Saturday, November 23, 2024
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आम आदमी’ का गाना गाएंगे रब्बी शेरगिल

कांग्रेस के पंजाबी गायक दलेर मेहंदी व भाजपा के भोजपुरी गायक मनोज तिवारी की टक्कर में आम आदमी पार्टी ने ‘बुल्ला की जाणा मैं…’ फेम सूफी गायक रब्बी शेरगिल पर दांव लगाया है।

अरविंद केजरीवाल व संजय सिंह की मौजूदगी में बृहस्पतिवार रात रब्बी ने औपचारिक तौर पर पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर एक शिव नगर एक्सटेंशन, जेल रोड पर पार्टी की सिख शाखा की तरफ से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। रब्बी अब पार्टी के पक्ष में दिल्लीवासियों को लामबंद करेंगे।

रब्बी शेरगिल ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर मुझे किसी पार्टी से कोई परेशानी नहीं है। लेकिन जब इनके नेताओं की बात सुनता हूं तो देश की किस्मत बदलने वाली कोई खिड़की खुलती नहीं दिखती। सब घिसी-पिटी बातें दोहराते रहते हैं।

आजादी से पहले अंग्रेज राज कर रहे थे, अब सत्ता भूरे अंग्रेजों के हाथ में है। लेकिन मौजूदा चुनाव में उम्मीद अरविंद से बनती है। यह ऐसी आवाज हैं जो हमें खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।

रब्बी ने कहा कि यह चुनाव आखिरी मौका है। अगर अब न संभले तो देश का आधार ढह जाएगा। अरविंद चरमराती दीवार को संभालने की कोशिश कर रहे हैं। इनका दर्शन हमारे महान संतों की वाणी की पराकाष्ठा है, जो हमें राजा बनाती है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि अगली बार की मुलाकात में अरविंद मुख्यमंत्री होंगे और हम सबको अपने फैसले पर गर्व हो। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने रब्बी के पार्टी में शामिल होने का स्वागत किया और भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस और भाजपा पर तीखा निशाना साधा।

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हिन्दी का नवीन स्पैल चैकर सॉफ्टवेअर

जगदीप डांगी द्वारा विकसित एक और नवीन हिंदी सॉफ्टवेयर उपकरण सक्षम जारी किया गया। यह सॉफ्टवेयर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय – वर्धा, द्वारा कुलपति श्री विभूति नारायण राय (आई.पी.एस.) की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के माननीय प्रति कुलपति प्रो. ए. अरविंदाक्षन जी द्वारा जारी किया गया।� इस आयोजन की मुख्य अतिथि कार्य-परिषद सदस्‍य एवं प्रसिद्ध हिंदी आलोचक प्रो. (श्रीमती) निर्मला जैन जी थीं।

क्या है सक्षम सॉफ्टवेयर?

सक्षम – यूनिकोड हिंदी देवनागरी हेतु वर्तनी परीक्षक

(Saksham – Unicode Based Devanagari Hindi Spell Checker)

यह यूनिकोड फ़ॉन्ट आधारित देवनागरी हिंदी पाठ के लिए वर्तनी परीक्षक सॉफ़्टवेयर है। इसके माध्यम से यूनिकोड फ़ॉन्ट आधारित देवनागरी हिंदी में लिखे गए पाठ की वर्तनी को जाँचने, सुधारने एवं संशोधन करने में सहायता मिलती है। यह पाठ के शब्दों की वर्तनी में हुई अशुद्धियों को हाइलाइट करते हुए शब्दों की लगभग सभी शुद्ध वर्तनियों को दर्शाता है। यह विंडोज के एम.एस. वर्ड सॉफ़्टवेयर के अंदर कार्य करने में पूर्ण सक्षम है। वर्तमान में इसके लिए प्रयुक्त डाटाबेस में हिंदी के 69000 शब्द संग्रहीत हैं भविष्य में लगभग पाँच लाख मानक शब्द संग्रहित करने का लक्ष्य है।

विशेषताएँ:-

1.�� विंडोज के एम.एस. वर्ड सॉफ़्टवेयर के अंदर कार्य करने में पूर्ण सक्षम है।

2.�� यह यूनिकोड आधारित मानक हिंदी के लिए पहला वर्तनी परीक्षक सॉफ्टवेयर है।

3.�� सॉफ्टवेयर का संपूर्ण इंटरफ़ेस देवनागरी लिपि (हिंदी भाषा) में है।

4.�� यह यूनिकोड फ़ॉन्ट आधारित देवनागरी एवं रोमन फ़ॉन्ट में लिखे हुए द्विभाषी पाठ में से यह रोमन फ़ॉन्ट में लिखे हुए पाठ को छोड़ कर सिर्फ़ देवनागरी पाठ की वर्तनी जाँचने में पूर्ण सक्षम है।

5.�� तालिका के रूप में लिखे हुए पाठ पर भी यह सॉफ़्टवेयर कार्य करने में पूर्ण सक्षम है।

6.�� यह परीक्षण के दौरान प्राप्त अशुद्ध वर्तनी वाले शब्द को हाइलाइट करता है एवं उक्त अशुद्ध वर्तनी वाले शब्द के लिए कुछ शुद्ध वर्तनी युक्त संभावित शब्द भी सुझाता है।

7.�� परीक्षण के दौरान हाइलाइट वाले शब्द को उपयोगकर्ता अपने शब्दकोश में सम्मिलित भी कर सकता है और उसे छोड़ भी सकता है इसके लिए उपयुक्त कमांड कुंजियाँ दी गईं हैं।

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डेमो लिंक :-

http://www.4shared.com/zip/sDlfPkkU/Saksham.html

https://www.hightail.com/download/OGhmbUpRcG84Q1JqQThUQw

विकासकर्ता

जगदीप सिंह दांगी

एसोसिएट प्रोफेसर – भाषा विद्यापीठ

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय – वर्धा

http://hindivishwa.org/

जानकारी के लिए :-� इससे पूर्व भी हमने हिंदी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर विकसित किए हैं। जिनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार से है।

��� प्रखर देवनागरी फ़ॉन्ट परिवर्तक (अस्की/इस्की फ़ॉन्ट से यूनिकोड फ़ॉन्ट में परिवर्तन हेतु)
��� यूनिदेव (यूनिकोड फ़ॉन्ट से अस्की/इस्की फ़ॉन्ट में परिवर्तन हेतु)
��� शब्द-ज्ञान (यूनिकोड आधारित हिंदी-अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश)
��� प्रखर देवनागरी लिपिक (यूनिकोडित रेमिंगटन टंकण प्रणाली आधारित)
��� प्रलेख देवनागरी लिपिक (यूनिकोडित फ़ॉनेटिक इंग्लिश टंकण प्रणाली आधारित)
��� आई-ब्राउजर++ (प्रथम हिंदी इंटरनेट एक्सप्लोरर) – लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स – 2007 में दर्ज
��� अंग्रेजी-हिंदी शब्दानुवादक (ग्लोबल वर्ड ट्रांसलेटर)
��� शब्दकोश (हिंदी-अंग्रेजी-हिंदी)
��� शब्द-संग्राहक

प्रखर देवनागरी फ़ॉन्ट परिवर्तक

(अस्की/इस्की फ़ॉन्ट से यूनिकोड फ़ॉन्ट में परिवर्तन हेतु)

यह एक बहुत उपयोगी फ़ॉन्ट परिवर्तक सॉफ़्ट्वेयर है। इस सॉफ़्ट्वेयर के द्वारा कंप्यूटर पर किसी भी प्रकार के विभिन्न देवनागरी (हिंदी, मराठी, संस्कृत) ट्रू टाइप एवम् टाइप-1 अस्की/इस्की (8 बिट कोड, कृतिदेव, चाणक्य, भास्कर ,शुषा आदि) फ़ॉन्ट्स आधारित पाठ को यूनिकोड (16 बिट कोड, मंगल) फ़ॉन्ट आधारित पाठ में पूरी शुद्धता के साथ बदल सकते हैं। यह टेक्स्ट-तालिका (Text-Table) के पाठ को भी पूरी शुद्धता के साथ टेक्स्ट-तालिका के रूप में ही परिवर्तित करने में पूर्ण सक्षम है। द्विभाषी अंग्रेज़ी-हिंदी मिश्रित सामग्री को भी जस का तस फ़ॉर्मेटिंग इत्यादि बनाए रखते हुए यूनिकोड में बदल देता है। इस फ़ॉन्ट परिवर्तक में लगभग 275 तरह के विभिन्न देवनागरी (हिंदी, मराठी, संस्कृत) फ़ॉन्ट को यूनिकोड में परिवर्तित करने की सुविधा है। वर्तमान में इसका उपयोग देश-विदेश के अनेक संस्थानों में किया जा रहा है।

यूनिदेव

(यूनिकोड फ़ॉन्ट से अस्की/इस्की फ़ॉन्ट में परिवर्तन हेतु)

इस सॉफ़्ट्वेयर के माध्यम से यूनिकोड (मंगल) फ़ॉन्ट आधारित पाठ्य सामग्री को कृतिदेव, चाणक्य, शिवा आदि फ़ॉन्ट में पूरी शुद्धता के साथ बदला जा सकता है। मानाकि आज यूनिकोड का चलन है लेकिन अभी भी कई सॉफ़्ट्वेयर ऐसे हैं जोकि यूनिकोड का समर्थन नहीं करते जिनमें कोरेल ड्रॉ,फोटोशॉप, पेजमेकर, क्वार्क एक्सप्रेस प्रमुख हैं। उक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही यूनिदेव को विकसित किया गया है। इससे हम यूनिकोड (मंगल) फ़ॉन्ट आधारित देवनागरी (हिंदी, मराठी, संस्कृत, नेपाली आदि) लिपि को शत-प्रतिशत शुद्धता के साथ कृतिदेव 010, कृतिदेव 020, चाणक्य (True Type एवम् Type-1), संस्कृत 99, एसडी-टीटीसुरेख, शिवा (Type -1), वॉकमैन-चाणक्य-902 एवम् वॉकमैन-चाणक्य-905 (Type -1) फ़ॉन्ट में बदल सकते हैं। यह टेक्स्ट-तालिका (Text-Table) के पाठ को भी पूरी शुद्धता के साथ टेक्स्ट-तालिका के रूप में ही परिवर्तित करने तथा द्विभाषी अंग्रेज़ी-हिंदी मिश्रित सामग्री को भी जस का तस फ़ॉर्मेटिंग इत्यादि बनाए रखते हुए भी परिवर्तित करने में पूर्ण सक्षम है।

शब्द-ज्ञान

(यूनिकोड आधारित हिंदी-अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश)

यह यूनिकोड आधारित सॉफ़्ट्वेयर है और इसे ऑफ़लाइन उपयोग करने की दृष्टि से तैयार किया गया है। यह दोनों अवस्थाओं अर्थात् हिंदी से अंग्रेजी व अंग्रेजी से हिंदी में कार्य करने में पूर्ण सक्षम हैं, तथा खोजे जा रहे अंग्रेजी या हिंदी शब्द के अर्थ के अलावा अन्य समानार्थी शब्द भी उच्चारण सहित तुरंत दिखाता है व एक समानांतर कोश यानी 'थिसारस' की तरह भी उपयोगी है। इसमें शब्दों के अर्थ के साथ-साथ मुहावरे व वाक्य-खण्डों का भी संग्रह है। इस हिंदी सॉफ़्ट्वेयर उपकरण से उपयोगकर्ता अपने किसी भी हिंदी/अंग्रेजी शब्द के कई पर्यायवाची शब्दों को खोज सकता है, इस बाबत इसमें कई प्रकार से शब्दों को फिल्टर करने के लिये विशेष फलन दिये गये हैं। इन फलनों की सहायता से उपसर्ग या प्रत्यय के आधार पर भी शब्दों को अपने अनुसार खोज निकालने की सुविधा है। इस सॉफ़्ट्वेयर में एक द्वि-भाषी ऑन स्क्रीन (फ़ॉनेटिक इंग्लिश टंकण प्रणाली आधारित) कुंजीपटल की विशेष सुविधा भी दी गई है, जिसे माउस द्वारा कमांड किया जा सकता है। वर्तमान में लगभग 39,000 शब्दों का शब्दकोश इसमें अंतर्निर्मित है और इसका शब्दकोश परिवर्धनीय भी है जिसे उपयोगकर्ता अपने अतिरिक्त शब्दों को सम्मिलित कर और भी समृद्ध बना सकता है।

प्रखर देवनागरी लिपिक

(यूनिकोडित रेमिंगटन टंकण प्रणाली आधारित)

यह रेमिंगटन टंकण प्रणाली आधारित एक सरल शब्द संसाधक है। इस सॉफ़्टवेयर के माध्यम से कंप्यूटर पर साधारण हिंदी रेमिंगटन टंकण (हिंदी टाइपिंग) जानने वाले यूनिकोड आधारित देवनागरी लिपि (हिंदी, मराठी, संस्कृत) युक्त पाठ को एवम् रोमन लिपि (अंग्रेजी) युक्त पाठ को अपने मन पसंद की-बोर्ड लेआउट यानि के रेमिंगटन की-बोर्ड लेआउट में संयुक्त रूप से सहजता से टंकण कर सकते हैं। इस सॉफ़्टवेयर का संपूर्ण इंटरफ़ेस हिंदी में होकर यूनिकोड आधारित देवनागरी लिपि में है। आज हमारे देश में लाखों लोग ऐसे हैं जोकि हिंदी टाइप-राइटर पर हिंदी टाइपिंग (रेमिंगटन की-बोर्ड लेआउट) जानते हैं, लेकिन यदि वही लोग जब कंप्यूटर पर टाइपिंग करना चाहते हैं, तब “प्रखर देवनागरी लिपिक” एक महत्वपूर्ण व उपयोगी सॉफ़्ट्वेयर है।

प्रलेख देवनागरी लिपिक

(यूनिकोडित फ़ॉनेटिक इंग्लिश टंकण प्रणाली आधारित)

यह सॉफ़्ट्वेयर यूनिकोड आधारित देवनागरी (हिंदी, मराठी, संस्कृत) पाठ को फ़ॉनेटिक इंग्लिश की टंकण शैली अनुसार टंकित करने की विशेष सुविधा प्रदान करता है। इस सॉफ़्ट्वेयर के माध्यम से देवनागरी लिपि एवम् रोमन लिपि युक्त पाठ को संयुक्त रूप से एक ही पृष्ठ पर आसानी से टंकित किया जा सकता है। यह सॉफ़्ट्वेयर विशेष तौर पर उन उपयोगकर्ताओं के लिये है, जोकि अंग्रेजी की टंकण शैली में टंकण जानते हैं। अंग्रेजी टंकण शैली के अनुसार ही उपयोगकर्ता इस सॉफ़्ट्वेयर के माध्यम से देवनागरी (हिंदी, मराठी, संस्कृत) पाठ को टंकित कर सकते हैं।

आई-ब्राउजर++

(प्रथम हिंदी इंटरनेट एक्सप्लोरर) – लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स – 2007 में दर्ज

यह विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित सॉफ़्टवेयर है। यह विंडोज़ एक्सप्लोरर एवं इंटरनेट एक्सप्लोरर का संयुक्त रूप है। हिंदी एक्सप्लोरर की विशेषता यह है कि इसका संपूर्ण इंटरफेस हिंदी भाषा में होकर देवनागरी लिपि में है। इसकी सहायता से कोई भी साक्षर हिंदी भाषी व्यक्ति इसका उपयोग सहजता से कर सकता है। इसमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण सुविधा है और वह है शब्द रूपांतरण (अनुवाद) की जिसकी मदद से वेब-पेज पर उपस्थित अंग्रेजी शब्द पर माउस द्वारा क्लिक करने पर उस शब्द का हिंदी में अर्थ एवं उच्चारण बतला देता है। इसके अलावा इसमें और भी अन्य खूबियाँ हैं, जैसे कि वेब पृष्ठ पर स्थाई शब्दानुवाद, एडिट मोड ऑन ऑफ, 'इंग्लिश-हिंदी' डिजिटल डिक्शनरी, वेब पृष्ठ पर उपस्थित शब्दों को हाइलाइट करने आदि की सुविधाएँ हैं।

अंग्रेजी-हिंदी शब्दानुवादक

(ग्लोबल वर्ड ट्रांसलेटर)

यह एक ऐसा सॉफ़्टवेयर है जो कि विंडोज़ के किसी भी सॉफ़्टवेयर के अंदर कार्य करने में सक्षम है, तथा संबंधित अंग्रेजी शब्द पर माउस द्वारा क्लिक करते ही उसका हिंदी अनुवाद विभिन्न समानार्थी शब्दों के साथ-साथ उच्चारण सहित कर देता है। इस सॉफ़्टवेयर का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है की यह विंडोज़ के किसी एक विशेष अनुप्रयोग पर निर्भर नहीं है बल्कि इसको विंडोज़ के किसी भी एप्लीकेशन सॉफ़्टवेयर जैसे कि एमएस वर्ड, वर्डपैड, नोटपैड, एमएसआइई, फायरफोक्स ब्राउज़र आदि के अंदर संयोजन कर अनुवाद की सुविधा का उपयोग किया जा सकता है। उपयोगकर्ता इसका उपयोग ऑनलाइन व ऑफ़लाइन दोनों ही अवस्थाओं में कर सकता है।

शब्द-संग्राहक

यह एक ऐसा सहज सॉफ़्ट्वेयर है जिसकी सहायता से देवनागरी हिंदी पाठ में से चाहे गए शब्दों को वर्णक्रम अनुसार सूची के रूप में संचित करता है साथ ही सूची में समान शब्दों की पुनरावृत्ति को रोकता है। यह विंडोज के एम.एस. वर्ड सॉफ़्ट्वेयर के अंदर कार्य करता है।

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उत्तराखंड सरकार की नाकामी के खिलाफ धरना प्रदर्शन

जून माह के दौरान उत्तराखण्ड में आई भीषण त्रासदी को चार माह से अधिक समय बीतने के बाद भी उत्तराखण्ड़ सरकार आज तक पीडि़त परिवारों का पुर्नवास तो क्या करती अभी तक ठीक से राहत भी नहीं पहुंच पा रही है। बल्की उल्टा लोगों के लोकतात्रिक अधिकारों की घोर उपेक्षा कर रही है। 7 नवम्बर से शुरू हो रहे प्रदेश भर के आन्दोलन कारियों के उपवास में ये मांगे प्रमुखता उठाई जा रही है। 

1.  आपदा से प्रभावित लोगों के लिए राहत कि सारी जिम्मेदारी सरकार तत्काल पंचायत को दे।

2.   ग्राम सभा और ग्राम पंचायत को मिले 73वां 74 संविधान संशोधन और वन अधिकार कानून 2006 द्वारा संवैधानिक अधिकारों और कनूननी ताकतो को मानने के लिए राज्य सरकार बाध्य है। ग्राम सभा के इजाजत के बिना कोई भी परियोजना नहीं लगाई जायेगी। ग्राम सभा जंगल की सुरक्षा और प्रवन्धन करेगा और लोगों द्वारा वनों की जरूरतों पर भी निर्णय करेगा। राज्य सरकार इन तीनों कानून का घोर उलघंन कर रही है।
3 राज्य सरकार एक स्पष्ट आदेश निकाले कि उत्तराखण्ड़ के पहाड़ी इलाके में रहने वाले समुदाई जो वनो पर निर्भर है। उनके लिए वनाधिकार कानून लागू है। इस कानून पर इमानदारी से अमल हो और हर ग्राम सभा को अधिकार पत्र दें जिससे वे अपने समुदाईक वन संसाधनो का इस्तेमाल कर सके।

4. 73 वां संविधान संसोधन में ग्राम पंचायत को जो अधिकार दिये हैं उसे राज्य सरकार तत्काल मान्यता दें। इसके लिए राज्य सरकार को उत्तराखण्ड़ पंचायती राज कानून को संसोधन करने और उसे अमल में लाने के लिए एक समिति का गठन करें, उस समिति में जनान्दोलन के प्रतिनिधियों को शामिल करें।

5.  जितनी परियोजनायें चल रही है और सरकार ने जो स्वीकृत की है, हमारा मानना है कि वे सब गैर कानूनी है। उन्हे तत्काल रद्द किया जाय। जो अधिकारी इन गैर कानूनी कामों के लिए जिम्मेदार है उनके उपर सरकार तत्काल कानूनी कार्यवाही करे।
6 राज्य सरकार वन विभाग को तत्कान आदेश दे कि वनाधिकार कानून की धारा 5 के अनुसार ग्राम सभा की अनुमति के बिना वे जंगल में एक पेड़ भी नहीं काट सकते।

संपर्क

चेतना आन्दोलन                                      

उत्तराखण्ड महिला मंच
Shankar Gopalakrishnan <shankargopal@myfastmail.com>

Smt. Nirmala Bisht, Uttarakhand Mahila Manch (9897310667)
Trepan Singh Chauhan, Chetna Andolan (9927665683)

Shankar Gopalakrishnan, Chetna Andolan / Campaign for Survival and Dignity (7409315867)

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कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. जमाल.ए.खान का सम्मान

देश के जाने-माने कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ जमाल.ए.खान को प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान के तत्वाधान में चलाए जा रहे ‘स्वस्थ भारत विकसित भारत अभियान’ ने बहुत प्रभावित किया है। पिछले दिनों अपने मुम्बई प्रवास के दौरान उन्होंने संस्था के अधिकारियों से मुलाकात की और कैंसर के रोकथाम की दिशा में अपनी पहल की जानकारी भी दी। गौरतलब है कि डॉ जमाल ने भारत में सर्वप्रथम कैंसर इम्यूनोथेरेपी का ईलाज 2005 में आरम्भ किया था।  तबसे अब तक हजारों मरीजों को कैंसर रोगमुक्त कर चुके हैं। यह थेरेपी 90 दिनों का होता है। डॉ जमाल का डैनवेक्स क्लिनिक दिल्ली, गुडगाँव, नॉएडा, बैगलोर, चेन्नई, कोचि तथा मलेशिया में स्थित है। बातचीत में उन्होंने बताया कि शीघ्र ही मुंबई में भी एक क्लिनिक खोलेंगे। इस मौके पर संस्था के चेयरमैन मनोज सिंह राजपूत ने फूलों का गुलदस्ता देकर उन्हें सम्मानित किया। संस्था के नेशनल को-आर्डिनेटर आशुतोष कुमार सिंह ने डॉ. जमाल.ए.खान की कैंसर के क्षेत्र में उनके योगदान की सराहना की। इस मौके पर संस्था की ओर से दिवाकर शर्मा, मधुप श्रीवास्तव, शैलेन्द्र सिंह, निर्भय यादव सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।

 
संपर्क
आशुतोष कुमार सिंह
नेशनल को-आर्डिनेटर, प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान
08108110151

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एक शाम गुलज़ार के नाम, दिल्ली के हिन्दू कॉलेज में

हिंदी सिनेमा के सौ बरस के मौके पर हिंदी विभाग हिन्दू कॉलेज में प्रख्यात गीतकार गुलज़ार ने सिनेमा के कई पहलुओं पर रौशनी डाला। उनके मुताबिक  किस्सागोई की परंपरा को तकनीक के सहारे सिनेमा ने नया विस्तार दिया है और गीत संगीत भारतीय सिनेमा की कमजोरी नहीं बल्कि उसकी ताकत है बशर्ते उसका इस्तेमाल कथानक को गति देने के लिए हो। श्रोताओं की इस शिकायत पर कि इस दौर की गीतों और धुनों में पहले वाली मिठास नहीं रही वो कहते है कि आपाधापी भरे इस दौर में जब जिन्दगी में सुकून कम हो रहा है तो इसका असर तो सिनेमा समेत तमाम कलाओं पर पड़ना लाजमी ही है। साथ ही श्रोताओं की पसंद भी बदल रही है। 

फिल्म ओमकारा के '' बीड़ी जलइले '' के लिए शिकायत करने वालों को वे याद दिलाते हैं की इसी फिल्म में  ''ओ साथी रे '' और '' नैना ठग लेंगे '' जैसे गाने भी थे जिसकी चर्चा कम होती है। बिल्लो , लंगड़ा त्यागी जैसे किरदार  'बीड़ी जलइले' सरीखे गीत ही गायेंगे ग़ज़ल नहीं। गीत लिखते वक़्त फिल्म की कहानी , गाने की सिचुवेंशन और किरदारों का ख्याल तो रखना ही पड़ता है। ' मोरा गोरा रंग लै ले ' से शुरुआत करने वाले गुलज़ार ने बताया कि वो बदलते वक़्त के साथ कदम मिलाने की कोशिश करते हैं ' गोली मार भेजे में ' या 'कजरारे' सरीखे गीत इसी का नतीजा हैं। लेकिन ऐसे गीतों की उम्र कम होती है इसके जवाब में  दूसरे पहलू की तरफ भी ध्यान दिलाते है। 

वो कहते हैं कि पहले आल इंडिया रेडियो पर केवल ४ घंटे गीत के कार्यक्रम होते थे लोग अपने नाम के साथ फरमाइश भेजते थे लेकिन अब रेडियो पर ही २४ घंटे गीत बजते हैं इस ओवरडोज़ ने भी हमारी यादास्त को कमजोर किया है और गीतों की उम्र घटी है। गुलज़ार को इस बात का मलाल भी है कि भारत में विभाजन पर कम फिल्मे बनी हैं लेकिन ' तमस ' को इस विषय पर बनी संवेदनशील फिल्म मानते हैं। गुलज़ार के रचनात्मकता पर बात करते हुए हिंदी विभाग के डॉ रामेश्वर राय ने लोक को उनकी गीतों का प्राण तत्त्व बताते हुए कहा कि दिल्ली और मुंबई में जिन्दगी का ज्यादातर वक़्त बिताने के बावजूद गीतों में, उनका ग्रामीण मन झांकता है।  

विभाग की अध्यापिका डॉ रचना सिंह के मुताबिक गुलज़ार की कलम का स्पर्श पाते शब्द संस्कारित हो जाते हैं इसलिए उनके बिलकुल भदेश गीतों में भी एक गरिमा है।  कॉलेज के प्राचार्य प्रदुम्न कुमार ने खुद को उनका फैन बताते हुए कहा कि यह कॉलेज का सौभाग्य है की आज गुलजार साब हमारे बीच हैं।  हिंदी विभाग की वरिष्ठ शिक्षिका डॉ विजया सती  ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए इस उल्लेखनीय गीतकार ,फ़िल्मकार के प्रति आभार जताया। 

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प्रो. बृज किशोर कुठियाला नेशनल एजुकेशन लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति   प्रो. बृज किशोर कुठियाला को नेशनल एजुकेशन लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित किया गया है। स्टार आफ द इंडस्ट्रीज ग्रुप द्वारा दिया गया यह सम्मान उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया है। 23 अक्टूबर 2013 को मुम्बई के होटल ताज लैण्ड्स एंड में आयोजित गरिमामय कार्यक्रम में प्रो. कुठियाला को यह सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कम्युनिकेशन] मीडिया] एडवरटाईजिंग] मार्केटिंग कम्युनिकेशन] इंजीनियरिंग एवं टेक्नालाजी से जुड़े हुए अनेक शैक्षणिक पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने] शोध एवं नवाचारी प्रयोगों को आरंभ करने के लिए सम्मानित किया गया है।

        

सम्मान ग्रहण करते हुए प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि आज उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक चुनौतियाँ हैं। आने वाले समय में विश्व के सर्वाधिक युवा हमारे देश में होंगे। अतः हमें वैश्विक संदर्भ को ध्यान में रखते हुए अपनी शिक्षा पद्धति एवं शोध गतिविधियों को इस तरह तैयार करना होगा कि हमारे देश के युवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकें। इसमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी देश के शिक्षा संस्थानों की है। आज उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों की आवश्यकता है] इसलिए शिक्षाविदों का दायित्व और बढ़ गया है।

        

प्रो. बृज किशोर कुठियाला विगत चार दशकों से भी अधिक समय से संचार] जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय] हरियाणा तथा गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय] हिसार में संचार] जनसंचार] मीडिया टेक्नालाजी तथा प्रिंटिंग टेक्नालाजी से विभिन्न पाठ्यक्रम प्रारम्भ किए। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में विगत चार वर्षों में उन्होंने मीडिया मैनेजमेंट] एंटरटेंनमेंट कम्युनिकेशन] मार्केटिंग कम्युनिकेशन तथा कारपोरेट कम्युनिकेशन एम.बी.ए. पाठ्यक्रम प्रारम्भ किए। इन पाठ्यक्रमों को ए.आई.सी.टी.ई. द्वारा भी सराहा गया। उन्होंने कम्युनिकेशन रिसर्च तथा न्यू मीडिया टेक्नालाजी विभाग की स्थापना करते हुए मीडिया रिसर्च] मल्टीमीडिया] ग्राफिक्स तथा एनीमेशन जैसे नवीन पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय में प्रारम्भ किया। मीडिया शिक्षा में नवाचारी प्रयोग के लिए पब्लिक रिलेशन्स काउंसिल आफ इंडिया द्वारा भी प्रो. कुठियाला को पी.आर.सी.आई. चाणक्य सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

 

(डा. पवित्र श्रीवास्तव)

विभागाध्यक्ष] जनसंपर्क विभाग

 

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श्रद्धा कपूर है ब्लफमास्टर!!!

-जूम के जेनेक्सट, फ्यूचर ऑफ बॉलीवुड में इस बार इस खूबसूरत अभिनेत्री को देखिए दोस्ती, प्यार, शरारतों और बहुत कुछ पर खुल कर बात करते हुए-

श्रद्धा कपूर, आशिकी 2 में अपनी खूबसूरती और मासूमियत से सब का दिल चुरा लिया है। इस सप्ताह ये प्रतिभाशाली अभिनेत्री बॉलीवुड में अपनी शुरुआत पर खुल कर बाते करेगी। बॉलीवुड के एक चर्चित खलनायक की बेटी का सिनेमा से परिचय काफी छोटी उम्र से ही हो गया था, पर वह छोटी उम्र से ही बॉलीवुड फिल्म में आने के विचारों को ही झटक देती थी। वह, शायद तब ये नहीं जानती थी कि उसका भाग्य तो पहले ही लिखा जा चुका है!

इस सप्ताह जेनेक्सट-फ्यूचर अॉफ बॉलीवुड में, ये डीवा जूम के साथ बातचीत में बॉलीवुड का हिस्सा बनने के प्रति अपने जुनून और अपनी शर्तों पर सफलता पाने के बारे में बातचीत करेगी। क्या आप जानते हैं कि श्रद्धा की “ाुरूआत वैसी ही हुई थी जैसी आषिकी 2 में आरोही की हुई थीं? देखिए अलग अंदाज वाले डायरेक्टर मोहित सूरी को श्रद्धा के साथ पहली मुलाकात के बारे में बात करते हुए। वहीं दो अन्य डायरेक्टर विवेक भूषण (बंपी) और महेश भट्ट को उसके उन पहलुओं के बारे में बताते हुए भी देखिए, जिनके चलते वे सभी दर्शकों की पसंद बन गई हैं।

देखिए श्रद्धा को बॉलीवुड में आने से पहले अपनी जिंदगी के राजों को खोलते हुए, चोरी चोरी परीक्षाओं में चीटिंग करने से, सेमि-फाइनल एग्जाम में प्रश्नपत्र की चोरी से लेकर ऋतिक रौशन पर क्रश तक, श्रद्धा बिना हिचकिचाए सभी को मानती है! शक्ति कपूर की प्यारी बेटी लगती चुपचाप है लेकिन है बहुत शैतान। आइये श्रद्धा के प्रिय पिताश्री और उनके फिक्रमंद भाई से जाने उनकी श्रद्धा के बॉडीगार्ड बनने का अनुभव, वो भी उसकी उसकी 100 करोड़ ब्लॉकबस्टर फिल्म की रिलीज से पहले।

श्रद्धा ने अपनी फिल्म से चाहे नई पीढ़ी के रोमांस की प्रतीक बन गई है लेकिन उसका दिल अभी भी पुरानी रोमांटिक क्लासिक-प्यासा में ही अटका है जो कि उसकी पसंदीदा फिल्म है। देखिए श्रद्धा को ब्लफमास्टर के रूप में, अपने पिता की नन्हीं राजकुमारी और एक प्यारी लड़की के रूप में, जिसने अपने दम पर बॉलीवुड में धमाका किया है, इस सप्ताह जेनेक्सट, फ्यूचर अॉफ बॉलीवुड में।

देखिए, �जेनेक्सट, फ्यूचर ऑफ बॉलीवुड, सोमवार 28 अक्टूबर, 2013, �रात 8 बजे, सिर्फ जूम पर-भारत का नंबर 1 बॉलीवुड चैनल

मीडिया संपर्क
Kripa Nayak/ Gitanjali Khatau
LINOPINION – The Lowe Lintas PR Division
M:9819826335 /9833011128
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अणुव्रत लेखक पुरस्कार से श्री ललित गर्ग सम्मानित

नई दिल्ली। अणुव्रत महासमिति द्वारा प्रतिवर्ष उत्कृष्ट नैतिक एवं आदर्श लेखन के लिए प्रदत्त किया जाने वाला ‘अणुव्रत लेखक पुरस्कार’ वर्ष-2011 के लिए लेखक, पत्रकार एवं समाजसेवी श्री ललित गर्ग को अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में जैन विश्व भारती, लाडनूं (राजस्थान) में आयोजित राष्ट्रीय अणुव्रत लेखक सम्मेलन में दिनांक 26 अक्टूबर 2013 को प्रदत्त किया गया। अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री बाबूलाल गोलछा ने श्री गर्ग को इक्यावन हजार रुपए की राशि का चैक, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदत्त कर उन्हें सम्मानित किया। श्री गर्ग पिछले तीन दशक से राष्ट्रीय स्तर पर लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं प्रदत्त करते हुए अणुव्रत आंदोलन के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। विदित हो वर्तमान में श्री गर्ग सूर्यनगर एज्यूकेशनल सोसायटी (रजि॰) द्वारा संचालित विद्या भारती स्कूल के विकास एवं मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन है।

आचार्यश्री महाश्रमण ने श्री गर्ग की नैतिक एवं स्वस्थ लेखन की प्रतिबद्धता की चर्चा करते हुए कहा कि श्री गर्ग सृजनशील प्रतिभा हैं जिनमें सरलता, सादगी और नैतिक निष्ठा दिखाई देती है। ये संस्कार इन्हें इनके पिता वरिष्ठ पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी एवं साहित्यकार स्व॰ श्री रामस्वरूपजी गर्ग से विरासत में प्राप्त हुए हैं। आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ के साथ सक्रिय रूप से कार्य करने वाले इनके पिताजी ने अणुव्रत आंदोलन की सक्रिय सेवाएं की हैं। श्री ललित गर्ग भी अणुव्रत आंदोलन, आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ और हमारे वर्तमान कार्यक्रमों में विशिष्ट सहयोगी हैं। आचार्य श्री महाश्रमण ने अणुव्रत महासमिति के इस चयन को सही बताया और गर्ग की धर्मसंघ के प्रति सेवा और समर्पण भावना की सराहना की। आचार्य श्री महाश्रमण ने आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी की चर्चा करते हुए कहा कि देश में नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों की स्थापना में अणुव्रत आंदोलन का विशिष्ट योगदान है। उन्होंने लेखकों को सामाजिक विचारधारा का वाहक बताया और लेखन में नैतिकता अपनाने का आह्वान किया। अणुव्रत लेखक पुरस्कार की चर्चा करते हुए कहा कि उत्कृष्ट और नैतिक लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए ऐसे लेखकों की विशेषताओं को स्वीकार कर हम उनका सम्मान करें, आदर करें, इससे एक बड़ी शक्ति का प्रस्फुटन हो सकता है।

अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री बाबूलाल गोलछा ने श्री गर्ग और उनके परिवार द्वारा की गई उल्लेखनीय समाज सेवा चर्चा करते हुए कहा कि श्री ललित गर्ग हमारे समाज की एक विशिष्ट प्रतिभा है। साहित्य, पत्रकारिता और जनसंपर्क की दृष्टि से इनकी समाज को विशिष्ट सेवाएं प्राप्त हो रही हैं। अणुव्रत आंदोलन को उन्होंने पिछले तीन दशक में राष्ट्रव्यापी स्तर पर स्थापित करने में उल्लेखनीय सहयोग किया।

अणुव्रत लेखक पुरस्कार से सम्मानित श्री गर्ग ने आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पुरस्कार मेरे लिए महान् संत पुरुषों का आशीर्वाद है। मेरा यह सौभाग्य है कि मुझे बचपन से ही आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ और आचार्य श्री महाश्रमण का असीम अनुग्रह, स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। बचपन में जहां गांधी, विनोबा भावे और आचार्य तुलसी के साथ पिताजी से जुड़े निकटता के अनूठे संस्कारों से शिक्षित होने का अवसर मिला। आज प्राप्त पुरस्कार पिताजी की अविस्मरणीय एवं अनुकरणीय सेवाओं का ही अंकन है। उन जैसी सरलता, सादगी, समर्पण और नैतिक निष्ठा को जीना दुर्लभ है। फिर भी गुरुदेव श्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ एवं आचार्य श्री महाश्रमण से ऐसे आशीर्वाद की कामना है कि उनके नैतिक और मानवतावादी कार्यक्रमों में अपने आपको अधिक नियोजित करते हुए समाज और राष्ट्र की अधिक-से-अधिक सेवा कर सकूं।

इस अवसर पर श्री ठाकरमल सेठिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री गर्ग का जीवन प्रेरक है क्योंकि इन्हें बचपन से ही एक आदर्श पिता के साथ-साथ आचार्य तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ एवं आचार्य श्री महाश्रमण जैसे महान पुरुषों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ है। ये सम्मान प्रतिभा के साथ-साथ संस्कारों का भी सम्मान है। अणुव्रत महासमिति के महामंत्री श्री संपत सामसुखा ने प्रशस्ति पत्र का वाचन करते हुए कहा कि श्री गर्ग ने पत्रकारिता के क्षेत्र में नैतिक दर्शन और मूल्यों को प्रतिस्थापित करने की दृष्टि से प्रयत्न किए हैं। आपने पंद्रह वर्षों तक ‘‘अणुव्रत पाक्षिक’’ का संपादन किया। ‘‘अणुव्रत लेखक मंच’’ के संयोजक के रूप में लेखकों को संगठित करने और उन्हें नैतिक लेखन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विशिष्ट प्रयत्न किए। वर्तमान में भी ‘समृद्ध सुखी परिवार’ मासिक पत्रिका के संपादक के अलावा अन्य पत्र-पत्रिकाओं का संपादकीय दायित्व निभा रहे हैं। कार्यक्रम का संयोजन करते हुए डाॅ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी रत्नेश ने श्री ललित गर्ग की विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी की चर्चा करते हुए उन्हें हार्दिक बधाई दी।

स्वर्गीय ‘शासनभक्त’ हुकुमचंद सेठिया, जलगाँव (महाराष्ट्र) की पुण्य स्मृति में प्रतिवर्ष दिये जाने वाले अणुव्रत लेखक पुरस्कार से अब तक स्व॰ श्री धरमचंद चोपड़ा, डाॅ. निजामुद्दीन, श्री राजेन्द्र अवस्थी, श्री राजेन्द्र शंकर भट्ट, डाॅ. मूलचंद सेठिया, डाॅ. के. के. रत्तू, डाॅ. छगनलाल शास्त्री, श्री विश्वनाथ सचदेव, डाॅ. नरेन्द्र शर्मा कुसुम, डाॅ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, श्रीमती सुषमा जैन एवं प्रो. उदयभानू हंस सम्मानित हो चुके हैं।

संपर्क
(बरुण कुमार सिंह)
ए-56/ए, प्रथम तल, लाजपत नगर-2
नई दिल्ली-110024
मो. 9968126797

फोटो परिचयः
(1) आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में अणुव्रत महासमिति का राष्ट्रीय अणुव्रत लेखक पुरस्कार पत्रकार और साहित्यकार श्री ललित गर्ग को प्रदत्त करते हुए महासमिति के अध्यक्ष श्री बाबूलाल गोलछा एवं अन्य।

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दो मुख्य मंत्री और एक केंद्रीय मंत्री आएंगे नय पद्मसागरजी के ‘जीओ’ कार्यक्रम में

मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर, केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन एवं फिल्म अभिनेता विवेक ओबरॉय 27 अक्टूबर (रविवार) को मुंबई में जैन इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन (जीओ) द्वारा आयोजित ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेंगे। इस कॉन्फ्रेंस में विख्यात जैन संत परम पूज्य नयपद्म सागर महाराज के सामाजिक एकता और विकास के सपने को साकार करने के लिए चार विशेष कार्यक्रमों की शुरूआत होगी। इस आयोजन में इंटरनेशनल सेटलमेंट फोरम, पॉलिटिकल फोरम फॉर गुड गवर्नेस सहित मुंबई में एक इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना की शुरूआत की जाएगी।�‘जीओ’�की ग्लोबल लॉचिंग इस आयोजन का सबसे प्रमुख कार्यक्रम होगा।

‘जीओ’�का यह मेगा आयोजन वरली स्थित एनएससीआई के सरदार वल्लभभाई पटेल स्टेड़ियम में 27 अक्टूबर (रविवार) को सुबह 9 बजे से शुरू होगा। इस अतर्राष्ट्रीय आयोजन में देश विदेश के विभिन्न स्थानों से विशेष रूप से मुंबई आ रहे हैं। राजनेता, न्यायविद. उद्योगपति, डॉक्टर, सीए, एडवोकेट, इंजीनियर, वैज्ञानिक, पत्रकार, लेखक, साहित्यकार, प्रसासनिक अधिकारी, बैंकर्स, सामाजिक कार्यकर्ता एवं कॉर्पोरेट जगत आदि विभिन्न क्षेत्रों के करीब 6 हजार से भी ज्यादा निष्णात लोग इस ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेंगे। नयपद्म सागर महाराज के अनुसार परोपकार, विश्वमैत्री एवं प्राणी कल्याण को समर्पित जैन समाज के लिए एक संगठित प्लेटफॉर्म के रूप में आयोजित यह ग्लोबल कॉन्फ्रेंस सामाजिक रूप से एक पॉवर सेंटर साबित होगी। सामाजिक विकास एवं विश्व की बदली हुई परिस्थितियों में�‘जीओ’�के द्वारा एक कार्यक्षम संगठन के रूप में नए इतिहास के निर्माण होगा।

जैन इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन की इस ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, व्यवसाय, प्रशासन एवं राजनीतिक क्षेत्र में जैन समाज की सक्षम भूमिका के निर्माण की दिशा भी तय की जाएगी। नयपद्म सागर महाराज ने बताया कि इस ग्लोबल आयोजन की सारी महत्वपूर्ण तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

संपर्कः 9967060060

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जल की बरबादी के लिए शासन-प्रशासन भी ज़िम्मेदार

उपभोक्ता मंच

 

 

सृष्टि की रचना में विशेषकर वन,वनस्पति,जीव-जंतु,मानव जीवन तथा उद्योग आदि सभी में जल का क्या महत्व है इस विषय पर अधिक प्रकाश डालने की कोई आवश्यकता नहीं है। बस यूूं समझा जा सकता है कि जल के बिना इनमें से किसी का अस्तित्व संभव ही नहीं है। आज भी वैज्ञानिक चंद्र अथवा मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं की बात करते हैं तो सबसे पहले उन्हें इन ग्रहों पर जल की उपलब्धता की तलाश में शोध कार्य करने पड़ रहे हैं। कुछ समय पूर्व तक तो ऐसी अवधारणा थी कि प्रकृति द्वारा प्रदान की गई यह बेशकीमती नेमत कभी समाप्त न होने वाली अमूल्य सौगात है।

 

परंतु अब वैज्ञानिकों के शोध के आधार पर यह   अवधारणा बदल चुकी है। भूगर्भीय जल स्त्रोत के भंडारों में निरंतर कमी आती जा रही है। पीने का साफ पानी न केवल कम बल्कि दिन-प्रतिदिन दूषित होता जा रहा है जिसके परिणाम बेहद चौंकाने वाले हैं। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं कि न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर पेयजल के संसाधनों में काफी वृद्धि हुई है। विश्व बैंक द्वारा भी प्रत्येक गांव व मोहल्ले में पीने का साफ पानी मुहैया कराए जाने हेतु भारी-भरकम धनराशि खर्च की जा रही है। इसमें काफी बड़ी रकम जल संरक्षण संबंधी विज्ञापनों तथा इससे संबंधित जागरूकता अभियानों पर भी खर्च की जा रही है। परंतु इन सब का नतीजा लगता है वही ढाक के तीन पात।              

 

अनपढ़ लोगों की तो बात ही क्या करनी,पढ़े-लिखे लोग तथा समाज में कथित प्रतिष्ठा प्राप्त लोगों द्वारा भी जल संरक्षण संबंधी नियमों व दिशा निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं। अपने गार्डन,बगीचे में अनावश्यक रूप से रबड़ के पाईप द्वारा पानी डालना,लॉन की घास को तरोताज़ा रखने हेतु बेतहाशा पानी का प्रयोग करना, रबड़ पाईप से अपनी कारों को नहलाना-धुलाना, शेविंग व ब्रश करते समय पानी की टोंटी को चलते रहने देना तथा अपनी कोठी के फर्श को दिन में कई-कई बार खुले पानी से धोने की कवायद करना, शिक्षित,अमीर अथवा नवधनाढय लोगों के चोचलों में शामिल है।

 

इसी प्रकार किसान भी भूगर्भीय जल के दुरुपयोग के कम दोषी नहीं हैं। खेती-बाड़ी में ज़रूरत से ज़्यादा पानी का इस्तेमाल किया जाता है। परिणास्वरूप लगभग पूरे देश में भूगर्भीय जलस्तर भी दिन-प्रतिदिन नीचे होता जा रहा है। और यदि पीने का पानी उपलब्ध है भी तो वह भंयकर रूप से दूषित है। परिणामस्वरूप यह दूषित जल जीवन देने के बजाए जीवन लेने का कारण बनता जा रहा है।

               

विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 21 प्रतिशत बीमारी का कारण केवल असुरक्षित व दूषित जल का सेवन करना है। लगभग 1600 लोग प्रतिदिन केवल डायरिया जैसी बीमारी से अपनी जान गंवा बैठते हैं और डायरिया का प्रमुख कारण प्राय: दूषित जल ग्रहण करना ही होता है। विकासशील देशों में बीमारी का अस्सी प्रतिशत कारण दूषित जल से पैदा होने वाली बीमारियां हैं। और इन्हीं विकासशील देशों में 90 प्रतिशत जल नाली व नालों के माध्यम से नदियों में मिलकर नदियों को प्रदूषित करता हुआ समुद्र में जा मिलता है और मीठा जल, खारे जल में परिवर्तित हो जाता है। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया के आधे से अधिक अस्पतालों के बिस्तर दूषित जल संबंधी बीमारियों का सामना करने वाले मरीज़ों से भरे होते हैं। जल के दोहन व दुरुपयोग में विकसित देश भी विकासशील देशों से पीछे नहीं हैं। एक आंकड़े के अनुसार अमेरिका में एक व्यक्ति एक भारतीय नागरिक की तुलना में आठ गुणा अधिक जल का प्रयोग करता है।

              

जल की इस दर्दशा का परिणाम यह है कि विश्व में डेढ़ अरब लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल पा रहा है। इस प्रकार पूरे विश्व में लगभग 40 लाख लोग प्रतिवर्ष जल संबंधी बीमारी से मर रहे हैं। दुनिया की आधी गरीब आबादी एक ही समय में केवल दूषित जल के सेवन के कारण बीमार हो जाती है। जल संरक्षण संबंधी योजनाओं का अभाव तथा जल की बेतहाशा बरबादी की वजह से जल संकट विशेषकर सूखा पडऩे के समय पानी का अभाव देखने को मिलता है। आंकड़ों के अनुसार पूरे विश्व में कृषि पर 70 प्रतिशत जल खर्च होता है। जबकि उद्योग में 22 प्रतिशत जल की खपत होती है। सवाल यह है कि विश्व बैंक से लेकर देश व राज्य की सरकारें तथा स्थानीय स्तर पर जि़ला प्रशासन तक 'जल ही जीवन है’ तथा जल संरक्षण संबंधी योजनाओं के प्रचार व प्रसार का दम भरते रहते हैं। परंतु वास्तव में ऐसा नहीं लगता कि सरकार के इस जागरूकता अभियान का कोई प्रभाव आम लोगों पर पड़ता दिखाई देता हो। बल्कि बजाए इसके ऐसा प्रतीत होता है कि जल संरक्षण के संबंध में बरती जाने वाली लापरवाहियां दिनों-दिन और बढ़ती जा रही हैं। क्योंकि खासतौर पर हमारे देश में उद्योगों,नए रिहाईशी क्षेत्रों,कारों,कोठियों,  लैटस, गार्डन, पार्क व नवधनाढयों की सं या में भी तेज़ी से इज़ाफा होता जा रहा है। अत: इसी अनुपान के अनुसार जल की खपत भी बेतहाशा बढ़ती ही जा रही है।            

              

अफसोस तो इस बात का है कि जनता से जल संरक्षण की उ मीद करने वाली सरकार अथवा सरकार के निर्देश पर 'जल बचाओ अभियान’ की मुहिम को लागू करने वाला प्रशासन भी पानी की बर्बादी का कमज़िम्मेदार नहीं है। बल्कि कुछ उदाहरण तो ऐसे हैं जिन्हें देखकर यह कहा जा सकता है कि सरकारी लापरवाही के परिणामस्वरूप अधिक जल बर्बाद होता है। उदाहरण के तौर पर महानगरों में बड़े आकार के पानी के पाईप अक्सर लीक होते देखे जा सकते हैं। कई जगह तो यह लीकेज नियमित रूप से होते ही रहते हैं। प्रशासन से इस लीकेज के बारे में यदि आप पूछेंगे तो पाईप लाईन का बहुत पुराना जोड़ बताकर अधिकारी अपनी ड्यूटी पूरी समझते हैं। इसी प्रकार रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के डिब्बों में भरे जाने वाले पानी की पाईप लाईन कई-कई जगहों से लीक होते देखी जा सकती है। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर या तो गर्मियों में पानी रहता ही नहीं है और वाटर टेप सूखा पड़ा रहता है। या फिर टोंटी नदारद रहती है और पानी यूं ही बेवजह बहता रहता है।

 

ज़मीन के नीचे से होकर घर-घर व मुहल्ले-मुहल्ले पहुंचने वाली पाईप लाईन भी कभी भारी वाहन के गुज़रने की वजह से अथवा प्रगति के नाम पर केबल आदि बिछाए जाने के नाम पर होने वाली खुदाई के चलते मज़दूरों के हाथों से पाईप लाईन क्षतिग्रस्त हो जाती है। नतीजतन मु य मार्ग पानी से कुछ इस तरह भर जाता है जैसे कि मोहल्ले में नदी का प्रवाह होने लगा हो। और ऐसी भूमिगत पाईप लाईन के रिसाव का परिणाम केवल जल की बरबादी मात्र नहीं होता बल्कि इसी रिसाव वाले स्थान से बाहरी गंदगी पाईप में प्रवेश कर जाती है जोकि पानी की सप्लाई के द्वारा घर-घर पहुंच जाती है। और यही दूषित व गंदा पानी आम लोगों की बीमारी का एक बड़ा कारण बनता है।

              

कभी-कभी तो पानी की उस टंकी से भी जल प्रपात अथवा लीकेज होता देखा जा सकता है जिस टंकी से शहर में पानी की आपूर्ति की जाती है। शहरों में पानी की आपूर्ति के अनेक सार्वजनिक पाईप ऐसे मिलेंगे जिन पर से टोंटी गायब रहती है। बेशक टोंटियां चुराना जनता के बीच के लोगों का ही कार्य है परंतु यह प्रशासन का भी फजऱ् है कि वह इसकी रोकथाम के लिए भी ऐसे उपाय तलाश करे जिससे पानी की टोंटी कोई चोरी न कर सके और पेयजल यंू ही न बहता रहे। इसी प्रकार सरकारी अस्पतालों में व कार्यालयों में भी पानी की बरबादी के अनेक प्रमाण देखे जा सकते हैं।

 

लिहाज़ा यदि वास्तव में जल संरक्षण की मुहिम को अमली जामा पहनाना है तो स्वयं सरकार व प्रशासन को अत्यंत गंभीर व पारदर्शी होना पड़ेगा। देश में कहीं भी पुरानी पाईप लाईन जिनसे कि जल रिसाव होता रहता है सरकार को ऐसे सभाी पाईप तुरंत बदलने अथवा उनके जोड़ दुरुस्त करने के उपाय करने चाहिए। रेलवे विभाग को भी जल संरक्षण हेतु स्थायी व उपयुक्त कदम उठाने चाहिए। नाली व गंदे नालों के बीच से होकर गुज़रने वाले तथा सीवर पाईप लाईन के मध्य होकर जाने वाली पाईप लाईन के रास्ते बदल देने चाहिए। ऐसे पाईप भी बीमारी फैलने का एक अहम कारण हैं।

 

सही मायने में सरकार व प्रशासन को आम जनता के लिए जल संरक्षण संबंधी दिशा निर्देश तथा दूषित जल ग्रहण करने से अपना बचाव करने का निर्देश जारी करने का अधिकार भी तभी है जबकि सरकार व प्रशासन पहले स्वयं को जल संरक्षण व इसकी स्वच्छता के लिए गंभीरतापूर्वक कदम उठाए। अन्यथा जल संरक्षण व दूषित जल से आम लोगों का बचाव हो या न हो परंतु इसके नाम पर करोड़ों रुपयों की बरबादी ज़रूर होती रहेगी।

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