अपने समय की स्वर कोकिला प्रेमलता जैन

“फूलों की कोमल सेज कभी, शूलों का कभी बिछौना है
पूजो तो नारी देवी है, खेलो तो सिर्फ खिलौना है”

यही वह गीत है जिसे किसी जमाने में कवियित्री प्रेमलता जैन पढ़ती थी तो आकाश तालियों की आवाज़ से गूंज उठता था। उनके स्वर माधुर्य की वजह से उन्हें स्वर कोकिला कहा जाता था। इस गीत में इन्होंने आजादी की जंग की आमजन के दिलों में उठती भावनाओं को बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में भावपूर्ण शब्दों में अभिव्यक्ति दी है। इंकलाब की बोलियां गूंजते जब रास्ते पर दिल में आज़ादी का ज्वार लिए टोलियां निकल पड़ती थी तो कभी खून की होली होती थी तो कभी पुलिस की लाठियां। ऐसे शासन को उलटने और नई संजीवनी देने के संदेश को आगे की पंक्तियों में यूं लिखा है…………..
और “जब निकलती मुक्ति पथ पे टोलियाँ गूँजती हैं इंकलाबी बोलियाँ
क्यों सड़क पे खून की हैं होलियाँ
क्यों पुलिस की भूनती हैं गोलियाँ
ऐसी कुर्सियों को तुम कुलांट दो
भीड़ को नया प्रकाश बाँट दो”

सत्तर के दशक तक स्वर कोकिला कहा जाने वाली कवियित्री 1985 तक कवि सम्मेलनों में खूब सक्रिय रहीं। उस समय उनके हिन्दी और राजस्थानी के गीत बहुत चाव से सुने जाते थे। कवि सम्मेलनों की जान होती थी ये। जिसमें ये नहीं होती थी वह सम्मेलन सूना -सूना रहता था। एक रिक्तता इनका अहसास कराती रहती थी। कहने का तात्पर्य है की किसी भी कवि सम्मेलन की शान थी प्रेमलता।

हिंदी के साथ-साथ राजस्थानी भाषा में भी इन्होंने जम कर काव्य सृजन किया।राजस्थानी गीत संग्रह ‘कनकी’ नाम से प्रकाशित हुआ।

श्रृंगार रस उनकी पहली पसंद थी और राजस्थानी भाषा में उन्होंने श्रृंगार गीत बहुत गीत लिखे। उस समय उनके लोकप्रिय गीतों में एक गीत के मुखड़े की बानगी देखिए……….
सारसड़ी ऐ सारसड़ी
सारस की लड़ली सारसड़ी
कद आवैगी साजनिया संग उड़बा की घड़ी”
इनके हिन्दी गीतों का संग्रह ‘जनपथ के जख्म’ नाम से छपा। इस संग्रह के गीतों में उन्होंने आम आदमी के दुखों को शिद्दत से उकेरा है।
इस संग्रह के गीतों का प्रमुख स्वर था ……..
“खूब छला खादी ने फुटपाथों के नंगे बचपन को
खूब जी लिया है हमने जन-गण-मन के अनुशासन को
रुग्ण हवाओं के झौंके ही मिले हमेशा भोजन को
राजनीति के सर्पों ने कर दिया विषैला जीवन को
गंदे जल से प्रजातंत्र का हो प्रक्षालन क्यों?
जिन तथ्यों में सत्य नहीं उनका अनुमोदन क्यों। ”

संग्रह में इस गीत के भाव बताते हैं की इनका सृजन मुख्य तौर पर देश भक्ति को समर्पित रहा है। संग्रह का विमोचन देश के नामी साहित्यकार राजेंद्र यादव ने 25 अगस्त 1995 को भरतपुर में किया था।

कोटा आने पर इनके गुरु जमना प्रसाद ठाड़ा राही से इन्हें नई साहित्य चेतना मिली। मुंबई के एक कलाकार से इनका गायन मुकाबला भी रामगंजमंडी में हुआ था। इस मुकाबले में इन्होंने विजयश्री को वरन किया और समाज ने इन्हें स्वर्ण पदक प्रदान कर सम्मानित किया था। कुछ समय पहले ही इनकी आत्मकथा का भी प्रकाशन “ओळ्यूँ के आँगणै’ (यादों के आँगन में) नाम से हुआ।

परिचय
प्रेमलता जैन का जन्म 20 अप्रैल 1936 को झालावाड़ जिले के एक प्रतिष्ठित जैन परिवार में हुआ। बचपन बहुत लाड़ में बीता। उनके बड़े भाई नमजी जैन भजन लिखा और गाया करते थे। बाबा देवीलाल जी कोटा रियासत में नाजिम थे और वो भी उर्दू में लिखा करते थे।

शादी के बाद प्रेमलता जी का जीवन आर्थिक और पारिवारिक संकटों में बीता। एक बार तो उन्हें और उनके पति स्वर्गीय श्री लालचंद जैन को चार महीने के लिए जंगलों में भी भटकना पड़ा। उनके साथ उनके देवर इंद्रमल जैन भी थे। दरअसल रिश्ते की एक भाभी से कुछ विवाद हुआ और दंपत्ति ने घर छोड़ने का निर्णय कर लिया। देवर से पुत्रवत प्रेम था तो वो भी साथ हो लिया। किसी ने उनके पति से वादा किया था कि वो आगरा में नौकरी दिला देगा । लेकिन आगरा पहुँच कर वो इस युवा दंपति को ठग कर सारा पैसा ले गया और परदेस में ये भटकते रहे। उस समय आज की तरह संचार के तीव्र माध्यम तो थे नहीं । इन्होंने अपनी आत्मकथा में इस का वर्णन बहुत विस्तार से किया है।

यह अपने भाई की शैली से प्रभावित होकर जैन समाज में भजनों के कार्यक्रम देती रहीं। रामगंजमंडी से इनका परिवार कोटा आ गया। इनके पुत्र अतुल कनक आज नामी रचनाकार हैं जिनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और पुत्र वधु ऋतु जैन के भी दो काव्य संग्रह प्रकाशित हुए हैं। जीवन के 78 बसंत की बाहर देख चुकी कवियित्री आज भी अपना समय स्वाध्याय और सृजन में बिताती है। पलंग के सिरहाने पर एक सेल्फ में पुस्तकें रखी हैं। नई प्राप्त प्रत्येक पुस्तक को अध्योपान्त पढ़ कर ही दम लेती हैं और सेल्फ में रख देती हैं। गजब की स्वाध्याय वृति युवा रचनाकारों के लिए अनुकरणीय है।

 




गौसेवा व गौसंक्षण के साथ ही चमत्कारिक घरेलू चिकित्सा को नई पहचान देने वाले उत्तम माहेश्वरी

#उत्तम_माहेश्वरीः पुराना नक्शा इनके पास है।
हम सभी अपना जीवन आनंद के साथ बिताना चाहते हैं, लेकिन आनंद को सही परिप्रेक्ष्य में समझना और उसे प्राप्त करना आसान नहीं होता। इसके लिए नक्शे की जरूरत पड़ती है। प्रायः यह नक्शा हमें वह समाज देता है जिसमें हम जन्म लेते हैं। जब हम इस नक्शे को पढ़ते हुए आगे बढ़ते हैं तो हमारा जीवन सुगम हो जाता है या यूं कहें कि हमारी कठिनाइयां कम हो जाती हैं।

यह नक्शा वास्तव में उन परंपराओं से बनता है जिसे समाज अपने लंबे अनुभव से आकार देता है। परंपराएं हमेशा सही हों, यह जरूरी नहीं। वे रूढ़ और विकृत भी हो जाती हैं, इसलिए देश-काल को ध्यान में रखकर स्वस्थ समाज उन्हें बदलता रहता है, लेकिन वह उन्हें एक सिरे से खारिज नहीं करता। पूरी दुनिया की यही रीति रही है। तथापि, पिछले सौ-डेढ़ सौ वर्षों से कुछ अलग होने लगा है।

आज कई समुदाय समाज के नक्शे को फेंक करके बाजार का दिया नक्शा पढ़ रहे हैं। खान-पान, रहन-सहन और आचार-विचार से जुड़ी उनकी तमाम गतिविधियां परंपराओं की बजाए बाजार के इशारे पर तय होती हैं। यह वर्ग ऊपरी तौर पर खुश है, किंतु अंदर ही अंदर खोखला हो रहा है। धीरे-धीरे उसे भी समझ में आ रहा है कि बाजार के नक्शे में खोट है। लेकिन इस समझ के बावजूद वह असहाय है। वह बाजार के ही नक्शे के सहारे जिंदगी जी रहा है, क्योंकि उसे समाज के पुराने नक्शे के बारे में कुछ भी नहीं मालूम। वह उसे पहले ही फेंक चुका है।

सौभाग्य से पुराना नक्शा अभी लुप्त नहीं हुआ है। जब अधिकतर लोग उसे फेंक रहे थे, तब कुछ लोगों ने उसे संवारने और सहेजने का काम किया। आज ये लोग चारों ओर घूमकर जहां एक ओर बाजार के नक्शे की खोट के बारे में लोगों को सावधान कर रहे हैं, वहीं समाज के बनाए पुराने नक्शे के बारे में लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं।
ऐसे ही एक व्यक्ति हैं जिनका नाम है उत्तम माहेश्वरी। उत्तम जी का जन्म मुंबई में हुआ। पढ़ाई-लिखाई वहीं के स्कूल कालेजों में हुई। बीएड करने के बाद जब नौकरी करने की बात आई तब उन्होंने एक अलग ही राह चुन ली। 1989 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचारक बन कर वे पूर्वोत्तर भारत चले गए जहां उन्हें स्थानीय लोगों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई थी।

उत्तम जी को अपना काम अच्छा लग रहा था, लेकिन मुंबई में पला-बढ़ा उनका शरीर पूर्वोत्तर भारत की कठिनाइयों को झेल नहीं पाया। जब तबियत अधिक खराब होने लगी, तब उनके पिताजी उन्हें मुंबई वापस ले आए। मुंबई में स्वास्थ्य लाभ करते हुए उत्तम जी को वेणीशंकर मोरारजी बसु की विश्व मंगल ग्रंथ-माला पढ़ने का मौका मिला। इस ग्रंथ-माला की 32 किताबों ने उनकी आंखें खोल दीं। इसके कारण जमीन, गांव और खेती से जुड़े विषयों में उनकी रुचि बढ़ गई।

एक बार लगन लगी तो उत्तम जी ने जापानी कृषि दार्शनिक मासानोबू फुकुओका को भी समझने का प्रयास किया। इसी क्रम में वे प्रसिद्ध प्राकृतिक कृषक पूनमचंद बाफना और भाष्कर सावे के खेत पर भी गए। वहां जो उन्होंने देखा और अनुभव किया, उसके बाद मुंबई में रहना उनके लिए मुश्किल हो गया। गांव में जाकर खेती और गौ-पालन करना उनकी पहली प्राथमिकता बन गया।

उत्तम जी की इस नई अभिरुचि को उनके पिता डाक्टर गौरी शंकर माहेश्वरी का भरपूर साथ मिला। मकराना, राजस्थान के अपने पुश्तैनी गांव में पिता-पुत्र ने खाली पड़े खेतों पर प्रयोगों का एक नया क्रम प्रारंभ किया। डा. गौरीशंकर देशी गाय के महत्व को समझते थे। जब देश भर में जर्सी गायों को बढ़ावा दिया जा रहा था, उस समय उन्होंने देशी गाय पर आधारित गो गव्य चिकित्सा की बात की और देश-विदेश में घूमकर इसके बारे में लोगों को जागरूक किया था।

गांव में दस वर्ष रहने के बाद परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि उत्तम जी को एक बार फिर से मुंबई आना पड़ा। यहां आकर वे गोरक्षा और स्वदेशी के आंदोलन से जुड़े। उन्हें यह भी समझ में आया कि स्वास्थ्य के नाम पर आम आदमी के साथ कितना बड़ा धोखा हो रहा है। इसे तोड़ने के लिए उत्तम जी ने वर्ष 2005 में एक किताब लिखी जिसका नाम है- स्वास्थ्य षड्यंत्रों के युग में अपने डाक्टर स्वयं बनें। यह किताब लोगों को बहुत पसंद आई। दो वर्ष में ही इसकी सभी प्रतियां बिक गईं। इसी बीच एक और किताब आई जिसका नाम है गो-सुषमा। चित्र-कथा शैली में छपी उत्तम जी की यह किताब इतनी लोकप्रिय हुई कि दो ही वर्ष में इसके तीन संस्करण छापने पड़े।

उत्तम जी की किताब में ऐसी कई छोटी-छोटी बातें संकलित की गई हैं, जो हमारे स्वास्थ्य का आधार हैं किंतु उन्हें हम भूलते जा रहे हैं। जैसे- खड़ा होकर पानी नहीं पीना चाहिए, बार-बार मुंह जूठा नहीं करना चाहिए, भोजन करते समय मौन रहना चाहिए आदि-आदि। इस किताब को पढ़कर कई उपयोगी सूचनाओं के साथ-साथ एक विशेष जीवन दृष्टि भी मिलती है। उत्तम जी साफ-साफ कहते हैं, “इसमें पूरा ज्ञान नहीं है। हमें ज्ञान अपनी परंपराओं और परिवेश से ही मिलेगा, उनको देखने और समझने की दृष्टि देने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है।

पीढ़ियों से चले आ रहे पारंपरिक ज्ञान और देशी गाय को आधार बना कर उत्तम जी रोगियों की चिकित्सा भी करते हैं। ऐसी कई जटिल बीमारियां जिनका एलोपैथी या किसी और पैथी में सटीक इलाज नहीं है, उसे वे कुछ घरेलू नुस्खों और परहेज आदि बताकर ठीक कर देते हैं। जो लोग उत्तम जी के उपचार से सही होते हैं उनके लिए वे किसी भी वैद्य या डाक्टर से बढ़कर हैं किंतु मजे की बात है कि उनके पास सरकार की दी हुई ऐसी कोई डिग्री नहीं है।

अपना उदाहरण देते हुए उत्तम जी कहते हैं कि स्वस्थ रहने या स्वस्थ रहने का तरीका बताने के लिए किसी का डाक्टर या वैद्य होना जरूरी नहीं है। भारतीय परंपरा में पगी हुई उत्तम जी की बातों में इतना दम है कि बड़े-बड़े हास्पिटल भी उन्हें अपने यहां भाषण देने के लिए बुलाते हैं। देश-विदेश के कई सामाजिक मंचों पर भी उत्तम जी की बात बड़े ध्यान से सुनी जाती है।

पिछले दो दशकों में उत्तम जी ने अपने प्रयासों से गोसेवा, गोरक्षा, स्वदेशी और पारंपरिक जीवन शैली से जुड़े विषयों को एक नई उंचाई दी है। आज हजारों-लाखों लोग उनकी बात को सुनते और उस पर अमल करते हैं। लेकिन अफसोस की बात है कि यह सब पर्याप्त नहीं है। उत्तम जी ने जो अभियान प्रारंभ किया है, उसे आगे बढ़ाने में हम सभी को अपनी-अपनी भूमिका निभानी होगी।

#संपर्कः https://www.facebook.com/UttamMaheshwariJi




राम के पूर्वज हरित राजा भी थे और महर्षि भी

हरित जिसे हरिता , हरितास्य , हरीत और हरितसा के नाम से भी जाना जाता है ,च्यवन ऋषि के पुत्र और सूर्यवंश वंश के एक प्राचीन राजकुमार थे, जिन्हें अपने मातृ पक्ष, हरिता गोत्र से क्षत्रिय वंश के पूर्वज के रूप में जाना जाता था । वह भगवान विष्णु के 7वें अवतार राम के पूर्वज थे ।एक और हरिता  सूर्यवंशी राजा हरिश्चंद्र का पौत्र और रोहिताश्व का पुत्र था । किसी एक हरित को राजा यौवनाश्व का पुत्र और सूर्यवंश वंश के राजा अंबरीष का पोता बताया भी बतलाया जाता  है। एक जैसे नाम वाले  हरित ने अयोध्‍या नगरी पर राज किया लेकिन उनके के नाम पर प्रायः पौराणिक साक्ष्यों में परस्पर मतभेद है।  वह सतयुग के अंतिम चरण के शासक थे। हरिशचंद्र अयोध्या के राजा थे। रोहिताश्व बनारस से विहार रोहतास से शासन चलाया था। जबकि अयोध्या इसके पुत्र हरित के पास रहा।

एक सर्वविदित तथ्य है कि हरितास गोत्र से संबंधित ब्राह्मण राजा हरिता के वंशज हैं जो राम के पूर्वज थे और सूर्यवंश से संबंधित क्षत्रिय थे। ऐसी कहानियाँ हैं जो बताती हैं कि कैसे राजा हरिता ने तपस्या की और श्रीमन नारायण से वरदान प्राप्त किया और अपनी तपस्या के आधार पर ब्राह्मण होने का दर्जा प्राप्त किया और अब से उनके सभी वंशज ब्राह्मण बन गए। लिंग पुराण जैसे कुछ पुराणों में ऐसे संदर्भ हैं जो दावा करते हैं कि इस वंश के ब्राह्मणों में भी क्षत्रियों के गुण हैं और इन ब्राह्मणों को ऋषि अंगिरस द्वारा अनुकूलित या सिखाया गया है। हरिथासा गोत्र के लिए दो प्रवरों का उपयोग किया जाता है।

ऋषि मूलतः  मन्त्रद्रष्टा होता है। कम इस्तेमाल किये जाने वाले प्रवर में हरिता को ऋषि के रूप में शामिल किया गया है। हरिता को अपनी तपस्या पूरी होने के बाद ही ऋषि का दर्जा मिल सकता था। और इसलिए यह मान लेना तर्कसंगत होगा कि हरिता की तपस्या पूरी होने के बाद उसके जन्मे पुत्रों के सभी वंशजों में हरिता को प्रवर में एक ऋषि के रूप में शामिल किया गया होगा। लेकिन फिर भी ऐसे पुत्र हो सकते थे जो हरिथाके तपस्या करने से पहले ही पैदा हो गए थे।

चूँकि कहानियों में उल्लेख है कि भगवान विष्णु ने वरदान दिया था कि हरिता के सभी वंशज ब्राह्मण बन जाएंगे, उनकी तपस्या से पहले क्षत्रिय के रूप में पैदा हुए हरिता के पुत्रों को ऋषि अंगिरस द्वारा अनुकूलित किया गया होगा और उन्होंने ब्राह्मण धर्म का पालन किया होगा। दिलचस्प बात यह है कि लिंग पुराण में क्षत्रियों के गुण रखने वाले अंगिरस हरिता के बारे में भी विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। चूँकि प्राचीन काल से हम जानते हैं कि राजा का पुत्र राजा बनेगा और ब्राह्मण का पुत्र ब्राह्मण बनेगा। यदि हरिता ने वास्तव में अपनी तपस्या के आधार पर ब्राह्मण का दर्जा प्राप्त किया है, तो तपस्या पूरी होने के बाद उसके पैदा हुए सभी पुत्र और उनके वंशज क्षत्रियों के गुणों के बिना ब्राह्मण होने चाहिए। यदि हम इसके बारे में सोचें, तो दोहरे गुण होने की संभावना तब अधिक होती है जब कोई व्यक्ति क्षत्रिय के रूप में पैदा हुआ था, लेकिन अंततः उसने ब्राह्मण धर्म अपना लिया (किसी भी कारण से – इस मामले में विष्णु के वरदान के कारण) जो अन्य पर लागू होता प्रतीत होता है हरिता के पुत्र जो संभवतः उसके तपस्या करने से पहले पैदा हुए थे।

ऐसा माना जाता है कि हरिता ने अपने पापों के प्रतीकात्मक प्रायश्चित के रूप में अपना राज्य छोड़ दिया था। श्रीपेरुम्बुदूर के स्थल पुराण के अनुसार, तपस्या पूरी करने के बाद , उनके वंशजों और उन्हें नारायण द्वारा ब्राह्मण का दर्जा दिया गया था ।
हालांकि एक ब्राह्मण वंश, यह गोत्र सूर्यवंश वंश के क्षत्रिय राजकुमार का वंशज है जो पौराणिक राजा मंधात्री के परपोते थे । मंधात्री का वध लवनासुर ने किया था जिसे बाद में राम के भाई शत्रुघ्न ने मार डाला था । यह प्राचीन भारत के सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध वंशों में से एक है, जिसने राम और उनके तीन भाइयों को जन्म दिया।

राजवंश के पहले उल्लेखनीय राजा इक्ष्वाकु थे । सौर रेखा से अन्य ब्राह्मण गोत्र वटुला, शतामर्षण , कुत्सा, भद्रयान हैं। इनमें से कुत्सा और शतामर्षण भी हरिता गोत्र की तरह राजा मान्धाता के वंशज हैं और उनके प्रवरों के हिस्से के रूप में या तो मंधात्री या उनके पुत्र (अंबरीश / पुरुकुत्सा) हैं। पुराणों , हिंदू पौराणिक ग्रंथों की एक श्रृंखला, इस राजवंश की कहानी दस्तावेज़। हरिता इक्ष्वाकु से इक्कीस पीढ़ियों तक अलग हो गई थी। आज तक, कई क्षत्रिय सूर्यवंशी वंश से वंशज होने का दावा करते हैं, ताकि वे राजघराने के अपने दावों को प्रमाणित कर सकें।
यह विष्णु पुराण में हिंदू परंपरा में दर्ज है : अम्बरीषस्य मंधातुस तनयस्य युवनस्वाह पुत्रो भुत तस्माद हरितो यतो नगिरासो हरिताः । “अंबरीश का पुत्र, मंधात्री का पुत्र युवनाश्व था , उससे हरिता उत्पन्न हुई, जिससे हरिता अंगिरास वंशज हुए।

लिंग पुराण में  इस प्रकार दर्शाया गया है :
हरितो युवनस्वास्य हरिता यत आत्मजः एते ह्य अंगिराः पक्षे क्षत्रोपेट द्विजतायः । “युवानस्वा का पुत्र हरित था, जिसके हरिताश पुत्र थे”। “वे दो बार पैदा हुए पुरुषों के अंगिरस के पक्ष में थे, क्षत्रिय वंश के ब्राह्मण।”

वायु पुराण में इस प्रकार दर्शाया गया है :

“वे हरिताश / अंगिरस के पुत्र थे, क्षत्रिय जाति के दो बार पैदा हुए पुरुष (ब्राह्मण या ऋषि अंगिरस द्वारा उठाए गए हरिता के पुत्र थे।
तदनुसार, लिंग पुराण और वायु पुराण दोनों से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि हरिता गोत्र वाले ब्राह्मण इक्ष्वाकु वंश के हैं और अंगिरस के प्रशिक्षण और तपो शक्ति और भगवान आदि केशव के आशीर्वाद के कारण ब्राह्मण गुण प्राप्त हुए, और दो बार पैदा हुए। स्वामी रामानुज और उनके प्राथमिक शिष्य श्री कूरथज़्वान हरिता गोत्र के थे।

क्षत्रिय से ब्राह्मण का दर्जा मिला :-

श्रीपेरंबुदूर के स्थल पुराण (मंदिर की पवित्रता का क्षेत्रीय विवरण) के अनुसार , हरिता एक बार शिकार अभियान पर निकले थे, जब उन्होंने एक बाघ को गाय पर हमला करते हुए देखा। गाय को बचाने के लिए उसने बाघ को मार डाला, लेकिन गाय भी मारी गई। जब वह अपने कृत्य पर शोक व्यक्त कर रहा था, तब एक दिव्य आवाज ने उसे श्रीपेरंबदूर जाने, मंदिर के तालाब में स्नान करने और नारायण से क्षमा प्रार्थना करने के लिए कहा , जो उसे उसके पापों से मुक्त कर देंगे। राजा ने इस निर्देश का पालन किया, जिसके बाद नारायण उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें उनके पापों से मुक्त कर दिया। ऐसा कहा जाता है कि देवता ने यह भी घोषणा की थी कि भले ही राजा इतने वर्षों तक क्षत्रिय रहे, उनके आशीर्वाद के कारण, वह और उनके वंशज अब ब्राह्मण का दर्जा प्राप्त करेंगे।

हरीता के ब्राह्मण बनने की कहानी :-

यह स्थलपुराण श्रीपेरंपुदुर मंदिर के मुदल (प्रथम) तीर्थकर (पुजारी) द्वारा सुनाया गया था ।  एक बार हरित नाम का एक महान राजा रहता था; वह राजा अंबरीश के पोते थे , जो श्री राम के पूर्वज हैं।

एक बार वह एक घने जंगल से गुजर रहा था जहाँ उसे एक गाय की कराह सुनाई देती है। वह उस दिशा में जाता है जहां आवाज आ रही थी। वह देखता है कि एक बाघ ने गाय को पकड़ लिया है और वह गाय को मारने ही वाला था।

चूंकि वह क्षत्रिय और राजा है, इसलिए उसे लगता है कि कमजोरों की रक्षा करना उसका कर्तव्य है, और बाघ को मारने में कोई पाप नहीं है। उसका लक्ष्य बाघ है। इस बीच, बाघ भी सोचता है कि उसे कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे राजा को भी कष्ट हो और वह गाय को मार डाले और राजा हरिथा बाघ को मार डाले।

चूंकि उसने गो हत्या (पवित्र गाय की मृत्यु) को होते हुए देखा है, इसलिए राजा गो हाथी दोष (पाप) से प्रभावित होता है । वह चिंतित हो जाता है, जब अचानक वह एक असरेरी (दिव्य आवाज) सुनता है जो उसे सत्यव्रत क्षेत्र में जाने और अनंत सरसु में स्नान करने और भगवान आदि केशव की पूजा करने के लिए कहता है , जिससे उसके पाप गायब हो जाएंगे।

राजा हरिता अयोध्या वापस जाते हैं और वशिष्ठ महर्षि से परामर्श करते हैं , जो उन्हें श्रीपेरंपुदुर महाट्यम के बारे में बताते हैं और बताते हैं कि कैसे भूत गण (जो शिव लोक में भगवान शिव की सेवा करते हैं) ने वहां अपने साप (शाप) से छुटकारा पा लिया, और इसके लिए मार्ग भी जगह। राजा हरिथा तब राज्य चलाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करता है और श्रीपेरम्पुदुर (चेन्नई, तमिलनाडु के पास) के लिए आगे बढ़ता है ।

वह अनंत सरसु में स्नान करता है और भगवान आदि केशव से प्रार्थना करता है ; थोड़ी देर बाद दयालु भगवान हरित महाराज के सामने प्रकट होते हैं और उन्हें सभी मंत्रों का निर्देश देते हैं जो दोष से छुटकारा पाने में मदद करेंगे । उनका यह भी कहना है कि इतने वर्षों तक वे क्षत्रिय थे, उनके आशीर्वाद से अब वे ब्राह्मण बन गए हैं, और अब से उनके वंशज भी ब्राह्मण होंगे (आज भी उनके वंशज हरिता गोत्र के ब्राह्मण के रूप में जाने जाते हैं)। भगवान उन्हें सभी मंत्रों का उपदेशम भी देते हैं । हरिथा महाराजा आदि केशव मंदिर का पुनर्निर्माण करते हैं, और एक शुभ दिन पर मंदिर का अभिषेक करते हैं।

चाणक्य की तरह एक पहुंचे हुए महर्षि:-

हारीत एक ऋषि थे जिनकी मान्यता अत्यन्त प्राचीन धर्मसूत्रकार के रूप में है। बौधायन धर्मसूत्र, आपस्तम्ब धर्मसूत्र और वासिष्ठ धर्मसूत्रों में हारीत को बार–बार उद्धत किया गया है। हारीत के सर्वाधिक उद्धरण आपस्तम्ब धर्मसूत्र में प्राप्त होते हैं। तन्त्रवार्तिक में हारीत का उल्लेख गौतम, वशिष्ठ, शंख और लिखित के साथ है। परवर्ती धर्मशास्त्रियों ने तो हारीत के उद्धरण बार-बार दिये हैं।

धर्मशास्त्रीय निबन्धों में उपलब्ध हारीत के वचनों से ज्ञात होता है कि उन्होंने धर्मसूत्रों में वर्णित प्रायः सभी विषयों पर अपने विचार प्रकट किए थे। प्रायश्चित (दण्ड) के विषय में हारीत ऋषि के विचार देखिये-

यथावयो यथाकालं यथाप्राणञ्च ब्राह्मणे।
प्रायश्चितं प्रदातव्यं ब्राह्मणैर्धर्मपाठकैः।
येन शुद्धिमवाप्नोति न च प्राणैर्वियुज्यते।
आर्तिं वा महतीं याति न चैतद् व्रतमादिशेत् ॥

अर्थ – धर्मशास्त्रों के ज्ञाता ब्राह्मणों द्वारा पापी को उसकी आयु, समय और शारीरिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए दण्ड (प्राय्श्चित) देना चाहिए। दण्ड ऐसा हो कि वह पापी का सुधार (शुद्धि) करे, ऐसा नहीं जो उसके प्राण ही ले ले। पापी या अपराधी के प्राणों को संकट में डालने वाला दण्ड देना उचित नहीं है।

गुहिल वंशी राजा कालभोज बप्पा रावल का गुरु थे हरीत :-

बप्पा रावल (या कालभोज) (शासन: 713-810) मेवाड़ राज्य में क्षत्रिय कुल के गुहिल राजवंश के संस्थापक और एक महापराक्रमी शासक थे। बप्पारावल का जन्म मेवाड़ के महाराजा गुहिल की मृत्यु के 191 वर्ष पश्चात 712 ई. में ईडर में हुआ। उनके पिता ईडर के शाषक महेंद्र द्वितीय थे।बप्पा रावल मेवाड़ के संस्थापक थे कुछ जगहों पर इनका नाम कालाभोज है ( गुहिल वंश संस्थापक- (राजा गुहादित्य )| इसी राजवंश में से सिसोदिया वंश का निकास माना जाता है, जिनमें आगे चल कर महान राजा राणा कुम्भा, राणा सांगा, महाराणा प्रताप हुए।

सिसौदिया वंशी राजा कालभोज का ही दूसरा नाम बापा मानने में कुछ ऐतिहासिक असंगति नहीं होती। इसके प्रजासरंक्षण, देशरक्षण आदि कामों से प्रभावित होकर ही संभवत: जनता ने इसे बापा पदवी से विभूषित किया था। महाराणा कुंभा के समय में रचित एकलिंग महात्म्य में किसी प्राचीन ग्रंथ या प्रशस्ति के आधार पर बापा का समय संवत् 810 (सन् 753) ई. दिया है। दूसरे एकलिंग माहात्म्य से सिद्ध है कि यह बापा के राज्य त्याग का समय था।

बप्पा रावल को रावल की उपाधि भील सरदारों ने दी थी । जब बप्पा रावल 3 वर्ष के थे तब वे और उनकी माता जी असहाय महसूस कर रहे थे , तब भील समुदाय ने उनदोनों की मदद कर सुरक्षित रखा,बप्पा रावल का बचपन भील जनजाति के बीच रहकर बिता और भील समुदाय ने अरबों के खिलाफ युद्ध में बप्पा रावल का सहयोग किया। यदि बप्पा रॉवल जी का राज्यकाल 30 साल का रखा जाए तो वह सन् 723 के लगभग गद्दी पर बैठे होगे। उससे पहले भी उसके वंश के कुछ प्रतापी राजा मेवाड़ में हो चुके थे, किंतु बापा का व्यक्तित्व उन सबसे बढ़कर था। चित्तौड़ का मजबूत दुर्ग उस समय तक मोरी वंश के राजाओं के हाथ में था।

बप्पा रावल और हारित ऋषि की कहानी –

बप्पा रावल नागदा में उन ब्राह्मणों की गाय चराता था, उन गायों में एक गाय सुबह सबसे ज्यादा दूध देती थी व शाम को दूध नहीं देती थी तब ब्राह्मणों को बप्पा पर संदेह हुआ, तब बप्पा ने जंगल में गाय की वास्तविकता जानी चाहिए तो देखा कि वह गाय जंगल में एक गुफा में जाकर बेल पत्तों के ढेर पर अपने दूध की धार छोड़ रही थी, बप्पा ने पत्तों को हटाया तो वहां एक शिवलिंग था वही शिवलिंग के पास ही समाधि लगाए हुए एक योगी थे। बप्पा ने उस योगी हारित ऋषि की सेवा करनी प्रारंभ कर दी इस प्रकार उसे एकलिंग जी के दर्शन हुए वह उसको हारित ऋषि से आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

मुहणोत नैणसी के अनुसार – बप्पा अपने बचपन में हारित ऋषि की गाये चराता था। इस सेवा से प्रसन्न होकर हारित ऋषि ने राष्ट्रसेनी देवी की आराधना से बप्पा के लिए राज्य मांगा देवी ने ऐसा हो का वरदान दिया इसी तरह हारित ऋषि ने भगवान महादेव का ध्यान किया जिससे एकलिंगी का लिंक प्रकट हुआ हारित ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की , जिससे प्रसन्न होकर हारित को वरदान मांगने को कहा। हारित ने महादेव से बप्पा के लिए मेवाड़ का राज्य मांगा।

जब हरित ऋषि स्वर्ग को जा रहे थे तो उन्होंने बप्पा रावल को बुलाया लेकिन बप्पा रावल ने आने में देर कर दी बप्पा उङते हुए विमान के निकट पहुंचने के लिए 10 हाथ शरीर में बढ़ गए। हारित ने बप्पा को मेवाड़ का राज्य तो वरदान में दे ही दिया परंतु यह बप्पा को हमेशा के लिए अमर करना चाहते थे इसलिए उसने अपने मुंह का पान बप्पा को देना चाहा लेकिन मुंह में ना गिरकर बप्पा के पैरों में जा गिरा हारित ऋषि ने कहा कि यह पान तुम्हारे मुंह में गिरता तो तुम सदैव के लिए अमर हो जाते लेकिन फिर भी यह पान तुम्हारे पैरों में पड़ा है तो तुम्हारा अधिकार से मेवाड़ राज्य कभी नहीं हटेगा हारित ऋषि ने बप्पा को एक स्थान बताया जहां उस खजाना 15 करोड़ मुहरें मिलेगी और उस खजाना की सहायता से सैनिक व्यवस्था करके मेवाड़ राज्य विजीत कर लेने का आशीर्वाद दिया

परंपरा से यह प्रसिद्ध है कि हारीत ऋषि की कृपा से बापा ने मानमोरी को मारकर इस दुर्ग को हस्तगत किया। टॉड को यहीं राजा मानका वि. सं. 770 (सन् 713 ई.) का एक शिलालेख मिला था जो सिद्ध करता है कि बापा और मानमोरी के समय में विशेष अंतर नहीं है। चित्तौड़ पर अधिकार करना कोई आसान काम न था। नागभट प्रथम ने अरबों को पश्चिमी राजस्थान और मालवे से मार भगाया। बापा ने यही कार्य मेवाड़ और उसके आसपास के प्रदेश के लिए किया। मौर्य (मोरी) शायद इसी अरब आक्रमण से जर्जर हो गए हों। बापा ने वह कार्य किया जो मोरी करने में असमर्थ थे और साथ ही चित्तौड़ पर भी अधिकार कर लिया। बापा रावल के मुस्लिम देशों पर विजय की अनेक दंतकथाएँ अरबों की पराजय की इस सच्ची घटना से उत्पन्न हुई होंगी।

विश्व प्रसिद्ध महर्षि हरित राशि बप्पा रावल के गुरु थे। वे लकुलीश सम्प्रदाय के आचार्य और श्री एकलिंगनाथ जी के महान भक्त थे। बप्पा रावल को हारीत ऋषि के द्वारा महादेव जी के दर्शन होने की बात मशहूर है।एकलिंगजी का मन्दिर – उदयपुर के उत्तर में कैलाशपुरी में स्थित इस मन्दिर का निर्माण 734 ई. में बप्पा रावल ने करवाया | इसके निकट हारीत ऋषि का आश्रम है।

गोत्र :-
हरिता सगोत्र के ब्राह्मण अपने वंश को उसी राजकुमार से जोड़ते हैं। जबकि अधिकांश ब्राह्मण प्राचीन ऋषियों के वंशज होने का दावा करते हैं, हरिता सगोत्र के लोग ब्राह्मण अंगिरसा द्वारा प्रशिक्षित क्षत्रियों के वंशज होने का दावा करते हैं और इसलिए उनमें कुछ क्षत्रिय और कुछ ब्राह्मण गुण हैं। इसने लिंग पुराण के अनुसार , “क्षत्रियों के गुणों वाले ब्राह्मणों” का निर्माण किया। आज तक, कई राजघराने अपने राजघराने के दावे को साबित करने के लिए सूर्यवंश वंश के इस राजा के वंशज होने का दावा करते हैं। वे हरिता से वंश का दावा करते हैं, और विष्णु पुराण , वायु पुराण , लिंग पुराण जैसे हिंदू ग्रंथों से वैधता की तलाश करते हैं ।

हरीता गौत्र (उपनाम) अरोरा खत्री समुदाय से भी जुड़ जाता हैं। महान ग्रंथों के अनुसार, हरीता (खत्री) सूर्यवंशी हैं और भगवान राम के वंशज भी हैं। हरीता क्षत्रिय वर्ग में आते हैं। अधिकांश हरीता गोत्र के लोग दोहरे विश्वास वाले हिंदू हैं। वे हिंदू और सिख दोनों धर्मों को मानते हैं। वे बहुत पढ़े-लिखे और अच्छे लोग हैं। वे भारत और दुनिया में एक प्रभावशाली समुदाय बनने में भी कामयाब रहे है।

 आज हरीता भारत के सभी क्षेत्रों में रहते हैं, लेकिन वे ज्यादातर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में केंद्रित हैं। वे भारत और दुनिया में एक प्रभावशाली समुदाय बनने में कामयाब रहे है। हरीता लोग भले ही आधुनिक हों, लेकिन उनकी परंपराओं और मूल्यों के साथ उनका बहुत गहरा संबंध है। हरीता लोगों को अपनी भारतीय विरासत पर गर्व है और उन्होंने भारतीय संस्कृति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज हरीता प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, वित्त, व्यवसाय, इंजीनियरिंग, शिक्षा, निर्माण, मनोरंजन और सशस्त्र बल आदि कई क्षेत्रों में अपना ध्वज फहरा रहे हैं।

पंजाबी संस्कृति की झलक :-

हरीता गोत्र के लोगों में मजबूत पंजाबी संस्कृति पाई जाती है। अद्वितीय, असाधारण, दुनिया भर में लोकप्रिय, पंजाबी संस्कृति वास्तव में जबरदस्त है। रंगीन कपड़े, ढोल, एवं भगड़ा अत्यंत ऊर्जावान और जीवन से भरपूर है। वे स्वादिष्ट भोजन, संगीत, नृत्य और आनंद के साथ त्योहारों को बड़े उत्साह के साथ मनाते है। पंजाबी खाना जायके और मसालों से भरपूर होता है। रोटी पर घी ज्यादा होना, खाने को और अधिक स्वादिष्ट बना देता है। लस्सी को स्वागत पेय के रूप में भी जाना जाता है। मक्के दी रोटी और सरसों दा साग पंजाबी संस्कृति का एक और पारंपरिक व्यंजन है। छोले भटूरे, राजमा चावल, पनीर टिक्का, अमृतसरी कुलचे, गाजर का हलवा, और भी कई तरह के खाने के व्यंजन हैं।

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आगरा मंडल ,आगरा में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं।)




जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने राजस्व में सुधार किया

जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) द्वारा शुक्रवार को चौथी तिमाही और 31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के परिणामों की घोषणा की, जिसके ठीक बाद, सीईओ व एमडी पुनीत गोयनका ने कहा कि FMCG सेक्टर द्वारा विज्ञापन खर्च में सुधार के चलते कंपनी के विज्ञापन राजस्व में भी सुधार हुआ है।

ब्रॉडकास्टर का विज्ञापन राजस्व वित्तीय वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में 1005.8 करोड़ रुपये के मुकाबले 1,110.2 करोड़ रुपये रहा है, जिसने साल-दर-साल  के आधार पर 10% की ग्रोथ दर्ज की है।

पुनीत गोयनका ने कहा कि FMCG सेक्टर ग्रामीण भावनाओं में सुधार के साथ उबर रहा है, जिससे कंपनी के विज्ञापन राजस्व में तिमाही-दर-तिमाही के आधार पर और साल-दर-साल के आधार पर अच्छी वृद्धि हुई है।

इनवेस्टर्स कॉल के दौरान गोयनका ने कहा, “हालांकि FMCG की रिकवरी की गति अभी भी जरूरी बनी हुई है और इस तिमाही में खेल विज्ञापन खर्च का कुछ हिस्सा भी है। हमारा मानना है कि हम विज्ञापन राजस्व में वृद्धि लाने के लिए पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं।”

सब्सक्रिप्शन राजस्व के बारे में बात करते हुए, गोयनका ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अनुकूल मूल्य निर्धारण नीति ढांचे के साथ, सब्सक्रिप्शन राजस्व में क्रमिक वृद्धि को बढ़ावा देने का अवसर मिलेगा।

वित्तीय वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में कंपनी ने सब्सक्रिप्शन राजस्व में 12% की सालाना वृद्धि के साथ 949 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 847 करोड़ थी।

इनवेस्टर्स कॉल के दौरान, गोयनका ने कहा कि उन्हें वित्तीय वर्ष 2026 तक 18-20% EBITDA हासिल करने की उम्मीद है। गोयनका ने यह भी कहा कि नतीजे पिछली तिमाही के उत्तरार्ध में कंपनी द्वारा उठाए गए कदमों के कारण है और यह वित्तीय वर्ष 2025 के मुनाफे में दिखाई देगा।

वित्त वर्ष 2025 में हमारे प्रदर्शन में हमारी दृश्यता व आत्मविश्वास और वित्तीय वर्ष 2026 तक 18-20% EBITDA की दीर्घकालिक आकांक्षा हासिल करने की हमारी क्षमता और बढ़ गई है। नए वित्तीय वर्ष में, सभी हस्तक्षेप अगले 3-4 महीनों में पूरी तरह से लागू हो जाएंगे और निकट अवधि में कुछ एकमुश्त लागतें होंगी।

उन्होंने कहा कि वे कहते हैं कि अगली सभी तिमाही में सकारात्मक वृद्धि जारी रहनी चाहिए और हम इस अवसर को भुनाने के लिए तैयार हैं।”

कानूनी मोर्चे पर, गोयनका ने कहा कि कंपनी ने कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड (सोनी पिक्चर्स) के साथ विलय कार्यान्वयन की मांग करते हुए NCLT से अपना आवेदन वापस ले लिया है, लेकिन वह सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) में मध्यस्थता की कार्यवाही को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाएगी।

उन्होंने कहा कि हमने यह सुनिश्चित करने के लिए हर आवश्यक दिशा में ठोस प्रयास किए हैं कि हम मितव्ययी बने रहें। हम अपने संसाधनों में सुधार करें और बिजनेस में क्वॉलिटी कंटेंट पर अपना ध्यान केंद्रित रखें।

उन्होंने कहा, “हमने तिमाही के उत्तरार्ध में कई कदम उठाए हैं, जिनके नतीजे वित्त वर्ष 2025 में सामने आएंगे।”




अरविंद केजरीवाल के शीश महल के हरम से तो अभी कई और कहानियाँ निकलेगी दयानंद पांडेय

पिटाई हुई यह तो अब हक़ीक़त है। पर पिटाई हुई क्यों ? स्वाति मालीवाल ने न किसी बयान , न किसी ट्वीट आदि या एफ आई आर में यह बात बताई है। पीटा विभव ने यह बताया है एफ आई आर में पर अरविंद केजरीवाल के इशारे पर पिटाई हुई कि सुनीता केजरीवाल के इशारे पर। क्यों हुई ? इस दोनों बिंदु पर ख़ामोश क्यों हैं स्वाति मालीवाल। यह तो वही जानें। बार-बार हिटमैन भी वह किसे कह रही हैं , बहुत साफ़ नहीं है। राजनीति में महिलाओं की यह करुण कथा कोई नहीं है। लेकिन आम आदमी पार्टी में नई है। अब तो आम आदमी पार्टी की संस्थापक सदस्य योगिता भवाना आज कह रही थीं कि यह आम आदमी पार्टी नहीं , एंटी औरत पार्टी हो गई है। स्वाति मालीवाल भी आम आदमी पार्टी की संस्थापक सदस्य रही हैं।

तो क्या शीश महल में सौतिया डाह में पिट गईं , राज्य सभा सांसद स्वाति मालीवाल। कि अपनी राज्य सभा सदस्यता बचाने की ज़िद में पिट गईं स्वाति मालीवाल। कि कोई तीसरी कहानी है , तीसरा-चौथा एंगिल भी है , इस पिटाई के पीछे। जो भी हो अरविंद केजरीवाल का जेल से बाहर आना उन के लिए बहुत भारी पड़ गया है। अरविंद केजरीवाल ने स्वाति मालीवाल को पिटवाया है तो कोई नई बात नहीं है।

अपने चीफ सेक्रेटरी को भी इसी शीश महल में वह पिटवा चुके हैं और उन का कुछ नहीं हुआ। चीफ सेक्रेटरी मतलब आई ए एस अफ़सर और दिल्ली प्रदेश सरकार का सब से बड़ा अफ़सर। वह तो अभ्यस्त हैं। योगेंद्र यादव , प्रशांत भूषण , आनंद कुमार आदि पर भी वह बाउंसरों की ताक़त आजमा चुके हैं। तो अगर अभिषेक मनु सिंधवी को राज्य सभा भेजने के लिए स्वाति मालीवाल की सदस्यता की बलि लेने के लिए पिटवा दिया है तो केजरीवाल के लिए यह सामान्य बात है।

हाँ, अगर सुनीता केजरीवाल ने स्वाति मालीवाल की पिटाई करवाई है तो कहानी बड़ी है। कोई औरत किसी औरत को एक ही वज़ह से पिटवा सकती है , वह सौतिया डाह ही है , कुछ और नहीं। फिर तो अरविंद केजरीवाल के हरम की अभी और कहानियां भी आनी शेष हैं। अभी तो शुरुआत है। साढ़े चार घंटे दिल्ली पुलिस अगर स्वाति मालीवाल के घर रह कर लौटी है तो ख़ाली हाथ तो नहीं ही आई। विभव कुमार के ख़िलाफ़ एफ आई आर का कागज़ ले कर एफ आई आर दर्ज कर दी है। मेडिकल हो गया है। मजिस्ट्रेट के सामने बयान भी। शीश महल में पुलिस की पड़ताल भी।

विभव ने भी एफ आई आर की तहरीर दे दी है। पुलिस को जब स्वाति मालीवाल ने फ़ोन कर बताया कि उन्हों ने मुझे पिटवाया है। यह ‘ उन्हों ने ‘ कौन है। अरविंद कि सुनीता। इस का स्पष्टीकरण भी शेष है। वैसे भी स्वाति मालीवाल का ट्वीट बताता है कि स्वाति मालीवाल अभी बहुत संभल कर चल रही हैं।

जो भी हो अमर मणि त्रिपाठी की याद आ गई है। अमर मणि त्रिपाठी मधुमिता शुक्ला को अपनी रखैल बनाए हुए। उस की बहन को भी। लोग अभी तक यही जानते हैं कि अमरमणि त्रिपाठी ने मधुमिता की हत्या करवाई। पर सच यह है कि अमरमणि त्रिपाठी की पत्नी ने मधुमिता शुक्ला की हत्या करवाई थी। अमरमणि की पत्नी का नाम भी मधुमिता ही है। हुआ यह कि तमाम एबॉर्शन और एहतियात के बावजूद मधुमिता शुक्ला फिर गर्भवती हो गई थी। और अब की वह गर्भ गिराने को तैयार नहीं थी। अमरमणि की रखैल बन कर रहने को अब और तैयार नहीं थी। पत्नी का हक़ मांग रही थी और संपत्ति में हिस्सा भी। यह बात अमरमणि की पत्नी तक जब पहुंची तो वह भड़क गईं।

अमरमणि के चेलों से कह कर , अमरमणि की सहमति से हत्या करवा दी। बस सत्ता की सनक में सब कुछ खुल्ल्मखुल्ला करवा दिया। फिर हरिशंकर तिवारी ने तुरंत व्यूह रचना कर दी। राजेश पांडेय जैसे ईमानदार और साहसी पुलिस अफ़सर के हाथ यह जांच आ गई। राजेश पांडेय ने चूल से चूल मिला कर कील-कांटा ऐसे दुरुस्त कर दिया पुलिस दस्तावेज में कि कोई छेड़छाड़ नहीं कर पाया। हरिशंकर तिवारी ने मधुमिता की बहन निधि शुक्ला के मार्फ़त सुप्रीमकोर्ट तक लड़ाई लड़वाई। अमरमणि त्रिपाठी और मधुमिता त्रिपाठी को आजीवन कारावास हो गया। अलग बात है हरिशंकर तिवारी के निधन के बाद निधि को आर्थिक और मनोवैज्ञानिक मदद समाप्त हो गई। अमरमणि छूट गए।

जेल से कुछ दिन के लिए ही सही छूट कर तो अरविंद केजरीवाल भी आए हैं। आए हैं तो शीश महल में सत्ता के लिए मुगलियाकाल का सत्ता संघर्ष भी ले कर आए हैं। शीश महल , यानी रंग महल की कहानियों का पिटारा ले कर आए हैं। सिर्फ़ भ्रष्टाचार की कालिख में ही नहीं , लंपटता की कालिख में भी सराबोर हैं। सत्ता जाने क्या-क्या सुख , जाने क्या-क्या कालिख ले कर सर्वदा उपस्थित रहती है। सूर्पणखा से राम ही बच सकते हैं , हर कोई नहीं। अभी की कुछ समय पहले की क्लिपिंग्स में आतिशी मार्लेना , अरविंद केजरीवाल के साथ जो नज़ाकत और अंदाज़ में उपस्थित दिखती हैं , बार-बार दिखती हैं , सब के ही लिए अचरज और रश्क का विषय होता है। उन का सौंदर्य देखते बनता है। उन के लटके-झटके भी। मार्लेना मतलब मार्क्स और लेनिन की मिली-जुली रचना। तिस पर नाम भी आतिशी।

गौरतलब है कि आतिशी के माता-पिता वामपंथी हैं। जाने विवाह भी किया है कि नहीं। राम जाने। दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाते रहे हैं। मार्लेना तक तो समझ में आता है पर आतिशी ? ऐसे ही है जैसे कुछ लोग बेटियों का नाम कामिनी रखते हैं। ख़ैर , अब जब जेल से आने के बाद केजरीवाल दिल्ली में कनाट प्लेस के हनुमान मंदिर गए तो वामपंथियों की यह संतान आतिशी भी क़दमताल करती गई हनुमान मंदिर। तो आतिशी के लिए सत्ता सुख ने वामपंथियों की थीसिस धर्म अफीम है की बात भुला दी गई। वैसे एक बात यह भी हुई कि जेल से वापस आने के बाद केजरीवाल के साथ आतिशी की वह अटक-मटक देखने को नहीं मिली है।

तो क्या सुनीता केजरीवाल ने इस पर भी केजरीवाल को टाइट कर दिया है ?

क्या पता ! याद कीजिए आतिशी के पहले कभी इसी आतिशी की धज में कभी स्वाति मालीवाल भी केजरीवाल के आगे-पीछे उपस्थित रहती थीं। यही लटके-झटके। और यही नाज़ो-अदा-अंदाज़। तब के दिनों स्वाति मालीवाल को महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया था केजरीवाल ने। लेडी सिंघम बना और बता रखा था केजरीवाल ने स्वाति मालीवाल को। स्वाति मालीवाल के पति नवीन जयहिंद एक समय केजरीवाल के ख़ास दोस्त हुआ करते थे। अब स्वाति का नवीन से तलाक़ हो चुका है। पर जब स्वाति के साथ शीश महल में पिटाई हुई तो वह खुल कर स्वाति के साथ खड़े हो गए।

अच्छा तो क्या अरविंद केजरीवाल जेल जा कर भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा इस लिए नहीं दिए कि इस के उत्तराधिकार में कई पेचोख़म हैं। स्वाति मालीवाल भी मुख्य मंत्री पद की दावेदार रहीं ?

और आतिशी मार्लेना ?

जिस तरह बन-ठन कर अदाएं दिखाते हुए आतिशी मार्लेना अरविंद केजरीवाल के आगे-पीछे वह मंडराती रहती वह देखी जाती रही हैं , उसी को देखते हुए आतिशी को भी मुख्यमंत्री पद का हक़दार माना जाने लगा था। पर हर कोई स्त्री लाख कुर्बानी दे दे जयललिता और मायावती की क़िस्मत ले कर तो नहीं ही पैदा होती। आंध्र में लक्ष्मी पार्वती भी नेता बनीं तो एन टी रामाराव की दूसरी पत्नी बन कर ही। अलग बात रामाराव के दामाद चंद्र बाबू नायडू ने लक्ष्मी पार्वती को ऐसे ध्वस्त किया कि लोग अब उन का नाम भी भूल गए हैं। याद कीजिए एक समय कांति सिंह लालू यादव के आगे-पीछे बनी रही थीं। पर बिहार की कमान उन्हें नहीं मिली। केंद्र में मंत्री बन कर ही समाप्त हो गईं। अब तो लोग कांति सिंह को भूल ही गए हैं। मुलायम सिंह यादव के आगे-पीछे डोलने वालियों की भी लंबी फ़ौज थी।

जो भी हो अरविंद केजरीवाल के हरम की अभी और कहानियां भी आनी शेष हैं। अभी तो शुरुआत है।

अकसर दहाड़ने वाले अरविंद केजरीवाल बिहार की बोली में लखनऊ में क्यों नरभसा गए। हुआ यह कि लखनऊ में अखिलेश यादव के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस करते हुए अरविंद केजरीवाल से पत्रकारों ने उन के दिल्ली के शीश महल में राज्य सभा सदस्य स्वाति मालीवाल की पिटाई के बाबत सवाल पूछ लिया था। सवाल सुनते ही अरविंद केजरीवाल नरभसा गए। मतलब नर्वस हो गए। जैसे सांप सूंघ गया हो। एक चुप तो हज़ार चुप। ऐसे जैसे कोई हत्यारी लग गई हो। अरविंद केजरीवाल की मुश्किल देखते हुए अखिलेश यादव ने माइक संभाला। पर वह भी लड़बड़ाते रहे। फिर माइक संभाला संजय सिंह ने। संजय सिंह मणिपुर , पहलवान आदि की भूलभुलैया में घूमते रहे। एक मिनट में ही अरविंद केजरीवाल उठ खड़े हुए। प्रेस कांफ्रेंस ख़त्म।

दिलचस्प यह कि केजरीवाल अपने आरोपी पी ए विभव को ले कर लखनऊ आए थे। अंदर प्रेस कांफ्रेंस हो रही थी बाहर कार में विभव सिर झुकाए बैठा था। कार को आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता चारो तरफ से घेरे रहे ताकि मीडिया के हत्थे न चढ़ जाए। एयरपोर्ट पर भी विभव केजरीवाल के साथ फ़ोटो में कैप्चर हो गया था। विभव को लखनऊ में केजरीवाल के साथ देखते ही स्वाति मालीवाल भड़क गईं। उन के सब्र का बांध टूट गया। दिल्ली में स्वाति मालीवाल ने विभव के ख़िलाफ़ एफ आई आर दर्ज करवा दी है। अब केजरीवाल ज़रूर पछता रहे होंगे कि जेल से बाहर आए तो आए ही क्यों ? क्या इसी तरह नरभसाने के लिए ?

समझ नहीं आता कि अंबेडकर और भगत सिंह की फोटुओं के बीच बैठ कर बयान न अरविंद केजरीवाल जारी कर रहे हैं , न सुनीता। संजय सिंह ने जब प्रेस कांफ्रेंस कर स्वाति मालीवाल के पक्ष में बात की और पिटाई की निंदा की पर आतिशी ने प्रेस कांफ्रेंस कर स्वाति मालीवाल को साज़िशकर्ता बताते हुए भाजपा का मोहरा बता दिया है। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने स्वाति मालीवाल को गद्दार का सर्टिफिकेट देने की होड़ मची हुई है। तिस पर कपिल मिश्रा का कहना है कि स्वाति मालीवाल ने भी अरविंद केजरीवाल को थप्पड़ मारा है। जो भी हो अरविंद केजरीवाल कांग्रेस की संगत में हैं आजकल। और कांग्रेस में महिलाओं को इसी दिल्ली में तंदूर में जला कर मार देने की पुरानी परिपाटी रही है। इसी लिए इस पूरे प्रसंग पर कांग्रेस सहित समूचा इंडिया गठबंधन सिरे से ख़ामोश है।

एक सवाल यह भी है कि विभव के पास आख़िर कितने राज़ हैं अरविंद केजरीवाल के हरम के ? जो अरविंद केजरीवाल विभव के आगे मुर्गा बने बैठे हैं। कुमार विश्वास का कहना है कि विभव केजरीवाल के डर्टी गेम का बड़ा राज़दार भी है और केजरीवाल के डर्टी गेम का सरदार भी। औरंगज़ेब याद आता है। क़िस्सा है कि औरंगज़ेब की दो बहनें थीं। जहांआरा और रोशनआरा। औरंगज़ेब ने अपनी अकड़ के चलते इन दोनों बहनों की शादी नहीं की। बड़ी बहन ने चुपचाप अपने महल में नौ नौजवान रख लिए। अपनी यौन पिपासा शांत करने के लिए। बाद में छोटी बहन को जब पता चला तो वह भी बड़ी बहन को ब्लैकमेल कर इन नौजवानों की साझेदार बन गई। फिर दोनों बहनों में किसी बात पर अनबन हो गई तो इन नौ नौजवानों की ख़बर औरंगज़ेब तक पहुंची। औरंगज़ेब ने नौ नौजवानों की बेरहमी से क़त्ल करवा दिया।

मतलब हिटमैन के क़त्ल अभी और भी बाक़ी हैं। कहानी तो ख़ैर बहुत सारी हैं। कहा भी जा रहा है कि अब की दोनों यानी केजरीवाल और विभव साथ-साथ तिहाड़ जाएंगे।

सवाल एक यह भी है कि अरविंद केजरीवाल को जेल से सरकार चलाने के लिए संविधान खामोश है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम ज़मानत की एक शर्त यह भी लगा रखी है कि मुख्यमंत्री आफ़िस नहीं जाएंगे। कोई फ़ाइल नहीं साइन करेंगे। पर विधान सभा बुला सकते हैं कि नहीं , सुप्रीम कोर्ट ख़ामोश है। तो क्या केजरीवाल क्या विधान सभा बुला कर चिर-परिचित विष-वमन कर सकते हैं ? जैसा कि वह करते रहे हैं। विधान सभा में कही किसी बात पर कोई अदालत , कोई क़ानून कुछ नहीं कर सकता। इसी लिए राहुल गांधी संसद में बम फोड़ने की बात भी एक समय पूरी मूर्खता के साथ करते रहे थे। तानाशाह से निपटने के लिए केजरीवाल कुछ भी कर सकते हैं।

बस एक धक्का और दो !

साभार-https://sarokarnama.blogspot.com/2024/05/blog-post_17.html  से

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं लखनऊ में रहते हैं और राजनीतिक विश्लेषक हैं, विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें लिख चुके हैं)




फिल्मी गपशप कान फिल्म महोत्‍सव में आकर्षण का केंद्र बना भारत पर्व का जश्न

सिनेमा के सबसे भव्य उत्सव 77वें कान फिल्म महोत्‍सव का दो दिन पहले शुभारंभ हुआ। कॉन्‍टेंट और ग्लैमर के संगम से युक्‍त यह दस दिवसीय रंगारंग उत्सव है।

सूचना एवं प्रसारण सचिव श्री संजय जाजू ने फ्रेंच रिवेरा में मनाए जा रहे कान फिल्म महोत्सव में पहली बार भारत पर्व की मेजबानी की, जो भारतीय सिनेमा के साथ-साथ भारत की समृद्ध संस्कृति, व्यंजन और हस्तशिल्प का जश्न मनाने वाली एक संध्‍या थी।

एनएफडीसी द्वारा फिक्की के सहयोग से भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित यह कार्यक्रम शानदार रूप से सफल रहा। कान प्रतिनिधि इस संध्‍या की असाधारण प्रस्‍तुतियों और फ्यूजन व्यंजनों की आनंददायक श्रृंखला में पूरी तरह से डूब गए।

इस अवसर पर इफ्फी के 55वें संस्करण के पोस्टर और गोवा में 55वें इफ्फी के मौके पर आयोजित होने वाले वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) ग्लोबल एंटरटेनमेंट एंड मीडिया समिट के उद्घाटन संस्करण के सेव द डेट पोस्टर का अनावरण श्री जाजू ने फिल्म निर्माता अशोक अमृतराज, रिची मेहता, गायक शान, अभिनेता राजपाल यादव, फिल्मकार बॉबी बेदी आदि के साथ किया।

भारतीय आतिथ्य की आंतरिक गर्मजोशी की आभा बिखेरने वाले भारत पर्व का मैन्‍यू तैयार करने के लिए शेफ वरुण टोटलानी विशेष रूप से यहां पहुंचे ।

रात में गायिका सुनंदा शर्मा ने उभरते गायकों प्रगति, अर्जुन और शान के बेटे माही के साथ पंजाबी गानों पर शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का समापन गायकों द्वारा मां तुझे सलाम के गायन और उपस्थित लोगों की जोरदार तालियों के साथ हुआ।

भारत पर्व में सम्मानित अतिथियों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम के आकर्षण और महत्व में चार चांद लगा दिए। इस अवसर की शोभा बढ़ाने वाली हस्तियों में अपने दमदार अभिनय के लिए जानी जाने वाली अभिनेत्री शोभिता धूलिपाला, असमिया सिनेमा में अपने अभिनय के लिए प्रसिद्ध असमिया अभिनेत्री एमी बरौआ, फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा शामिल रहीं। उनकी भागीदारी ने भारतीय सिनेमा के समृद्ध परिदृश्‍य और वैश्विक मंच पर इसके बढ़ते प्रभाव को उजागर किया।

वैश्विक मंच पर भारत की सॉफ्ट पॉवर के प्रदर्शन सहित फिल्म, संस्कृति और कलात्मक सहयोग के उत्सव से भरपूर यह एक यादगार रात थी।




स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट और उससे उपजे सवाल जयंत भाटिया

स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट न केवल व्यक्तिगत स्तर पर उनके प्रति हिंसा है, बल्कि यह महिलाओं के प्रति समाज में मौजूद गहरे पूर्वाग्रह और भेदभाव को भी उजागर करता है। जब किसी सार्वजनिक पद पर आसीन महिला के साथ ऐसा व्यवहार होता है, तो यह समग्र महिला समुदाय के लिए अपमानजनक होता है और उनके खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने का खतरा भी बढ़ जाता है।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक गंभीर सामाजिक समस्या है, और यह घटना इस बात की प्रतीक है कि महिलाओं को अभी भी अपने अधिकारों और सम्मान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट की घटना न केवल उनकी सुरक्षा और गरिमा पर हमला है, बल्कि यह हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति पर भी सवाल उठाती है।

इस प्रकार की घटनाओं को गंभीरता से लेने और त्वरित और कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि यह संदेश जाए कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा अस्वीकार्य है और इसके खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे। समाज में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और बराबरी को सुनिश्चित करने के लिए हमें सामूहिक रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है।

मारपीट की ऐसी घटनाएँ न केवल व्यक्तिगत स्तर पर अपमानजनक होती हैं, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की दिशा में अभी भी बहुत काम करने की जरूरत है। ऐसे कृत्यों से महिलाओं के आत्मसम्मान और अधिकारों पर सीधा हमला होता है, जिससे समाज में महिलाओं की स्थिति कमजोर होती है।

इस प्रकार की घटनाएँ समाज के उन लोगों के लिए एक आईना हैं जो महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लेते। स्वाति मालीवाल जैसी प्रभावशाली महिलाओं पर हमला करना इस बात का प्रतीक है कि महिला अधिकारों की सुरक्षा और उनके सम्मान के लिए निरंतर संघर्ष की आवश्यकता है।

यह महत्वपूर्ण है कि समाज के हर व्यक्ति को महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता का प्रदर्शन करना चाहिए, और सरकार तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ऐसे अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि महिलाओं को एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण मिल सक

समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि हम सभी इस प्रकार की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाएं और न्याय सुनिश्चित करने के लिए संगठित हों।




गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स ने टोनिनो लेम्बोर्गिनी ग्रुप के साथ पार्टनरशिप में दुबई में नए लक्जरी आवासों की घोषणा की मीडिया डेस्क

दुबई, संयुक्त अरब अमीरात

गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स ने हाल ही में दुबई के केंद्र में एक उच्च स्तरीय रेसिडेंशियल कम्युनिटी को डेवलप करने के लिए टोनिनो लेम्बोर्गिनी ग्रुप के साथ अपने सहयोग की घोषणा की। इस ख़ास डेवलपमेंट पर प्रतिष्ठित टोनिनो लेम्बोर्गिनी ब्रांड होगा, जो दुनिया भर में इतालवी गुणवत्ता और परिष्कार का पर्याय होगा।

नया आवासीय समुदाय दुबई में जीवन शैली के लिए एक नया दृष्टिकोण पेश करता है और इस पहल का उद्देश्य गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स की मशहूर विशेषज्ञता के साथ टोनिनो लेम्बोर्गिनी की 40 साल की डिज़ाइन परंपरा के साथ जोड़ना है, जो वर्तमान में अद्वितीय लक्ज़री लिविंग प्रोजेक्ट्स-पैराडाइज़ हिल्स (Paradise Hills) और सेरेनिटी लेक्स (Serenity Lakes) को तैयार करने में लगे हुए हैं।

सेविल्स (Savills) के अनुसार, बढ़ती ब्याज दरों के कारण वैश्विक संपत्ति बाज़ार में मंदी देखी गई है, खासकर अमेरिका और यूरोपीय संघ में। हालाँकि, दुबई के बाज़ार ने 2023 में इस ट्रेंड को उलट दिया है, 2022 की इसी अवधि के मुकाबले कीमत में 36.7 प्रतिशत से ज़्यादा और ट्रांज़ेक्शंस की संख्या में 33.8 प्रतिशत की चौंका देने वाली बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ब्रांडेड आवासों ने इन वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में उल्लेखनीय पलटाव दिखाया है, पिछले दशक में योजनाओं की संख्या में 160 प्रतिशत से ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई है।

गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स के अध्यक्ष श्री शाहर मूसली (Shaher Mousli) ने कहा, “पिछले कुछ सालों में, हम दुबई में लक्ज़री रियल एस्टेट की आधारशिला बन गए हैं, जो हमारी विविध विशेषज्ञता और अभिनव डिज़ाइन और निर्माण, बेहतरीन लाइफ़स्टाइल वाले घर बनाने की प्रतिबद्धता के लिए पहचाने जाते हैं।”

गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स के जनरल श्री बिलाल हमादी (Bilal Hamadi) ने कहा, “टोनिनो लेम्बोर्गिनी द्वारा हमें डिज़ाइन दिशा और कार्यान्वयन प्रदान करने से हम विलासिता, डिजाइन दर्शन और उत्पादन की गुणवत्ता का एक नया स्तर प्रदान करने में मदद मिलेगी जिसे सिर्फ़ टोनिनो लेम्बोर्गिनी ब्रांड जैसे एक क्रिएटिव पावरहाउस के साथ मिलकर ही हासिल किया जा सकता है।”

ये समुदाय लगभग 750,000 स्क्वायर फ़ीट कुल फ़्लोर एरिया को कवर करेगा जिसमें 6 मंज़िलों वाली 2 बिल्डिंग्स और 12 मंज़िलों वाली 2 बिल्डिंग्स शामिल होंगी। प्रत्येक बिल्डिंग में 2 पार्किंग लेवल होंगे और टोनिनो लेम्बोर्गिनी के डिज़ाइन स्टूडियो से मटेरियल, इंटीरियर डिज़ाइन, फ़िटिंग्स और किचन्स के साथ 1-बेडरूम से 4-बेडरूम अपार्टमेंट की एक रेंज की पेशकश की जाएगी, जो क्वालिटी और सटीकता में एक नया मानक स्थापित करेगी।

“हम कई गुना तेज़ विकास का अनुभव कर रहे हैं और इस प्रोजेक्ट के साथ हम कंपनी को सफ़लता के अगले स्तर पर ले जा रहे हैं।” गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स में सेल्स एंड मार्केटिंग के उपाध्यक्ष, श्री रामी शम्मा (Rami Shamma) ने कहा।

टोनिनो लेम्बोर्गिनी S.p.A. के संस्थापक और अध्यक्ष श्री टोनिनो लेम्बोर्गिनी ने कहा, “हमें खुशी है कि गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर जैसे एक स्थापित डेवलपर ने दुबई में एक नया आइकॉनिक रेसिडेंस बनाने के लिए ब्रांड को अपनाया। हमने गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स की टीम के साथ सही केमिस्ट्री और बॉन्डिंग देखी, जो हमारे लिए उच्च स्तर की विशेषज्ञता और व्यावसायिकता के साथ-साथ प्रोजेक्ट की सफ़लता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण थी। उन्होंने आगे कहा, “हम इटालियन सामग्री और डिज़ाइन ला रहे हैं, जो टोनिनो लेम्बोर्गिनी लाइफ़स्टाइल की नींव है। लाइफ़स्टाइल के इस एलिमेंट को निवासियों तक पहुँचाना बेहद ज़रूरी है, न सिर्फ़ बिल्डिंग की साइड पर ब्रांड का नाम होने से, बल्कि इंटीरियर के हर एलिमेंट में इतालवी लाइफ़स्टाइल का अनुभव प्रदान करके भी। हम इटली को दुबई नहीं ला सकते, लेकिन हम इस मार्केट में रहने की इतालवी शैली को ज़रूर प्रदान कर सकते हैं।”

गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स के बारे में
गल्फ़ लैंड प्रॉपर्टी डेवलपर्स दुबई में एक अग्रणी प्रॉपर्टी डेवलपर्स हैं जिन्होंने संयुक्त अरब अमीरात में कई सालों के कामयाब प्रोजेक्ट्स डिलीवर किए हैं। रियल एस्टेट में गल्फ़ लैंड की जानकारी को हमारी विशेषज्ञता की विविधता एवं हमारे प्रोजेक्ट्स की कामयाबी की वजह से कई सालों से मान्यता प्राप्त है। हम क्षेत्रों में निवेश करते हैं, उनका आकर्षण बढ़ाते हैं, नवाचार का समर्थन करते हैं, साथ ही अनूठे लाइफ़स्टाइल का निर्माण करते हैं।

गल्फ़ लैंड ने इसीलिए स्ट्रैटेजिक तालमेल बनाए हैं जिससे कि ये सभी प्रमुख बाज़ारों में विशिष्टता प्राप्त कर सके। ये एक बेहतरीन लाइफ़स्टाइल का निर्माण करते हुए नवाचार द्वारा समर्थित, आस-पड़ोस के आकर्षण को बढ़ाने के लिए निवेश करता है।

गल्फ़ लैंड के बारे में और ज़्यादा जानकारी के लिए, कृपया यहाँ विज़िट करें www.gulflandproperty.com.

टोनिनो लेम्बोर्गिनी के बारे में

टोनिनो लेम्बोर्गिनी ब्रांड की स्थापना 1981 में लेम्बोर्गिनी फ़ैमिली के उत्तराधिकारी टोनिनो लेम्बोर्गिनी (Tonino Lamborghini) ने की थी। आज, ये कंपनी शानदार ‘पलाज़ो डेल विग्नोला (Palazzo del Vignola)’ में स्थित है, जो बोलोग्ना (Bologna) के बाहरी इलाके में एक रेनेसां विला (Renaissance villa) है, जिसे मशहूर आर्किटेक्ट जैकोपो बरोज़ी (Jacopo Barozzi) द्वारा डिज़ाइन किया गया था, जिसे ‘इल विग्नोला (Il Vignola)’ के नाम से जाना जाता है। क्वालिटी, डिज़ाइन और उद्यमशीलता नवाचार का संयोजन करते हुए, टोनिनो लेम्बोर्गिनी (Tonino Lamborghini) ब्रांड 40 से भी ज़्यादा सालों से इतालवी लिविंग के मूल सार को दुनिया भर में फ़ैलाने के महत्वाकांक्षी मिशन के लिए प्रतिबद्ध है – एक ऐसी परंपरा जिसकी जड़ें पारिवारिक इतिहास में मौजूद हैं और जो टोनिनो लेम्बोर्गिनी (Tonino Lamborghin) को सुंदरता, वितरण और प्रतिष्ठा का एक वैश्विक चिन्ह बनाने के लिए उभरती जाती है।

टोनिनो लेम्बोर्गिनी (Tonino Lamborghini) के बारे में और ज़्यादा जानकारी के लिए कृपया विज़िट करें lamborghini.it/en-mena.

Neha Bisht
neha.bisht@newsvoir.com

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अगर भाजपा 400 पार तो फिर क्या?

भारतीय राजनीति में नई ऊर्जा के साथ बदलाव लाने वाले चुनावों में, यदि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 400 सीटों पर विजयी होती है, तो यह देश के राजनीतिक मानचित्र को बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण होगा। ऐसी घटना कभी पहले नहीं देखी गई है और इसके संभावित परिणाम भारतीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

जब भी किसी पार्टी को ऐसी सफलता मिलती है कि उसके लिए एकल बहुतायत सीटें हासिल करना संभव है, तो उसके संभावित प्रभाव विस्तार से विचार किए जाते हैं। इसके साथ ही, बीजेपी की 400 सीटों की जीत के बारे में चर्चा करते समय हमें उसके संभावित परिणामों के विचार करने की आवश्यकता है।

पहले से ही साफ है कि यदि बीजेपी 400 सीटों पर विजयी होती है, तो वह भारतीय राजनीति में एक बड़ा और सकारात्मक परिवर्तन लाएगी। इस नतीजे के साथ, बीजेपी की अधिकता बेहद स्थिर और मजबूत हो जाएगी, जिससे कि वह अपनी नीतियों को और विकसित करने के लिए और अधिक सकारात्मक कदम उठा सकेगी।

बीजेपी की इस भारी विजय के परिणामों में कई व्यक्तियों और समूहों को भी सीधे प्रभावित किया जाएगा। अपनी हार को स्वीकार करते हुए विपक्षी पार्टियों को अपनी रणनीति और कार्यशैली में संशोधन करने की आवश्यकता होगी।

इस स्थिति में, भारतीय राजनीति के परिवर्तन की एक संभावना यह है कि विपक्षी पार्टियां और राजनीतिक दल अपने आत्म स्वीकृत दर्जे को समझेंगे और अपने कार्यकर्ताओं को मोटीवेट करेंगे ताकि वे अपने क्षेत्रों में सुधार करें और अपने वोटरों को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत रहें।

इस नतीजे के बाद, बीजेपी की सरकार को भी नई चुनौतियों का सामना करना होगा। इसके साथ ही, उन्हें देश के विकास और प्रगति के लिए अधिक जिम्मेदारी का बोझ भी संभालना होगा। बीजेपी की सरकार के पास अब एक मजबूत और स्थिर बहुमत होगा, जिससे उन्हें अपनी

नीतियों को पूरे करने के लिए और बेहतर तरीके से संचालित करने का मौका मिलेगा।

इस नतीजे के बाद, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के राजनीतिक मामलों पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा। भारत एक बड़ा और महत्वपूर्ण देश है, और उसकी राजनीति के नतीजों का विश्व के अन्य हिस्सों पर भी प्रभाव होता है।

यदि बीजेपी 400 सीटों पर विजयी होती है, तो वह भारत के राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण को पुनर्विचार करेगी। इस नतीजे के साथ, बीजेपी को विभिन्न क्षेत्रों में और अधिक सकारात्मक कदम उठाने का मौका मिलेगा, जिससे देश की गति और विकास में नई ऊर्जा आ सकेगी।

यदि बीजेपी 400 सीटों पर विजयी होती है, तो यह एक नए युग की शुरुआत हो सकती है जिसमें भारतीय राजनीति और समाज में बड़े और सकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं। इस नतीजे के साथ, देश को एक नया दिशा मिल सकती है जो उसे एक नये उच्चतम स्थान पर ले जाने का संकेत देती है।

अधिकारिक नतीजे के बारे में किसी भी अनुमान को लेकर, हमें यह याद रखना चाहिए कि चुनाव देश के निर्णय होते हैं, और हमें उन्हें समर्थन और सम्मान के साथ स्वीकार करना चाहिए। अगर बीजेपी 400 सीटों पर विजयी होती है, तो उसकी सरकार को देश के विकास और समृद्धि के लिए प्रयासरत रहने की आवश्यकता होगी और वह अपने कार्यों से इसे सिद्ध करने का प्रयास करेगी।

(लेखक राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर लिखते हैं)




‘टाइम्स नाउ नवभारत’ के आशुतोष शुक्ला का निधन मीडिया डेस्क

‘टाइम्स नाउ नवभारत’ (Times Now Navbharat) के सीनियर प्रड्यूसर आशुतोष शुक्ला अब इस दुनिया में नहीं रहे। टाइफाइड की वजह से 15 मई को उनका निधन हो गया।

यूपी के भदोही जिले के रहने वाले आशुतोष के परिवार में पत्नी, दो बेटी और मां हैं। आशुतोष घर में अकेले ही कमाने वाले थे। उनके आकस्मिक निधन से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, लिहाजा पत्रकार साथियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से परिवार की हरसंभव मदद की अपील की है।

टाइम्स नेटवर्क में हिंदी डिजिटल वीडियो के हेड मुनीष देवगन व उनकी पूरी डिजिटल वीडियो टीम अपने सहयोगी आशुतोष शुक्ला के अचानक यूं चले जाने से बेहद दुखी हैं और उनके परिवार की आर्थिक मदद के लिए लोगों से अपील की है। वे लिखते हैं-

”37 साल कोई जाने की उम्र तो नहीं होती। टाइम्स नेटवर्क के डिजिटल परिवार के काबिल पत्रकार आशुतोष शुक्ला के आकस्मिक निधन से उनके सहकर्मी, दोस्त सभी स्तब्ध हैं लेकिन विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा है उनके परिवार पर। आशुतोष शुक्ला अपने घर में इकलौते कमाने वाले थे, वो अपने पीछे बुजुर्ग मां, पत्नी और दो छोटे बच्चों का परिवार छोड़ गए हैं। आशुतोष ने परिवार से ज्यादा वक्त मीडिया को दिया। मीडिया में 15 साल का अनुभव रखने वाले आशुतोष शुक्ला आज तक में एक दशक की पारी खेलने के बाद टाइम्स नेटवर्क डिजिटल वीडियो टीम में मेरे साथ जुड़े थे। शिफ्ट की परवाह किए बिना घंटों तक काम करना, अपनी विचारधारा को लेकर स्पष्ट रहना, मिलनसार और जिंदादिल स्वभाव उनकी पहचान थी। कोविड हो या कोई विपदा, आशुतोष दूसरों की मदद के लिए सबसे आगे खड़े रहते थे। आज उनके परिवार को हमारी मदद की जरूरत है।

आशुतोष शुक्ला अपने परिवार का इकलौता सहारा थे। उनके जाने के बाद हम उनके परिवार को बेसहारा नहीं छोड़ सकते। उनके मासूम बच्चों की पढ़ाई हो या परिवार के घर की छत हर हाल में बहाल रहनी चाहिए। दोस्तों आपकी छोटी सी आर्थिक मदद परिवार का बड़ा सहारा बन सकती है। हम उनका दुख कम तो नहीं कर सकते लेकिन बांट तो सकते ही हैं अपने हिस्से का सहयोग देकर।

नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उनके बच्चों की शिक्षा में मदद कर सकते हैं, आपकी छोटी छोटी मदद परिवार के लिए बड़ी मदद बन सकती है”-
https://www.ketto.org/amp/fundraiser/lets-help-ashutosh-shukla-family

साभार-  https://www.samachar4media.com/ से