शोध और समीक्षा से हिंदी साहित्य को समृध्द करने वाली डॉ.मनीषा शर्मा

हाड़ोती के रचनाकारों में डॉ.मनीषा शर्मा एक ऐसी रचनाकार है जिन्होंने गद्य विधा में सृजन कर हाड़ोती के साहित्य को समृद्ध करने में अतुलनीय योगदान कर रही हैं। राष्ट्र भाषा हिंदी में विभिन्न साहित्यिक शोध आलेख, साहित्यकारों की रचनाओं की समीक्षा, समसामयिक विषयों पर आलेख लिख कर, शोध कार्य और यात्रा संस्मरण, डायरी लेखन द्वारा हिंदी साहित्य में अपना अमूल्य योगदान किया है। यही नहीं शोध आलेखों का,राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुतिकरण भी किया।

आपने अज्ञेय, विवेकानंद, फणीश्वरनाथ रेणु, मीरा, कबीर, विभिन्न कालों और उपन्यास में नारी स्थिति, आधुनिक हिंदी साहित्य की दशा और दिशा जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष रूप से कलम चलाई है। आपकी चार पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। ” डॉ.जगदीश गुप्त- काव्य सिद्धांत और सृजन ” में नई कविता आंदोलन की पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हुए डॉक्टर जगदीश गुप्त के संपूर्ण साहित्य के भाव पक्ष और कला पक्ष की विस्तृत विवेचन प्रस्तुत की जो सर्वथा मौलिक कार्य है।

“सामयिक संचेतना और नासिरा शर्मा ” पुस्तक में 20वीं सदी के अंत में साहित्य के केंद्र में आए प्रमुख विमर्शों वैश्वीकरण स्त्री विमर्श और दलित विमर्श का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत करते हुए नासिरा शर्मा के कथा साहित्य के संदर्भ में गहन विवेचन किया गया साथ ही समकालीन लेखिकाओं चित्रा मुद्गल मैत्री पुष्पा, मृदुला गर्ग ,कृष्णा सोबती राजी सेठ ,प्रभात खेतान के कथा साहित्य का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत कर शोधार्थियों और पाठक वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण आलोचनात्मक ग्रंथ प्रस्तुत किया।

हिन्दी कविता के विविध आयाम’ पुस्तक में हिंदी साहित्य के आदिकाल और भक्ति काल के प्रमुख संत कबीर दास मीराबाई के साथ-साथ आधुनिक काल के प्रमुख रचनाकारों यथा- भारतेंदु हरिश्चंद्र के संपूर्ण साहित्य व नाटकों, द्विवेदी युगीन राष्ट्रवादी रचनाकारों, जयशंकर प्रसाद की साहित्य की राष्ट्रीय चेतना, दिनकर के साहित्य में राष्ट्रीय चेतना,रश्मिरथी और उर्वशी के वैशिष्ट्य, कविअज्ञेय, संत जांभोजी और राजस्थान की महिला रचनाकारों हाडोती आंचल की जीत परंपरा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर आलेख संकलित किए हैं ।

हिंदी कथा साहित्य एक विमर्श’ पुस्तक में भी सर्वथा मौलिक समसामयिक विषयों पर अपने लेख प्रस्तुत किए हैं। आंचलिक कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु जैनेंद्र के साहित्य में नई चिंतन, महादेवी वर्मा का नई चिंतन प्रथम दशक की महिला रचना करूं का उपन्यास साहित्य आधुनिक युग में राम कथा का बदलता हुआ स्वरूप ,अमित त्रिपाठी के उपन्यास सीता मिथिला की योद्धा के संदर्भ में साहित्य जगत में चर्चित विविध विमर्श नारी विमर्श, आदिवासी विमर्श किन्नर विमर्श, दिव्यांग विमर्श तथा वर्तमान दशक के साहित्य में अभिव्यक्त जीवन मूल्य प्रवासी कथा साहित्य जैसे प्रासंगिक विषयों पर अपने विचार इस पुस्तक में प्रस्तुत किए हैं जो आज के पाठक वर्ग में साहित्यिक चेतना उत्पन्न करने में समर्थ हैं । चौथी पुस्तक “हिंदी कथा साहित्य एक विमर्श” प्रकाशित हुई हैं।

हिंदी साहित्य में समीक्षा एक ऐसी प्रभावी विधा है जिससे पाठक किसी कृति को पूरा पढ़ने के लिए प्रेरित होता है। समीक्षा और आलोचना आधुनिक गद्य की चुनौती पूर्ण विधा हैं, जिसमें आलोचक के रूप में ये तटस्थ और निरपेक्ष भाव से कृति का मूल्यांकन पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से करती हैं। हाडौती अंचल के साहित्य को सर्वथा नवीन चिंतन दृष्टि प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और विगत 25 वर्षों से निरंतर इस साधना में रत हैं। समीक्षक के रूप में इन्होंने हाड़ौती के साहित्यकारों के काव्य संग्रह और कथा साहित्य पर समीक्षा की है।

रमेश चंद्र विजयवर्गीय सुधांशु की कृति ‘दिन होगा खजुराहो में’ विजय जोशी के उपन्यासों और कहानी संग्रह, डॉ., गीता सक्सेना के काव्य संग्रह, दया कृष्ण विजय, इंद्र बिहारी सक्सेना, आरसी शर्मा आरसी की कृति अहिल्याकरण, श्याम कुमार पोकरा के उपन्यास ‘मां जोगणिया’ आई.,ए.एस टीकम अंजाना की काव्य कृति’ रज भारत की चंदन सी ‘स्नेह लता शर्मा की सत्य प्रकाशित काव्य कृति’ सुनो पत्थरों के बीच नदी बहती है ‘हाडौती के विश्वामित्र दाधीच के पौराणिक उपन्यास’ वेदवती ‘ और साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही के खंडकाव्य ‘द्रौपदी’, डाॅ. कंचना सक्सेना के कविता संग्रह ‘जो पात्र मुझे मिले’ मुंबई महाराष्ट्र के साहित्यकार प्रोफेसर मृगेंद्र राय की काव्य कृति ‘हथेली पर चांद’ आदि की समीक्षा के साथ-साथ अनेक अन्य साहित्यिक कृतियों की समीक्षा की है और पुस्तकों को पढ़ने का माहोल बनाया है।

हिंदी साहित्य में शोध के क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धि और योगदान निरंतर जारी है । इन्होंने हिंदी के विस्थापन साहित्य, स्वामी रामानंद, कथाकार अमरकांत ,हिंदी गजल, डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद सिंह के ऐतिहासिक उपन्यास ,आदिवासी महिला की अस्मिता, निशक्तजन केंद्रित रचनाएं-( दिव्यांग विमर्श) एक अनुशीलन, डॉ. उषा किरण सोनी की साहित्य साधना ,मृदुला सिन्हा का निबंध सहित्य ,तथा जितेंद्र निर्मोही के साहित्य में चेतना की विविध स्वर विषयों पर शोध कार्य पूर्ण करवाया है।
हिंदी साहित्य में शोध पर्यवेक्षक के रूप में 10 शोधार्थियों को पीएच- डी. की डिग्री दिलवाई एवं 7 शोधार्थी विभिन्न शोध विषयों पर शोधरत हैं।

इन्होंने संस्मरण और यात्रा वृतांत भी लिखे हैं। जिसमें “गेपरनाथ की घाटी में एक रोमांचकारी रात” उनके जीवन की सच्ची घटना पर आधारित संस्मरण है, दूसरी ओर “मेरी उत्कल और बंग प्रदेश की यात्रा” और”मेरी तीर्थ यात्रा”, जैसे यात्रा वृतांत भी लिखे हैं। ये यात्रा वृतांत पांचवा स्तंभ और साक्षात्कार जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं ।

आपके संपादित आलेख 25 संपादित पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। विभिन्न राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में शताब्दिक शोध आलेख एवं अन्य आलेख प्रकाशित हुए हैं।

हाड़ौती अंचल की गीत परंपरा विषय पर शोध आलेख केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा द्वारा प्रकाशित पत्रिका भाषा विमर्श में प्रकाशित हुआ। प्रमुख आलेखों में अद्वितीय यह क्षण , विवेकानन्द का शैक्षिक चिन्तन ,इक्कीसवीं सदी के प्रथम दशक के उपन्यासों में स्त्री विमर्श, प्रथम दशक की हिन्दी कहानी ,हिन्दी नाटकों में अभिव्यक्त सामाजिक सरोकार विशेष संदर्भ – डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल , हाशिए पर जीवन जीती तीसरी दुनिया का सच, मृदुला सिन्हा के निबन्धों में स्त्री विमर्श , भक्तिकालीन काव्य और नारी विमर्श मिट्टी की गंध के रचनाकार फणीश्वर नाथ रेणु ,मीरा के काव्य में भक्ति भावना एवं संत साहित्य में लोकमंगल की भावना, रश्मिरथी में राष्ट्रीय चेतना शामिल हैं। आकाशवाणी कोटा से समय-समय पर विभिन्न विषयों पर वार्ताएं प्रसारित की गई।

परिचय
हिंदी साहित्य में शोध, लेखन, समीक्षक के रूप में पहचान बनाने वाली रचनाकार डॉ.मनीषा शर्मा का जन्म 9 मार्च 1970 को अजमेर में पिता स्व. श्री मोहन लाल शर्मा एवं माता प्रसन्न देवी शर्मा के आंगन में हुआ। आपने 1993 में हिंदी विषय से स्नातकोत्तर की डिग्री और 1998 में अजमेर विश्वविद्यालय से ” काव्य सृजन और सिद्धान्त” विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। आप राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित हो कर नवंबर 1998 से निरंतर कॉलेज शिक्षा में सेवारत हैं। हिन्दी कथा साहित्य एवं हिन्दी साहित्य का इतिहास में आप की विशेषज्ञता है। आपके निर्देशन में कश्मीर का विस्थापन साहित्य, स्वामी रामानंद, आदिवासी महिला की अस्मिता, निशक्तजन विमर्श ,हिंदी गजल, कथाकार अमरकांत , शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, मृदुला सिन्हा के साहित्य आदि विषयों पर अब तक 10 शोधार्थियों को पीएच.डी. की उपाधि प्रदान करवा चुकी हैं तथा 7 शोधार्थी इनके निर्देशन में शोधकार्य कर रहे हैं।

आप राजस्थान साहित्य अकादमी की 18वीं सरस्वती सभा उदयपुर जून 2017 से 2018 तक मनोनीत सदस्य रही है। रक्तदान के प्रति आपकी गहरी रुचि हैं और 2008 से निरंतर रक्तदान कर रही हैं तथा औरों को भी प्रेरित करती हैं। आप महाविद्यालय की सांस्कृतिक, साहित्यिक और अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय रहती हैं। आपको देश की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी भाषा विभूषण की मानद उपाधि , संभाग स्तरीय हिंदी सेवी सम्मान, सरोजिनी शर्मा स्मृति राष्ट्रीय साहित्यांचल पुरस्कार, जैसे अनेक सम्मान प्राप्त हुए।वर्तमान में आप राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा के हिंदी विभाग में आचार्य पद पर सेवाएं प्रदान कर रही हैं और साहित्य सृजन में लगी हुई हैं।