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एक मासूम के मन की बात

इस लॉकडाउन में मेरे मन की बात कुछ ऐसी है, मुझे ऐसा लग रहा है जैसे कोरोना एक परीक्षा है और हमें उस परीक्षा में पास होना बहुत आवश्यक है। तभी हम नेस्ट लेवल में या ऐसे कहें कि हम आगे की दुनिया देख पायेगें और मुझे नहीं लगता कि ये परीक्षा ज्यादा कठिन है, क्योंकि कक्षा की पढ़ाई में बहुत से विषय होते हैं और बहुत सारी बातें याद करनी होती हैं। परन्तु इस परीक्षा में हमारे पास केवल एक ही विषय है और वह विषय ’’कोरोना वायरस’’ है और इसमें सीखने वाली बस कुछ ही बातें हैं जिसे याद रखते हुए हमें पास और कोरोना को फेल करना है। मुझे मेरे दादा जी ने बताया कि हमारे देश के वीरों को तो खून बहाकर देश की रक्षा करनी पड़ी परन्तु हमें तो सिर्फ सामान्य सी बातों को ध्यान में रखते हुए देश की रक्षा करनी है।

इस लॉकडाउन कि वजह से आज मेरा भारत कितना स्वच्छ नजर आ रहा है। अगर हम लॉकडाउन ना समझ कर इसे अपनी जिन्दगी का एक हिस्सा समझकर पालन करें, अपने आस-पास को साफ रखें, पर्यावरण का ध्यान रखें और जीव-जन्तु की रक्षा करें तो हमें दोबारा कभी किसी वायरस का सामना नहीं करना पड़ेगा। सच तो यह है कि मुझे लॉकडाउन के बारे में कुछ पता नहीं था लेकिन मैंने जबसे यह शब्द अपने टीवी न्यूज चैनल पर सुना तब से मुझे इस लॉकडाउन के बारे में जानने कि बड़ी इच्छा हुई और मैंने इसे समझने के लिए अपने मम्मी-पापा कि सहायता ली।

उन्होंने मुझे कहानी के रुप में बड़े सरल शब्दों में ऐसा समझाया कि मुझे इसे समझ कर बहुत खुशी हुई और थोड़ा दुख भी हुआ। परन्तु जब पूरे परिवार के साथ पूरा समय रहने को मिला तब बहुत अच्छा लगा। मैंने पूरे 7 साल में पापा के साथ इतना समय कभी नहीं रह पाया था। परन्तु इस लॉकडाउन की वजह से मैंने अपना पूरा समय घर वालों के साथ और पापा के साथ बहुत मजे किए। बहुत कुछ सीखने को मिला, किस परिस्थिति में कैसे खुश रहना है सीखा। ऑनलाइन पढ़ाई करने का अनुभव हुआ। पढ़ते हुए खेलना और खेलते हुए पढ़ना भी मजेदार था। मम्मी की सहायता करना सीखा। छोटी बहन के साथ खेलना और उसे पढ़ना सिखाना और अपनी बचपन की हरकतों को याद करना आदि। मम्मी-पापा के साथ बैठकर उनकी शादी का वीडियो देखना और दादा-दादी, नाना-नानी से मिलने का इन्तजार करना।

लॉकडाउन में डिजिटल तकनीक का बेहतर उपयोग कर घर में बैठकर पढ़ाई कर पा रहा हूॅ। घर बैठे अपने दादा-दादी, नाना-नानी से वीडियो कॉल से अपनी क्रियाओं को दिखाता हूॅं। साथ ही दादी-नानी ने भी बताया कि घर के खाने में कितना स्वाद होता है। पहले मैं बहुत जीद करता था, बाहर का व्यंजन खाने के लिए लेकिन मेरी मम्मी ने वो हर व्यंजन बनाई और खिलाई जो मैंने कहा तब मुझे अहसास हुआ कि बाहर के खाने से ज्यादा स्वादिष्ट और सेहतमंद तो घर में बने व्यंजन ही होता है।

एक और बात 2020 में कोरोना वायरस का फैलना एक बहुत बड़ी सीख है। इसकी वजह से बहुत सारे नुकसान हुए हैं, लेकिन इसी के वजह से आज भारत कितना स्वच्छ हो गया है। हमारी धरती के लिए वरदान साबित हो रहा है। लॉकडाउन के कारण लोगों का बारह आना जाना रुक गया, जिससे मोटर गाड़ियॉ बंद रहीं, फैक्ट्रीयॉं बंद हो गये, इससे उत्पन्न होने वाले विषैली गैसे वातावरण में फैलना लगभग बंद हो गया और प्रकृति पुनः स्वच्छ हो गयी। नदियों के जल स्वच्छ हो गये क्योंकि जो कारखानों से उत्सर्जित होने वाले गंदा पानी नदियों में बहाया जाता था अभी बंद है।

इस खतरनाक महामारी को ध्यान में रखते हुए देश की सरकार ने जो हमें इसके संक्रमण से बचने के लिए जो उपाय सुझायें हैं जिसमें मुख्यतः बार-बार अपने हाथों को साबुन या हैण्डवॉस से कम से कम 20 सेकण्ड तक धोना, बाहर निकलने पर फेस मॉस्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना आदि शामिल हैं। इन सभी नियमों का पालन करते हुए हम सभी विद्यार्थियों को अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखनी हैं और कोरोना को हराना है। देश कि रक्षा हम सब को मिलकर करना है।

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कक्षा 3-ए, भारत माता सीनियर सेकण्ड्री स्कूल, रायपुर
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