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दिग्विजय कालेज में हिन्दी भाषा और साहित्य में भविष्य की संभावनाओं पर उपयोगी मार्गदर्शन

राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के तत्वावधान में हिन्दी भाषा, साहित्य और उसमें भविष्य की संभावनाओं पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। प्राचार्य डॉ.आर.एन.सिंह के मार्गदर्शन में हुए इस आयोजन में अतिथि वक्ता के रूप में चंद्रपाल डड़सेना शासकीय महाविद्यालय पिथौरा, महासमुंद की प्राचार्य डॉ.आभा तिवारी उपस्थित थीं। हिन्दी विभागाध्यक्ष श्रीमती चन्द्रज्योति श्रीवास्तव में स्वागत उद्बोधन में कहा कि आज के लगातार बदलते परिवेश में भाषा और साहित्य का क्षेत्र भी काफी विस्तृत हो गया है। अब हिन्दी और हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों के लिए अवसर पहले से बहुत बढ़ गए हैं। इनकी जानकारी देकर विद्यार्थियों को लाभान्वित करना इस व्याख्यान का उद्देश्य है। डॉ.बी एन.जागृत ने अतिथि वक्ता डॉ.आभा तिवारी का परिचय आत्मीय शब्दों में देते हुए बताया कि उन्होंने शोधोत्तर ( डी.लिट् ) उपाधि अर्जित कर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है, जिससे सहज प्रेरणा मिलती है। विभाग के प्राध्यापक डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने संस्कारधानी की साहित्य विभूति, मानस मर्मज्ञ डॉ.बलदेवप्रसाद मिश्र जी पर डॉ.आभा तिवारी द्वारा किये गए विशेष अध्ययन को हिन्दी साहित्य की धरोहर निरूपित करते हुए उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। डॉ.नीलम तिवारी और विद्यार्थियों ने अतिथि वक्ता का भावपूर्ण स्वागत किया। 

अतिथि वक्ता एवं प्राचार्य डॉ.आभा तिवारी ने प्रेरणास्पद उद्बोधन में कहा कि परीक्षा और भविष्य की तैयारी एक समझदारी से भरा काम है। अपने पास  में उपलब्ध साधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना बड़ी कला है। अपने लक्ष्य के स्पष्ट निर्धारण के साथ उसे हासिल करने के लिए सार्थक कदम उठाना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि सिर्फ परीक्षा तक बात सीमित न रहे, ज्ञानार्जन का क्रम निरंतर चलना चाहिए। जरूरी बातों और विषयों को पढ़ने को आदत बना लेना सफलता का सही राजमार्ग है। कोर्स के बाहर की सामान्य जानकारी से अपने मस्तिष्क को पुष्ट बनाते रहें। यह मानकर पढ़ें कि कोई भी सूचना कभी भी आपके पथ को प्रदीप्त कर सकती है। 

डॉ.तिवारी ने बताया कि आज हिन्दी के विद्यार्थी अनुवाद के अलावा बैंकों, निगमों, सार्वजनिक क्षेत्रों में हिन्दी अधिकारी, शिक्षक, प्राध्यापक, पटकथा लेखक, उद्घोषक, समाचार वाचक, दुभाषिया, संवाददाता बन सकते हैं। स्वतंत्र लेखन, पर्यटन, फैशन, कार्यक्रम संयोजन  सहित सिविल सेवा में भी प्रवेश कर सकते हैं। यह सूची लगातार बढ़ती जा रही है। जरूरत इस बात की है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सही और उपयोगी किताबों का चयन किया जाये। नेट से भी मदद ली जा सकती है। उन्होंने विद्यार्थियों को विषयवार अनेक लेखकों और पुस्तकों के साथ-साथ उपयोगी वेबसाइट्स के पते भी बताये। विभाग के प्राध्यापक डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि उत्साहपूर्वक सहभागिता कर रहे स्नातकोत्तर हिन्दी के छात्र-छात्राओं ने अतिथि वक्ता डॉ.आभा तिवारी से करियर को लेकर प्रासंगिक प्रश्न किए और व्याख्यान के दौरान उनके सवालों के ज़वाब भी दिए। हिन्दी के होनहार विद्यार्थियों ने माना कि विभाग का यह आयोजन मार्गदर्शक सिद्ध होगा। 
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