अरविंद केजरीवाल के शीश महल के हरम से तो अभी कई और कहानियाँ निकलेगी दयानंद पांडेय

पिटाई हुई यह तो अब हक़ीक़त है। पर पिटाई हुई क्यों ? स्वाति मालीवाल ने न किसी बयान , न किसी ट्वीट आदि या एफ आई आर में यह बात बताई है। पीटा विभव ने यह बताया है एफ आई आर में पर अरविंद केजरीवाल के इशारे पर पिटाई हुई कि सुनीता केजरीवाल के इशारे पर। क्यों हुई ? इस दोनों बिंदु पर ख़ामोश क्यों हैं स्वाति मालीवाल। यह तो वही जानें। बार-बार हिटमैन भी वह किसे कह रही हैं , बहुत साफ़ नहीं है। राजनीति में महिलाओं की यह करुण कथा कोई नहीं है। लेकिन आम आदमी पार्टी में नई है। अब तो आम आदमी पार्टी की संस्थापक सदस्य योगिता भवाना आज कह रही थीं कि यह आम आदमी पार्टी नहीं , एंटी औरत पार्टी हो गई है। स्वाति मालीवाल भी आम आदमी पार्टी की संस्थापक सदस्य रही हैं।

तो क्या शीश महल में सौतिया डाह में पिट गईं , राज्य सभा सांसद स्वाति मालीवाल। कि अपनी राज्य सभा सदस्यता बचाने की ज़िद में पिट गईं स्वाति मालीवाल। कि कोई तीसरी कहानी है , तीसरा-चौथा एंगिल भी है , इस पिटाई के पीछे। जो भी हो अरविंद केजरीवाल का जेल से बाहर आना उन के लिए बहुत भारी पड़ गया है। अरविंद केजरीवाल ने स्वाति मालीवाल को पिटवाया है तो कोई नई बात नहीं है।

अपने चीफ सेक्रेटरी को भी इसी शीश महल में वह पिटवा चुके हैं और उन का कुछ नहीं हुआ। चीफ सेक्रेटरी मतलब आई ए एस अफ़सर और दिल्ली प्रदेश सरकार का सब से बड़ा अफ़सर। वह तो अभ्यस्त हैं। योगेंद्र यादव , प्रशांत भूषण , आनंद कुमार आदि पर भी वह बाउंसरों की ताक़त आजमा चुके हैं। तो अगर अभिषेक मनु सिंधवी को राज्य सभा भेजने के लिए स्वाति मालीवाल की सदस्यता की बलि लेने के लिए पिटवा दिया है तो केजरीवाल के लिए यह सामान्य बात है।

हाँ, अगर सुनीता केजरीवाल ने स्वाति मालीवाल की पिटाई करवाई है तो कहानी बड़ी है। कोई औरत किसी औरत को एक ही वज़ह से पिटवा सकती है , वह सौतिया डाह ही है , कुछ और नहीं। फिर तो अरविंद केजरीवाल के हरम की अभी और कहानियां भी आनी शेष हैं। अभी तो शुरुआत है। साढ़े चार घंटे दिल्ली पुलिस अगर स्वाति मालीवाल के घर रह कर लौटी है तो ख़ाली हाथ तो नहीं ही आई। विभव कुमार के ख़िलाफ़ एफ आई आर का कागज़ ले कर एफ आई आर दर्ज कर दी है। मेडिकल हो गया है। मजिस्ट्रेट के सामने बयान भी। शीश महल में पुलिस की पड़ताल भी।

विभव ने भी एफ आई आर की तहरीर दे दी है। पुलिस को जब स्वाति मालीवाल ने फ़ोन कर बताया कि उन्हों ने मुझे पिटवाया है। यह ‘ उन्हों ने ‘ कौन है। अरविंद कि सुनीता। इस का स्पष्टीकरण भी शेष है। वैसे भी स्वाति मालीवाल का ट्वीट बताता है कि स्वाति मालीवाल अभी बहुत संभल कर चल रही हैं।

जो भी हो अमर मणि त्रिपाठी की याद आ गई है। अमर मणि त्रिपाठी मधुमिता शुक्ला को अपनी रखैल बनाए हुए। उस की बहन को भी। लोग अभी तक यही जानते हैं कि अमरमणि त्रिपाठी ने मधुमिता की हत्या करवाई। पर सच यह है कि अमरमणि त्रिपाठी की पत्नी ने मधुमिता शुक्ला की हत्या करवाई थी। अमरमणि की पत्नी का नाम भी मधुमिता ही है। हुआ यह कि तमाम एबॉर्शन और एहतियात के बावजूद मधुमिता शुक्ला फिर गर्भवती हो गई थी। और अब की वह गर्भ गिराने को तैयार नहीं थी। अमरमणि की रखैल बन कर रहने को अब और तैयार नहीं थी। पत्नी का हक़ मांग रही थी और संपत्ति में हिस्सा भी। यह बात अमरमणि की पत्नी तक जब पहुंची तो वह भड़क गईं।

अमरमणि के चेलों से कह कर , अमरमणि की सहमति से हत्या करवा दी। बस सत्ता की सनक में सब कुछ खुल्ल्मखुल्ला करवा दिया। फिर हरिशंकर तिवारी ने तुरंत व्यूह रचना कर दी। राजेश पांडेय जैसे ईमानदार और साहसी पुलिस अफ़सर के हाथ यह जांच आ गई। राजेश पांडेय ने चूल से चूल मिला कर कील-कांटा ऐसे दुरुस्त कर दिया पुलिस दस्तावेज में कि कोई छेड़छाड़ नहीं कर पाया। हरिशंकर तिवारी ने मधुमिता की बहन निधि शुक्ला के मार्फ़त सुप्रीमकोर्ट तक लड़ाई लड़वाई। अमरमणि त्रिपाठी और मधुमिता त्रिपाठी को आजीवन कारावास हो गया। अलग बात है हरिशंकर तिवारी के निधन के बाद निधि को आर्थिक और मनोवैज्ञानिक मदद समाप्त हो गई। अमरमणि छूट गए।

जेल से कुछ दिन के लिए ही सही छूट कर तो अरविंद केजरीवाल भी आए हैं। आए हैं तो शीश महल में सत्ता के लिए मुगलियाकाल का सत्ता संघर्ष भी ले कर आए हैं। शीश महल , यानी रंग महल की कहानियों का पिटारा ले कर आए हैं। सिर्फ़ भ्रष्टाचार की कालिख में ही नहीं , लंपटता की कालिख में भी सराबोर हैं। सत्ता जाने क्या-क्या सुख , जाने क्या-क्या कालिख ले कर सर्वदा उपस्थित रहती है। सूर्पणखा से राम ही बच सकते हैं , हर कोई नहीं। अभी की कुछ समय पहले की क्लिपिंग्स में आतिशी मार्लेना , अरविंद केजरीवाल के साथ जो नज़ाकत और अंदाज़ में उपस्थित दिखती हैं , बार-बार दिखती हैं , सब के ही लिए अचरज और रश्क का विषय होता है। उन का सौंदर्य देखते बनता है। उन के लटके-झटके भी। मार्लेना मतलब मार्क्स और लेनिन की मिली-जुली रचना। तिस पर नाम भी आतिशी।

गौरतलब है कि आतिशी के माता-पिता वामपंथी हैं। जाने विवाह भी किया है कि नहीं। राम जाने। दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाते रहे हैं। मार्लेना तक तो समझ में आता है पर आतिशी ? ऐसे ही है जैसे कुछ लोग बेटियों का नाम कामिनी रखते हैं। ख़ैर , अब जब जेल से आने के बाद केजरीवाल दिल्ली में कनाट प्लेस के हनुमान मंदिर गए तो वामपंथियों की यह संतान आतिशी भी क़दमताल करती गई हनुमान मंदिर। तो आतिशी के लिए सत्ता सुख ने वामपंथियों की थीसिस धर्म अफीम है की बात भुला दी गई। वैसे एक बात यह भी हुई कि जेल से वापस आने के बाद केजरीवाल के साथ आतिशी की वह अटक-मटक देखने को नहीं मिली है।

तो क्या सुनीता केजरीवाल ने इस पर भी केजरीवाल को टाइट कर दिया है ?

क्या पता ! याद कीजिए आतिशी के पहले कभी इसी आतिशी की धज में कभी स्वाति मालीवाल भी केजरीवाल के आगे-पीछे उपस्थित रहती थीं। यही लटके-झटके। और यही नाज़ो-अदा-अंदाज़। तब के दिनों स्वाति मालीवाल को महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया था केजरीवाल ने। लेडी सिंघम बना और बता रखा था केजरीवाल ने स्वाति मालीवाल को। स्वाति मालीवाल के पति नवीन जयहिंद एक समय केजरीवाल के ख़ास दोस्त हुआ करते थे। अब स्वाति का नवीन से तलाक़ हो चुका है। पर जब स्वाति के साथ शीश महल में पिटाई हुई तो वह खुल कर स्वाति के साथ खड़े हो गए।

अच्छा तो क्या अरविंद केजरीवाल जेल जा कर भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा इस लिए नहीं दिए कि इस के उत्तराधिकार में कई पेचोख़म हैं। स्वाति मालीवाल भी मुख्य मंत्री पद की दावेदार रहीं ?

और आतिशी मार्लेना ?

जिस तरह बन-ठन कर अदाएं दिखाते हुए आतिशी मार्लेना अरविंद केजरीवाल के आगे-पीछे वह मंडराती रहती वह देखी जाती रही हैं , उसी को देखते हुए आतिशी को भी मुख्यमंत्री पद का हक़दार माना जाने लगा था। पर हर कोई स्त्री लाख कुर्बानी दे दे जयललिता और मायावती की क़िस्मत ले कर तो नहीं ही पैदा होती। आंध्र में लक्ष्मी पार्वती भी नेता बनीं तो एन टी रामाराव की दूसरी पत्नी बन कर ही। अलग बात रामाराव के दामाद चंद्र बाबू नायडू ने लक्ष्मी पार्वती को ऐसे ध्वस्त किया कि लोग अब उन का नाम भी भूल गए हैं। याद कीजिए एक समय कांति सिंह लालू यादव के आगे-पीछे बनी रही थीं। पर बिहार की कमान उन्हें नहीं मिली। केंद्र में मंत्री बन कर ही समाप्त हो गईं। अब तो लोग कांति सिंह को भूल ही गए हैं। मुलायम सिंह यादव के आगे-पीछे डोलने वालियों की भी लंबी फ़ौज थी।

जो भी हो अरविंद केजरीवाल के हरम की अभी और कहानियां भी आनी शेष हैं। अभी तो शुरुआत है।

अकसर दहाड़ने वाले अरविंद केजरीवाल बिहार की बोली में लखनऊ में क्यों नरभसा गए। हुआ यह कि लखनऊ में अखिलेश यादव के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस करते हुए अरविंद केजरीवाल से पत्रकारों ने उन के दिल्ली के शीश महल में राज्य सभा सदस्य स्वाति मालीवाल की पिटाई के बाबत सवाल पूछ लिया था। सवाल सुनते ही अरविंद केजरीवाल नरभसा गए। मतलब नर्वस हो गए। जैसे सांप सूंघ गया हो। एक चुप तो हज़ार चुप। ऐसे जैसे कोई हत्यारी लग गई हो। अरविंद केजरीवाल की मुश्किल देखते हुए अखिलेश यादव ने माइक संभाला। पर वह भी लड़बड़ाते रहे। फिर माइक संभाला संजय सिंह ने। संजय सिंह मणिपुर , पहलवान आदि की भूलभुलैया में घूमते रहे। एक मिनट में ही अरविंद केजरीवाल उठ खड़े हुए। प्रेस कांफ्रेंस ख़त्म।

दिलचस्प यह कि केजरीवाल अपने आरोपी पी ए विभव को ले कर लखनऊ आए थे। अंदर प्रेस कांफ्रेंस हो रही थी बाहर कार में विभव सिर झुकाए बैठा था। कार को आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता चारो तरफ से घेरे रहे ताकि मीडिया के हत्थे न चढ़ जाए। एयरपोर्ट पर भी विभव केजरीवाल के साथ फ़ोटो में कैप्चर हो गया था। विभव को लखनऊ में केजरीवाल के साथ देखते ही स्वाति मालीवाल भड़क गईं। उन के सब्र का बांध टूट गया। दिल्ली में स्वाति मालीवाल ने विभव के ख़िलाफ़ एफ आई आर दर्ज करवा दी है। अब केजरीवाल ज़रूर पछता रहे होंगे कि जेल से बाहर आए तो आए ही क्यों ? क्या इसी तरह नरभसाने के लिए ?

समझ नहीं आता कि अंबेडकर और भगत सिंह की फोटुओं के बीच बैठ कर बयान न अरविंद केजरीवाल जारी कर रहे हैं , न सुनीता। संजय सिंह ने जब प्रेस कांफ्रेंस कर स्वाति मालीवाल के पक्ष में बात की और पिटाई की निंदा की पर आतिशी ने प्रेस कांफ्रेंस कर स्वाति मालीवाल को साज़िशकर्ता बताते हुए भाजपा का मोहरा बता दिया है। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने स्वाति मालीवाल को गद्दार का सर्टिफिकेट देने की होड़ मची हुई है। तिस पर कपिल मिश्रा का कहना है कि स्वाति मालीवाल ने भी अरविंद केजरीवाल को थप्पड़ मारा है। जो भी हो अरविंद केजरीवाल कांग्रेस की संगत में हैं आजकल। और कांग्रेस में महिलाओं को इसी दिल्ली में तंदूर में जला कर मार देने की पुरानी परिपाटी रही है। इसी लिए इस पूरे प्रसंग पर कांग्रेस सहित समूचा इंडिया गठबंधन सिरे से ख़ामोश है।

एक सवाल यह भी है कि विभव के पास आख़िर कितने राज़ हैं अरविंद केजरीवाल के हरम के ? जो अरविंद केजरीवाल विभव के आगे मुर्गा बने बैठे हैं। कुमार विश्वास का कहना है कि विभव केजरीवाल के डर्टी गेम का बड़ा राज़दार भी है और केजरीवाल के डर्टी गेम का सरदार भी। औरंगज़ेब याद आता है। क़िस्सा है कि औरंगज़ेब की दो बहनें थीं। जहांआरा और रोशनआरा। औरंगज़ेब ने अपनी अकड़ के चलते इन दोनों बहनों की शादी नहीं की। बड़ी बहन ने चुपचाप अपने महल में नौ नौजवान रख लिए। अपनी यौन पिपासा शांत करने के लिए। बाद में छोटी बहन को जब पता चला तो वह भी बड़ी बहन को ब्लैकमेल कर इन नौजवानों की साझेदार बन गई। फिर दोनों बहनों में किसी बात पर अनबन हो गई तो इन नौ नौजवानों की ख़बर औरंगज़ेब तक पहुंची। औरंगज़ेब ने नौ नौजवानों की बेरहमी से क़त्ल करवा दिया।

मतलब हिटमैन के क़त्ल अभी और भी बाक़ी हैं। कहानी तो ख़ैर बहुत सारी हैं। कहा भी जा रहा है कि अब की दोनों यानी केजरीवाल और विभव साथ-साथ तिहाड़ जाएंगे।

सवाल एक यह भी है कि अरविंद केजरीवाल को जेल से सरकार चलाने के लिए संविधान खामोश है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम ज़मानत की एक शर्त यह भी लगा रखी है कि मुख्यमंत्री आफ़िस नहीं जाएंगे। कोई फ़ाइल नहीं साइन करेंगे। पर विधान सभा बुला सकते हैं कि नहीं , सुप्रीम कोर्ट ख़ामोश है। तो क्या केजरीवाल क्या विधान सभा बुला कर चिर-परिचित विष-वमन कर सकते हैं ? जैसा कि वह करते रहे हैं। विधान सभा में कही किसी बात पर कोई अदालत , कोई क़ानून कुछ नहीं कर सकता। इसी लिए राहुल गांधी संसद में बम फोड़ने की बात भी एक समय पूरी मूर्खता के साथ करते रहे थे। तानाशाह से निपटने के लिए केजरीवाल कुछ भी कर सकते हैं।

बस एक धक्का और दो !

साभार-https://sarokarnama.blogspot.com/2024/05/blog-post_17.html  से

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं लखनऊ में रहते हैं और राजनीतिक विश्लेषक हैं, विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें लिख चुके हैं)




फिल्मी गपशप कान फिल्म महोत्‍सव में आकर्षण का केंद्र बना भारत पर्व का जश्न

सिनेमा के सबसे भव्य उत्सव 77वें कान फिल्म महोत्‍सव का दो दिन पहले शुभारंभ हुआ। कॉन्‍टेंट और ग्लैमर के संगम से युक्‍त यह दस दिवसीय रंगारंग उत्सव है।

सूचना एवं प्रसारण सचिव श्री संजय जाजू ने फ्रेंच रिवेरा में मनाए जा रहे कान फिल्म महोत्सव में पहली बार भारत पर्व की मेजबानी की, जो भारतीय सिनेमा के साथ-साथ भारत की समृद्ध संस्कृति, व्यंजन और हस्तशिल्प का जश्न मनाने वाली एक संध्‍या थी।

एनएफडीसी द्वारा फिक्की के सहयोग से भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित यह कार्यक्रम शानदार रूप से सफल रहा। कान प्रतिनिधि इस संध्‍या की असाधारण प्रस्‍तुतियों और फ्यूजन व्यंजनों की आनंददायक श्रृंखला में पूरी तरह से डूब गए।

इस अवसर पर इफ्फी के 55वें संस्करण के पोस्टर और गोवा में 55वें इफ्फी के मौके पर आयोजित होने वाले वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) ग्लोबल एंटरटेनमेंट एंड मीडिया समिट के उद्घाटन संस्करण के सेव द डेट पोस्टर का अनावरण श्री जाजू ने फिल्म निर्माता अशोक अमृतराज, रिची मेहता, गायक शान, अभिनेता राजपाल यादव, फिल्मकार बॉबी बेदी आदि के साथ किया।

भारतीय आतिथ्य की आंतरिक गर्मजोशी की आभा बिखेरने वाले भारत पर्व का मैन्‍यू तैयार करने के लिए शेफ वरुण टोटलानी विशेष रूप से यहां पहुंचे ।

रात में गायिका सुनंदा शर्मा ने उभरते गायकों प्रगति, अर्जुन और शान के बेटे माही के साथ पंजाबी गानों पर शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का समापन गायकों द्वारा मां तुझे सलाम के गायन और उपस्थित लोगों की जोरदार तालियों के साथ हुआ।

भारत पर्व में सम्मानित अतिथियों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम के आकर्षण और महत्व में चार चांद लगा दिए। इस अवसर की शोभा बढ़ाने वाली हस्तियों में अपने दमदार अभिनय के लिए जानी जाने वाली अभिनेत्री शोभिता धूलिपाला, असमिया सिनेमा में अपने अभिनय के लिए प्रसिद्ध असमिया अभिनेत्री एमी बरौआ, फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा शामिल रहीं। उनकी भागीदारी ने भारतीय सिनेमा के समृद्ध परिदृश्‍य और वैश्विक मंच पर इसके बढ़ते प्रभाव को उजागर किया।

वैश्विक मंच पर भारत की सॉफ्ट पॉवर के प्रदर्शन सहित फिल्म, संस्कृति और कलात्मक सहयोग के उत्सव से भरपूर यह एक यादगार रात थी।




स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट और उससे उपजे सवाल जयंत भाटिया

स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट न केवल व्यक्तिगत स्तर पर उनके प्रति हिंसा है, बल्कि यह महिलाओं के प्रति समाज में मौजूद गहरे पूर्वाग्रह और भेदभाव को भी उजागर करता है। जब किसी सार्वजनिक पद पर आसीन महिला के साथ ऐसा व्यवहार होता है, तो यह समग्र महिला समुदाय के लिए अपमानजनक होता है और उनके खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने का खतरा भी बढ़ जाता है।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक गंभीर सामाजिक समस्या है, और यह घटना इस बात की प्रतीक है कि महिलाओं को अभी भी अपने अधिकारों और सम्मान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट की घटना न केवल उनकी सुरक्षा और गरिमा पर हमला है, बल्कि यह हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति पर भी सवाल उठाती है।

इस प्रकार की घटनाओं को गंभीरता से लेने और त्वरित और कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि यह संदेश जाए कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा अस्वीकार्य है और इसके खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे। समाज में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और बराबरी को सुनिश्चित करने के लिए हमें सामूहिक रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है।

मारपीट की ऐसी घटनाएँ न केवल व्यक्तिगत स्तर पर अपमानजनक होती हैं, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की दिशा में अभी भी बहुत काम करने की जरूरत है। ऐसे कृत्यों से महिलाओं के आत्मसम्मान और अधिकारों पर सीधा हमला होता है, जिससे समाज में महिलाओं की स्थिति कमजोर होती है।

इस प्रकार की घटनाएँ समाज के उन लोगों के लिए एक आईना हैं जो महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लेते। स्वाति मालीवाल जैसी प्रभावशाली महिलाओं पर हमला करना इस बात का प्रतीक है कि महिला अधिकारों की सुरक्षा और उनके सम्मान के लिए निरंतर संघर्ष की आवश्यकता है।

यह महत्वपूर्ण है कि समाज के हर व्यक्ति को महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता का प्रदर्शन करना चाहिए, और सरकार तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ऐसे अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि महिलाओं को एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण मिल सक

समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि हम सभी इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं और न्याय सुनिश्चित करने के लिए संगठित हों।




गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स ने टोनिनो लेम्बोर्गिनी ग्रुप के साथ पार्टनरशिप में दुबई में नए लक्जरी आवासों की घोषणा की मीडिया डेस्क

दुबई, संयुक्त अरब अमीरात

गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स ने हाल ही में दुबई के केंद्र में एक उच्च स्तरीय रेसिडेंशियल कम्युनिटी को डेवलप करने के लिए टोनिनो लेम्बोर्गिनी ग्रुप के साथ अपने सहयोग की घोषणा की। इस ख़ास डेवलपमेंट पर प्रतिष्ठित टोनिनो लेम्बोर्गिनी ब्रांड होगा, जो दुनिया भर में इतालवी गुणवत्ता और परिष्कार का पर्याय होगा।

नया आवासीय समुदाय दुबई में जीवन शैली के लिए एक नया दृष्टिकोण पेश करता है और इस पहल का उद्देश्य गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स की मशहूर विशेषज्ञता के साथ टोनिनो लेम्बोर्गिनी की 40 साल की डिज़ाइन परंपरा के साथ जोड़ना है, जो वर्तमान में अद्वितीय लक्ज़री लिविंग प्रोजेक्ट्स-पैराडाइज़ हिल्स (Paradise Hills) और सेरेनिटी लेक्स (Serenity Lakes) को तैयार करने में लगे हुए हैं।

सेविल्स (Savills) के अनुसार, बढ़ती ब्याज दरों के कारण वैश्विक संपत्ति बाज़ार में मंदी देखी गई है, खासकर अमेरिका और यूरोपीय संघ में। हालाँकि, दुबई के बाज़ार ने 2023 में इस ट्रेंड को उलट दिया है, 2022 की इसी अवधि के मुकाबले कीमत में 36.7 प्रतिशत से ज़्यादा और ट्रांज़ेक्शंस की संख्या में 33.8 प्रतिशत की चौंका देने वाली बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ब्रांडेड आवासों ने इन वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में उल्लेखनीय पलटाव दिखाया है, पिछले दशक में योजनाओं की संख्या में 160 प्रतिशत से ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई है।

गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स के अध्यक्ष श्री शाहर मूसली (Shaher Mousli) ने कहा, “पिछले कुछ सालों में, हम दुबई में लक्ज़री रियल एस्टेट की आधारशिला बन गए हैं, जो हमारी विविध विशेषज्ञता और अभिनव डिज़ाइन और निर्माण, बेहतरीन लाइफ़स्टाइल वाले घर बनाने की प्रतिबद्धता के लिए पहचाने जाते हैं।”

गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स के जनरल श्री बिलाल हमादी (Bilal Hamadi) ने कहा, “टोनिनो लेम्बोर्गिनी द्वारा हमें डिज़ाइन दिशा और कार्यान्वयन प्रदान करने से हम विलासिता, डिजाइन दर्शन और उत्पादन की गुणवत्ता का एक नया स्तर प्रदान करने में मदद मिलेगी जिसे सिर्फ़ टोनिनो लेम्बोर्गिनी ब्रांड जैसे एक क्रिएटिव पावरहाउस के साथ मिलकर ही हासिल किया जा सकता है।”

ये समुदाय लगभग 750,000 स्क्वायर फ़ीट कुल फ़्लोर एरिया को कवर करेगा जिसमें 6 मंज़िलों वाली 2 बिल्डिंग्स और 12 मंज़िलों वाली 2 बिल्डिंग्स शामिल होंगी। प्रत्येक बिल्डिंग में 2 पार्किंग लेवल होंगे और टोनिनो लेम्बोर्गिनी के डिज़ाइन स्टूडियो से मटेरियल, इंटीरियर डिज़ाइन, फ़िटिंग्स और किचन्स के साथ 1-बेडरूम से 4-बेडरूम अपार्टमेंट की एक रेंज की पेशकश की जाएगी, जो क्वालिटी और सटीकता में एक नया मानक स्थापित करेगी।

“हम कई गुना तेज़ विकास का अनुभव कर रहे हैं और इस प्रोजेक्ट के साथ हम कंपनी को सफ़लता के अगले स्तर पर ले जा रहे हैं।” गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स में सेल्स एंड मार्केटिंग के उपाध्यक्ष, श्री रामी शम्मा (Rami Shamma) ने कहा।

टोनिनो लेम्बोर्गिनी S.p.A. के संस्थापक और अध्यक्ष श्री टोनिनो लेम्बोर्गिनी ने कहा, “हमें खुशी है कि गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर जैसे एक स्थापित डेवलपर ने दुबई में एक नया आइकॉनिक रेसिडेंस बनाने के लिए ब्रांड को अपनाया। हमने गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स की टीम के साथ सही केमिस्ट्री और बॉन्डिंग देखी, जो हमारे लिए उच्च स्तर की विशेषज्ञता और व्यावसायिकता के साथ-साथ प्रोजेक्ट की सफ़लता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण थी। उन्होंने आगे कहा, “हम इटालियन सामग्री और डिज़ाइन ला रहे हैं, जो टोनिनो लेम्बोर्गिनी लाइफ़स्टाइल की नींव है। लाइफ़स्टाइल के इस एलिमेंट को निवासियों तक पहुँचाना बेहद ज़रूरी है, न सिर्फ़ बिल्डिंग की साइड पर ब्रांड का नाम होने से, बल्कि इंटीरियर के हर एलिमेंट में इतालवी लाइफ़स्टाइल का अनुभव प्रदान करके भी। हम इटली को दुबई नहीं ला सकते, लेकिन हम इस मार्केट में रहने की इतालवी शैली को ज़रूर प्रदान कर सकते हैं।”

गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स के बारे में
गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स दुबई में एक अग्रणी प्रॉपर्टी डेवलपर्स हैं जिन्होंने संयुक्त अरब अमीरात में कई सालों के कामयाब प्रोजेक्ट्स डिलीवर किए हैं। रियल एस्टेट में गल्फ़ लैंड की जानकारी को हमारी विशेषज्ञता की विविधता एवं हमारे प्रोजेक्ट्स की कामयाबी की वजह से कई सालों से मान्यता प्राप्त है। हम क्षेत्रों में निवेश करते हैं, उनका आकर्षण बढ़ाते हैं, नवाचार का समर्थन करते हैं, साथ ही अनूठे लाइफ़स्टाइल का निर्माण करते हैं।

गल्फ़ लैंड ने इसीलिए स्ट्रैटेजिक तालमेल बनाए हैं जिससे कि ये सभी प्रमुख बाज़ारों में विशिष्टता प्राप्त कर सके। ये एक बेहतरीन लाइफ़स्टाइल का निर्माण करते हुए नवाचार द्वारा समर्थित, आस-पड़ोस के आकर्षण को बढ़ाने के लिए निवेश करता है।

गल्फ़ लैंड के बारे में और ज़्यादा जानकारी के लिए, कृपया यहाँ विज़िट करें www.gulflandproperty.com.

टोनिनो लेम्बोर्गिनी के बारे में

टोनिनो लेम्बोर्गिनी ब्रांड की स्थापना 1981 में लेम्बोर्गिनी फ़ैमिली के उत्तराधिकारी टोनिनो लेम्बोर्गिनी (Tonino Lamborghini) ने की थी। आज, ये कंपनी शानदार ‘पलाज़ो डेल विग्नोला (Palazzo del Vignola)’ में स्थित है, जो बोलोग्ना (Bologna) के बाहरी इलाके में एक रेनेसां विला (Renaissance villa) है, जिसे मशहूर आर्किटेक्ट जैकोपो बरोज़ी (Jacopo Barozzi) द्वारा डिज़ाइन किया गया था, जिसे ‘इल विग्नोला (Il Vignola)’ के नाम से जाना जाता है। क्वालिटी, डिज़ाइन और उद्यमशीलता नवाचार का संयोजन करते हुए, टोनिनो लेम्बोर्गिनी (Tonino Lamborghini) ब्रांड 40 से भी ज़्यादा सालों से इतालवी लिविंग के मूल सार को दुनिया भर में फ़ैलाने के महत्वाकांक्षी मिशन के लिए प्रतिबद्ध है – एक ऐसी परंपरा जिसकी जड़ें पारिवारिक इतिहास में मौजूद हैं और जो टोनिनो लेम्बोर्गिनी (Tonino Lamborghin) को सुंदरता, वितरण और प्रतिष्ठा का एक वैश्विक चिन्ह बनाने के लिए उभरती जाती है।

टोनिनो लेम्बोर्गिनी (Tonino Lamborghini) के बारे में और ज़्यादा जानकारी के लिए कृपया विज़िट करें lamborghini.it/en-mena.

Neha Bisht
neha.bisht@newsvoir.com

NewsVoir Logo




अगर भाजपा 400 पार तो फिर क्या?

भारतीय राजनीति में नई ऊर्जा के साथ बदलाव लाने वाले चुनावों में, यदि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 400 सीटों पर विजयी होती है, तो यह देश के राजनीतिक मानचित्र को बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण होगा। ऐसी घटना कभी पहले नहीं देखी गई है और इसके संभावित परिणाम भारतीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

जब भी किसी पार्टी को ऐसी सफलता मिलती है कि उसके लिए एकल बहुतायत सीटें हासिल करना संभव है, तो उसके संभावित प्रभाव विस्तार से विचार किए जाते हैं। इसके साथ ही, बीजेपी की 400 सीटों की जीत के बारे में चर्चा करते समय हमें उसके संभावित परिणामों के विचार करने की आवश्यकता है।

पहले से ही साफ है कि यदि बीजेपी 400 सीटों पर विजयी होती है, तो वह भारतीय राजनीति में एक बड़ा और सकारात्मक परिवर्तन लाएगी। इस नतीजे के साथ, बीजेपी की अधिकता बेहद स्थिर और मजबूत हो जाएगी, जिससे कि वह अपनी नीतियों को और विकसित करने के लिए और अधिक सकारात्मक कदम उठा सकेगी।

बीजेपी की इस भारी विजय के परिणामों में कई व्यक्तियों और समूहों को भी सीधे प्रभावित किया जाएगा। अपनी हार को स्वीकार करते हुए विपक्षी पार्टियों को अपनी रणनीति और कार्यशैली में संशोधन करने की आवश्यकता होगी।

इस स्थिति में, भारतीय राजनीति के परिवर्तन की एक संभावना यह है कि विपक्षी पार्टियां और राजनीतिक दल अपने आत्म स्वीकृत दर्जे को समझेंगे और अपने कार्यकर्ताओं को मोटीवेट करेंगे ताकि वे अपने क्षेत्रों में सुधार करें और अपने वोटरों को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहें।

इस नतीजे के बाद, बीजेपी की सरकार को भी नई चुनौतियों का सामना करना होगा। इसके साथ ही, उन्हें देश के विकास और प्रगति के लिए अधिक जिम्मेदारी का बोझ भी संभालना होगा। बीजेपी की सरकार के पास अब एक मजबूत और स्थिर बहुमत होगा, जिससे उन्हें अपनी

नीतियों को पूरे करने के लिए और बेहतर तरीके से संचालित करने का मौका मिलेगा।

इस नतीजे के बाद, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के राजनीतिक मामलों पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा। भारत एक बड़ा और महत्वपूर्ण देश है, और उसकी राजनीति के नतीजों का विश्व के अन्य हिस्सों पर भी प्रभाव होता है।

यदि बीजेपी 400 सीटों पर विजयी होती है, तो वह भारत के राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण को पुनर्विचार करेगी। इस नतीजे के साथ, बीजेपी को विभिन्न क्षेत्रों में और अधिक सकारात्मक कदम उठाने का मौका मिलेगा, जिससे देश की गति और विकास में नई ऊर्जा आ सकेगी।

यदि बीजेपी 400 सीटों पर विजयी होती है, तो यह एक नए युग की शुरुआत हो सकती है जिसमें भारतीय राजनीति और समाज में बड़े और सकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं। इस नतीजे के साथ, देश को एक नया दिशा मिल सकती है जो उसे एक नये उच्चतम स्थान पर ले जाने का संकेत देती है।

अधिकारिक नतीजे के बारे में किसी भी अनुमान को लेकर, हमें यह याद रखना चाहिए कि चुनाव देश के निर्णय होते हैं, और हमें उन्हें समर्थन और सम्मान के साथ स्वीकार करना चाहिए। अगर बीजेपी 400 सीटों पर विजयी होती है, तो उसकी सरकार को देश के विकास और समृद्धि के लिए प्रयासरत रहने की आवश्यकता होगी और वह अपने कार्यों से इसे सिद्ध करने का प्रयास करेगी।

(लेखक राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर लिखते हैं)




‘टाइम्स नाउ नवभारत’ के आशुतोष शुक्ला का निधन मीडिया डेस्क

‘टाइम्स नाउ नवभारत’ (Times Now Navbharat) के सीनियर प्रड्यूसर आशुतोष शुक्ला अब इस दुनिया में नहीं रहे। टाइफाइड की वजह से 15 मई को उनका निधन हो गया।

यूपी के भदोही जिले के रहने वाले आशुतोष के परिवार में पत्नी, दो बेटी और मां हैं। आशुतोष घर में अकेले ही कमाने वाले थे। उनके आकस्मिक निधन से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, लिहाजा पत्रकार साथियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से परिवार की हरसंभव मदद की अपील की है।

टाइम्स नेटवर्क में हिंदी डिजिटल वीडियो के हेड मुनीष देवगन व उनकी पूरी डिजिटल वीडियो टीम अपने सहयोगी आशुतोष शुक्ला के अचानक यूं चले जाने से बेहद दुखी हैं और उनके परिवार की आर्थिक मदद के लिए लोगों से अपील की है। वे लिखते हैं-

”37 साल कोई जाने की उम्र तो नहीं होती। टाइम्स नेटवर्क के डिजिटल परिवार के काबिल पत्रकार आशुतोष शुक्ला के आकस्मिक निधन से उनके सहकर्मी, दोस्त सभी स्तब्ध हैं लेकिन विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा है उनके परिवार पर। आशुतोष शुक्ला अपने घर में इकलौते कमाने वाले थे, वो अपने पीछे बुजुर्ग मां, पत्नी और दो छोटे बच्चों का परिवार छोड़ गए हैं। आशुतोष ने परिवार से ज्यादा वक्त मीडिया को दिया। मीडिया में 15 साल का अनुभव रखने वाले आशुतोष शुक्ला आज तक में एक दशक की पारी खेलने के बाद टाइम्स नेटवर्क डिजिटल वीडियो टीम में मेरे साथ जुड़े थे। शिफ्ट की परवाह किए बिना घंटों तक काम करना, अपनी विचारधारा को लेकर स्पष्ट रहना, मिलनसार और जिंदादिल स्वभाव उनकी पहचान थी। कोविड हो या कोई विपदा, आशुतोष दूसरों की मदद के लिए सबसे आगे खड़े रहते थे। आज उनके परिवार को हमारी मदद की जरूरत है।

आशुतोष शुक्ला अपने परिवार का इकलौता सहारा थे। उनके जाने के बाद हम उनके परिवार को बेसहारा नहीं छोड़ सकते। उनके मासूम बच्चों की पढ़ाई हो या परिवार के घर की छत हर हाल में बहाल रहनी चाहिए। दोस्तों आपकी छोटी सी आर्थिक मदद परिवार का बड़ा सहारा बन सकती है। हम उनका दुख कम तो नहीं कर सकते लेकिन बांट तो सकते ही हैं अपने हिस्से का सहयोग देकर।

नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उनके बच्चों की शिक्षा में मदद कर सकते हैं, आपकी छोटी छोटी मदद परिवार के लिए बड़ी मदद बन सकती है”-
https://www.ketto.org/amp/fundraiser/lets-help-ashutosh-shukla-family

साभार-  https://www.samachar4media.com/ से




बीबीसी के खिलाफ 10 हजार करोड़ के मुआवजे की याचिका मीडिया डेस्क

दिल्ली हाई कोर्ट के एक न्यायमूर्ति ने एक गैर सरकारी संगठन (NGO) की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है, जिसमें उसने ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कॉपरेशन (बीबीसी) से हर्जाने की मांग की है।

दरअसल, इस याचिका में कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन‘ न केवल देश की छवि को धूमिल करती है, बल्कि इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भारतीय न्यायापालिका के खिलाफ झूठे व  अपमानजनक बयान भी शामिल हैं।

न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि वह खुद को अलग कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई कारण नहीं बताया। न्यायमूर्ति ने कहा कि याचिका को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के आदेश के अधीन 22 मई को सुनवाई के लिए दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।

बता दें कि यह याचिका गुजरात स्थित एनजीओ जस्टिस ऑन ट्रायल ने बीबीसी के खिलाफ दायर की है, जिसमें 10,000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गई है। कोर्ट ने इस याचिका पर पहले बीबीसी (यूके) और बीबीसी (भारत) को नोटिस जारी किया था।

जनवरी 2023 में प्रसारित हुई डॉक्यूमेंट्री 2002 के गुजरात दंगों पर केंद्रित है जब मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। एनजीओ का तर्क है कि डॉक्यूमेंट्री प्रधानमंत्री, भारत सरकार, गुजरात सरकार और भारत के लोगों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती है।

याचिका में कहा गया है कि बीबीसी (यूके) ब्रिटेन का राष्ट्रीय प्रसारक है और उसने डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन‘ जारी की है, जिसके दो एपिसोड हैं और बीबीसी (भारत) उसका स्थानीय संचालन कार्यालय है। जनवरी 2023 में इसके दो एपिसोड प्रसारित किए गए थे। सरकार ने इस  डॉक्यूमेंट्री के रिलीज होने के तुरंत बाद ही इसे प्रतिबंधित कर दिया था और डॉक्यूमेंट्री साझा करने वाले कई यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक कर दिया था।




कहानी फिल्म सीता और गीता की मनोरमा की मीडिया डेस्क

सीता और गीता’ की चाची मनोरमा थीं पाकिस्तानी, पति ने दिया तलाक, आखिरी समय बदहाली में बीता….
बॉलीवुड फिल्मों में कई तरह की खलनायिकाएँ आईं लेकिन मनोरमा जैसी कोई नहीं। उन्होंने अपने चेहरे के भावों से के दर्शकों में अपनी पहचान बनाई। । मनोरमा ने बाल कलाकार से शुरुआत की और 6 दशक तक पर्दे पर डटी रहीं। फिल्मों से लेकर टीवी की दुनिया में अपना अमूल्य योगदान दिया।
साल 1972 की फिल्म ‘सीता और गीता’ में चाची कौशल्या याद हैं? वही, जिनके चेहरे पर किलो भर मेकअप रहता। आंखों गहरा मोटा काजल और चढ़ी हुई भौंह। उनका नाम मनोरमा है। अधिकतर मूवीज में वह मां और सास के रोल में ही दिखाई दी हैं, जो बहुत ही अत्याचारी होती है। अपने चेहरे के हाव-भाव से ही काफी कुछ कह जाती है। 6 दशकों तक ये इंडस्ट्री में एक्टिव रहीं। इन्होंने कई फिल्मों में काम किया। आज हम आपको इनके बारे में ही बताने जा रहे है। उनकी कुछ चर्चित फिल्मों में ‘सीता और गीता’, ‘एक फूल दो माली’, ‘दो कलियां’, ‘कारवां’ शामिल हैं।
मनोरमा का जन्म 16 अगस्त, 1926 को पाकिस्तान लाहौर में एक आयरिश मां और भारतीय ईसाई पिता के घर हुआ था। उनके पिता एक इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर थे। जन्म के समय मनोरमा का नाम एरिन इस्साक रखा गया था। मनोरमा के माता-पिता दोनों संगीत प्रेमी थे। इसलिए, एक्ट्रेस ने भी डांस और म्यूजिक में ट्रेनिंग ली थी।
एक बार मनोरमा स्कूल में किसी कार्यक्रम में भाग ले रही थी, तभी एक प्रोड्यूसर की नजर उन पर पड़ी। वह उन्हें कास्ट करना चाहते थे। लेकिन मनोरमा के पिता एक्टिंग के लिए राजी नहीं थे। हालांकि फिल्ममेकर ने मनोरमा के पिता को मना लिया। इसके बाद एरिन इस्साक ‘मनोरमा’ बन गईं।
मनोरमा ने ‘खजांची’ (1941) में एक बाल कलाकार के रूप में शुरुआत की और लाहौर में एक बहुत सफल अभिनेत्री बन गईं। बंटवारे के बाद वह मुंबई आ गईं। मनोरमा ने ‘घर की इज्जत’ (1948) में दिलीप कुमार की बहन की भूमिका निभाई और सुपरहिट पंजाबी फिल्म ‘लच्छी’ (1949) में अभिनय किया। मनोरमा की शादी राजन हक्सर से हुई थी, जो एक अभिनेता भी थे। राजन निर्माता बन गए, जबकि मनोरमा ने अपने अभिनय करियर को फिर से स्थापित किया। अपनी शादी के बाद, उन्हें कैरेक्टर्स रोल और फिर विलन या कॉमिक रोल्स में रखा गया।
राजन से शादी के कई साल बाद उनका तलाक हो गया। उनकी आखिरी हिंदी फिल्म अकबर खान की ‘हादसा’ (1983) थी। मनोरमा ने टीवी सीरियल की ओर रुख किया। उन्होंने ‘दस्ताक’ सीरीज में काम किया था जिसमें शाहरुख खान भी थे। मनोरमा ने सीरियल ‘कुटुंब’ में हितेन तेजवानी की दादी का किरदार भी निभाया था।
2000 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने बालाजी टेलीफिल्म्स के साथ उनके धारावाहिक ‘कश्ती’ और ‘कुंडली’ के लिए काम किया। उनकी आखिरी फिल्म दीपा मेहता की ‘वॉटर’ (2005) थी, जिसमें उन्होंने अपने अभिनय से हॉलीवुड क्रिटिक्स को दीवाना बना दिया था। मनोरमा के मुताबिक, फिल्म में मधुमती का किरदार निभाने के लिए वह पहली और आखिरी पसंद थीं। बनारस में फिल्म की मेकिंग पांच साल के लिए बंद कर दी गई थी। उन्हें छोड़कर पूरी कास्ट बदल दी गई थी।
मनोरमा को 2007 मेंलकवा हो गया था और बाद में वो ठीक भी हो गईं। हालाँकि उनको बोलने में मुश्किल होती थी। साथ ही कुछ और शारीरिक दिक्कतें भी थीं। 15 फरवरी 2008 को मुंबई में उनका निधन हो गया। इन्होंने 150 फिल्मों में काम किया था। मनोरमा की एक बेटी रीता हक्सर है। रीता ने संजीव कुमार के साथ ‘सूरज और चंदा’ में लीड रोल के तौर पर काम किया था, लेकिन बाद में एक इंजीनियर से शादी कर ली और विदेश में बस गईं।



राजकुमार करण सिंह के घोड़े शुभ्रक ने कुतुबुद्दीन की जान लेकर राजकुमार के अपमान का बदला लिया मीडिया डेस्क

कुतुबुद्दीन ऐबक, मोहम्मद गौरी का गुलाम था। कुतुबुद्दीन, मोहम्मद गौरी गौरी के बाद दिल्ली का सुल्तान बना। मोहम्मद गौरी ने इसको खरीदा था। गुलामों को सेनिको की सेवा के लिए खरीदा जाता था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम वंश कि स्थापना की। इसकी मृत्यु घोड़े से गिरकर नहीं हुई। बल्कि मेवाड़ के स्वामीभक्त घोड़े शुभ्रक के कारण हुई।

कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में विष्णु मन्दिर को तोड़ कर कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद बनाई। अजमेर में संस्कृत विद्यालय को तोड़कर ढाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण करवाया। उसने दिल्ली में कुतुबमीनार का निर्माण करने के लिए सताइस २७ मन्दिरों को तुड़वा दिया।

ऐसा शासक उदार और दानी कैसे हो सकता हैं जैसा कि इतिहास में लिखा गया है। क्योंकि सत्य को छुपाया गया है।

शुभ्रक घोड़ा और कुतुबुद्दीन ऐबक :

जिसने ग्यारह बारह वर्ष में घुड़सवारी शुरू की हो और घोड़े पर बैठकर कई लड़ाइयां लड़ी हो क्या घोड़े से गिरकर मर सकता हैं ?

कुतुबुद्दीन ऐबक ने राजपूताना में बहुत अत्याचार किए। और मेवाड़ के राजकुंवर कर्ण सिंह को बंदी बनाकर लाहौर ले गया। राजकुंवर शुभ्रक नामक एक स्वामीभक्त घोड़ा था। जो कुतुबुद्दीन को पसन्द आ गया और उसे भी साथ ले गया।

लाहौर में मेवाड़ के कुंवर को बंदी बनाया। लेकिन एक दिन कैद से छूटने के प्रयास में राजकुंवर को मौत की सजा सुनाई गई। और तय हुआ कि राजकुंवर कर्ण सिंह जी का सिर काट कर चौगान खेला जाएगा। चौगान एक प्रकार का खेल होता है, जिसे आजकल पोलो की तरह खेलते हैं।

एक कैदी की तरह समय पर महाराज कुंवर कर्ण सिंह को लाहौर के जन्नत बाग लाया गया। कुतुबद्दीन ऐबक स्वयं शुभ्रक घोड़े पर सवार होकर अपनी टीम के साथ जन्नत बाग में आया।

मेवाड़ के स्वामीभक्त शुभ्रक ने जैसे ही कैदी की अवस्था में राजकुंवर को देखा तो उसकी आँखों से आँसू निकलते लगे । जैसे ही सिर काटने के लिए कर्ण सिंह जी को जंजीरों से खोला, तो शुभ्रक से देखा नहीं गया अपने स्वामी की ऐसी दशा को।

शुभ्रक ने पलक झपकते ही कुतुबुद्दीन ऐबक को पटक दिया। और उसके सीने पर तब तक प्रहार करता रहा जब तक उसके प्राण पंखेरू उड़ नहीं गए। तुर्क सैनिक सम्हले तब तक अपने स्वामी कर्ण सिंह के पास पहुंचा।

इस स्थिति का फायदा उठाकर कर्ण सिंह सैनिकों से छूटे और शुभ्रक पर सवार हो गए। शुभ्रक अपने पूरे वेग से मेवाड़ की और दौड़ने लगा। तीन दिन बाद मेवाड़ की राजधानी चित्तौरगढ़ की सीमा में प्रवेश कर गया।

शुभ्रक चितौड़गढ़ किले में पहुंचा, उसे संतोष था कि उसने अपने स्वामी को पहुंचा दिया। लेकिन जैसे ही राजकुंवर कर्ण सिंह जी शुभ्रक से उतरे और अपने प्रिय अश्व को पुचकारने के लिए हाथ बढ़ाया तो पाया कि वह तो प्रतिमा बना खड़ा था …….. वो निष्प्राण था। उसके सिर पर हाथ रखते ही निष्प्राण शरीर लुढ़क गया।

हमे भारत के इतिहास में यह तथ्य कहीं नहीं पढ़ाया गया क्योंकि वामपंथी और मुल्लापरस्त लेखक कुतुबद्दीन ऐबक की ऐसी दुर्गति वाली मौत को छुपाना चाहते थे। जब कि फारसी की कई प्राचीन पुस्तकों में लिखी बताई गई हैं।




डॉ. श्री बालाजी तांबे के योगदान पर पुणे में अभिनव आयोजन

जो समाज से मिलता है वह समाज को कई गुना लौटा दो,  इसी पावन भावना के साथ डॉ, श्री बालाजी तांबे जीवन भर कार्य करते रहे। उनका मानना था कि मनुष्य को अपना जीवन किसी वृक्ष की तरह जीना चाहिए, वृक्ष आपसे एक बीज लेता है और आपकी सहायता से ही बीज को विकसित कर अपने आपको फल और फूलों से लाद देता है। इन फल फूलों काु उ  उपयोग वह अपने लिए नहीं करता।

मुंबई से पुणे जाते समय लोनावाला से मात्र 7 किलोमीटर दूर कार्ला में स्थित डॉ. श्री बालाजी तांबे द्वारा स्थापित आत्म संतुलन विलेज आज पूरी दुनिया मे  आयुर्वेद उपचार और  प्राकृतिक व वैदिक जीवन शैली का जीवंत केंद्र बन चुका है। बालाजी के निधन के बाद भी उनके सुयोग्य पुत्र सुनील तांबे अपने सहयोगियों के साथ इस संस्थान को उसी पवित्रता और अनुशासन के साथ चला रहे हैं जैसा बालाजी तांबे अपने जीवन काल में संचालित करते थे।

दुनिया भर के लोग यहाँ अपनी बीमारियों के इलाज से लेकर प्राकृ-तिक व वैदिक जीवन शैली का अनुभव करने आते हैं।  यहाँ हजारों साल पुरानी आयुर्वेदिक परंपरा से दवाईयों का निर्माण होने से लेकर पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा और पंचकर्म, स्वेदन, बस्ती आदि के माध्यम से मरीजों का इलाज किया जाता है।

श्रीगुरु डॉ. श्री बालाजी तांबे  और उनके कार्यों को समाज के सामने प्रस्तुत करने की दृष्टि से पुणे के समाचार पत्र सकाळ समूह ने पुणे में एक अभिनव आयोजन किया ।

इस आयोजन में श्रीगुरु डॉ. श्री बालाजी तांबे की 40 वर्षों काी सतत् साधना और उनके द्वलारा किए गए कार्यों को सफल प्रयोगों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया था।  इस अवसर पर  राजेंद्र खेर द्वारा संपादित श्रीगुरु बालाजी तांबे की आत्मकथा ‘संतुलन युगे युगे’, प्रकाशित की गई।

इसका विमोचन करते हुए आयुर्वेदिक उपचार, ध्यान, योग, स्वास्थ्य संगीत आदि के लिए संतुलित जीवन को शुरू करने के लिए उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता थी और वह आवश्यकता पूरी हुई। ‘आत्मसंतुलन व्हिलेज’ की 40वीं वर्षगांठ पर आयोजित एवं ‘संतुलन आयुर्वेद’  में  श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज  ने श्री गुरुजी बालाजी तांबे से जुड़े कई संस्मरण  प्रस्तुत करते हुए कहा कि उन्होंने एकनिष्ठ साधना से आयुर्वेद को जिस ऊँचाई पर पहुँचाया उसे देखकर आश्चर्य होता है कि कोई एक व्यक्ति अपने जीवन में इतना बड़ा काम कैसे कर सकता है।

इस अवसर पर ‘सकाल मीडिया ग्रुप’ के प्रबंध निदेशक अभिजीत पवार ने कहा, “मानो गुरुजी एक विश्वविद्यालय थे जिन्हें सभी क्षेत्रों का सटीक ज्ञान था। वह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के प्रतीक हैं।  श्रीगुरु डॉ. श्री बालाजी तांबे सभी क्षेत्रों में विशेषज्ञ थे। ज्योतिष, संगीत, साहित्य, कला, जैविक खेती ऐसे सभी क्षेत्र थे जिनमें वे पारंगत थे।

इस अवसर पर विविध विषयों पर व्य़ख्यान भी आयोजित किए गए।  गर्भ संस्कार पर आयोजित चर्चा में डॉ. मालविका तांबे ने कहा, “बदलती जीवनशैली के कारण गर्भावस्था से संबंधित समस्याएं बढ़ रही हैं। ऐसे मामलों में कृत्रिम या दुष्प्रभाव वाले उपचारों के बजाय प्राकृतिक गर्भावस्था को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।” उन्होंने ‘संतुलन आयुर्वेद फर्टिलिटी एक्सपीरियंस’ (एसएएफई) के बारे में जानकारी दी और आध्यात्मिक गुरु और आयुर्वेद विशेषज्ञ श्रीगुरु बालाजी तांबे के उपदेशों से रचित गर्भसंस्कार पुस्तक के कई प्रमुख अंशों पर चर्चा की।

 


ये भी पढ़िये…

वेद, आयुर्वेद और भारत के गौरवशाली अतीत को नई पहचान देने वाले डॉ. श्री बालाजी तांबे

आधुनिक धन्वंतरी डॉ. श्री बालाजी तांबे नहीं रहे


 

‘संतुलन आयुर्वेद’ के प्रबंध निदेशक सुनील तांबे ने ‘ॐकार’ साधना पर एक विशेष सत्र में ‘ॐकार’ के महत्व को समझाया।  हमारा सारा काम मस्तिष्क द्वारा होता है और ‘ॐकार’ में मस्तिष्क को ऊर्जावान बनाने की शक्ति होती है। ‘ॐकार’ एक तरंग है, और केवल उसके उच्चारण से ऊर्जा कैसे प्राप्त की जा सकती है इसकी प्रतीति साधकों को करवाई गई।

सभी ने अनुभव किया  मानो ये  प्रदर्शनी महज एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि आयुर्वेद की एक पाठशाला ही है। शुरुआत में योग कुटी के माध्यम से श्वास का महत्व तथा प्राथमिक; लेकिन महत्वपूर्ण योग साधनाओं का प्रदर्शनों के साथ मार्गदर्शन किया गया। आरोग्य कुटी में आये नागरिकों की नाड़ी जाँच कर उपचार एवं औषधियों के बारे में मार्गदर्शन किया गया।

उपचार कुटी में बीमारी के अनुसार आए लोगों की शंकाओं का समाधान किया गया। निर्माण कुटी के माध्यम से आयुर्वेदिक औषधि निर्माण का वास्तविक अनुभव लिया गया। पुणे वासियों के लिए ये प्रदर्शनी और विभिन्न विषयों पर हुए चर्चा सत्र रोमांचक अनुभव की तरह थे।

अन्नयोग कुटी में प्रदर्शनों द्वारा मार्गदर्शन किया गया। आत्मसंतुलन के मार्गदर्शकों ने नागरिकों की बीमारियों को जानने के बाद वास्तव में क्या करना है और कैसे करना है, इसका प्रदर्शन कर मार्गदर्शन किया। कई लोगों ने योग, आयुर्वेद, उपचार विधियों और विशेष रूप से पंचकर्म के बारे में जानने के लिए किताबें खरीदीं।