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श्री शिवराज सिंह चौहान की सराहनीय पहल, बच्चों को अंडे नहीं मिलेंगे

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शाकाहारी होने का खामियाजा प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में रहने वाले बच्चों को भुगतना होगा। शाकाहारी होने के कारण शिवराज सिंह अंडा खाना भी पसंद नहीं करते इसलिए उन्होंने प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में भी बच्चों को उबला अंडा और अंडा करी दिए जाने के प्रस्ताव को रद कर दिया है।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार हाल ही में मध्यप्रदेश के अलीराजपुर, मांडला और हौंशगाबाद जिलों के दूर दराज के इलाकों में आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को अंडा करी और उबले अंडे देने का प्रस्ताव तैयार किया गया था।

जिसमें देहात के क्षेत्रों में बच्चों के शरीर में पौष्टिकता को बढ़ाने के लिए उन्हें हफ्ते में दो या तीन बार अंडा दिया जाना था।

यह प्रस्ताव पिछले महीने महिला और बाल विकास मंत्रालय की ओर से इंटीग्रेटिड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विस के तहत चलाए जा रहे आंगनबाड़ी केन्द्रों में 2-3 साल तक के बच्चों के लिए रेडी टू ईट भोजन देने की चर्चा के बाद तैयार किया गया था।

‌जिसमें बच्चों में पौष्टिकता बढ़ाने के‌ लिए उन्हें नाश्ते में अंडा दिए जाना ‌था। जब प्रस्ताव बनकर पूरी तरह तैयार हो गया तो उस समय इस पर रोक लग गई जब पता चला कि मुख्यमंत्री एक जनसभा में इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि उनके मुख्यमंत्री रहते आंगनबाड़ी में बच्चों को अंडा नहीं दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एसके मिश्रा के अनुसार सीएम शिवराज सिंह के लिए यह पहले दिन से ही एक भावनात्मक मुद्दा है। उन्होंने बताया कि बच्चों के शारीरिक विकास के लिए और भी पौष्टिक आहार उपलब्‍ध हैं।

सीएम ने लोगों के बीच में एक बार कहा भी था कि इसके लिए बच्चों को केला और दूध दिया जा सकता है लेकिन अंडा कभी नहीं। वहीं बच्चों को द‌िए जाने वाले नए पोषाहार के बारे में जब ताकतवर जैन समाज को पता चला तो उन्होंने इसका जबरदस्त विरोध किया।

जिसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों को प्रस्ताव बदलने पर मजबूर होना पड़ा। दिगंबर जैन समिति के प्रवक्ता अनिल बडकुल ने बताया कि अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी थी कि यह प्रस्ताव तभी लागू किया जाता जब इसे मुख्यमंत्री की सहमति मिल जाती।

बडकुल ने बताया कि हम इतने से ही संतुष्ट नहीं हुए और इसके लिए हमने सीएम से मुलाकात की। बडकुल पूछते हैं कि क्या अंडे पेड़ पर उगते हैं, नहीं। इसके कई दुष्परिणाम भी हैं। जब बच्चे मांसाहारी भोजन खाएंगे तो उनकी संवदेनाएं भी मर जाएंगी। उनके अनुसार 'बच्चों को बचाना है, अंडो को भी बचाना है'।