को 66 लाख का मुनाफा दे दिया।

तहलका में काम कर चुके ओपन मैगजीन के पूर्व राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल का कहना है कि जिस दौर में वे तहलका में काम कर रहे थे, तब उन लोगों को अपनी तनख्वाह के लिए भी दो-दो महीने इंतजार करना पड़ता था। लेकिन बल का कहना है कि हैरानी की बात यह है कि उसी दौर में तहलका में हमारे कुछ साथी आश्चर्यजनक ढंग से रातों रात अमीर होते जा रहे थे।

अनंत मीडिया और उससे जुड़े लोगों के लेनदेन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। 14 जून, 2006 को जिस दिन शोमा ने अपने शेयर करीब 13189 हजार रुपए में बेचे थे, उस दिन ही तरुण तेजपाल ने शंकर शर्मा और देविना मेहरा से 4,125 शेयर 10 रुपए प्रति शेयर मूल्य पर खरीदे थे। मतलब एक ही दिन में एक ही कंपनी यानी अनंत मीडिया के शेयरों के कई दाम थे। एक तरफ कुछ लोग उसे 10 रुपए में खरीद रहे थे, तो वहीं कुछ लोग उसे 13189 रुपए में। जबकि उस दिन कंपनी का नेट एसेट वैल्यू नकारात्मक था। इसका मतलब यह हुआ कि कंपनी के एक शेयर की असल कीमत उस दिन 10 रुपए भी नहीं थी। लेकिन उस दिन 10 रुपए के शेयरों को 2000 से लेकर 13000 रुपए से ज्यादा की कीमत पर बेचा गया।

तहलका पत्रिका को प्रकाशित करने वाली कंपनी अनंत मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के 66.75 फीसदी शेयर रॉयल बिल्डिंग्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के पास हैं। यह कंपनी केडी सिंह की है जो तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं।

शोमा के दादा इंदू चौधरी 60-70 साल पहले बिहार के मधेपुरा आए थे और वहीं बस गए। मधेपुरा के चंदा टॉकीज के पास ही इन्होंने अपना मकान बनवाया। इंदू चौधरी डॉक्टर थे और उन्होंने मधेपुरा में ही अपनी डिसपेंसरी भी बनवाई। इंदू चौधरी के बेटे संतोष चौधरी ही शोमा के पिता हैं। संतोष चौधरी ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और डॉक्टर बने। इंदू और संतोष का मधेपुरा में काफी रसूख रहा है। शोमा के बचपन का एक बड़ा हिस्सा अपनी छोटी बहन वीणा और भाई जय के साथ यहां पर ही गुजरा है। बताया जाता है कि जब तक संतोष जिंदा थे, तब तक शोमा मधेपुरा आती-जाती थीं।

शोमा की पढ़ाई लिखाई दार्जीलिंग के नजदीक कुर्सेयॉन्ग के सेंट हेलेंस कॉन्वेंट और कोलकाता के ला मार्टिनियर स्कूल में हुई थी। शोमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से बीए ऑनर्स किया था। शोमा ने इसी यूनिवर्सिटी के साउथ कैंपस से पोस्ट ग्रैजुएशन भी किया था।

प्रिंट पत्रकारिता से जुड़ने से पहले शोमा ने दूरदर्शन के साथ काम किया था। तब उन्होंने किताबों और लेखकों पर 40 हफ्तों तक चले टीवी शो का निर्देशन किया था। बाद में वे अंग्रेजी अखबार द पायनियर के साथ बुक एडिटर के तौर पर जुड़ गईं। यहां कुछ समय तक काम करने के बाद शोमा इंडिया टुडे पत्रिका के साथ जुड़ गईं और उसके बाद आउटलुक पत्रिका के साथ। 2000 में शोमा तहलका.कॉम में काम करने तरुण तेजपाल के साथ आ गईं। स्टिंग ऑपरेशनों के बाद जब तहलका को बंद कर दिया गया था, तब भी शोमा तेजपाल के साथ जुड़ी रहीं। तहलका की मैनेजिंग एडिटर बनने से पहले शोमा तहलका की स्पेशल प्रोजेक्ट की डायरेक्टर और फीचर एडिटर हुआ करती थीं।

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शनिवार को पुलिस के सामने हाजिर होंगे तेजपाल

तेजपाल ने गोवा पुलिस को पत्र लिखकर शनिवार तक का वक्त मांगा है. तेजपाल ने कहा है कि उन्हें पुलिस का सम्मन देरी से मिला है अतः इतनी जल्दी गोवा आना सम्भव नहीं है. गोवा पुलिस ने इस पत्र की पुष्टि की है. हालांकि पुलिस ने अभी कोई जवाब नहीं दिया है।

पीड़िता का बयान दर्ज करने के बाद गोवा पुलिस ने तेजपाल को तीन बजे तक पुलिस के सामने पेश होने का आदेश दिया था। लेकिन तेजपाल के इस पत्र से स्पष्ट हो गया है कि तेजपाल आज पुलिस के सामने पेश नहीं होने वाले हैं. अब उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट भी जारी किया जा सकता है।

इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की याचिका को खारिज करते हुए फैसला 29 नवम्बर तक टाल दिया था. तेजपाल कोर्ट का फैसला आने के पहले पुलिस के सामने पेश होने से बचना चाह रहे हैं. उन्हें डर है कि पेश होने पर पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।

 

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‘कैटरीना भाभी’ से भड़के ऋषि कपूर

ऋषि कपूर भतीजी करीना कपूर से नाराज हैं। कारण…? करीना ने करन जौहर के कॉफी शो में कैटरीना कैफ को दुनिया भर के सामने अपनी ‘भाभी’ बता दिया। यह बात चाचा कपूर को जमी नहीं। एक जमाना था जब कपूर खानदान में शादी होते ही हीरोइनें फिल्मों से संन्यास ले लेती थीं। चर्चा है कि बिकनी एपिसोड के लिए ऋषि कपूर ने कैटरीना को अभी माफ नहीं किया है!

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विद्या भवन पॉलीटेक्निक में रोबोटिक्स कार्याशाला सम्पन्न

विद्यार्थियों ने बनाये बहुउपयोगी रोबोट

उदयपुर। आई. आई. टी. मुम्बई के हेलीओस समूह तथा ए. आर. के. टेक्नो सेाल्यूशन के संयुक्त तत्वावधान में विद्या भवन पॉलीटेक्निक महाविद्यालय में दो दिवसीय रोबोटिक्स कार्यशाला बुधवार को सम्पन्न हुई।

कार्यशाला संयोजक मोहम्मद सिकन्दर शेख तथा राधाकिशन मेनारिया ने बताया कि कार्यशाला में विद्या भवन पॉलिटेक्निक के विद्यार्थियों ने मात्र दो दिन की अवधि में विभिन्न प्रकार के रोबोट को बनाना सीखा। ए. आर. के. टेक्नो सेाल्यूशन के विशेषज्ञ हिमांशु पण्ड्या ने प्रशिक्षण दिया।

प्राचार्य अनिल मेहता ने बताया कि विद्यार्थियों द्वारा तैयार ध्वनि संवेदी रोबोट ताली एवं चुटकी की आवाज से नियंत्रित होता है, प्रकाश संवेदी रोबोट रोशनी के प्रभाव अथवा अन्धकार में विभिन्न क्रियाएं सम्पादित कर सकते हैं एवं रूकावट संवेदी रोबोट किसी भी रूकावट के आने पर सूचना देते हैं। ऐसे रोबोट बिना टकराये चाही गयी गतिविधि कर सकते हैं।

ध्वनि संवेदी रोबोट जहां घरेलू स्तर पर विभिन्न उपकरणें के नियंत्रण में मददगार साबित होगें, वहीं प्रकाश संवेदी एवं रूकावट संवेदी रोबोट अन्धे लोगों के लिए एक प्रभावी मददगार बन सकते हैं। यदि सूक्ष्म आकार के इन रोबोट को अन्धे लोगों की लाठी (ैजपबा) में लगा दिये जाएं तो वे उन्हें रास्ता रास्ता सुझाने व चलने में सहयोगी बनेंगे। आग जनित घटनाओं का प्रभावी रूप से नियंत्रण करने में भी रोबोट अधिक प्रभावी होते है। औद्योगिक संयत्रों एवं उपकरणों, मशीनों के नियंत्रण एवं संचालन में रोबोटिक्स उच्च स्तर की परिशुद्धता निश्चित करती है।

विभागाध्यक्ष डा. दीपक गुप्ता ने बताया कि माइक्रो कन्ट्रोलर कुछ सॉफ्टवेयर तथा सेन्सर का उपयोग कर महज कुछ हजार रूपयों में ये रोबोट बनाये जा सकते है।  

                  

क्या है रोबोट तकनीक  

विभागाध्यक्ष डा. दीपक गुप्ता ने बताया कि यह तकनीक आर्टीफिशियल इन्टलैजिस के सिद्धांत पर कार्य करती है। कुछ गणितीय सूत्रों एपं समीकरणों के उपयोग से आवश्यकता अनुरूप सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग की जाती है। इसके पश्चात माइक्रो कन्ट्रोलर चिप तथा सॉफ्टवेयर इम्बेडेड सर्किट से उपरोक्त संरचना अब कुछ हजार रूपयों में तैयार हो सकती है। उपरोक्त संरचना को हर रोबोट की आत्मा व दिमाग माना जा सकता है।

नेशनल रोबोटिक्स प्रथम चरण चैम्पियनशिप प्रतियोगिता

इस अवसर पर आयोजित नेशनल रोबोटिक्स प्रथम चरण चैम्पियनशिप प्रतियोगिता कें चयनित संभागी देवेन्द्र गहलोत, देवी सिंह बारहट, हितेष जालोरा, खेमराज तेली, अंकित पुजारी द्वितीय चरण रोबोटिक चैम्पियनशिप आई. आई. टी., मुम्बई मुम्बई में भाग लेगें।

 

संपर्क                                                                

(अनिल मेहता)                                      

प्राचार्य

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महिला पहलवान दिव्या ने 3 मिनट में पुरुष पहलवान को धूल चटाई

लखनऊ महोत्सव के तहत गुरुवार को हरीशचंद्र इंटर कॉलेज में हुए दंगल में दिल्ली की दिव्या का दम सब पहलवानों पर भारी पड़ा। अखाड़े में ताल ठोक रहे कई पुरुष पहलवानों के होश तब फाख्ता हो गए, जब दिव्या ने उन्हें कुश्ती की चुनौती दे डाली। कुश्ती लड़ने को तैयार हुए कौशल नाम के पहलवान को दिव्या ने महज तीन मिनट में ही धूल चटा दी। दिव्या के दांव के आगे पुरुष पहलवान का कौशल धरा रह गया। दिव्या ने इस प्रतियोगिता में 18 हजार रुपये का इनाम भी जीता।

विदेशों में भी पटखनी दे रही हैं दिव्या: दिव्या ने बताया कि उन्होंने मंगोलिया में हुई प्रतियोगिता में दूसरा तो यूरोप में हुई चैंपियनशिप में पांचवां स्थान हासिल किया। फिलहाल वह मिनी ओलिंपिक में जाने की तैयारी कर रही हैं।

हरीशचंद्र इंटर कॉलेज में रामचंद्र पहलवान अखाड़ा की ओर से हुई पुरुष और महिलाओं की कुश्ती प्रतियोगिता गुरुवार को आकर्षण का केंद्र बनी। अखाड़े में झांसी की बालजी ने दिल्ली के धीरज को हराकर 21 हजार रुपये पुरस्कार के रूप में जीते। प्रतियोगिता में कुल 35 मुकाबले हुए। ढोल की गूंज के बीज हनुमान जी की प्रतिमा के सामने हुई कुश्ती में दिल्ली के मनदीप ने मथुरा के जय सिंह को हराकर 11 हजार रुपये जीते।

इसी क्रम में विवेक यादव ने अजय को शिकस्त देकर 11 हजार, विनीत यादव ने राजीव को परास्त कर 5100, धीरेंद्र ने शिवा को पटखनी देकर 1100 रुपये जीते। उधर, कई मुकाबले बराबरी पर भी छूटे। इसमें नंदनी और शालू, गरिमा और सोनिका, मेघना और संतोष, चंदन और अशोक थे। वहीं, महिलाओं की कुश्ती में बनारस की पूजा यादव ने सोनिका को भांगड़ी पटखनी देकर 1100 रुपये जीते। सोनाली सरकार ने नीलम तोमर को पटखनी दी।

महिला कुश्ती के लिए रिश्तेदारों का विरोध: वाराणसी से आईं सोनाली सरकार राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान हासिल कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि परिवारवाले महिला कुश्ती के लिए तैयार हो जाते हैं पर रिश्तेदार और पड़ोसी महिलाओं की इसमें साझेदारी को सही नहीं मानते। कई बार उन्होंने इसका विरोध भी किया। परिवार में उनकी बहन नंदिनी भी पहलवान हैं।

साभारः नवभारत टाईम्स से

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तेजपाल और पीड़िता के इ मेल से तेजपाल की बेशर्मी सामने आई

तहलका के एडिटर तरुण तेजपाल और उन पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली सहकर्मी के बीच ईमेल जंग अचानक तेज हो गई, क्योंकि दोनों के बीच हुई बातचीत का एक टुकड़ा लीक हो गया है।

19 नवंबर को तेजपाल ने युवती को मेल लिखा था, जिसका जवाब 20 नवंबर को भेजा गया। बुधवार को तेजपाल का पहला मेल लीक हो गया, जिसके बाद युवती ने उनकी सफाई का कड़ाई से विरोध किया। ईमेल के जरिए हुई गोपनीय बातचीत के अंशः

तेजपाल का ईमेल युवती को (19 नवंबर)

सफाईः मुझे माफ कर दो, जो मेरे गलत फैसले के कारण तुम्हें इतना तनाव झेलना पड़ा। लेकिन मैं तुम्हें यकीन दिलाना चाहता हूं कि यह मेरे लिए भी हर तरह से उतना भी दर्दनाक था…मुझे यह जानना ही होगा कि इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई।

तहलका और महिला संवाददाताओं परः मैंने हर मंच पर तहलका की महिला संवाददाताओं और संपादकों के काम को सराहा है और व्यक्तिगत रूप से मैं हमेशा उनसे दूर ही रहा हूं।

उस शाम परः जैसा कि तुम्हें याद होगा, उस शाम हमारी बातचीत का संदर्भ कुछ अलग था। हम सेक्स की इच्छा और पार्टनर से धोखे को लेकर हंसी मजाक में बात कर रहे थे। इसी अच्छे मूड के बीच वो घटना हुई थी। मुझे जरा अंदाजा नहीं था कि तुम अपसेट हो और न ही ऐसा लगा कि वो तुम्हारी मर्जी के खिलाफ हुआ। अगली रात जब तुमने आकर मुझे बोला, तब मुझे इस बात का अहसास हुआ। मैं दो वजहों से सदमे में था। पहला, इसलिए क्योंकि तुम्हें लगा कि मैंने जोर-जबर्दस्ती की और दूसरा इसलिए कि मैंने काफी गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार दिखाया।

माफीः तुमने साफ कर दिया कि मैंने स्थिति को सही तरह से नहीं समझा और मैं इस पर सवाल भी नहीं करूंगा। मैं तुम्हारे दुख और गुस्से को भी कम करके नहीं आंक रहा। यह मेरी जिंदगी का सबसे बुरा पल था। सब कुछ गलत हो गया। लोगों से लेकर सिद्धांतों तक, जो मुझे सबसे ज्यादा प्रिय हैं, मैंने उन्हीं को चोट पहुंचाई। मैं तुमसे माफी मांगता हूं और इसे भूलने का आग्रह करता हूं। अगर तुम चाहूं, तो मैं तुम्हारी मां से मिलकर उनसे भी माफी मांगूंगा। मैं चाहता हूं कि तुम तहलका में काम करना जारी रखो और शोमा को रिपोर्ट करो, जैसा कि करती आई हो। मेरी सजा मैं भुगत रहा है और अंतिम पल तक भुगतता रहूंगा।

युवती का जवाबी ईमेल (20 नवंबर)

उस शाम परः उस रात होने वाली बातचीत का संदर्भ न अलग था और न फ्लर्ट के लहजे में था। आप सेक्स और इच्छाओं की बात कर रहे थे, जो आप मेरे साथ आम तौर पर हमेशा करते थे। दुर्भाग्य से आपने मेरे काम के बारे में कभी बात नहीं की, क्योंकि अगर आपको मेरे लेखन कार्य का अंदाजा होता, यह अहसास होना आसान रहता कि आप मुझे इस तरह यौन रूप से प्रताड़ित नहीं कर सकते और अगर ऐसा हुआ, तो मैं चुप्पी साधे गायब नहीं हो जाऊंगी। मैं आपसे रेप सर्वाइवर की स्टोरी पर बात करना चाहती थी। आपने मुझे ऑफिस में बुलाया, जहां लाइट बंद थी और आप सोफे पर लेटे थे। मैंने आपसे पूछा भी था कि क्या मैं लाइट जलाऊं, तो आपने मना कर दिया। मैं उसी कमरे में आपके साथ कुर्सी पर बैठी और आपको वो स्टोरी बताई।

इसमें राजी न होने का सवाल ही नहीं उठता। जैसे ही आपने मुझ पर हाथ रखा, मैंने आपसे रुकने की गुहार लगाई थी। मैं हर उस शख्स और सिद्धांत का जिक्र किया, जो हमारे लिए अहम थे। आपकी बेटी, आपकी पत्नी, शोमा, मेरे पिता, सभी। मैंने यह तक बताया कि आप मेरे बॉस हैं और आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। लेकिन आप नहीं माने। वास्तव में उसी रात आप और आगे बढ़े, मुझे प्रताड़ित करने की कोशिश की। तहलका की एडिट मीटिंग में हमने कई बार इस मुद्दे पर बात की कि ऐसा क्या है, जो इंसान को शैतान में तब्दील कर देता है। आपने कई बार खुद इस पर कई स्टोर करवाईं। यही होता है दानव होना। जवाब में ना सुनने के लिए तैयार न होना।

तेजपाल की बेटी को बताने परः यह बात आपकी बेटी को बताने को लेकर न केवल आप मुझ पर चिल्लाए, बल्कि अगली सुबह टेक्‍स्ट मैसेज करके यहां तक कहा कि मुझे यकीन नहीं, तुमने इतनी छोटी सी बात उसे कैसे बताई। आपने कहा था कि यह पिता-पुत्री के रिश्ते को न समझने की वजह से है।

निराशाः तरुण, मुझे यकीन नहीं आता कि आपने अपनी बेटी की उम्र की लड़की के साथ ऐसा किया, जो आपकी बेटी की दोस्त भी है। और इसे आप छोटी सी बात कहते हैं। तहलका जिस चीज के लिए खड़ा होता रहा है, उसे लेकर यह कैसी नासमझी है?

माफी परः दुर्भाग्य से उससे माफी मांगने की आपकी इच्छा भी यही दिखाती है कि आप ऐसा मानते हैं कि पुरुषों को महिलाओं के शरीर पर सारे अधिकार हैं। वो लोग जिनसे आपको माफी मांगनी चाहिए, वे तहलका के कर्मचारी हैं, क्योंकि आपने उनका और मेरा भरोसा तोड़ा है। आगे मुझसे व्यक्तिगत रूप से बातचीत की कोशिश मत कीजिएगा। जब आपने मेरा भरोसा तोड़ा और मेरे शरीर के साथ खिलवाड़ किया, तो यह अधिकार खो दिया।

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